इतिहास वह खजाना है, जिसका कोई मोल नहीं होता. इतिहास बनने में बहुत लंबे समय की जरुरत नहीं होती. कई बार महज कुछ क्षण ही उस दिन को इतिहास के पन्नों में दर्ज करा देते हैं. आइये जानते हैं 22 जुलाई के दिन से जुड़े उन ऐतिहासिक क्षणों के बारे में, जो इस दिन को अहम बनाते हैं–
सरवाक को मिली ब्रिटिश शासन से आजादी!
यह दिन दुनिया के अन्य लोगों के लिए आम हो सकता है मगर, सरवाक में इस दिन एक राष्ट्रीय छुट्टी होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि, यह दिन उनका आजादी दिवस होता है.
हालांकि, इस तारीख को लेकर कुछ मतभेद भी हैं. ब्रिटेन एक ऐसा देश है जिसने लगभग पूरी दुनिया पर राज किया था. इनमें से ही एक देश सरवाक भी था.
सरवाक में ब्रिटिश कॉलोनी की शुरुआत 1841 में हुई, जब ब्रिटिश एडवेंचर्र जेम्स ब्रूक ने खुद को सरवाक का राजा घोषित कर दिया.
इसके बाद सरवाक में हर जगह ब्रिटिश ऑफिस खोल दिए गए, जहां से देश के कार्यभार को चलाया जाता था. इन सभी ऑफिसों को लंडन स्थित ऑफिस से आदेश दिए जाते थे.
देश में चल रहे कार्यों से होने वाली आमदनी को ब्रूक इंग्लैंड में अलग-अलग व्यापारों में निवेश करता था. ब्रिटिश राज में सरवाक के स्थानीय लोगों के साथ काफी दुर्व्यवहार किए जाते थे.
इसके चलते लोगों में ब्रिटिश राज से आजादी पाने की चिंगारी सुलगने लगी थी. इसके चलते बहुत से लोग क्रांतिकारी बन अपने देश के सुल्तान के विरुद्ध हो गए.
हालांकि, इसी बीच दुनिया में विश्व युद्ध का आगाज हो गया. इस कारण ब्रिटेन को कई स्थानों से अपनी कॉलोनियों को हटाना पड़ा.
इस दौरान सरवाक में कई विरोधी गुटों का गठन हुआ, जिन्होंने अपनी आजादी के लिए जी-जान लगा दी. आखिरकार में करीब 17 सालों तक ब्रिटेन के अधीन रहने के बाद 22 जुलाई 1963 में सरवाक को आजादी मिल गई.
हालांकि, आपको बता दें कि सरवाक के आजादी दिवस की तिथि को लेकर काफी मतभेद पाए जाते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि असल तारीख 23 अप्रैल है. ऐसे में सरवाक सरकार ने 22 जुलाई और 23 अप्रैल दोनों ही दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया है.
कैस्टाइल के राजा फिलिप वन का जन्मदिवस
फिलिप वन का जन्म 22 जुलाई में स्पेन के ब्रूगेस में हुआ था. फिलिप रोमन शासक मैक्सिमिलियन और मैरी के बेटे थे.
1482 में अपनी मां की मौत के बाद फिलिप अपने पिता के साथ नीदरलैंड का राज पाठ संभालने में लग गए. युवा होने के बाद फिलिप की इच्छाएं काफी बढ़ने लगीं.
वह नीदरलैंड के अलावा अन्य राज्यों को भी अपने अधीन करने का ख्वाब देखते थे. 1496 में उन्होंने कैस्टाइल के राजा फर्दिनांद टू की बेटी जोआन से शादी कर ली.
शादी से कुछ समय बाद जोआन को कैस्टाइल की महारानी घोषित कर दिया गया. जनवरी 1502 से 1503 तक फिलिप और जोआन स्पेन में रहे और अपनी दो सल्तनत एरागोन व कैस्टाइल के शासन में व्यस्त रहे.
1504 में, जब जोआन की मां इसाबेल्ला की मौत हुई, तो राज परंपरा के मुताबिक कैस्टाइल की रानी जोआन को बनाया गया. हालांकि, फिलिप चाहता था कि वह राजा बने.
इस समय जोआन नीदरलैंड का शासन संभालने में व्यस्त थी. इसका फायदा उठाकर फिलिप ने अपने ससुर पर सारा राजपाठ उसे सौंपने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया.
कुछ समय बाद फरदिनेंद ने फिलिप के आगे हार मान ली. उन्होंने कैस्टाइल पर अपने सभी अधिकारों को त्याग दिया और फिलिप को राजा घोषित कर दिया.
हालांकि, राजा बनने के बाद फिलिप बहुत समय तक शासन नहीं कर पाया. बुखार के चलते 25 सितंबर 1506 में फिलिप की मौत हो गई और जोआन मानसिक रोगी बन गई.
इसके बाद फिलिप और जोआन का बेटा चार्ल्स वन राजगद्दी पर बैठा. इस वंश ने करीब दो शताब्दियों तक स्पेन पर राज किया.
