दुनिया के इतिहास में आज के दिन के कई मायने है.
इतिहास खंघालने पर हर तारीख से जुड़ा कोई न कोई वाक़या सामने आ ही जाता है. चाहे वह किसी दुर्घटना से जुड़ा हो, जिसने कि एक ज़ख्म दिया हो या फिर कोई ऐसी घटना जो सदियों तक याद रखी जाए.
ऐसे ही कई किस्से 19 जुलाई के इतिहास में कैद है. तो आइए आज हम उनके बारे में ही जानते हैं-
टेनेसी मस्जिद को मिली इजाजत
साल 2012 में 19 जुलाई के ही दिन अमेरिकी जज ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए रदरफोर्ड काउंटी टेनेसी में मस्जिद को अनुमति दे दी थी. इससे पहले वहां की निचली अदालत ने मस्जिद को परमिट देने से इनकार कर दिया था.
लेकिन इस्लामिक सेंटर ऑफ मॉर्फिसबोरो ने रमजान के पवित्र महीने में इबादत के लिए इकट्ठा होने की अनुमति ले ली.
वहीं इससे पहले वहां के लोगों ने साल 2010 में मस्जिद के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. उनका कहना था कि इस्लाम कोई असली धर्म नहीं है. इसलिए इस मस्जिद में इबादत की अनुमति न दी जाए.
इसके बाद अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने मस्जिद के पक्ष में एक मुकदमा दायर किया. जिसमे कहा गया कि काउंटी ने बाकी पूजा स्थलों के लिहाज से दोहरा रवैया अपनाया.
काफी विवाद के बाद आखिरकार टेनेसी मस्जिद में इबादत के लिए इजाजत दे दी गई.
रिवाल्वर के आविष्कारक का जन्म
अक्सर हम और आपने पुरानी फ़िल्मों में रिवाल्वर का इस्तेमाल होते हुए खूब देखा होगा. कोई पुलिस वाला जब विलेन का पीछा कर रहा होता है, तो वह पीछे से तमंचे (रिवाल्वर) से फायर करता हुआ नजर आ जाता है.
पुरानी फिल्मों में इसका इस्तेमाल खूब किया जाता था. वहीं इसके अलावा बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को भी आपने रिवाल्वर चलाते हुए बारहा देखा होगा. डॉन फ़िल्म का वो डायलॉग तो सभी को याद ही होगा जिसमें अमिताभ बच्चन हाथ मे रिवाल्वर लेकर कहते हैं ‘डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.’
हम रिवाल्वर की बात यहां इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि 19 जुलाई के ही दिन रिवाल्वर की खोज करने वाले सैमुएल कोल्ट का जन्म हुआ था. जोकि अमेरिका में रिवाल्वर का सबसे बड़ा सौदागर था.
हालांकि, कोल्ट ने खुद कभी रिवाल्वर का अविष्कार करने का दावा नहीं किया था, लेकिन उसने रिवाल्वर में लगने वाले सिलेंडर को जोड़ा. जिससे बंदूक में बार-बार गोली न भरनी पड़े.
इस घूमने वाले सिलेंडर में एक बार ही गोली भर देने से कई राउंड फायरिंग की जा सकती है.
साल 1836 में उसने पहली बार इस तरह की रिवाल्वर का पेटेंट कराया. हालांकि रिवाल्वर बेचने के दौरान उसपर कई मर्तबा दलाल और घुपैठिया होने का आरोप लगा.
ऐसा इसलिए क्योंकि उसने अमेरिकी सिविल वार के दौरान यूएसए को रिवाल्वर बेची थी. गरीब परिवार में पैदा होकर पार्ट टाइम जॉब और छोटे-मोटे प्रयोग करने वाला शख्स एक समय अमेरिका में कुछ अमीर लोगों में से एक बन गया.
