बोको हराम!
धर्म के नाम पर आतंक मचाने वाला संगठन. मध्य-पूर्व देशों में अपना आतंक फैलाने वाले आईएसआईएस का नाम तो हर कोई जानता है. अफ्रीकी देशों में तेज़ी से इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाया जा रहा है. यह आतंक फैलाने वाला संगठन कोई और नहीं बल्कि बोको हराम ही है.
हाल ही में, इस संगठन पर 110 छात्राओं का नाइजीरिया के योब प्रांत से अपहरण करने का मामला सामने आया. यही वजह रही कि यह एक बार फिर विश्व की नजरों में आ गया.
यह अफ्रीका की सबसे घनी आबादी वाले देश नाइजीरिया पर कब्ज़ा जमाना चाहता है. यह उस देश में सरकार का तख्ता पलट कर, उसे एक इस्लामिक देश के रूप में बदलना चाहता है. साल 2013 में अमेरिका ने इसे एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया था.
ऐसे में, यह जानना दिलचस्प रहेगा कि ये कब और कैसे नाइजीरिया में अपने पैर जमाने में कामयाब रहा. जानते हैं, इसके तेज़ी से पनपने का इतिहास-
पश्चिमी सभ्यता से हैं इन्हें नफरत!
बोको का मूल रूप से मतलब 'नकली' होता है. परंतु यहां इसका इस्तेमाल पश्चिमी शिक्षा के सन्दर्भ में है. जबकि हराम का मतलब वर्जित होता है.
बोको हराम एक कट्टर आतंकी संगठन है. यह मुस्लिमों को पश्चिम सभ्यता या समाज से किसी भी तरह के संबंध रखने की मनाही करता है. यह मुस्लिमों को किसी भी तरह की पश्चिमी राजनीतिक और सामाजिक गतिविधि में भाग लेने के सख्त खिलाफ है.
इस संगठन का आधिकारिक नाम जमाते एहली सुन्ना लिदावति वल जिहाद है. इस नाम का मतलब होता है, ऐसे लोग जो लोग पैगंबर मोहम्मद की शिक्षा और जिहाद को फैलाने के लिए प्रतिज्ञ होते हैं.
माना जाता है कि इस संगठन के समर्थक कुरान की शब्दावली से अधिक प्रभावित हैं. जहां ये लिखा है कि 'जो भी अल्लाह की कही गई बातों पर अमल नहीं करता है वो पापी है.'
सोकोटो खलीफा का खात्मा और...
साल 1903 तक उत्तरी नाइजीरिया, नाइजर और दक्षिणी कैमरून के कुछ हिस्सों पर सोकोटो खलीफा का शासन हुआ करता था. इसी वर्ष खलीफा की सत्ता गिर गई. अब यह क्षेत्र अंग्रेजों के कब्ज़े में आ चुका था.
इसके साथ ही, ब्रिटिश शासन में पश्चिमी क्षेत्र के कुछ हिस्सों के मुस्लिमों ने ‘पश्चिमी शिक्षा’ से खुद को बचाए रखा या प्रतिरोध किया. इस क्षेत्र में अभी भी लोग अपने बच्चों को सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘पश्चिमी स्कूलों’ में नहीं भेजते.
दरअसल, यहां का शासक अभिजात वर्ग शिक्षा को प्राथमिकता के रूप में नहीं देखता बल्कि इसे एक समस्या के रूप में देखता है.
माना जाता है कि यह समूह 1990 के दौरान से ही अस्तित्व में आ गया था. लेकिन, इसके शुरू होने के तथ्य साल 2002 से हैं. बोको हराम की स्थापना करिश्माई मुस्लिम धर्मगुरू मोहम्मद युसूफ़ ने की थी.
नाइजीरिया को इस्लामिक देश में बदलने का मकसद!
इसमें धर्मगुरू मोहम्मद युसूफ़ ने एक मस्जिद और इस्लामी स्कूल बनाया. एक मस्जिद और इस्लामी स्कूल बनाया. इन दोनों को उसने एक धार्मिक कॉम्पलेक्स की तरह शुरू किया. इसके शुरुआत के साथ ही नाइजीरिया के काफी सारे मुस्लिमों ने अपने बच्चों को यहां पढ़ने भेजना शुरू कर दिया.
इसके अलावा, इस स्कूल में कई पड़ोसी देशों ने भी अपने बच्चों का यहाँ शिक्षा के लिए भेजा.
अब इस इस्लामी स्कूल में अच्छी-खासी संख्या में बच्चे आने लगे. यहां से शुरू होती है कहानी. बोको हराम को सिर्फ बच्चों को इस्लामी शिक्षा देने में ही रूचि नहीं थी. वह नाइजीरिया को एक इस्लामिक देश में बदलना चाहते थे.