ईरान को मिली 'शाहाब मिसाइल' की ताकत!
22 जुलाई का दिन ईरान के लिए भी खास है. आज ही के दिन साल 1998 में ईरान ने मध्यम दूरी वाली मिसाइल 'शाहाब' का सफल परीक्षण किया था.
ईरानी सेना के हथियारों में इस मिसाइल के शामिल हो जाने से, अब ईरान की मारक क्षमता इजराइल और यूरोप के बराबर हो गई थी.
शाहाब ने ईरान की सेना को और भी सुदृढ़ बनाया. इस मिसाइल की खूबियों के बारे में बताएं, तो शाहाब लिक्विड फ्यूल पर चलने वाली मध्यम दूरी पर मार करने वाली मिसाइल है.
इसकी रेंज 800 से 1300 किलोमीटर की है. विस्फोटक सामग्री के साथ यह मिसाइल 930 किलोमीटर की दूरी तक वार करने की क्षमता रखती है.
इस मिसाइल को एक खास ट्रक पर लगे लॉन्चिंग पैड से शूट किया जाता है. इसके चलते यह जमीन से मार करने वाला एक जबरदस्त हथियार बन जाती है.
इसकी क्षमता के अनुसार इस मिसाइल का नंबर नोर्थ कोरिया की मिसाइल नोडोंग के बाद आता है. हालांकि, इसकी तुलना में अगर ईरान की दूसरी मिसाइल सेजिल की बात करें, तो वह शाहाब से बेहतर मानी जाती है.
इसकी मार करने की क्षमता 2000 किलोमीटर तक की है, जो शाहाब से काफी अधिक है. साथ ही शाहाब के लिक्विड फ्यूल के चलते उसे फायर करने में अधिक समय लगता है.
बहरहाल ईरानी वैज्ञानिकों द्वारा अपनी तकनीकों में सुधार कर हथियारों को और भी बेहतर बनाने की कोशिशे लगातार जारी हैं.
'चमेलनिस्की नरसंहार' में गई निर्दोष यहूदियों की जान!
यहूदी समुदाय के लिए 22 जुलाई का दिन बेहद दुख भरा माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, आज ही के दिन 1648 में पोलैंड में हजारों यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया था!
इतिहास में यह घटना चमेलनिस्की नरसंहार के नाम से जानी जाती है. इसकी शुरुआत हुई 16वीं शताब्दी में जब, पोलैंड के राजा ने यहूदियों को कुछ खास अधिकार दे दिए.
इसके चलते बड़ी गिनती में यहूदी पोलैंड और पड़ोसी देश जर्मनी में आ बसे. धीरे-धीरे इनकी तादाद इतनी बड़ गई, की कुछ शहरों में तो इनकी जनसंख्या स्थानीय लोगों से भी अधिक हो गई.
अधिकतर यहूदी व्यापारी थे, जबकि कुछ कर एकत्रित करने का कार्य करते थे. पोलैंड की दनेपेर नदी के किनारों पर लगने वाले क्षेत्रों में भी एक जाति बसती थी, जिन्हें कोस्सैक्स कहते थे.
उस समय कोस्सैक्स के लीडर चमेलनिस्की के नाम से हर यहूदी कांपता था. चमेलनिस्की बड़े ख्वाब रखने वाला शख्स था. अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए उसने पोलैंड में क्रांति पैदा करने की योजना बनाई.
हालांकि, चमेलनिस्की की इस योजना की खबर एक यहूदी व्यापारी ने उच्च अधिकारियों को दे दी. इसके चलते चमेलनिस्की को गिरफ्तार कर लिया गया और मौत की सजा सुनाई गई.
इसी बीच राजा वलादिमीर की अचानक मौत हो गई. इसके बाद कोस्सैक्स विद्रोहियों ने पोलिश अधिकारियों को खदेड़ डाला. चमेलनिस्की को भी आजाद करवा लिया गया.
अब बारी थी, उस यहूदी व्यापारी की जिसके कारण चमेलनिस्की को कैद में जाना पड़ा. उस व्यापारी से बदला लेने के लिए चमेलनिस्की व उसके साथियों ने 10,000 यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया.
उनमें बुढ़े, बच्चे, औरतें सभी शामिल थे. यह कत्लेआम यहीं नहीं रुका बल्कि, अगले 300 सालों तक यहूदियों को यहां-वहां छिप-छिप कर अपना जीवन यापन करना पड़ा.
तो देखा आपने 22 जुलाई के दिन वैश्विक इतिहास में कितना कुछ घटा. कहीं पर खुशियों की लहर बही, तो कहीं पर गम के आँसू. ऐसी ही कई मिलीजुली घटनाओं से भरा होता है हर दिन. अगर इस दिन से जुड़ी कोई घटना आपको भी याद है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Day In World History 22 July, Hindi Article
Feature Image Credit: wilffiregames