अमेरिका विश्व में सबसे शक्तिशाली व एडवांस देश के रुप में जाना जाता है. माना जाता है कि वह तकनीकी रुप से इतना विकसित है कि उससे टक्कर लेना तो दूर उसके बराबर तक पहुंचने के बारे में लोग ही नहीं, कई देश तक नहीं सोचते!
सोचिए, ऐसे में अगर कोई हैकर अपने काम से उसकी धज्जियां उड़ा दे, तो आप इसे क्या कहेंगे?
जी हां, आपने सही पढ़ा अमेरिका की धज्जियां उड़ा दी… वह भी बस एक हैकर ने!
आपके जेहन में सवाल उठना लाजमी है कि वह आदमी कौन होगा. शायद आपको जानकर हैरानी हो, लेकिन वह आदमी कोई और नहीं बल्कि एक अमेरिकी ही था. उसका नाम एड्वर्ड स्नोडेन है.
कौन था एड्वर्ड स्नोडेन और उसने कैसे अमेरिका की नींद उड़ा दी थी आईये जानने की कोशिश करते हैं–
कौन है एड्वर्ड स्नोडेन?
एड्वर्ड स्नोडेन की पैदाइश अमेरिका के एलिजाबेथ सिटी, उत्तरी केरोलिना में 21 जून 1983 को हुई. उसका पूरा नाम एड्वर्ड जौसेफ स्नोडेन है. एड्वर्ड स्नोडेन का ताल्लुक एक पढ़े-लिखे परिवार से है. उनके परिवार के सभी सदस्य अमेरिकी सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवायें दे रहे हैं.
उनके नाना एड्वर्ड जे बैरेट अमेरिकी तटरक्षक बल में एडमिरल ऑफिसर के पद पर तैनात थे. वहां से निकलने के बाद वह एफबीआई में वरिष्ठ अधिकारी भी बने. वहीं पिता लोनी कोस्ट गार्ड में अधिकारी थे, जबकि मां एलिजाबेथ मैरीलैंड जिला न्यायालय में एक क्लर्क हैं.
इस लिहाज से स्नोडेन को पढ़ाई को ले कर कभी परेशानी नहीं हुई.
Edward Snowden (Pic: CNN.com)
नहीं पूरा किया स्कूल, बावजूद इसके…
बहुत कम लोगों को पता होगा कि दुनिया के सबसे सफल हैकर में शुमार स्नोडेन ने कभी भी अपन स्कूल नहीं पूरा किया. बावजूद इसके इनकी हैकिंग का लोहा दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटी से निकले आईटी ग्रेजुएट भी मानते हैं. इतना ही नहीं दुनिया की टॉप आईटी कंपनी एड्वर्ड स्नोडेन का नाम अपनी कंपनी से जोड़ने के लिये उतावली रहती हैं.
एड्वर्ड हैकिंग के मामले में बहुत ही ज्यादा अच्छे माने जाते हैं. कहते हैं कि बड़े-बड़े कंप्यूटर उन्होंने बिना किसी परेशानी के हैक कर लिए हैं. उनकी इस सूची में अमेरिका के सबसे सुरक्षित कंप्यूटर भी हैं.
मैरीलैंड में कंप्यूटर की पढ़ाई करने के दौरान स्नोडेन ने अमेरिकी सेना में भी जाने की कोशिश की. उस दौरान इराक में चल रहे युद्ध से वह काफी विचलित थे. उन्होंने लोगों की सहायता के लिए युद्ध में लड़ने का फैसला किया.
यह आसान नहीं था किन्तु अपनी मेहनत के चलते एड्वर्ड सेना की ट्रेनिंग के लिए सेलेक्ट हो गए. जल्द ही वह ट्रेनिंग के लिए बुलावा आया तो वह निकल पड़े नये मिशन पर. उन्होंंने खुद को पूरी तरह से ट्रेनिंग में झोंक दिया था, लेकिन उनकी किस्मत शायद खराब थी. सेना में ट्रेनिंग के दौरान वह एक हादसे का शिकार हो गये, जिसमें उनके दोनों पैर टूट गये.
परिणाम यह रहा कि उन्हें सेना से बाहर जाना पड़ा.
चूंकि, स्नोडेन के दिमाग में हर समय बस कंप्यूटर ही चलता रहता था. इसलिए सेना से बाहर होने के बाद उन्होंंने इसको अपनी जिंदगी बना लिया. शुरुआत में एड्वर्ड को किसी ने कंप्यूटर संबंधी नौकरी नहीं दी.
मजबूरन उन्हें अपने करियर की शुरुआत एक यूनिवर्सिटी के चौकीदार के रूप में करनी पड़ी. कुछ वक्त बाद उनके हुनर की खबर यूनीवर्सिटी के आला लोगों को पड़ी तो उन्होंंने एडवर्ड को आईटी सेक्शन में जॉब दे दी.
