चर्च में लोगों का आना लगातार कम हो रहा है. ईसाई धर्म और इसके केंद्र वेटिकन सिटी में लोग अपना विश्वास खोते जा रहे हैं.
इसके कई कारण हैं. उनमें से एक है पादरियों द्वारा बच्चों का यौन शोषण. वहीं, धार्मिक कर्मकांड और रोमन कैथोलिक चर्च के कट्टरपंथी विचारों का प्रचार-प्रसार भी इसकी एक वजह है.
पिछले 70 सालों में पेंसिलवेनिया के 300 से ज्यादा पादरियों ने 1000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है.
आरोप ये भी हैं कि रोमन कैथोलिक ईसाईयों के पवित्र शहर वेटिकन में बैठे पोप को इन आरोपों के बारे में काफी कुछ पता था. बावजूद इसके उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ मिलकर दुनिया भर के घिनौने पादरियों को बचाने का काम किया.
ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि रोमन कैथोलिक कट्टरपंथी विचारों और पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण की हद कहां है –
300 पादरियों पर यौन शोषण के आरोप
14 अगस्त 2018 को पेंसिलवेनिया सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी ग्रैंड ज्यूरी की एक रिपोर्ट जारी की गई.
1400 पन्नों की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1940 से लेकर आज तक 70 सालों में पादरियों ने 1000 बच्चों का यौन शोषण किया है. पीड़ितों में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं.
सन 2016 से 2018 तक पेंसिल्वेनिया के 6 सूबों में एक ग्रैंड ज्यूरी ने कैथोलिक चर्च में यौन शोषण के मामलों की जांच की थी. इस जांच में 5 लाख से अधिक चर्च के दस्तावेजों का अध्ययन किया गया और पीड़ितों के बयान लिए गए.
वहीं, इस ज्यूरी का कहना है कि आरोपी पादरियों की संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है.
कैथोलिक चर्च में यौन दुर्व्यवहार के आरोप ऑस्ट्रिया, ब्राजील, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड्स, स्पेन, स्विट्जरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित बड़े कैथोलिक आबादी वाले देशों के पादरियों पर भी लगे हैं. अमेरिका में तो 1950 से 2002 के बीच 4,000 से ज्यादा पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण के आरोप लगे हैं.
एक अन्य जांच के अनुसार, 1950 से 2010 के बीच ऑस्ट्रेलियाई चर्चों के 7 प्रतिशत कैथोलिक पादरियों को बाल यौन शोषण के आरोप में दोषी पाया गया है.
वहीं, 1950 से 1980 के बीच, अमेरिका में बच्चों के साथ यौन शोषण के 17,000 मामले सामने आए थे. जिनमें लगभग 7 हजार पादरियों पर आरोप लगे.
ऑस्ट्रेलिया का एक मामला है, जहां यौन शोषण के मामलों को छिपाने के आरोप में एक आर्कबिशप को जेल हुई थी. वहीं, चिली में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था. जहां 22 मई को यौन शोषण के आरोपों में 14 पादरियों को चर्च से निकाल दिया गया था.
ऑस्ट्रिया में ऐसे करीब 800 मामले सामने आए हैं. जर्मनी में 1945 से 1990 तक चर्च में प्रार्थना करने आने वाले सैकड़ों लोगों को यौन शोषण का सामना करना पड़ा था.
वहीं, बेल्जियम, नीदरलैंड्स में भी ऐसे ही मामले उजागर हुए थे. जहां पिछले 65 सालों में हजारों नाबालिगों के साथ यौन शोषण हुआ.
आयरलैंड में 14,500 बच्चों के साथ पादरियों ने चर्च में यौन शोषण की घटना को अंजाम दिया.
वेटिकन ने आरोपी पादरियों को बचाया
पेंसिलवेनिया और वैटिकन के बड़े अधिकारियों ने इन यौन शोषण के मामलों को छिपाने और आरोपी पादरियों को बचाने की सभी संभव कोशिशें कीं.
वहीं, रोम के बिशप और विश्वव्यापी कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े नेता पोप पर भी यौन शोषण के आरोपियों को बचाने और इन मामलों को दबाने का आरोप लगा है.
पोप फ्रांसिस ने समय रहते ऐसे आरोपों को सार्वजनिक नहीं होने दिया. वह कथित तौर पर वेटिकन के बड़े अधिकारियों के साथ ऐसे आरोपियों को बचाने की मिलीभगत में भी शामिल रहे.
