20 जुलाई के इतिहास में कई रोचक घटनाएं दर्ज हैं.
इस दिन जहां एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रख इतिहास रचा था, तो वहीं, माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाले पहले शख्स एडमंड हिलेरी का जन्म हुआ.
विश्व विजेता बनने चले सिकंदर का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था. साथ ही, पूर्वी प्रशिया के रास्टेनबर्ग स्थित मुख्यालय में एडॉल्फ हिटलर पर जानलेवा हमला किया गया. वहीं तुर्की के सैनिकों ने उत्तरी साइप्रस पर हमला कर दिया था.
तो चलिए, ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक घटनाओं के साथ, जानते हैं 20 जुलाई का इतिहास –
पहली बार इंसान ने चांद पर कदम रखा
20 जुलाई 1969 को एक ऐसी घटना हुई, जिसकी इंसान सिर्फ कल्पना मात्र ही कर सकता था.
अभी तक दूर से चांद को निहारने वाला इंसान अब चांद पर कदम रख चुका था. अपोलो 11 में नील आर्मस्ट्रांग अपने अन्य अंतरिक्ष यात्री एडविन एल्ड्रिन के साथ सवार होकर आज ही की तारीख में चांद पर उतरे थे.
इससे पहले चांद पर पहुंचने की बात किस्से-कहानियों या शेर-ओ-शायरी में ही सुनने को मिलती थी. लेकिन अब वह समय आ चुका था, जब इंसान के कदम भी चंद्रमा पर पड़ने वाले थे.
यूं तो आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने चांद पर तीन घंटे से ज्यादा समय तक चहलकदमी की, लेकिन कहा यही गया कि चांद पर पहला कदम नील आर्मस्ट्रांग ने ही रखा था. चांद पर कदम रखते ही आर्मस्ट्रांग ने चांद से एक संदेश भी दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि, यह भले ही एक छोटा कदम हो, लेकिन संपूर्ण मानव जाति के लिए यह एक बड़ी छलांग है. यान में इन दोनों के अलावा माइकल कोलिंस भी सवार थे.
अपोलो 11 अंतरिक्ष यान ने चांद तक पहुंचने के लिए तकरीबन 4 लाख किलोमीटर की दूरी तय की थी.
सिकंदर का जन्मदिन
सिकंदर महान का नाम किसने नहीं सुना होगा! वह मेसिडोनिया का शासक था. सिकंदर को एलेक्जेंडर तृतीय के नाम से भी जाना जाता है.
दुनिया को जीतने का जुनून और गजब के साहस ने ही उसे सिकंदर महान बना दिया था. उस समय सीरिया और मिस्र से लेकर कई अन्य क्षेत्रों पर फतह हासिल कर सिकंदर ने खुद को साबित कर दिया था.
आज ही के दिन 356 ई. पू. में सिकंदर का जन्म हुआ. सिकंदर के पिता का नाम फिलिप था, जोकि मकदूनिया के राजा थे.
सिकंदर अरस्तू का शिष्य था. उसने 16 साल की उम्र तक अरस्तू से शिक्षा ली. कहते हैं कि अरस्तू जैसे गुरु का सिकंदर पर काफी प्रभाव पड़ा. सिकंदर ने हर वो जमीन जीत ली थी, जिसके बारे में उसे मालूमात थी.
युद्ध के दौरान गजब का साहस और एक बेहतरीन मिलिट्री कमांडर होने के नाते शायद सिकंदर के नाम के आगे महान शब्द जोड़ा गया!
सिकंदर के बारे में कई कहानियां चर्चित हैं. जंग में जीत की भूख हो, प्यार हो या फिर साहस, फिल्मी दुनिया के लोगों का भी इस ओर खूब ध्यान आकर्षित हुआ. यही वजह है कि सिकंदर को लेकर कई फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं.
सिकंदर ने तीन शादियां की थीं, लेकिन कहा जाता है कि रोक्साना से वह बहुत प्रेम करता था. रोक्साना के साथ सिकंदर का प्रेम विवाह हुआ.
जंग के मैदान में दहाड़ने वाला सिकंदर रोक्साना के सामने नर्म पड़ जाता था.
