प्राचीन समय से ही युद्ध के मैदान में एक से बढ़कर एक योद्धा आये हैं. कोई योद्धा युद्ध के मैदान में भाला फेंकने के लिए मशहूर रहा, तो कोई योद्धा घुड़सवारी के लिए.
समय के साथ युद्ध लड़ने का तरीका बदला. इक्कीसवीं सदीं में युद्ध सेना के जांबाज सिपाहियों के सहारे लड़ा जाने लगा, लेकिन हर देश की सेना में कई शूरवीर रहे जिन्होंने अपने दम पर कई लड़ाईयों में अपने देश की सेना का नेतृत्व करते हुये कई मुश्किल मिशन पूरे किये.
भारतीय सेना में जिस तरह वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी युद्ध टैंक को ध्वस्त करते हुये भारतीय सेना के लिए जीत की इबारत लिखी थी, ठीक वैसे ही एक अमेरिकन स्नाइपर ने अपने देश का नेतृत्व करते हुये मुश्किल मिशन को फतह किया था!
जी हां, हम बात कर रहे हैं यूएस आर्मी के स्नाइपर क्रिस काइल की जिन्होंने युद्ध के मैदान में अपने सटीक निशानों से नाज़ुक मौकों पर अहम योगदान दिया था. तो चलिए जानते हैं क्रिस की वीरता से परिपूर्ण रोचक कहानी के बारे में–
बचपन में थाम ली थी ‘राइफल’
अब तक के इतिहास में यूएस आर्मी के सबसे घातक स्नाइपर में शामिल क्रिस काइल का जन्म साल 1974 में अमेरिका के टेक्सास में हुआ था. कम लोग ही जानते होंगे कि क्रिस काइल का पूरा नाम क्रिस्टोफर स्कॉट काइल था. यूएस आर्मी जॉइन करने के बाद उन्हें क्रिस काइल के नाम से जाना जाता था. बल्कि इसी नाम से वह यूएस आर्मी के सबसे घातक स्नाइपर के नाम से मशहूर हुये.
क्रिस अपनी आठ साल की उम्र तक आम बच्चों की तरह ही थे. आठ साल की उम्र के बाद उनके जीवन में बदलाव आया जब उनके पिता ने उन्हें खेलने के लिए एक राइफल लाकर दे दी. इस राइफल की क्षमता इतनी थी कि इससे पक्षियों एवं छोटे जानवरों का शिकार किया जा सकता था.
बस फिर क्या था क्रिस अपने भाई के साथ इस राइफल को लेकर जगह-जगह घूमते रहते थे. बस यहीं से क्रिस को निशानेबाज़ी का शौक़ सवार हुआ और यह शौक यूएस आर्मी में एक स्नाइपर के पद पर तैनाती मिलने के बाद ही ख़त्म हुआ.
सेना में भर्ती होने का जुनून
बचपन में क्रिस काइल ने अपनी निशानेबाज़ी से सबको प्रभावित किया था, लेकिन आगे की पढ़ाई के चलते वह अपने निशानेबाज़ी के शौक़ को आगे बढ़ा नहीं पाये. क्रिस ने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद टेक्सास की टेरलटन यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर की पढ़ाई की और इस दौरान उन्हें एक और चीज़ करने का शौक़ सवार हुआ. उस समय में टेक्सास में बुल राइडिंग का काफी क्रेज़ था.
क्रिस ने इसमें भी अपना हाथ आज़माया और गुस्सैल बुल पर सवार होकर उस पर काबू पाया और लोगों की वाहवाही लूटने लगे. लेकिन एक दिन इसी प्रयास में वह अपना हाथ तुड़वा बैठे और इस खेल को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद क्रिस ने कई कंपनियों में नौकरी की, लेकिन उनका मन तो जैसे कुछ अलग करने का था जैसे वह बचपन से करते आ रहे थे.
क्रिस को ऐसा काम पसंद था जिसमें ख़तरा हो और वह बाकी कामों से बिल्कुल अलग हो. बस फिर क्या था, क्रिस एक दिन यूएस मरीन आर्मी में भर्ती के लिए पहुंच गये, लेकिन उनके लिए चीजें यहां बिल्कुल आसान नहीं थीं क्योंकि बुल राइडिंग करने के दौरान उनका हाथ टूट गया था इसलिए उन्हें आर्मी से रिजेक्ट कर दिया गया.
