आज दुनिया हथियारों के मामले में इतना आगे पहुंचे गई है कि हम सोच भी नहीं सकते है.
दुनिया में मौजूद आजकल के हथियार पूरी तरह से ऑटोमेटिक हैं. वहीं कुछ तो एक बार में ही पूरे के पूरे शहर तक को तबाह कर सकते हैं. वैसे, आज इस लेख में हम आपको दुनिया के नए और आधुनिक नहीं बल्कि पहले विश्व युद्ध में इस्तेमाल होने वाले पुराने हथियारों के बारे में बताएंगे.
यह सभी हथियार भले ही आज पुराने लगते हों मगर अपने समय में यह सबसे अच्छे हथियार माने जाते थे. इनके इस्तेमाल ने तब जंग में काफी अहम किरदार निभाया था.
तो चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं पहले विश्व युद्ध के सबसे ख़ास हथियारों के बारे में–
‘मौसर 98’
मौसर 98 प्रथम विश्व युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाली राइफल है. इस राइफल को यह नाम 1898 में दिया गया था. मौसर 98 का निर्माण 1895 में पॉल मौसर ने किया था. माना जाता है कि बॉक्सर विद्रोह में इसका सबसे पहला इस्तेमाल किया गया था.
इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए 1904 में करीब 210,000 राइफलें बनाई गई थी. जर्मनी में बनी यह बंदूक अपने समय में काफी प्रसिद्ध थी. मौसर 98 का वजन 4.09 किलोग्राम होता है. इस गन में 8.08 एम.एम. की गोली को लोड किया जाता था.
पहले विश्व युद्ध में इस बंदूक का बहुत जोर-शोर से इस्तेमाल किया गया जब यह काफी अचूक भी मानी जाती थी.
Mauser Gewehr 98 (Pic: commons)
‘लुगर पिस्टल’
लुगर पिस्टल को परबेल्लुम पिस्तौल के नाम से भी जाना जाता है. इस सेमी ऑटोमैटिक हथियार को जर्मन सेना और नाज़ी अफसरों के उपयोग के लिए 1900 में बनाया गया था. इस पिस्टल में 7.65 और 9 मिलीमीटर वाली गोलियां इस्तेमाल की जाती थीं. इसमें एक बार में आठ गोलियां डाली जाती थी. यह छोटी और असरदार थी, इसलिए एक अच्छी सेकेंडरी वेपन मानी जाती थी.
लुगर के कई अलग-अलग मॉडल थे. इसको 1898 में जॉर्ज लुगर ने बनाया था. यह इतनी कामयाब मानी जाती थी कि इसका इस्तेमाल जर्मन सेना ने 1908 से 1938 तक किया था. इस हथियार को अन्य देशों की सेनाओं ने भी इस्तेमाल किया था. जैसे ब्राजील, बुल्गारिया, फिनलैंड, ईरान, नॉर्वे, स्विटजरलैंड और तुर्की आदि.
हर कोई जानता था कि यह कितना कारगर हथियार है. इसलिए ही लोग अक्सर इसे अपने पास रखते थे.
Luger Pistol (Pic: reddit)
‘ली-एन्फील्ड’
जेम्स पी ली द्वारा बनाई गई ली-एन्फील्ड राइफल ख़ास ब्रिटिश सेना के लिए बनाई गई थी.
यह राइफल बहुत ही खतरनाक थी. यह कोई छोटी दूरी पर वार करने वाली नहीं बल्कि दूर-दूर तक दुश्मन को मार गिराने वाली राइफल थी. इसलिए ही इसमें स्कोप लगाया गया ताकि इसे स्नाइपर वेपन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सके.
यूँ तो इसके मुकाबले में कई और जर्मन बंदूकें थीं मगर इसे उनके मुकाबले ज्यादा अच्छा माना जाता था.
