भले ही कई बार भारतीय फिल्मों में इंटेलिजेंस एजेंसियों को नेताओं की कठपुतली के रूप में दिखाया गया हो, किन्तु यह पूरी तरह सच नहीं है. कुछ देश तो ऐसे हैं, जिनकी नींव ही इंटेलिजेंस एजेंसियों के दम पर रखी गई थी.
इजरायल इसका बड़ा उदाहरण है. वहां इंटेलिजेंस एजेंसियों में कार्यरत जासूसों को हीरो की तरह पूजा जाता है. कहा तो यहां तक जाता है कि इजरायल के अस्तित्व में आने के पीछे वहां के जासूसों का अहम रोल रहा.
खासतौर पर शुला कोहन नामक महिला जासूस का, जिसने इंटेलिजेंस में काम करते हुए इजराइल के सपने को हकीकत में तब्दील किया.
तो आईए इजरायल के इतिहास में दर्ज इस महिला जासूस को नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं-
‘फीलीस्तीन’ की चाहत और…
यह उस दौर की बात है, जब फीलीस्तीन पर अधिकार के लिए यहूदी और मुस्लमान दोनों ही दावेदारी पेश कर रहे थे. असल में विश्व युद्ध के बाद जब जर्मनी और अलग-अलग देशों में बिखरे हुए अल्पसंख्यक यहूदियों के लिए एक देश खोजने की बात आई, तो यकीनन सभी की आंखों में फिलिस्तीन की तस्वीर थी.
इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि यहूदियों का यह विश्वास ही था कि इस जगह पर उनके मसीहा जीजस क्राइस्ट को क्रॉस से उतारा गया था. साथ ही उनके शरीर को साफ किया गया था. यही नहीं उनके मुताबिक क्राइस्ट ने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन उसी धरती पर गुजारे थे.
वहीं प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ही बालफोर समझौते में भी अंग्रेजी हुकूमत ने फिलीस्तीन में यहूदियों को स्थायी रूप से बसाने और उनके लिए राष्ट्र का निर्माण करने में मदद करने की बात कही थी. वह बात और कि फिलीस्तीन के दो टुकड़ों की बात वहां रहने वाले बहुसंख्यक इस्लाम धर्म के लोगों को नागंवार थी.
इस तरह फिलीस्तीन पर अधिकार केवल यहूदी ही नहीं, बल्कि इस्लाम को मानने वाले भी जता रहे थे. उनके लिए यह धरती उतनी ही अहम थी, जितनी की यहूदियों के लिए. वह मानते थे कि इसी जगह पर उनके मुहम्मद ने अपनी आंखें बंद की थीं.
ऐसे में जब दो अलग-अलग धर्मों के लोग एक जगह पर अपना दावा कर रहे थे, उस समय फिलिस्तीन में यहूदी एक अल्पसंख्यक समुदाय था, जिसे फिलिस्तीन पर अधिकार जमाने के लिए बढ़ाने की कोशिश की जा रही थी.
Yahudi and Muslims (Representative Pic: Islami.co)
शुला कोहन की अहम भूमिका
दिलचस्प बात तो यह है कि फिलिस्तीन में यहूदियों की तादाद बढ़ाने में इंटेलिजेंस एजेंसियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी. वह धरती के कोने-कोने में बसे यहूदी समुदाय के लोगों को फिलिस्तीन में बसाने के लिए प्रयासरत्न थे.
महिला जासूस शुला इसी मुहिम का हिस्सा थी. शुलामिट कोहन, जोकि बाद में शुला कोहन के नाम से जाना गया. उसने एक यहूदी के तौर पर जन्म तो एर्जेंटिना में लिया, लेकिन उसका बचपन इजरायल में बीता. आर्थिक तंगी के चलते शुला की शादी 16 साल की उम्र में बेरूत के एक व्यापारी से की गई. वही वह एक जासूस बनकर उभरी.
वह जासूस कैसे बनी. इसके बारे में तो ज्यादा जानकारी नहीं मिलती, लेकिन यह जरूर कहा जाता है कि उसे अपने पति की दुकान पर आने वाले लोगों से जानकारी हुई कि उत्तरी लेबनान में इजरायल लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था.
बस इसी जानकारी का फायदा उठाते हुए शुला ने इजराइल एजेंसी तक एक पत्र पहुंचाया. इस पत्र में उसने इजरायल को स्थापित करने में मदद करने की इच्छा जाहिर की. एजेंसी ने शुला के इस पत्र को गंभीरता से लिया और उन्हें अपना हिस्सा बनाया.
ऐसा था शुला का पहला मिशन
पहले मिशन के तहत शुला को अपने घर में एक यहूदी को छुपाने के लिए कहा गया. यह जोखिम भरा काम था, किन्तु शुला ने इसको पूरा किया. कहते हैं बस इसके बाद से ही शुला की जिम्मेदारियां बढ़ा दी गईं.
