28 जुलाई का दिन वैसे तो किसी भी आम दिन की ही तरह है, मगर इस दिन के साथ जुड़ी कुछ ऐतिहासिक घटनाएं इसे आम नहीं रहने देती.
क्या आप परिचित हैं, 28 जुलाई के दिन हुई उन ऐतिहासिक घटनाओं से जिनकी अच्छी-बुरी यादें आज भी लोगों के दिलों में अमर हैं? अगर नहीं, तो आइये जानते हैं उनके बारे में–
जब, भूकंप से हिल गया पूरा चीन!
चीन के इतिहास में 28 जुलाई का दिन एक काले दिन के रूप में जाना जाता है. साल 1976 में 28 जुलाई के दिन सुबह 3 बजकर 42 मिनट पर कुदरत का ऐसा कहर टूटा, जिसने हजारों नहीं बल्कि, लाखों लोगों की जिंदगी को लील लिया.
इस भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर पश्चिम चीन के शहर तांगशान पर पड़ा था. जांच के बाद सामने आए आंकड़ों में पता चला कि भूंकप की ताकत 7.8 मैग्नीट्यूड थी.
इसके कारण 2,40,000 लोग मारे गए थे और 700000 लोग घायल हुए थे. इन आंकड़ों को देखते हुए इस भूकंप को 20वीं शताब्दी का सबसे भयानक भूकंप माना गया था.
इस भूकंप के आने से पहले उसके संकेत दिखने लगे थे. भूकंप से पहले तांगशान शहर के बाहरी हिस्से में मौजूद गाँवों में मौजूद छोटे-छोटे तालाबों से अचानक गैस निकलनी शुरू हो गई थी.
इसका रिसाव 25 और 26 जुलाई को और भी बढ़ गया था. यहां तक कि सड़कों में भी दरारें आनी लगी थी. यहां तक गाँवों मे मौजूद पालतू जानवर भी भूकंप के संकेत देने लग गए थे.
बहरहाल भूकंप ने तांगशान शहर को पूरी तरह से तहस-नहस करके रख दिया था. हालांकि, कुछ समय बाद चीन सरकार ने फिर से पूरे शहर को बसाया और मरने वालों के परिवार को मुआवजा भी दिया गया.
इस्किया तट पर बरपा ज्वालामुखी का कहर!
यह किस्सा है, इटली के वर्तमान शहर लेकको अमीनो पर बरपे ज्वालामुखी के कहर का. यह 28 जुलाई के दिन ही घटा था.
इस त्रासदी के बारे में जानने से पहले इसके इतिहास को थोड़ा खंगालते हैं. इटली का खूबसूरत शहर जिसे आज लोग लेकको अमीनो के नाम से जानते हैं, 8वीं शताब्दी में वह इस्किया तट के नाम से जाना था.
उसी समय यहां पहली इंसानी बस्तियां बसनी शुरू हुई. कुछ ही समय बाद इस्किया तट इट्रस्केन सभ्यता के लोगों के लिए उनके व्यापार का मुख्य केंद्र बन गया.
इसके चलते बड़ी गिनती में फिनिशियन और इजिप्शियन लोग यहां, तांबे व लोहे से बनी कलाकृतियां आदि खरीदने आते थे.
कुछ समय बाद रोमनस ने तट के सभी कार्यों को अपने अधीन कर लिया और वह इस जगह का प्रयोग छुट्टियां मनाने के लिए करने लगे.
धीरे-धीरे इस तट पर लोगों की अबादी में इजाफा हुआ और यहां 6 अलग-अलग गांव बस गए. सब काफी अच्छे से चल रहा था कि साल 1883 में 28 जुलाई के दिन अचानक तट पर मौजूद ज्वालामुखी फट गया.
उससे निकलते लावा ने तट पर बसे 1200 घरों को उजाड़ दिया. इस दौरान 2,000 लोग इस लावा की चपेट में आकर मारे गए. कुछ समय बाद लोगों ने समुद्र के किनारे नए सिरे से अपने घर बसाए और जीवन यापन शुरू किया.