इनका इस्तेमाल 1896 में बोअर युद्ध के दौरान किया गया था. ब्रिटिश सेना के लिए यह काफी काम की बंदूक साबित हुई थी. पहले विश्व युद्ध में इसे ब्रिटिश सेना के द्वारा जम के इस्तेमाल किया गया.
Lee Enfield (Pic: alphacoders)
‘मैक्सिम एमजी 08 मशीन गन’
प्रथम विश्व युद्ध के समय यह मशीन गन काफी घातक हथियार मानी जाती थी, क्योंकि इसमें एक बार में कई फायर किये जा सकते थे.
उस समय इस मशीन गन में अच्छी खासी मात्रा में गोलियां आ जाती थीं और कम समय में यह बहुत ज्यादा फायर कर सकती थी. यही कारण था कि अक्सर सिपाही इसके सामने आने से बचते थे.
इस गन को 1894 में हीराम मैक्सिम ने डिजाइन किया था.
इसकी सबसे ख़ास बात थी कि एक बार में यह करीब 500 राउंड फायर कर सकती थी. जितनी देर में कोई इसे चलाने वाले पर हमला करने की सोचता, उतनी देर में तो यह उसका सफाया कर देती थी.
MG 08 (Pic: ima-usa)
‘मार्क वी टैंक’
पहले विश्व युद्ध के समय में यह टैंक ब्रिटिश सेना की जान था. यह काफी मजबूत, खतरनाक और कारगर माना जाता था. इसके जरिए ही ब्रिटिश सेना ने पहले विश्व युद्ध और उससे पहले हुए कई युद्धों में जीत हासिल की.
यह अपने समय में काफी आधुनिक हथियार के रूप में जाना जाता था. इसके चलने की आवाज सुनते ही लोग दूर भाग जाया करते थे. सब जानते थे कि आखिर यह कितना खतरनाक है.
आकार की बात की जाए तो इसका वजन 28 टन के लगभग था. इतना भारी होने के कारण यह 5.9 किलोमीटर की रफ्तार से ही चल पता था. इसकी रफ़्तार भले ही कम थी, मगर इसका वार बहुत जोरदार हुआ करता था. इसके एक गोले से ही दुश्मन कांप जाता था.
Mark V Tank (Pic: joyreactor)
‘फोक्कर डॉ 1’
पहले विश्व युद्ध के शुरूआती चार वर्षों के दौरान कई नए वाहनों का विकास किया गया. शुरुआत में कई राइफल, गन, टैंकों का आविष्कार हुआ था.
जर्मनी ने इस दौरान कई हथियारों को बनाया था पर वह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध अपने बनाए प्लेन फोक्कर के लिए हुआ था.
विश्व युद्ध के दौरान हर कोई समझ गया था कि अगर जंग जीतनी है तो आसमान पर भी राज करना पड़ेगा. यही कारण था कि हर कोई हवाई जहाज की ओर आकर्षित हो रहा था. उस समय फोक्कर विमान को इस काम में सबसे बेहतर माना गया.
इस प्लेन में 110 हॉर्स पॉवर का इंजन लगाया गया था. यह इंजन इसे हवा में गोली की रफ़्तार से उड़ने में मदद करता था.
वहीं दूसरी ओर इसका वजन 1,300 पाउंड के आसपास था. यह प्लेन उस समय में 20,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता रखता था.
फोक्कर 103 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तर से उड़ता था. आज के जहाज़ों के मुकाबले में यह प्लेन काफी धीमा लगता है, मगर अपने समय में इससे तेज कोई और नहीं था.
युद्ध के दौरान यह काफी महत्वपूर्ण इसलिए था, क्योंकि इसमें दो 7.92 एम.एम एस एमजी और एक मशीन गन लगी थी. यह एक बार ईंधन भरने पर करीब 80 मिनट तक उड़ान भर सकता था.
Fokker Triplane (Pic: aerofred)
‘टाइप यू 93 सबमरीन’
टाइप यू 93 सबमरीन विश्व युद्ध के समय जर्मन नौसेना के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली पनडुब्बियों में से एक थी.
