दुनिया में अजूबों और रहस्यमयी खूबसूरती की भरमार है… बस उसे ढूंढने की जरूरत है. यहां हर कोने में कुछ न कुछ ऐसा है जो अपने आप में दिलचस्प और मज़ेदार है.
इन्हीं गहराईयों में छिपे कुछ शहर ऐसे भी हैं जो इतिहास में कहीं खो गए थे और उन्हें फिर से खोजा गया.
ऐसा ही एक शहर है सउदी अरब में बसा मदैन सालेह!
श्रापित समझे जाने वाले इस शहर का एक लंबा इतिहास रहा है. इसलिए दिलचस्प हो जाता है कि हम इसकी पड़ताल करें. आखिर ऐसा क्या है जो इसे ऐतिहासिक बनाता है, आइए जानते हैं इस गुमनाम शहर की कहानी–
नेबेतियन समुदाय ने बसाया शहर
इस्लाम के उदय से पहले आज के अरब देशों में दूसरे धर्मों के मानने वाले रहा करते थे. इन्हीं में से एक समुदाय था नेबेतियन.
मध्य पूर्व में सऊदी अरब से लेकर फिलिस्तीन में गाजा पट्टी तक नेबेतियन समुदाय का राज था. ये लोग रेतीले और बंजर इलाके में पानी के संरक्षण के लिए जाने जाते थे. इसके अलावा मशहूर ‘स्पाइस रूट’ पर भी इनका कब्जा था.
उस समय भारत और पूर्वी एशिया से यूरोप जाने वाले मसाले इनके सीमा क्षेत्र से होकर जाते थे, जिस पर ये लोग टैक्स वसूलते थे. नेबेतियन सल्तनत से गुजरते ऊंटों के कारवां से इन लोगों को अच्छी आय हो जाती थी.
इसलिए इस सभ्यता को यहां बसने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई.
अरब देशों में आज भी नेबेतियन सल्तनत के निशान मिलते हैं.
उस दौर के शहर, इमारतें और कब्रिस्तान को रेगिस्तान ने अपने दामन में संभालकर रखा हुआ है. जिसमें से सबसे मशहूर है जॉर्डन का पेत्रा शहर.
वहीं सउदी अरब में नेबेतियन सल्तनत के दूसरे बड़े शहर मदैन सालेह के खंडहर छिपे हुए हैं.
ये ऐतिहासिक शहर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है.
Tombs Of Madain Saleh (Pic: wikipedia)
‘श्रापित’ माना जाता है शहर
प्रचलित कहानी के अनुसार, एक समय पर थामुद जनजाति के लोग मदैन सालेह में रहा करते थे, जो मूर्ति पूजा पर यक़ीन करते थे.
इनकी पूजा पद्धति को चुनौती देने एक दिन वहां अल्लाह की इबादत करने वाला सालेह नाम का एक व्यक्ति आया. उसने लोगों से कहा, ईश्वर एक है!
आपको एक ईश्वर की पूजा ही करनी चाहिए. हालांकि लोग सालेह की बात से चकित हुए.
अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उसने पहाड़ों के पीछे से एक गर्भवती ऊंटनी को बुलाने के लिए कहा. सालेह ने लोगों को उस ऊंटनी की देखभाल करने को सलाह दी लेकिन लोगों ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया.
और अचानक एक दिन ऊंटनी मर गई, इसलिए सालेह ने बात न मानने पर लाेगों को परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली.
कहा जाता है कि चेतावनी के तीन दिन बाद ही इस शहर पर भयंकर भूकंप और बिजली का कहर टूट पड़ा, जिससे कई लोगों की मौत हो गई.
तभी से मदैन सालेह को श्रापित माना जाता है और शायद यही कारण है कि विश्व धरोहर होने के बावजूद भी यह उपेक्षित शहर है.
यहां सउदी अरब के लोग भी जाना पसंद नहीं करते.
जाहिर तौर पर कुछ इस पर विश्वास कर सकते हैं तो कईयों द्वारा इसे अंधविश्वास ही कहा जाएगा.
