किसी भी देश का इतिहास वहां के लोगों की वह पूंजी होता है, जिसने उस राष्ट्र की नींव रखी होती है. साल का हर दिन दुनिया के किसी न किसी कोने में एक खास पल की खुशी या किसी बड़ी घटना के अहसोस के तौर पर मनाया जाता है.
25 जुलाई का दिन भी अपने आप में बहुत सी अच्छी और बुरी यादों को समेटे हुए है. तो चलिए इतिहास की कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में जानते हैं, जो इस दिन को अहम बनाती हैं–
एयर फ्रांस फ्लाइट 4590 क्रैश
यह दिन फ्रांस वासियों के लिए किसी बुरी याद से कम नहीं है. 25 जुलाई साल 2000 में एयर फ्रांस फ्लाइट का कॉनकॉर्ड सुपरसोनिक एरोप्लेन, पेरिस के एक उपनगर गोंऐस्सी में क्रैश हो गया था!
इस दुर्घटना में फ्लाइट सवार 109 लोगों समेत 4 अन्य लोग मारे गए थे. दरअसल, एयर फ्रांस की चार्टर फ्लाइट 4590 पेरिस से न्यूयॉर्क जा रही थी.
इसका नाम एयर फ्रांस कॉनकॉर्ड था. इस फ्लाइट में सवार अधिकतर लोग जर्मन सेनानी थे. दोपहर के करीब 4 बज कर 43 मिनट पर प्लेन ने चार्ल्स दे गाउले एयरपोर्ट से टेक ऑफ किया.
इस दौरान, जब प्लेन ने हवा में उड़ान ली, तो ग्राउंड स्टाफ ने नोटिस किया कि जहाज के बाएं पंख के नीचे कुछ गड़बड़ी लग रही है.
कुछ ही सेकेंड बाद जहाज के बाएं तरह का एक इंजन बंद पड़ गया! इस कारण पायलट के लिए जहाज को हवा में ले पाना मुश्किल हो रहा था.
200 फीट की उंचाई पर पहुंचने के बाद जहाज का दूसरा इंजन भी बंद पड़ गया और जहाज तेजी से नीचे गिरने लगा. यह जहाज गोंऐस्सी क्षेत्र के एक छोटे से होटल पर जा कर गिरा.
हादसे में जहाज में सवार 100 यात्री और 9 क्रू मेंबर मारे गए, जबकि 6 अन्य लोग घायल हो गए. इस हादसे के बाद करीब 4 महीनों तक कॉनकॉर्ड जहाज की सेवाएं बंद कर दी गई.
फिर नवंबर 2001 में इसे दोबारा शुरु किया गया. मगर यह ज्यादा समय तक नहीं चल पाई.
दुनिया को मिला पहला 'टेस्ट ट्यूब बेबी'
25 जुलाई का यह दिन इंसानों द्वारा प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाकर विज्ञान की एक नई उपलब्धि हासिल किए जाने की खुशी के तौर पर भी याद किया जाता है.
दरअसल, 25 जुलाई 1978 में इंग्लैंड के शहर मैनचेस्टर में दुनिया का सबसे पहला टेस्ट ट्यूब बेबी पैदा हुआ था.
विज्ञान के नजरिये से यह एक बहुत बड़ी इंसानी उपलब्धि मानी जाती है. इस बच्चे का नाम लूयिस जॉय ब्राउन था और यह लेस्ली और पीटर ब्राउन की बेटी थी.
लूयिस का जन्म सिजेरियन ऑपरेशन के जरिय हुआ था. लूयिस के जन्म से पहले उनकी मां लेस्ली ब्राउन ने कई सालों तक बांझपन का दुख साहा.
आखिरकार नवंबर 1977 में उन्होंने आई.वी.एफ तकनीक के जरिये गर्भधारण करने का फैसला किया. इस तकनीक में लेस्ली का एक विकसिक अंडा निकाला गया और उसे लेस्ली के पति के शुक्राणु के साथ मिलाकर उससे एक भ्रूण का निर्माण किया गया.
इसके कुछ दिन बाद इस भ्रूण को लेस्ली के गर्भाशय में डाल दिया गया. हालांकि, यह कार्य इतना आसान नहीं था. इसे करने से पहले गायनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर पैट्रिक स्टेप्टो और वैज्ञानिक रॉबर्ट एडवर्ड ने 10 साल की लंबी रिसर्च की.
साल 1999 में लेस्ली ब्राउन ने एक बार फिर से आई.वी.एफ तकनीक के जरिये अपनी दूसरी बेटी नेटली को जन्म दिया.
इस बार उनकी डिलीवरी नॉर्मल तरीके से हुई. इस तकनीक की आलोचना करने वाले लोगों का मानना था कि टेस्ट ट्यूब बेबी खुद बच्चे पैदा नहीं कर सकते.