जर्मनी में हुआ केमिकल धमाका...
28 जुलाई का दिन कई दुखदाई हादसों का गवाह रहा है. चीन और इटली की तरह जर्मनी में भी इस दिन एक बेहद दर्दनाक हादसा घटा था.
यह समय था 1948 का जब जर्मनी के लुडविगशाफेल केमिकल प्लांट में एक बड़ा धमाका हो गया था. इस धमाके की वजह से करीब 200 लोगों की जान चली गई.
वहीं, 3,800 से अधिक लोग बुरी तरह से हादसे में घायल हो गए. हादसे के दो दिन बाद हुई जांच में प्लांट में हुए धमाके के लिए वहां के कर्मचारियों को दोषी पाया गया.
विश्व युद्ध के समापन के बाद इसी स्थान पर नए केमिकल प्लांट को स्थापित किया गया. दरअसल, इस हादसे का कारण रेलवे कार द्वारा 30 टन रंगहीन गैस डाइमिथाइल ईथर को न ले जा पाना था.
यह गैस अचानक से प्लांट के 30,00,00 स्क्वायर मीटर के दायरे में फैल गई. इसके बाद वह हादसा हुआ.
आतंकी सरगना अबू बकर अल बगदादी का जन्म
दुनिया भर में आतंक को फैलाने वाले आई.एस.आई.एस के बारे में भला कौन नहीं जानता. यह गिरोह अब तक हजारों लाखों निर्दोश लोगों को मौत की नींद सुला चुका है.
दुनिया भर में यह अब तक कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है. इस गिरोह का सरगना अबू बकर अल बगदादी का जन्म 28 जुलाई 1971 में इराक के सामर्रा क्षेत्र में हुआ था.
बचपन से बगदादी का झुकाव धर्म की ओर था और वह अपना काफी समय इबादत में गुजारता था. बगदादी ने अपनी स्नातक की शिक्षा साल 1996 में यूनिवर्सिटी ऑफ बगदाद से पूरी की.
इसके बाद उसने अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी इराक की सद्दाम यूनिवर्सिटी से पूरी की. 2004 तक बगदादी अपनी दो पत्नियों व छे बच्चों के साथ बगदाद में रहा.
वहां पर वह लोगों को कुरान से जुड़ी शिक्षा देता था. बगदादी अपनी स्नातक की पढ़ाई के दौरान एक शख्स से मिला, जिसने उसका झुकाव हिंसक इस्लामिक गतिविधियों की ओर बढ़ाया.
2004 में बगदादी को अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार किया, मगर 10 महीनों बाद वह रिहा हो गया. जेल से रिहा होने के बाद बगदादी आतंकी ग्रुप अल-कायदा के संपर्क में आया.
अल-कायदा को उस समय अबू मुसाब अल जरकावी चला रहा था. यहां बगदादी युवाओं को धर्म के नाम पर लड़ाई के लिए तैयार करता था.
2006 में जरकावी की मौत के बाद ग्रुप कमजोर हो गया और दो हिस्सों में बंट गया. इस दौरान नए ग्रुप आईएसआईएस का गठन किया गया.
2010 में इस ग्रुप के सरगना के तौर पर बगदादी को चुना गया. इसके बाद इस ग्रुप ने बड़े स्तर पर दुनिया भर में आतंकी गतिविधयों को अंजाम दिया.
बगदादी को लेकर कई बार दावे किए गए वह मारा गया है, मगर अभी तक इसका कोई सबूत नहीं मिल पाया है.
बहरहाल तो यह थीं 28 जुलाई से जुड़ी कुछ ऐतिहासिक घटनाएं. उम्मीद है कि आपको यह लेख और इसमें दी गई जानकारी पसंद आई होंगी. अपनी राय देने के लिए कृपया कमेंट सेक्शन में अपने विचार रखें.
Web Title: Day In World History 28 July, Hindi Article
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