आपने लोगों को यह कहते जरूर सुना होगा कि वह अपने सपनों का आशियाँ ले रहे हैं. मगर क्या आपने कभी उन्हें यह कहते सुना है कि वह अपनी ही कब्र खरीद रहे हैं रहने के लिए..?
शायद ही आपने किसी को घर की जगह कब्र खरीदते हुए सुना होगा. हालांकि हॉन्ग कॉन्ग एक ऐसी जगह है, जहाँ लोग सच में रहने के लिए कब्र खरीदते हैं.
हॉन्ग कॉन्ग के यह घर सच में कोई कब्र तो नहीं हैं मगर यह किसी कब्र से कम भी नहीं हैं! इसलिए ही इन घरों को हॉन्ग कॉन्ग में ‘कॉफिन होम’ के नाम से जाना जाता है.
आखिर क्या है यह कॉफिन होम और कैसी है इनमें लोगों की जिंदगी चलिए इस चीज को थोड़ा और करीब से जानते हैं–
चकाचौंध से परे, बस्ती है एक अँधेरी दुनिया!
हॉन्ग कॉन्ग को दुनिया के सबसे महंगे शहरों में से एक माना जाता है. यहाँ पर रहने वालों के लिए हर वह सुविधा मौजूद है, जिसकी उन्हें जरूरत है. बाहर से अगर कोई यहाँ पर आए, तो इसकी चकाचौंध में वह पूरी तरह से खो जाता है मगर इस चकाचौंध से अलग यहाँ कई लोग ऐसे हैं जिनकी जिंदगी अंधेरों में बस्ती है.
कहते हैं कि हॉन्ग कॉन्ग में रोटी और कपड़े का इंतजाम, तो फिर भी हो जाता है मगर मकान यहाँ की एक बहुत ही बड़ी परेशानी है. आंकड़ों की माने, तो हॉन्ग कॉन्ग की आबादी में से करीब 2,00,000 लोग कॉफिन होम में रहते हैं.
हॉन्ग कॉन्ग में घर बहुत महंगे होते हैं. इतना ही नहीं यहाँ पर घर का किराया भी बहुत ही ज्यादा है. यही कारण है कि हॉन्ग कॉन्ग की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कॉफिन होम में रहने को मजबूर है. कॉफिन होम कोई घर नहीं हैं, बल्कि एक छोटे ताबूत की तरह हैं.
माना जाता है कि इसकी लंबाई 6 फुट से भी कम होती है. हॉन्ग कॉन्ग में कई जगह कॉफिन होम बनाए गए हैं. इन्हें किसी ट्रेन के डब्बों की तरह बनाया जाता है. एक मकान में कई सारे डब्बे होते हैं और हर डब्बे में एक गरीब और लाचार व्यक्ति पड़ा हुआ नजर आ जाता है.
लाखों लोग हॉन्ग कॉन्ग के इन कॉफिन होम में अपनी जिंदगी बिताते हैं. कहते हैं कि अगर वहां यह कॉफिन होम न हो, तो लाखों लोग बेघर हो जाएंगे. जहां एक तरफ यहाँ सामने बड़े बड़े होटल और बिल्डिंग दिखाई देते हैं. वहीं दूसरी ओर इस शहर का एक दूसरा ही चेहरा दिखाई देता है, जहां पर सिर्फ गरीबी और परेशानियां ही हैं.
People In Hong Kong Have To Live In Coffin Homes (Pic: savemarinwoods)
आसान नहीं है कॉफिन होम में जीवन बिताना!
कॉफिन होम में जिंदगी बिताना किसी जंग लड़ने के बराबर माना जाता है. कोई बहुत ही मजबूर व्यक्ति ही यहाँ पर जी सकता है. इसमें रहने की सबसे बड़ी परेशानी, जो समाने आती है वह है कि यह बहुत ही छोटे हैं. इन्हें करीब 400 स्क्वायर फीट में बनाया जाता है.
400 स्क्वायर फीट के एक मकान में करीब 20 या उससे ज्यादा कॉफिन होम बनाए जाते हैं. एक कॉफिन होम में एक व्यक्ति भी ठीक से नहीं आ पाता है. हालांकि इसके बाद भी इस 6 फुट से कम कमरे में लोग रहते भी हैं और अपना सामान भी रखते हैं.