एक बहुत पुरानी कहावत है कि जहां चाह है, वहां राह है. यह कहावत क्रिस पर बिल्कुल सटीक बैठती है. उन्होंने अपनी कमियों को ही अपनी ताक़त बनाते हुये दुनिया की सबसे ताक़तवर फोर्स मानी जाने वाली नेवी सील में भर्ती होकर इस कहावत को सही साबित किया.
बुल राइडिंग के कारण क्रिस का एक हाथ बुरी तरह से फ्रैक्चर हो गया था. टूटे हुये हाथ के साथ उनके लिए यूएसए की मैरिन आर्मी में भर्ती होना असंभव था, लेकिन भर्ती के दौरान एक सैन्य अधिकारी ने उन्हें सील आर्मी में भर्ती होने का सुझाव दिया. उस सैन्य अधिकारी का सुझाव मानते हुये क्रिस ने सील आर्मी में टेस्ट दिया और एक ख़ास ट्रेनिंग पूरी करने के बाद साल 1999 में उन्हें सील आर्मी में भर्ती कर लिया गया.
सील में भर्ती होने के बाद क्रिस के बचपन का हुनर यहां काम आया. शायद उन्हें भी यह मालूम था. ट्रेनिंग के दौरान जब वह साथी फौजियों के साथ निशानेबाज़ी की प्रैक्टिस करते थे तो उनका निशाना बिल्कुल ठीक जगह लगता था. बस यहीं से क्रिस अपने आला सैन्य अधिकारियों की नज़र में एक बेहतरीन स्नाइपर के तौर पर उभरे.
He Was One Of The Best Shooter From His Training Days (Pic: time)
इराक़ युद्ध में साधे अचूक निशाने!
सील आर्मी में बतौर स्नाइपर ट्रेनिंग लेने के बाद क्रिस काफी घातक स्नाइपर बन चुके थे. उनके सटीक निशानों ने सबको चौंका दिया था. जल्द ही वह समय आ गया जब क्रिस को अपनी ट्रेनिंग को अमल में लाने का अवसर मिला. साल 2003 में इराक़ युद्ध में उनके नेतृत्व में सील कमांडो को इराक भेजा गया.
इराक़ पहुंचने के बाद क्रिस तब और मीडिया की सुर्खियों में आये जब उन्होंने मीलों दूर से एक इराकी औरत पर निशाना साध कर उसे मौत की नींद सुला दिया. बाद में क्रिस ने इसका बचाव करते हुये कहा कि वह औरत हाथों में ग्रेनेड लेकर अमेरिकी फौजियों की ओर बढ़ रही थी. अगर वह उसको नहीं मारते तो वह फिदायिन हमला करके सबको मार देती. इराक़ में अमेरिकी सैनिकों के आगे यह एक बहुत ही आम परेशानी थी. वहां पर उन्हें कई मौकों पर पता ही नहीं चल पाता था कि सामने वाला बेगुनाह है या आतंकी.
क्रिस के सटीक निशानों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके दस साल के सैन्य करियर के दौरान अमेरिकी सरकार ने क्रिस को चार बार इराक़ भेजा जहां उन्होंने 160 से ज्यादा सटीक निशाने लगाए. इराक़ का एक शहर है रमादी. उस शहर में क्रिस के नाम का ऐसा खौफ था कि दूर-दूर तक कोई आतंकी उनके निशाने पर आने से बचाता था. वहीं पर क्रिस ने अपने जीवन के कुछ सबसे बढ़िया निशाने लगाए थे.
रमादी में क्रिस के नाम का ऐसा आतंक था कि आतंकी उन्हें ‘रमादी का शैतान‘ कहते थे.
यही कारण है कि क्रिस को अमेरिकी इतिहास का सबसे घातक स्नाइपर माना गया.
