पृथ्वी पर मानव जीवन के लिये कई प्राकृतिक चीज़े अति महत्वपूर्ण हैं. इनमें धूप, पानी और हवा है. इन तीन चीजों के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. एक इंसानी शरीर को ज़िंदा रखने के लिये यह तीनों चीजें बहुत ज़रुरी है.
बात जब हवा की होती है, तो मन में एक सवाल यह भी उठता है कि हवा महसूस तो होती है, लेकिन हम हवा को देख नहीं पाते. प्रत्येक मौसम में हवा की अहम भूमिका होती है. जब बरसात में बारिश होती है, तो हवा बादलों को बरसाने में अहम भूमिका निभाती है. वहीं जब गर्मी के मौसम में गर्मी सताने लगती है, तो ठंडी हवायें लोगों को काफी राहत पहुंचाती हैं.
आज हम आपको एक ऐसी हवा के बारे में बताएंगे, जो तापमान को बदलने में काफी अहम भूमिका निभाती है. इस हवा को मौसम वैज्ञानिकों ने ‘चिनूक’ नाम दिया है. जी हां, इस हवा को चिनूक हवा के नाम से जाना जाता है. चिनूक हवायें जब चलती हैं, तो तापमान गर्म होने लगता है.
आईये जानते हैं कि आख़िर क्या है चिनूक हवा में ऐसा खास.
चट्टानों से शुरु होता है इन हवाओं का सफ़र
चिनूक हवायें जब ठंड के मौसम में बहती हैं, तो तापमान में परिवर्तन आता है. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जब चिनूक हवायें बहती हैं, तो मौसम में तब्दीली आना शुरु हो जाती है. चिनूक हवायें सर्दियों में ऊंची चट्टान के ऊपरी ओर से चलती हैं और फिर मैदानी क्षेत्रों में बहती हैं. ठंड के मौसम में बहने वाली यह हवा सूखे पर्वत को चारों ओर से घेर लेती हैं.
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि चिनूक हवायें सूखी तथा तापमान में काफी गर्म होती है. जब यह हवायें ठंडी के मौसम में पहाड़ी के ऊपर चलना शुरु होती हैं, तो बहुत तेज़ी से मौसम में परिवर्तन आता है. चिनूक हवायें त्वरित रूप से वातावरण में तापमान परिवर्तन लाती हैं.
Chinook Winds Starts From Big Hills (Representative Pic: livescience)
तो ऐसे पड़ा इन हवाओं का नाम चिनूक…
चिनूक हवाओं का नाम अमेरिका में रखा गया था. अमेरिका के ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों को चिनूक के नाम से जाना जाता है. ठंडे क्षेत्र में कई लोग क्षेत्रीय भाषा चिंचुक बोलते थे. अमेरिका के कोलंबिया के बर्फीले क्षेत्र में काफी संख्या में चिनूक लोग रहते हैं. जब मौसम वैज्ञानिकों ने वहां हवाओं पर शोध करना शुरु किया, तो उन्हें पता चला कि वातावरण में एक हवा ऐसी होती है जो मौसम में त्वरित रूप से परिवर्तन लाने का काम करती है.
इस हवा को मौसम वैज्ञानिकों ने वहां रहने वाले चिनूक लोगों के नाम पर चिनूक हवा का नाम दे दिया. अमेरिका में ठंडे क्षेत्रीय इलाके में रहने वाले चिनूक लोग व्यापार के लिये जाने जाते हैं. वैज्ञानिकों ने अपने शोध के बाद इन हवाओं का नाम चिनूक हवा रख दिया था. तब से यह हवायें चिनूक हवाओं के नाम से जानी जाती हैं.
Chinook Winds Named After Chinook People (Pic: wikipedia)
बदलती जगह के साथ बदलता है नाम
अमेरिका के अलावा चिनूक हवायें अन्य देशों में भी चलती हैं. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अमेरिका में ही इन हवाओं का असर नहीं देखा जाता बल्कि अमेरिका के अलावा अन्य कई देशों में भी मौसम वैज्ञानिकों ने मौसम बदलने के कारणों का पता खोजा था. इसमें उन्हें अपने शोध में चिनूक हवा के कारण मौसम में परिवर्तन आने की बात पता चली थी. हालांकि यह बात और है कि अमेरिका के अलावा अन्य देशों में यह हवायें अन्य दूसरे नामों से जानी जाती हैं.
यूरोपियन देशों में चिनूक हवाओं को एल्पस हवा के नाम से जाना जाता है. मध्य एशियन देशों में इन हवाओं को मौसम वैज्ञानिकों ने एफ्गानेंट हवा का नाम दिया है. दक्षिण अमेरिका में इन हवाओं को वैज्ञानिक प्यूलचे के नाम से जानते हैं. अमेरिका के अन्य राज्यों में चिनूक हवाओं को संता एना हवा के नाम से जाना जाता है. शोध में यह बात स्पष्ट है कि यह हवायें ठंड के मौसम में चलती हैं और सूखी और गर्म हवा होने के कारण इनसे तापमान में बदलाव आना शुरु होता है.