सामान रखने के बाद कमरा इतना छोटा हो जाता है कि एक करवट लेना भी मुमकिन नहीं होता है. हालांकि मजबूरी में लोगों को ऐसी ही जिंदगी बितानी पड़ती है. बाथरूम जाने के लिए भी यहाँ पर काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
यहाँ पर इतने सारे लोग रहते हैं कि बाथरूम की संख्या उसके आगे कम ही पड़ जाती है. इसलिए यहाँ पर बाथरूम सबके साथ शेयर करना पड़ता है. इसकी वजह से गंदगी ज्यादा फैलती है, जो आगे बीमारी का कारण बनती है. आंकड़ों की माने, तो एक बाथरूम को यहाँ पर करीब दो दर्जन लोगों के साथ बांटना पड़ता है.
कहते हैं कि यहाँ पर गंदगी के कारण बहुत से कीड़े भी घूमते रहते हैं. इन छोटे छोटे कमरों को उन्होंने भी अपना घर बना लिया हिया.
इसके अलावा हर समय एक गंदी बदबू यहाँ पर रहती है. जिस बदबू को पल भर के लिए सहना भी मुश्किल है उस बदबू के साथ लोग यहाँ पर रहते हैं. इतनी परेशानियों के बाद भी कॉफिन होम बहुत ज्यादा सस्ते नहीं हैं. कितने ही लोगों की आधी कमाई इसके किराए में निकल जाती है. माना जाता है कि इसका मासिक किराया करीब 250 अमेरिकी डॉलर के बराबर है.
There Is Not Enough Space In Coffin Home (Pic: bestapartment)
‘चीनी प्रवासियों’ के लिए बानाए गए थे कॉफिन होम!
कॉफिन होम का इतिहास आज का नहीं है. यह तो बहुत सालों पहले ही हॉन्ग कॉन्ग में शुरू हो गए थे. दरअसल शुरूआती समय में यह उन चीनी प्रवासियों के लिए थे, जो काम की खोज में यहाँ पर आए थे. यह एक हाउसिंग स्कीम की तरह था.
सभी गरीब मजदूरों को यह घर दिए जाते थे रहने के लिए. कहते हैं कि उस समय हजारों की संख्या में चीन से लोग यहाँ पर आए थे. 1950 के समय हॉन्ग कॉन्ग बहुत ज्यादा विकसित नहीं हुआ था. यहाँ पर आज की तरह सारी सुविधाएं नहीं थीं.
उन मजदूरों ने दिन रात एक करके इसे बसाया. उस समय वह जिन कॉफिन होम में रहते थे वह आज के मुकाबले कुछ ज्यादा ही बेकार थे.
धारणाओं की माने, तो उस समय के कॉफिन होम मेटल से बने हुए होते थे. जिस तरह आज कसाई खाने में मुर्गियां पिंजरों में होती हैं. ठीक उसी तरह उस समय के लोग यहाँ पर रहते थे. हालांकि बदलते वक़्त के साथ मेटल से बने वह कॉफिन होम भी बदल गए. आज यह लकड़ी से बनाए जाने लगे हैं मगर जिंदगी इनमें पहले भी बहुत मुश्किल थी और आज भी मुश्किल है.
इन मुसीबतों के साथ साथ यहाँ पर एक और मुसीबत है बढ़ते जुर्म की. इन कॉफिन होम में सिर्फ गरीब नहीं बल्कि कई मुजरिम भी रहते हैं. ड्रग्स, चोरी, छीना झपटी आदि यहाँ पर होता ही रहता है. हालांकि यह सब की मजबूरी है कि उन्हें यहाँ पर रहना पड़ता है.
हर किसी की आँखें बस एक उम्मीद की किरण को देखती रहती हैं.
Poor People Live In Those Tight Coffin Homes (Pic: nydailynews/pinterest)
यह थे हॉन्ग कॉन्ग के कॉफिन होम, जो सच में किसी कब्र से कम नहीं हैं. यह हॉन्ग कॉन्ग जैसे बड़े शहर का वह चेहरा दिखाते हैं, जो लोगों की आँखों से छिपा रहता है.
इन्हें देखकर लगता है कि हर किसी को एक सुंदर आशियाँ नहीं मिल पाता!
Web Title: Coffin Homes Of Hong Kong, Hindi Article
Feature Image Credit: wikipedia