यू 93 ने 1917 में अटलांटिक के पहले विश्व युद्ध में भाग लिया था. माना जाता है कि इस पनडुब्बी ने प्रथम विश्व युद्ध में बहुत अहम भूमिका निभाई थी.
यू 93 पनडुब्बी की ऊंचाई 8.25 मीटर के आसपास थी. इस पनडुब्बी की रफ्तार करीब 31 किलोमीटर तक पहुंच सकती थी. उस समय तक पनडुब्बी बहुत ज्यादा एडवांस नहीं थी. यही कारण है कि यह ज्यादा समय के लिए पानी के अंदर नहीं रह पाती थी. हालांकि यह पानी के बाहर भी अपना काम बखूबी कर लेती थी.
Type U 93 Submarine (Pic: themodellingnews)
‘पेरिस गन’
पेरिस गन जर्मनी द्वारा बनाई गई एक बहुत ही घातक तोप थी जिसके काम था दूर बैठे-बैठे दुश्मन को नष्ट करना.
पहले विश्व युद्ध में जर्मनी से इसके द्वारा ही पेरिस पर हमला किया था इसलिए इसका नाम पेरिस गन रखा गया.
सेना से ज्यादा इसे नौसेना ने इस्तेमाल किया. वह अपने जहाज़ों में इन्हें लगा देते थे, ताकि समंदर के पास के इलाके को अपने कब्जे में ले सकें.
इसमें 200 एम. एम से भी बड़े गोले इस्तेमाल किए जाते थे. इस तोप का एक गोला भी बड़ी तबाही मचा देता था. यह बहुत ही ज्यादा भारी थी. इसे लाना ले जाना बहुत ही मुश्किल भरा काम था. हालांकि एक बार जब यह अपना काम शुरू करती थी तो कोई भी इसके सामने नहीं टिक पाता था.
इसकी मारक क्षमता भी इसके आकार जितनी बड़ी थी. यह बड़े ही आराम से 100 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन पर हमला कर सकती थी. यही कारण है कि पहले विश्व युद्ध में यह बहुत सफल रही.
Paris Gun (Pic: prawda2)
‘ल्युईस गन’
ल्युईस गन को प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका ने डिजाइन किया था. यह एक ऑटोमेटिक मशीन गन थी. यह बाकी मशीन गन के मुकाबले ज्यादा हल्की थी, इसलिए इसे थोड़ी मेहनत करके भी ले जाया जा सकता था.
अमेरिका ने इस गन का खूब इस्तेमाल किया, इतना ही नहीं कोरिया युद्ध में भी इस गन ने अमेरिका का खुल कर साथ दिया.
इस गन का आविष्कार यूएस कर्नल ‘इसाक ल्युईस’ ने 1911 में किया था. इस गन की ताकत की बात की जाए तो यह एक मिनट में करीब 500 – 600 रांउड गोलियां चला सकती थी.
यह इतनी जल्दी गोलियां चलाती थी कि सामने वाले को कोई हरकत करने का मौका भी नहीं मिलता था. यही कारण था कि यह काफी समय तक अमेरिकी सेना की ताकत बनी रही.
Lewis Gun (Pic: artstation)
यह थे वह हथियार जिन्होंने पहले विश्व युद्ध के दौरान अपना जौहर दिखाया.
इनके कारण कितने ही देशों ने जंग जीती. इसके बाद जाकर ही इन बंदूकों का नाम इतिहास में दर्ज हुआ.
आज के समय में तो यह बहुत ही पुरानी हो चुकी हैं मगर एक वक़्त था जब इनका डंका पूरी दुनिया में बजता था.
अगर आप भी किसी ऐसे ऐतिहासिक हथियार के बारे में जानते हैं तो कृपया हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Famous Weapons Of World War 1, Hindi Article
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