उन्हें लूयिस ने दिसंबर 2006 में जवाब दिया, जब उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया. आज यह तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि, लाखों लोग इसके जरिये मां-पिता बनने का सुख ले पा रहे हैं.
स्पेन में दुर्घटनाग्रस्त हुई तेज रफ्तार ट्रेन!
इस दिन के साथ स्पेन के कुछ लोगों की बेहद बुरी यादें जुड़ी हैं. 25 जुलाई 2013 का दिन कुछ ऐसा था कि एक झटके में दर्जनों जिंदगियां खत्म हो गई.
दरअसल, सुबह के समय गालिसिया क्षेत्र के निकट स्थित सेंटिआगो डे कोमपोस्टेला के पास हुई एक ट्रेन दुर्घटना में 78 लोगों की मौत हो गई थी.
जबकि 130 के करीब लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे. इस ट्रेन में कुल 219 लोग सवार थे. घटना के बाद हुई जांच में पता चला कि ट्रेन की रफ्तार काफी तेज थी.
लगभग 190 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन मोड़ की तरफ बढ़ रही थी. उस मोड़ पर ट्रेन को 80 किलोमीटर प्रतिघंटे से ज्यादा तेज जाने की इजाजत नहीं थी.
हालांकि, ट्रेन की रफ्तार कम नहीं हुई और वह पटरियों से नीचे आ गई. हादसे के बाद पुलिस द्वारा ट्रेन के ड्राइवर को हिरासत में लिया गया.
इस हादसे को लेकर स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय द्वारा 3 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया. साथ ही सरकार की ओर से मरने वालों को मुआवजा भी दिया गया था.
ऑपरेशन स्प्रिंग की खुनी लड़ाई!
विश्वयुद्ध के लिहाज से देखा जाए, तो यह दिन काफी महत्वपूर्ण है. विश्वयुद्ध के समय जर्मनी ने दुनिया के बहुत से क्षेत्रों को अपने कब्जे में ले लिया था.
ऐसे में अमेरिका और यूरोपियन देश एकजुट होकर जर्मनी के खिलाफ जंग लड़ रहे थे. इसी समय का एक वाक्या है ऑपरेशन स्प्रिंग का.
इसे ब्रिटिश और कैनेडियन सिपाहियों ने एकजुट होकर किया था. इस मिशन के तहत संयुक्त सेना को एक चोटी पर कब्जा करना था, जोकि साइन देश के दक्षिणी क्षेत्र में मौजूद थी.
इस चोटी पर हमला करने से पहले कैनेडियन डिवीजन के जनरल गाय सिमोंड्स ने योजना तैयार की. उन्होंने जर्मन सेना पर तीनों तरफ से हमला करने की योजना बनाई.
वहीं दूसरी ओर जर्मन सैनिकों को अंदाजा था कि जल्द ही उनपर हमला हो सकता है. ऐसे में उन्होंने 480 टैंक, 500 तोप और चार बटालियन सेना को वेरीएरस पर तैनात कर दिया.
इधर योजना के मुताबिक तय दिन यानि 25 जुलाई 1944 को 3 बजकर 30 मिनट पर कैनेडियन सेना अपने पहले टारगेट की ओर बढ़ गई.
महज 1 मिनट में पहले टारगेट पर कब्जा कर लिया गया. मगर आगे का सफर इतना आसान नहीं होने वाला था.
दूसरे टारगेट पर कब्जा तो कर लिया गया, लेकिन इसमें कई सैनिकों की जान चली गई. इसके बाद आखिरी टारगेट की ओर कूच की गई.
हालांकि, इसकी शुरुआत बहुत बुरी हुई. ऐसा इसलिए क्योंकि, कैनेडियन सेना को मिलने वाली टैंक सहायता समय पर पहुंच न पाई.
इसके चलते सैकड़ों कैनेडियन सिपाही जर्मन सैनिकों की गोलियों का शिकार बने. अगले 2 दिन में कैनेडियन यूनिट की भारी क्षति हुई. इसके चलते उन्हें कब्जे में लिए गए स्थानों से पीछे हटना पड़ा.
हालांकि, बाद में उन्हें अमेरिकी सेना का साथ मिला और संयुक्त सेना का दबाव फिर बनना शुरु हुआ और संयुक्त सेना दुश्मन के अधिकतर क्षेत्र पर कब्जा करने में सफल रही.
बहरहाल यह थीं इतिहास की कुछ ऐसी घटनाएं, जो इस दिन को खास बनाती हैं. अगर इस दिन से जुड़ी कोई और घटना आपको याद है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Day In World History 25 July, Hindi Article
Feature Image: doctorsada