वेनेजुएला दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में स्थित एक देश हैं. इसकी राजधानी ‘कराकास’ में इस देश की सबसे ज्यादा आबादी निवास करती है, जो कि भौगोलिक दृष्टि से वेनेजुएला का सबसे बड़ा प्रदेश है.
वेनेजुएला अपने प्राकृतिक संसाधनों, प्राकृतिक सुंदरता और अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता है. इस देश ने एक दौर ऐसा भी देखा, जब यहां के लोगों को स्पैनिश आक्रमणकारियों की बर्बरता और क्रूरता का सामना करना पड़ा.
हालांकि, आगे के सालों में यहां के कुछ क्रांतिकारियों ने इन लुटेरों से देश को आज़ाद करा लिया. इसी कड़ी में एक समय ऐसा भी आया जब, यह देश तेल के व्यापार में एक बड़ा निर्यातक रहा.
यह सब कैसे संभव हो सका आईए जानते हैं-
खजाने की खोज में स्पैनिशों ने किया कब्ज़ा
1498 में क्रिस्टोफर कोलंबस वेनेजुएला की धरती पर पैर रखने वाला पहला यूरोपीय व्यक्ति था. इनकी खोज के एक साल बाद स्पेनिश खोजकर्ता एलोनसो डी ओजेडा ने इटालियन खोजकर्ता अमेरिगो के साथ मिलकर वेनेजुएला के पक्षिमी छोर गुआजिरा पेनिन्सुला पहुंचे थे. उन्होंने वहां कुछ लोगों को झोपड़ियों में रहते देखा. तभी इन्होंने वेनेजुएला को 'लिटिल वेनिस' कहा था.
हालांकि, इस तरह 1500 में पहली बार वेनेजुएला का नाम दुनिया के मानचित्र से जुड़ गया, जो आज तक दर्ज है. इसके बाद ये दोनों वहां से आगे पक्षिमी दिशा की ओर बढ़ते हुए इसके कुछ और हिस्सों को खोजा. इसी कड़ी में इन्होंने वहां के स्थानीय आदिवासी लोगों को सोने को पहने देखा. इनको देखकर ये दोनों हैरान हो गए और तभी से इस खजाने के बारे में उनकी कहानियों ने एल डोराडो (द गोल्डन वन) की मिथ्या को जन्म दे दिया, जो कि सोने से भरपूर एक रहस्यमयी भूमि थी.
इस खजाने को पाने के लिए स्पेनिशों ने कई लक्ष्य को निर्धारित किया और इस 'द गोल्डन वन' की खोज के कारण यहां पर तेजी के साथ उपनिवेशीकरण होने लगा. मजेदार बात यह है कि इन स्पैनिशों को कभी भी इस रहस्यमयी खजाने की प्राप्ति नहीं हुई!
अफ्रीकनों का हुआ आगमन और...
1500 के आसपास स्पैनिश वेनेजुएला की भूमि पर आकर रहने लगे. उन्होंने धीरे-धीरे यहां के बसने वालों को आजीविका प्रदान की. इसी के साथ ही शहरों और बंदरगाहों का भी निर्माण कराया गया. बताते चलें कि 1541 में आए भूकंप और ज्वारीय लहरों ने इन शहरों के अधिकतर हिस्सों को बर्बाद कर दिया.
हालांकि, पूर्वोत्तर तट पर स्थित वेनेजुएला का शहर कुमाना बचा रहा, जो आज भी अस्तित्व में है. आगे 1717 तक वेनेजुएला के लोगों पर स्पेन के सैंटो डोमिंगो से शासन किया गया. जब अफ्रीका ने इस पर अपना पैर जमाना शुरू किया, तो शुरुआत में इन्होंने यहां के लोगों और स्पेनिश आक्रमणकारियों के बसाए शहरों को प्रबल और शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया.
विशेष रूप से अफ्रीकियों ने कृषि कार्यों पर अधिक बल देते हुए करिबियाई तटों पर वृक्षारोपण पर काम करने लगे. फिर देखते ही देखते 18 वीं शताब्दी तक अफ्रीकियों की संख्या स्थानीय लोगों की आबादी से पार कर गई थी. इनकी संख्या अधिक होने के बाद इन्होंने वेनेजुएला के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर स्वंत्रता का दीपक जलाना शुरु कर दिया.
इन्हीं क्रांतियों में लैटिन अमेरिका के सिमन बोलिवार नामक एक महानायक को जन्म दिया. सिमन बोलिवार वेनेजुएला को स्पेनिश साम्राज्य की चंगुल से आज़ाद कराना चाहते थे. इसके लिए इन्होंने फ्रांसिस्को 'डी मिरांडा' नाम से एक क्रन्तिकारी मिशन को चलाया, जिसने वहां के लोगों के दिलों में स्वंत्रता की लौ जगाने में काफी कारगर सिद्ध हुई.