कई बार ऐसे मौके भी आए जब वह कर्ज में डूब गया और उसकी कंपनी बंद हो गई. लेकिन 1846 में मैक्सिको-अमेरिका के बीच सिविल वार के दौरान उसका कारोबार फिर से चल पड़ा. जिससे उसे काफी ज्यादा फायदा हुआ.
कोल्ट की कंपनी का नाम ‘कोल्ट्स पेटेंट फायर आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी’ था. जिसे अब ‘कोल्ट्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी’ के नाम से जाना जाता है.
हालांकि, कोल्ट अपनी शोहरत ज़्यादा दिनों तक नहीं देख सका. वह कई बीमारियों और अपराधबोध से भर गया था. 1862 में 47 साल की उम्र में उसने दुनिया को अलविदा कह दिया.
लोगों के सामने आया इंसुलिन
मधुमेह का रोग आजकल आम हो गया है. इस रोग की परेशानी यह है कि ज़्यादा परहेज़ कर लिया जाए तो लो हो जाती है और अगर इसका ख्याल न रखा गया तो एयर भी खतरनाक हो जाता है.
कुल मिलाकर मरीज शुगर को कंट्रोल करने में ही परेशान रहता है, लेकिन यहाँ हम बात कर रहे हैं इंसुलिन की. 19 जुलाई के दिन 1923 में इंसुलिन से लोगों को तारूफ़ कराया गया.
इसके निर्माताओं और पेशेवर चिकित्सकों ने लोगों को बताया कि इंसुलिन से भले ही शुगर रोग खत्म न किया जा सकता हो, लेकिन इससे पीड़ित लोगों की जान बचाई जा सकती है और उनके दर्द को कम किया जा सकता है.
दरअसल मधुमेह के मरीजों में इंसुलिन ठीक मात्रा में नहीं बन पाता है और अगर बनता भी है तो शरीर उसका इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं कर पाता. इसी को शुगर या मधुमेह कहते हैं.
मधुमेह का मरीज जब खाना खाता है तो शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है. सेल्स पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पातीं, जिसकी वजह से काफी सारी शुगर रोगी के खून में ही रह जाती है.
ग्लूकोज बढ़ने लगता है तो यह खून के दौरान और अन्य अंगों पर बुरा असर डालने लगता है. वहीं जब शरीर में ग्लूकोज बहुत ही अधिक बढ़ जाता है तो इस इंसुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है. इंसुलिन शरीर में पहुंचते ही अपना काम शुरू कर देता है और जल्दी ही ग्लूकोज का लेवल नियंत्रित हो जाता है.
दो विशाल सुपर टैंकर्स में टक्कर
तेल के टैंकरों के साथ भयानक दुर्घटना होने के कई मामले सामने आ चुके हैं.
ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण इसे बहुत ही सावधानी के साथ ले जाया जाता है. ऐसे में अगर टैंकर के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना हो जाए तो स्थिति काफी भयावह हो जाती है. ऐसा ही कुछ 1976 में 19 जुलाई को देखने को मिला.
जब कैरेबियन सी पर दो विशाल सुपर टैंकर्स के टकराने से भीषण तबाही फैल गई.
यह हादसा इतना भीषण था कि टक्कर के बाद इस दुर्घटना में दोनों जहाज जे 26 लोग और 76 क्रू मेंबर्स लापता हो गए जिन्हें मृत मान लिया गया. वहीं इसके अलावा भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ा. यह आग की दिनों तक जलती रही.
दुर्घटना की वजह से तकरीबन 2 लाख 80 हजार टन कच्चा तेल फैल गया. इस भीषण दुर्घटना को आज तक याद किया जाता है, जिसमें लोगों ने तबाही का मंजर देखा था.
ऐसे तो और भी कई घटनाएं घटी हैं जो 19 जुलाई के इतिहास में दर्ज हो गईं.
ऊपर जिन घटनाओं का जिक्र यहां किया गया है ये उनमें से एक और प्रमुख हैं.
Web Title: Day In World History 19 July, Hindi Article
Feature Image Credit: Sockrotation