जल्द ही उसे बड़े ऑपेरेशन ‘आलिया बेत’ के लिए चुना गया. इस ऑपरेशन के तहत शुला को अरब देशों में रहने वाले यहुदियों को लेबनान के रास्ते फिलीस्तीन पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यह मिशन बहुत खतरनाक था.
असल में अरब लोगों ने फीलीस्तीन में बढ़ती हुई यहुदियों की संख्या से नाराज थे. वह खुले तौर पर फिलीस्तीन में विस्थापन का विरोध कर रहे थे.
बावजूद इसके शुला ने अपने आकर्षण से इस मिशन को आसान कर लिया. चूंकि वह मन को मोह लेने वाली महिला थी, इसलिए आसानी से वह अपना नेटवर्क फैलाने में सफल रही. यहां तक कि उसने बड़े लोगों और नेताओं से संपर्क बनाने के लिए एक सैलून तक खोल डाला.
The Beirut Spy Shula Cohen (Pic: Featvre)
इजराइल के लिए बेमिसाल समर्पण
यह एक ऐसी जगह थी, जहां बड़े-बड़े नेता और अधिकारी उनसे मिलने के लिए आते थे. ऐसा कहा जाता है कि शुला ने गैरकानूनी तरीके से इजरायल में यहूदियों को पहुंचाने में मदद के लिए अपने सैलून में वैश्यावृति का भी सहारा लिया.
एक बार तो शुला ने उस वक्त यहुदियों को लेबनान का बोर्डर पार करवाया, जब वह सात महीने की गर्भवति थी. इससे समझा जा सकता है कि वह इजराइल को लेकर कितनी समर्पित थी. इस तरह से अरब इजरायल के दोनों युद्धों के बीच यहुदियों को गैरकानूनी रूप से लेबनान का बोर्डर पार करवा कर फिलीस्तीन भेजना 1960 के दशक तक जारी रहा.
इसी बीच लेबनान के वित्त मंत्री राशिद करामी ने 1961 में बड़ी मात्रा में लेबनान सरकार के ऑफिशयल सटंप की चोरी की बात कहते हुए उसकी जांच की मांग की. इसकी जांच का जिम्मा लेबनान की इंटेलिजेंस एजेंसी को मिला. उसे कुछ संदिग्धों के नाम दिए गए.
आगे जब उन संदिग्धों पर जांच शुरू हुई, तो उनमें शामिल महमूद अऊद नाम के अफसर के फोन को टैप किया गया. वह अपने इस टैप में किसी महिला से फोन पर जानकारी देते हुए सुने गए. एजेंसी ने जब महिला के बारे में पता लगाया तो, शुला का चेहरा लोगों के सामने आया.
एंजेसी चाहती तो तुरंत शुला का पकड़ सकती थी, लेकिन उसने जल्दबाजी करना ठीक नहीं समझा. उसने शुला पर नजर रखने के लिए उसके घर के सामने, ऊपर और नीचे के घरों को किराए पर ले लिया. साथ ही अपने प्रतिनिधि वहां तैनात कर दिए.
आखिर में ‘इश्क’ ने ले ली जान
लेबनान की इंटेलिजेंस एजेंसी एक बड़ी जांच चाहती थी, जिसके लिए वह हर मुमकिन हथकंडा अपनाने को तैयार थी. इसी क्रम में उसने शुला कोहन को नजदीक से जानने के लिए ‘मिलाद-अल-काराह’ नाम के एक शख्स को साइमन बनाकर शुला के बच्चों के ट्यूशन टीचर के तौर पर नियुक्त किया गया.
‘मिलाद-अल-काराह’ बेहद खुबसूरत और शुला की तरह आकर्षक था. इसका फायदा उठाकर वह शुला को रिझाने में कामयाब रहा. इस तरह शुला उसके प्रेम-जाल में फंसती चली गई. जल्द ही उसने ‘मिलाद-अल-काराह’ भरोसा करते हुए अपनी खुफियां जानकारियां दे दी. यहां तक कि कई दूसरे एजेंटों से भी उसे मिलवाया.
इस तरह ‘मिलाद-अल-काराह’ शुला का असली चेहरा सबके सामने लाने में सफल रहा. उसने बताया कि शुला का कोड नाम ‘द पर्ल’ था. वह सीक्रेट इंक से लेकर ट्रांसमिशन डिवाइस हर माध्यम से इजरायल एजेंसियों के संपर्क में थी.
Shula Cohen with His Love (Pic: aljazeera)
अंतत: 9 अगस्त 1961 शुला को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में उस पर सभी तरह के ट्रायल करते हुए मौत की सजा सुना दी गई. हालांकि, बाद में उसकी सजा को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते 20 साल की कैद में बदल दिया गया.
वह बात और है कि शुला केवल 6 साल ही कैद में रही. 1967 में अरब-इजरायली युद्ध में बंदी बनाए गए फौजियों के बदले उन्हें इजरायल ने आजाद करवा लिया था.
Web Title: Article on the Beirut Spy Shula Cohen, Hindi Article
Featured Image Credit: Dailymotion