इसके लिए इनको जेल भी जाना पड़ा, लेकिन जेल से छूटने के बाद बोलिवार ने 1821 में ब्रिटिश सेनाओं की मदद से स्पैनिश को हराने में कामयाब रहे. इसके बाद वेनेजुएला ग्रेन कोलंबिया का हिस्सा बन गया
हालांकि, इसके कुछ सालों बाद ग्रेन कोलंबिया से भी अलग हो गया.
सैन्य शासकों के नियंत्रण में भी रहा वेनेजुएला
1830 में, जब वेनेजुएला ने एक अलग देश के रूप में अपनी पूरी आज़ादी हासिल की तो इसके कुछ ही दिनों बाद इस देश को छोटे-छोटे भागों में बांटते हुए शासन चलाया गया. सैन्य शासकों द्वारा चलाए गए इन शासित श्रृंखलाओं को कैडिलोस कहा जाता था. लगभग एक शताब्दी तक चले इस शासनकाल के दौरान वेनेजुएला निराशावाद और अराजकता जैसी गंभीर समस्याओं के लिए जाना जाता रहा. इसी कड़ी में आगे कैडिलोस का पहला जनरल जोस एंटोनियों था.
इसने 18 सालों तक इस देश का कार्यभार सभांला. साथ ही अपने नियंत्रण के दौरान वेनेजुएला की राजनितिक स्थिरता को स्थापित करने में बड़ी भूमिका अदा की. इस कार्यकाल के दौरान अर्थवय्वस्था कमजोर हो गई थी. देश में कुछ दिनों तक सिविल वार तक चलता रहा. आगे लंबे समय तक इस देश के कैडिलोस जनरल एंटोनियों गुजमान ब्लैंकों (1870-88) ने इस देश को नियंत्रित किया. इन्होंने इस देश में नए नियम और सविधान बनाए, जो कि बड़े सख्त थे.
इनके इस तानाशाह स्वभाव ने विपक्षियों को जन्म दे दिया. नतीजा यह रहा कि देखते ही देखते यह देश खूनी गृह युद्ध में घिर गया. इस गृह युद्ध के दौरान कई लोग मौत के घाट उतार दिए गए.
तेल की खोज ने बनाया एक शक्तिशाली देश
वेनेजुएला के इतिहास में लगातार 5 सैन्य शासकों ने शासन किया. इसमें कई ऐसे भी शासक रहें, जिन्होंने अपनी तानाशाही और क्रूरता से नागरिकों को अपना गुलाम बना कर रखा. इन्हीं क्रूर शासकों में जनरल जुआन विसेंट गोमेज का नाम भी शामिल है. इसने अपने शासनकाल के दौरान सबसे ज्यादा अत्याचार किया था.
हालांकि, 1910 के आसपास ही इन्हीं के शासनकाल में वेनेजुएला ने तेल की खोज कर ली थी, जिसकी मदद से गोमेज ने देश की अर्थव्यवस्था को खड़ा करने में कामयाब रहे. देखते ही देखते 1920 के अंत तक वेनेजुएला दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया था. इससे न केवल आर्थिक सुधार में योगदान मिला.
बल्कि, सरकार को देश के पूरे विदेशी ऋण को चुकता करने में भी अहम किरदार निभाया.
तेल के सबसे बड़े निर्यातक बनने के बाद वेनेजुएला की सरकार को वहां के नागरिकों की गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को भी सुधारने में आसानी हो गई. इसी के साथ विदेशों से भी आयात करना आसान हो गया था. देश के किसानों का भी समृद्ध विकास हुआ. इस तेल की खोज के बाद वेनेजुएला एक शक्तिशाली देश के रूप में पहचाना जाने लगा.
हालांकि, एक दौर ऐसा भी आया जब इस प्रभुत्वशाली देश को अन्तर्राष्ट्रीय मंदी का शिकार होना पड़ा और देश की पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गई. आगे वह इससे उभरा. इसकी स्थिति कुछ बेहतर हुई, किन्तु पूरी तरह से यह पटरी पर नहीं लौट सका.
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश को जैसे मानो किसी की बुरी नज़र लाग गई हो.
तो ये थी वेनेजुएला से जुड़ी कुछ जानकारी.
अगर आपके पास भी इससे जुड़े कुछ तथ्य हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: After Independence, Venezuela's Largest Exporter of Oil, Hindi Article
Feature image Credit: TN.com