हर चीज पर पड़ता है इन हवाओं का असर
चिनूक हवाओं के प्रभाव से मौसम में काफी परिवर्तन देखने को मिलता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जब चिनूक हवायें चलती हैं, तो इनका प्रभाव वातावरण में पड़ने से कई परिवर्तन आते हैं.
चिनूक हवाओं में गर्मी का तापमान पचास डिग्री के तहत माना जाता है. जब यह हवायें चलती हैं, तो सबसे पहले ठंड के मौसम में गर्मी आना शुरु होती है. इसके साथ ही इसका प्रभाव मिट्टी पर भी काफी पड़ता है. हवाओं में गर्मी होने के कारण मिट्टी की नमी खत्म होने लगती है और मिट्टी सूखने लगती है, जिससे पेड़ पौधे कई बार सूखने लगते हैं.
Sometimes Chinook Dry Up The Land (Representative Pic: wallpaperswide)
पहाड़ों की बर्फ तक को पिघला देती है!
चिनूक हवायें बर्फ को पिघलाने में अहम भूमिका निभाती हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि पहाड़ो पर पड़ी सफेद चादर की बर्फ ठंड होने के बावजूद कैसे पिघलती है? मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि चट्टानों से बहकर ठंडे पहाड़ों पर बहकर आने वाली चिनूक हवायें ही बर्फ को पिघलाने में अहम भूमिका निभाती हैं. हवाओं में गर्मी अधिक होने के कारण यह बर्फीली पहाड़ी पर बहुत तेज़ी से घूमने लगती हैं.
इन हवाओं की गर्मी से बर्फ धीरे धीरे पिघलना शुरु हो जाती है. जानकर हैरानी होगी वैज्ञानिक इस हवा को ‘स्नो इटर’ यानि बर्फ खाने वाली हवा भी कहते हैं. इन हवाओं में गर्मी अधिक होने का एक नुकसान यह भी है कि कई बार मैदानी क्षेत्र में हरी घास इस हवा के प्रकोप से सूख जाती है. इससे जानवरों के लिये सबसे बड़ी समस्या उतपन्न हो जाती है.
इतना ही नहीं हर साल अमेरिका और ऑस्ट्रलिया के जंगलों में भीषण आग लगने की खबर आती है. इन आग लगने की वजह का असली कारण तेज चलने वाली चिनूक हवाओं को माना जाता है. जब यह हवा तेज चलती है, तो इसकी गर्मी से पेड़ एक दूसरे से टकराते हैं और इस हवा की गर्मी के कारण जंगलों में आग लग जाती है, जिससे मौसम में परिवर्तन आता है.
इंसानी शरीर के लिये घातक हैं यह हवायें…
चिनूक हवायें भले ही मौसम में परिवर्तन लाने के लिये अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हवायें इंसानी शरीर के लिये काफी घातक हैं. हालांकि वैज्ञानिकों के पास कोई स्पष्ट सबूत तो नहीं है, लेकिन फिर भी वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हवा की गर्मी इंसानी शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि चिनूक हवाओं से सिरदर्द की शिकायत और स्ट्रोक पड़ने की संभावना रहती है. कई बार वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि अचानक हुई मौतों का कारण भी चिनूक हवायें होती हैं… अमेरिका एवं न्यूजीलैंड में हुई कई किसानों एंव अन्य लोगों की आकस्मिक मौतों का कारण वैज्ञानिकों ने गर्म चिनूक हवाओं को ही माना है. माना जाता है कि गर्म होने के कारण यह हवायें इंसानी दिमाग पर भी काफी असर करती हैं.
इससे शरीर पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. गर्मी के कारण इंसान के सिर में तेज़ दर्द की शिकायत होती है, जिससे कई बार उसकी मौत हो जाती है. जानकर हैरानी होगी कि भारत में हर वर्ष गर्मी के मौसम में कई लोगों की मौत लू के कारण हो जाती है. कई बार सुना जाता है कि लू लगने कारण बच्चों एंव अधेड़ उम्र के व्यक्तियों की मौत हो गई. असल में उस हवा में चिनूक हवा का प्रभाव होता है, जो काफी गर्म होती है. यही कारण है कि इससे कई बार इंसान की मौत हो जाती है.
Chinook Make Many Heat Problems (Representative Pic: medicalnewstoday)
प्राकृतिक नज़ारे खूबसूरत होते हैं, तो कई बार इन सबके पीछे काफी रहस्यमयी कारण छुपे होते हैं. उन कारणों को खोजने के लिये वैज्ञानिक सालों तक खोज करते हैं. वैज्ञानिकों की खोज के कारण ही दुनिया को चिनूक हवाओं का पता चल सका. अगर आप भी चिनूक हवाओं के बारे में कुछ और जानते हैं, तो कमेंट बॉक्स में ज़रुर बतायें.
Web Title: Chinook Winds Nature Gift Or Curse, Hindi Article
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