सिकंदर की वीरता के अलावा जो एक बात और चर्चित है, वह है आशिक मिजाजी. सिकंदर की पत्नी रोक्साना से उसका प्यार तो जाहिर है, लेकिन कहा जाता है कि वह बाइसेक्ससुअल भी था. वह अपने साथी हिफेशियन से भी बेपनाह मुहब्बत करता था. यहां तक कि दोनों में शारीरिक संबंध भी थे.
दरअसल, बचपन से ही दोनों साथ रहते थे और एकसाथ पढ़ाई भी की थी.
एक लड़ाई के दौरान हिफेशियन की मौत हो जाने के बाद सिकंदर टूट गया था. जिसके बाद वह बीमार होता चला गया और 6 महीने के अंदर ही वह दुनिया से रुखसत हो गया.
पर्वतारोही एडमंड हिलेरी पैदा हुए
20 जुलाई को जांबाज पर्वतारोही एडमंड हिलेरी का जन्म हुआ था. वह न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में पैदा हुए थे.
हिलेरी वो शख्स हैं, जो 29 मई 1953 को नेपाल के शेरपा तेनजिंग के साथ एवरेस्ट पर पहुंचे थे.
बेहद शर्मीले और बचपन से ही पहाड़ों पर चढ़ने का शौक रखने वाले हिलेरी ने सेना में भी काम किया था. 1943 में उन्होंने रॉयल न्यूजीलैंड एयरफोर्स में एक नेवीगेटर के तौर पर काम शुरू किया.
वहीं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इनकी तैनाती दक्षिण प्रशांत महासागर में थी. हालांकि घायल हो जाने की वजह से इन्हें वापस लौटना पड़ा. एडमंड हिलेरी का सपना एवरेस्ट फतह करने का था.
एवरेस्ट चढ़ने करने के दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. बर्फीली हवाएं और जमा देने वाली ठंड उनके रास्ते की रुकावट जरूर बन रही थी, लेकिन उनके हौसले को डिगा नहीं पाईं. एक समय जब इंसान के कदम तक एवरेस्ट पर नहीं पड़े थे, उस समय यह काम कर दिखाना अविश्वसनीय था.
एडमंड हिलेरी ने अपने पुत्र पीटर हिलेरी के साथ भी एवरेस्ट फतह किया है. यह जोड़ी भी एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली पिता-पुत्र की जोड़ी थी.
फोर्ड ने उतारी पहली कार
आज ही के दिन फोर्ड कंपनी ने अपनी पहली कार बाजार में उतारी थी. तब से लेकर आज तक फोर्ड कंपनी एक लंबा सफर तय कर चुकी है.
फोर्ड कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड हैं.
हेनरी फोर्ड ने 1902 में कार कंपनी में अपना पहला प्रयास शुरू किया था. जिसे कैडिलैक मोटर कंपनी का नाम दिया गया.
39 साल की उम्र में हेनरी फोर्ड ने फोर्ड मोटर कंपनी की खोज की. यह 12 निवेशकों की मदद से 28 हजार डॉलर निवेश करके एक अलग कारखाने के रूप में लांच हुई.
1903 से 1908 के बीच कंपनी ने फोर्ड के कई मॉडल का निर्माण किया. लेकिन 1908 में टी मॉडल को लाखों इकाइयों में बेचा गया.
वहीं, लक्जरी कारों की श्रेणी में आने के लिए हेनरी फोर्ड ने 1922 में लिंकन मोटर कंपनी को खरीद लिया. 1980 में इस कंपनी ने और रफ्तार पकड़ी. अब फोर्ड ने दुनिया के सबसे सफल वाहनों का निर्माण करना शुरू कर दिया था.
1990 के बीच अमेरिका की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का फायदा फोर्ड ने उठाया. उसने भारी मात्रा में वाहनों की बिक्री शुरू की. 1990 और 1994 के दरमियान फोर्ड ने जगुआर और एस्टन मार्टिन को भी मिला लिया.
हालांकि 2008 में फोर्ड ने जगुआर और लैंड रोवर को टाटा मोटर्स के हाथों 2.3 बिलियन डॉलर में बेच दिया.
Web Title: Day In World History 20th July, Hindi Article
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