Madain Saleh is believed to be a Cursed City by Many Muslims (Pic: ozardiplo)
नेबेतियन सभ्यता की झलक
रोमन साम्राज्य ने 106 ई. के बाद नेबेतियन सल्तनत को जीतकर अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया, जिससे लाल सागर होते हुए मसाले के कारोबार का रास्ता खुल गया और मदैन सालेह जैसे रेगिस्तानी शहर वीरान और खंडहर हो गए.
यहां जाने पर आपको नेबेतियन सल्तनत में बने एक कतार से खड़े सैकड़ों मकबरे मिलेंगे जिन पर तरह-तरह की नक्काशी की गई है.
हालांकि नेबेतियन सल्तनत का पूरी तरह से कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन मकबरों की दीवारों पर अरामाइक भाषा में लिखी कहानियां इसके बारे में प्राचीन जानकारी देती हैं.
मकबरों पर बने ये शिलालेख उसमें दफन लोगों के नाम, व्यवसायों, वहां प्रचलित कानूनों और पूजे जाने वाले देवताओं की जानकारी देते हैं.
यहां बचे खंडहरों पर लिखी ज्यादातर इबारतें अरामाइक भाषा में हैं. ये यहूदी जबान, इस्लाम धर्म के उदय से पहले मध्य-पूर्व में बड़े पैमाने पर बोली जाती थी.
उस दौर में कारोबार और व्यापार के लिए अरामाइक भाषा को जानना बेहद जरूरी था. इसके अलावा नेबेतियन लोगों को अरबी की शुरुआती बोली भी आती थी, लेकिन उसका जिक्र यहां ज्यादातर जगहों पर नहीं मिलता.
Tomb Inscriptions in Madain Saleh provide insight into lives of the Nabatean civilisation (Pic: jeddah-blog)
आज का मदैन सालेह
मदैन सालेह के सभी मकबरों में कस्र अल फरीद का मकबरा सबसे मशहूर और सबसे विशाल है.
अरब के सूखे तापमान की वजह से कस्र अल फरीद सदियों से जस का तस है. उसमें कोई बदलाव नहींं हुआ. यहां से खड़े होकर आप दूर रेगिस्तान में भी आराम से देख सकते हैं. ये सुनहरे पत्थर की इमारत यूं लगती है मानो कोई टीला रेगिस्तान के बीच में से निकला हुआ हो.
जहां पेत्रा शहर के खंडहरों को देखने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी आते हैं, वहीं मदैन सालेह में सन्नाटा छाया रहता है. इसकी बड़ी वजह सउदी अरब के इस्लामिक नियम-कायदे भी हैं. वहीं, मदैन सालेह जाने की लिए परमिट की ज़रूरत होती है, जिसके कारण भी यहां पर्यटकों की संख्या बहुत कम रहती है.
Castle In Madain Saleh ‘Qasr Al Farid’ (Pic: ancient-origins)
मदैन सालेह के पास ही जबाल इथलिब स्थित है. माना जाता है कि यहां नेबेतियन देवता दुशारा को पूजा जाता था. दुशारा, पहाड़ों का देवता था.
जबाल इथलिब शहर के पास स्थित मंदिर की दीवारों पर दूसरे देवी-देवताओं की तस्वीरें भी उकेरी गई हैं, जो अद्भुत और विश्मयकारी हैं.
इस इलाके में पुरानी नहरों के निशान भी मिलते हैं, जिनके जरिए नेबेतियन लोग पानी को जमा करते थे. कारोबारी इन रास्तों से लोबान और दूसरे मसालों की खेप, भूमध्य सागर स्थित बंदरगाहों तक पहुंचाते थे.
लेकिन रोमन साम्राज्य द्वारा नए रास्तों को पकड़ने के कारण इन रास्तों पर और इस इलाके की अहमियत खत्म हो गई.
अब ज्यादातर लोग समंदर के रास्ते ही आते – जाते थे.
इन सबके बावजूद यहां रेगिस्तान के बीचों-बीच शान से खड़े ये खंडहर अपने सुनहरे इतिहास की गवाही देते हैं.
बहरहाल, क्या आप ऐसे ही कोई अन्य गुप्त व रहस्यमयी शहर को जानते हैं?
अगर हां… तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें.
Web Title: History Of Lonely City Madain Saleh, Hindi Article
Featured Image Credit: unwto