अमेरिका में, 'बोस्टन ग्लोब समाचार पत्र' की एक रिपोर्ट ने सबसे पहले चर्च में बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं के बारे में बताया. इसमें बताया गया कि किस तरह से चर्च के बड़े अधिकारी आरोपी पादरियों को यौन शोषण के आरोप से बचाने के लिए उनका तबादला कर देते थे.
2004 में आई एक चर्च कमीशन रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 सालों में 4,000 से ज्यादा अमेरिकी रोमन कैथोलिक पादरियों पर 10,000 से ज्यादा बच्चों के यौन शोषण के आरोप लगे हैं. यौन दुर्व्यवहार के इन बच्चों में से ज्यादातर लड़के थे.
कन्फेशन की आड़ में यौन शोषण
रिपोर्ट के अनुसार, एक पादरी ने 7 साल की एक लड़की से उस समय बलात्कार किया, जब वो अस्पताल में भर्ती थी और उसका इलाज चल रहा था. वहीं, एक पादरी ने तो चर्च में ही एक 9 साल के लड़के को ओरल सेक्स के लिए मजबूर किया और फिर पवित्र जल से उसका मुंह धुला दिया.
वहीं, यौन शोषण के कुछ अन्य पीड़ितों ने कहा कि पादरियों ने उन्हें भी ड्रग्स दिया. वहीं कुछ के साथ बहला-फुसला कर ये ज्यादती की गई.
एक पादरी ने एक लड़के का 13 से 15 साल की उम्र में कई बार बलात्कार किया. इससे उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट भी आई. वह इस दर्द से निजात पाने के लिए दवाओं का सहारा लेता था, और फिर एक दिन दवा की ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई.
इससे पहले केरल में भी पादरियों पर यौन शोषण करने का एक मामला सामने आया था. एक शादीशुदा महिला ने एक ही चर्च के 4 पादररियों पर यौन उत्पीड़न करने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था.
मदर टेरेसा पर लगे धर्म परिवर्तन कराने के आरोप
कई लोगों का मानना है कि गरीबों की मदद करने के पीछे मदर टेरेसा का एक निश्चित उद्देश्य था. वह गरीबों, दीन-दुखियों और बीमारों के दर्द का इस्तेमाल रोमन कैथोलिक चर्च के कट्टरपंथी सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करने के लिए करती थीं.
वहीं, कहा तो ये तक जाता है कि वह इन लोगों को उनके इलाज के बदले ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का काम करती थीं.
मदर टेरेसा को कथितरूप से बीमारों, गरीबों और अनाथों की सेवा के लिए नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
वहीं, मदर टेरेसा की सेवा के पीछे की कहानी कुछ और ही बताई जाती है.
मदर टेरेसा की संस्था में काम कर चुके अरूप चटर्जी का दावा है कि मदर टेरेसा ने अपने कामों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया.
“मदर टेरेसा कहती थीं कि उन्होंने सड़कों से बीमार लोगों को उठाकर उनका इलाज किया है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता था.”
वहीं, माना जाता है कि मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी में गरीबों का इलाज ठीक से नहीं किया जाता था.
फिल्मों की पटकथा लिखने वाले लेखक क्रिस्टोफर हिचेंस ने अपनी किताब ‘द मिशनरी पोजीशन: मदर टेरेसा इन थ्योरी एंड प्रैक्टिस’ में लिखा है कि “मीडिया ने मदर टेरेसा का मिथक गढ़ा है, जबकि ये सच्चाई नहीं है.” मदर टेरेसा गरीबों के दर्द का इस्तेमाल रोमन कैथलिक चर्च के कट्टरपंथी सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए करती थीं.
वहीं, पत्रकार जर्मेन ग्रीअर ने तो मदर टेरेसा को ईसाई धर्म फैलाने का जरिया बताया है. उनका मानना है कि मदर टेरेसा ने सेवा भाव की आड़ में लोगों को ईसाई बनाया.
उन्होंने इलाज करा रहे लोगों पर बपतिस्मा (पवित्र जल छिड़ककर ईसाई बनाने का कर्मकांड) छिड़का, ताकि वो ये मान लें कि वो अब पवित्र हो चुके हैं और ईसाई बन चुके हैं.
Web Title: Odious Tale of Roman Catholic Church And Priests, Hindi Article
Feature Image Credit: 100 Weeks in Rome