यह राजनीतिक रूप से उस देश को इस्लामिक बनाना चाहता था. जिसके लिए उन्होंने इस स्कूल में को एक बहुत बड़ा माध्यम बनाया. ये स्कूल जिहादियों को भर्ती करने का एक बहुत बड़ा ज़रिया बन गया.
बोको हराम के ख़ात्मे का एलान, लेकिन…
साल 2009 में बोको हराम ने अपना हिंसात्मक चेहरा दिखाया. उन्होंने इसी साल माइडूगूरी के पुलिस स्टेशनों और सरकारी बिल्डिंगों पर हमले किये.
जिसका जवाब देते हुए वहां के सुरक्षाबलों ने भी गोलीबारी की. इस गोलीबारी में भारी संख्या में बोको हराम के समर्थक मारे गए. हालात यहां तक पहुँच गए कि समर्थकों को खुद को सुरक्षाबलों से बचाने के लिए माइडूगूरी छोड़ कर भागना पड़ा.
इसके साथ ही, नाइजीरियन सेना ने संगठन के मुख्यालय, जो कि माइडूगूरी में स्तिथ था पर कब्ज़ा जमा लिया. सेना ने उग्रवादियों को पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात इसका संस्थापक मोहम्मद युसूफ भी मारा गया.
इस संगठन से इतने बड़े पैमाने पर लड़ने के बाद नाइजीरियन सेना ने बोको हराम के ख़ात्मे की घोषणा की. जिसके प्रमाण के रूप में मोहम्मद युसूफ़ के शव को सरकारी टीवी पर भी दिखाया गया.
सभी ने चैन की सांस ली. लेकिन, यह अभी खत्म नहीं हुए थे. लिहाज़ा, धीरे-धीरे यह एक बार फिर एकजुट होकर पनपना शुरू हो गए थे.
जेल पर हमला कर छुड़ाये बोको समर्थक!
साल 2009 में समाप्त हो चुका ये संगठन एक बार फिर वापस खड़ा हुआ. इसने एक बार फिर हमला करके अपने वापसी का संकेत दिया.
साल 2010 में इसने माइडूगूरी की ही एक जेल पर हमला बोल दिया. इस हमले में उन्होंने सैकड़ों की संख्या में बोको समर्थक छुड़ा लिए.
इस हमले के बाद, इन्होंने कई सिलसिलेवार हमले करना शुरू कर दिया. इन हमलों में उन्होंने चर्च समेत सैन्य बैरकों को अपना निशाना बनाया. इसके अलावा, राष्ट्रपति गुडलक जॉनथन के स्वागत समारोह में भी कई धमाके किए.
बोको हराम पुलिस, राजनेताओं और जो भी उनके सगंठन की आलोचना करता है उन्हें मार देता है. अब वो चाहे मुस्लिम धर्मगुरु या चर्च का पादरी ही क्यूँ न हो.
276 स्कूली लड़कियों को किया अगवा!
अप्रैल, 2014 को बोको हराम ने बोर्नो राज्य के चिबोक शहर से 276 से अधिक स्कूली छात्राओं का अपहरण कर लिया. वह इन्हें ट्रक में भरकर गायब हो गए.
उन्होंने अपहरण की गयी छात्राओं के बारे में कहा कि वे इन्हें अपना गुलाम बनाकर उनसे शादी करेंगे. उन्होंने ऐसा एक प्राचीन इस्लामी विश्वास के संदर्भ में कहा कि संघर्ष में पकड़ी गयी महिलाओं को युद्ध लूट माना जाता है.
इस संगठन ने भारी संख्या में लड़कियों को बंधक बना रखा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने एक बयान में कहा था कि अभी भी दो हज़ार बंधकों को इनके चंगुल से छुड़ाना है.
बोको हराम के नए नेता अबुबाकर शेकौ ने 2014 में ग्वाज़ा शहर को खलीफा घोषित कर दिया. साथ ही यह कहा कि, ‘हमे नाइजीरिया से कोई मतलब नहीं है, बल्कि हम तो इस नाम पर ही विश्वास नहीं करते.’
इस तरह बोको हराम ने काफी हद तक नाइजीरिया के लोगों के बीच अपनी दहशत फैला रखी है. जहां आम आदमी के साथ-साथ वहां की सरकार भी उनके सामने लाचार दिखाई पड़ती है.
भला आप ही सोचें, इतनी बड़ी संख्या में वो लड़कियों को अगवा कर लेते हैं और सरकार हाथ मलती रह जाती है. इस संगठन ने धीरे-धीरे अब पड़ोसी देशों में भी अपना प्रभाव डालना शुरू कर दिया है.
आपको बताते चलें की यह ISIS और अलकायदा जैसे संगठनों से भी संपर्क साधने में लगा हुआ है.
Web Title: Boko Haram: A fast Growing Terrorist Organization In Africa, Hindi Article
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