उस यूनिवर्सिटी का आईटी सेक्शन अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के साथ काम करता था. इसके चलते एड्वर्ड अपने काम के चलते उनकी नज़र में आ गया. आगे चलकर उसे इसका फायदा मिला और वह सीआईए के आईटी डिपार्टमेंट का हिस्सा बनने में कामयाब रहा.
‘सीआईए’ के साथ हैकिंग का सफर
एड्वर्ड को सीआईए में जॉब तो मिल गई थी, लेकिन वहां काम करने पर उन्हें बहुत सी बातों का पता चला. माना जाता है कि एड्वर्ड को पता चला कि अमेरिका और ब्रिटेन चोरी छिपे लोगों पर नज़र रख रहे हैं.
यूँ तो हर सुरक्षा एजेंसी का यह करना जरूरी होता है, लेकिन वह दोनों देश लोगों की निजी जानकारी पर भी अपना हाथ मार रहे थे. कहते हैं कि अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया था, जिससे वह किसी भी एप्पल और एंड्राइड फोन को हैक कर सकते थे. इतना ही नहीं फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर भी वह नज़र रखते थे.
एड्वर्ड को यह सही नहीं लगा!
उनके पास एक ही हथियार था, उनकी कंप्यूटर की जानकारी. उसके सहारे ही एड्वर्ड ने खुफिया एजेंसियों की जानकारी निकालना शुरू किया. उन्होंने सारी जानकारी इकठ्ठा की और उन्हें हर जगह लीक कर दिया.
ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा लोगों पर जबरन निगरानी रखने की बात जैसे ही सामने आई पूरी दुनिया में हडकंप मच गया. रातों रात पूरे अमेरिका में जानकरी लीक करने वाले की खोज होने लगी.
Edward Snowden (Pic: wheatandtares)
एड्वर्ड स्नोडेन की बढ़ गई मुश्किलें!
किसी भी देश के लिये नागरिक के लिये अपने देश की सुरक्षा एजेंसियों से दुश्मनी करना कितना महंगा पड़ सकता है, यह बात एड्वर्ड स्नोडेन से बेहतर कोई नहीं जान सकता. मीडिया में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की पोल खुलने के बाद पूरे देश में भूचाल आ गया था. जून माह में एड्वर्ड स्नोडेन पर जासूसी और चोरी करने जैसे संगीन अपराध के मामले में मामले दर्ज किये गये.
वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने स्नोडेन के खिलाफ अन्य देशों में भी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. हालांकि इसके बावजूद भी स्नोडेन झुके नहीं. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जो काम किया जा रहा है, वो पूरी तरह से ग़लत है.
स्नोडेन का कहना था कि इंटरनेट आज के ज़माने में हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार बन चुका है. ऐसे में खुफिया एजेंसी पब्लिक का डाटा चोरी करके उनकी प्राइवेसी नहीं छिन सकतीं.
चूंकि एड्वर्ड की खोज तेज हो चुकी थी, इसलिए एड्वर्ड ने वहां से जाना मुनासिब समझा और सीधा हॉन्ग कॉन्ग भाग गाया.
रुस बना ‘स्नोडेन’ का नया साथी
हॉन्ग कॉन्ग में रहने के दौरान स्नोडेन को इस बात का एहसास हो गया था कि वापिस अमेरिका जाने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है, इसलिये उन्होंने रुस की सरकार से उन्हें अपने देश में पनाह देने की गुहार लगाई. रुस ने इसको हंसते- हंसते मान लिया.
24 जून को हॉन्ग कॉन्ग से स्नोडेन ने रुस के लिये निकलना चाहा, लेकिन स्नोडेन की दिक्कतें अभी यहीं कम नहीं होने वाली थीं. सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें रुस का वीज़ा इतनी जल्दी नहीं मिल सकता था. वीज़ा मिलने तक वह रुस के शहरों में प्रवेश भी नहीं कर सकते थे.
सरकार से पूरी तरह से कानूनी अनुमति मिलने तक उन्हें एक महीना रुस के मॉस्को एयरपोर्ट पर ही गुज़ारना पड़ा. जहां उनका समय किताबें पढ़कर और इंटरनेट चला कर गुज़रता था. रुस सरकार ने एक साल के लिये स्नोडेन को अपने देश में पनाह दी, जिसे बाद में तीन साल और बढ़ा दिया गया.
Police returning the Edward Snowden bust (Pic: artnet News)
वर्तमान समय में स्नोडेन अमेरिका की टॉप खुफिया एजेंसियों से खुद को बचा कर रुस में ही पनाह लिये हुए हैं. वहीं अमेरिकी खुफिया ऐजेंसियां एड्वर्ड स्नोडेन को गिरफ्तार करने की आये दिन योजना बनाती रहती हैं.
Web Title: Computer Hacker Edward Snowden, Hindi Article
Features Image Credit: Wired