Criss Kill 160 Terrorist In Iraq (Pic: wallpapershome)
सर्वश्रेष्ठ स्नाइपर बने…
इराक़ युद्ध में बतौर स्नाइपर यूएस सेना को लीड करते हुये क्रिस ने कई मिशन फतह किये. उनके देश के लिए उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें अमेरिकी सेना ने कई महत्वपूर्ण पदों से नवाज़ा. इराक युद्ध में उनकी निशानेबाज़ी के लिए उन्हें ब्रांज़ स्टार मेडल, सिल्वर स्टार मेडल और नेवी और मरीन अचीवमेंट मेडल से नवाज़ा गया.
इराक में तैनाती के दौरान 2100 यार्ड की दूरी से लगाया गया उनका निशाना सबसे सर्वश्रेष्ठ निशानों में से एक गिना जाता है. इस निशाने की मदद से उन्होंने एक इराकी स्नाइपर को मार गिराया था जो अमेरिकी सेना पर निशाना लगा रहा था. साल 2009 में क्रिस ने अमेरिकी सेना से रिटायरमेंट ले लिया और अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ टेक्सास में रहने लगे.
साल 2012 में लेखक हार्पर कोलिंस ने क्रिस पर एक आत्मकथा लिखी. इस किताब को अमेरिकन स्नाइपर का नाम दिया गया. इस किताब के ज़रिये क्रिस ने अपने स्नाइपर करियर के बारे में खुल के बताया.
Criss Become Best Sniper When He Shot A Target From 2100 Yards (Pic: flashlarevista)
38 साल की उम्र में कह दिया दुनिया को अलविदा
अपने सटीक निशानों से नामुमकिन मिशन को मुमकिन करने वाले इस अमेरिकन स्नाइपर ने मात्र 38 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. जानकर हैरानी होगी कि अपने सैन्य करियर के दौरान अपने बंदूक के सटीक निशानों से दुश्मन को धराशायी करने वाले क्रिस खुद बंदूक की गोलियों का शिकार हो गये थे.
अमेरिकी सेना में रहे एडी रुथ ने क्रिस काइल पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी थीं. यह हादसा 2 फरवरी, 2013 को हुआ था जब यूएस आर्मी की शूटिंग रेंज में मानसिक रुप से बीमार एडी रुथ ने क्रिस और उनके साथी चेड लिटिलफील्ड पर गोलियां बरसा दी थी. रुथ को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार भी किया और उम्रकैद की सज़ा सुनाई. क्रिस पर गोलियां चलाने वाला रुथ खुद यूएस मरीन आर्मी का हिस्सा था, लेकिन वह दिमागी रुप से कमज़ोर था.
शूटिंग रेंज में जाने के दौरान उसने अपनी मानसिक बीमारी के चलते क्रिस और उनके साथी को मौत के घाट उतार दिया. क्रिस सेना से रिटायरमेंट के बाद मानसिक रोगियों को ट्रेनिंग देने में मदद करते थे. हमेशा अपने सटीक निशानों से दुश्मनों को मार गिराने वाले क्रिस अपने देश के नागरिक की गोलियों से मारे गये थे जिसके बाद पूरे अमेरिका में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं इस दुखद घटना के बाद एक सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी स्नाइपर का दुखद अंत हो गया था.
क्रिस काइल के सेना में दिये गये सराहनीय योगदान को देखते हुये उन पर हॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी. फिल्म का नाम अमेरिकन स्नाइपर रखा गया. दो घंटे तेरह मिनट की इस फिल्म में क्रिस का इराक मिशन और उनका सैन्य सफर दिखाया गया जिसे लोगों ने काफी सराहा.
He Got Killed By His Fellow Soldier During A Gun Fire (Representative Pic: theepochtimes)
क्रिस का जीवन वाकई बेहद रोचक रहा. इराक़ में जहां अमेरिकी सैनिकों की हालत खराब हो जाया करती थी वहां क्रिस ने अपने नाम का परचम ऐसा लहराया कि आज भी लोग उसे याद करते हैं. यूँ तो स्नाइपर जमाने में बहुत आए मगर क्रिस जैसा प्रसिद्ध कोई और न हो सका.
Web Title: Criss Kyle Most Dangerous American Sniper, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: theintercept