1947 में पाकिस्तान नामक एक नए राष्ट्र का निर्माण कर दिया गया.
जिन्ना बहुत खुश हुए, उन्होंने मुस्लिमों के नाम पर अंग्रेजों के साथ मिलकर जो राजनीति का नंगा नाच किया, उसने आखिरकार हिन्दोस्तान को चीर दिया था.
इतिहास के एक बड़े कत्लेआम के बाद जिन्ना खुशी-खुशी हाथ लहराते हुए पाकिस्तान में दाखिल हो गए. तब शायद उन्हें ये एहसास नहीं था कि खून से धरती को सना कर बना नया देश पाकिस्तान भविष्य में उनकी आत्मा को दुखाने वाला है.
आजादी के लगभग एक साल बाद ही जिन्ना इस धरती से रुखसत हो लिए और फिर जो सत्ता हथियाने का खेल पाकिस्तान में शुरू हुआ, वो आजतक बदस्तूर जारी है.
आए दिन पाकिस्तान में तख्तापलट कर दिया जाता है. ये देखकर मोहम्मद अली जिन्ना की आत्मा दुखती तो होगी. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में सैन्य शासन लागू कर दिया गया था.
आज जब पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गिरफ्त में हैं और 25 जुलाई को प्रधानमंत्री के चुनाव होने जा रहे हैं.
ऐसे में एक बार पाकिस्तान में हुए अब तक के तख्तापलट पर नजर डाल लेते हैं –
विभाजन के बाद शुरू हुआ सत्ता का संघर्ष
1947 में आजादी के तुरंत बाद से पाकिस्तान के भविष्य का निर्माण शुरू हो गया था. वो जो लोकतंत्र को कुचलने वाला होगा और उसमें सेना का दखल, राष्ट्राध्यक्ष को कभी भी बेदखल कर सकने वाला.
पाकिस्तान के लिए इससे भी बदतर और दुखद उसके संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की मौत थी, जो आजादी के लगभग एक साल बाद ही हो गई. इनकी मौत के बाद अब कोई भी ऐसा लीडर न था, जो पाकिस्तान को अंधेरे से उजियारे की ओर ले जाए. हुआ इसका उल्टा ही, कुछ दिये जल भी रहे थे, सो जो नए नेता आए, उन्होंने उन दियों को भी बुझा दिया.
अब सत्ता का संघर्ष शुरू हो चुका था.
जिन्ना के उत्तराधिकारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के काबिल बिल्कुल भी नहीं थे. उनमें वो राजनीतिक समझ की नितांत कमी थी, जिसकी जरूरत उस समय पाकिस्तान को थी.
आजादी के 9 साल बाद तक पाकिस्तान में संविधान नहीं बन पाया था. इस दौरान बिना संविधान और राजनीतिक स्थिरता के 4 प्रधानमंत्री, 4 गवर्नर जनरल और एक राष्ट्रपति ने देश पर शासन भी कर लिया.
ऐसे में पाकिस्तान की जनता एक ऐसे मसीहा का इंतजार कर रही थी, जो उन्हें राजनीतिक स्वतंत्रता और गुलामी के बाद एक और गुलामी से मुक्ति दिला सके.
1958 का सैन्य तख्तापलट
इस समय देश को एक नया सैन्य जनरल मिला अयूब खान.
राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने जनरल अयूब खान को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बना दिया. और फिर, 7 अक्टूबर, 1958 को राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को अपने अंदर समेटे जनरल अयूब खान ने राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा की सरकार का तख्तापलट कर दिया.
उस दिन पहली बार पाकिस्तान ने लोकतंत्र में सैन्य हस्तक्षेप को अपनी नंगी आंखों से देखा था.
इसके बाद, पाकिस्तान में 1969, 1977 और 1999 को भी तख्तापलट किया गया.
अयूब खान ने पाकिस्तान की सत्ता हथियाकर मॉर्शल लॉ (सैन्य शासन) लागू कर दिया.
इससे पहले मेजर जनरल राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने प्रधानमंत्री फिरोज खान नून को गद्दी से उतारा था. फिर मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर जनरल अयूब खान ने 13 दिन बाद खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया.
इस तरह से अयूब खान ने पूरे 9 साल पाकिस्तान पर राज किया. और फिर सन 1969 में जनरल याह्या खान ने तख्तापलट कर उन्हें हुकूमत से बेदखल कर दिया.
जुल्फिकार अली भुट्टो सरकार का तख्तापलट
सन 1973 में जब जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, उन्होंने जियाउल हक को सेना प्रमुख बनाया.
इंग्लैंड में कानून की प्रैक्टिस के दौरान जुल्फिकार की मुलाकात इस्कंदर मिर्जा और अयूब खान से हुई थी. 1958 में जब जनरल अयूब खान ने सैन्य विद्रोह किया, तब जुल्फिकार अली भुट्टो ने भी अयूब खान का साथ दिया था. और इसका ईनाम भी उन्हें मिला.
जुल्फिकार को अयूब खान सरकार में विदेश मंत्री बना दिया गया, लेकिन कुछ विवादों के बाद उन्होंने 1966 में पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने 30 नवम्बर 1967 को अपनी अलग राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का गठन किया.
लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इतिहास अपने आपको दोहराता है. और फिर पहले आम चुनाव के केवल सात साल बाद ही 4 जुलाई 1977 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जियाउल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो शासन को खत्म कर पाकिस्तान में तीसरी बार मार्शल लॉ लागू कर दिया.
ये पाकिस्तान के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाला मार्शल लॉ था.
इस तरह, जनरल जियाउल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को उनकी पार्टी के सदस्यों सहित गिरफ्तार कर नेशनल एसेंबली भंग कर दी और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया.
इसके लगभग एक साल बाद ही भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया.
1988 में जियाउल हक की एक विमान हादसे में मौत हो गई, लेकिन पाकिस्तान में सैन्य शासन बदस्तूर जारी रहा.
इसके बाद फिर से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी दोबारा से सत्ता में आई और जुल्फिकार अली भुट्टो की लड़की बेनजीर भुट्टो को पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री घोषित कर दिया गया.
परवेज मुशर्रफ ने शरीफ को किया सत्ता से बेदखल
पाकिस्तान में सन 1988 से 1999 तक चार सरकारें आईं और चली गईं.
1997 के आम चुनावों में नवाज शरीफ की जीत हुई और वो प्रधानमंत्री बने. नवाज शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बना दिया था.
एक रोज जब जनरल परवेज मुशर्रफ श्रीलंका में थे, नवाज शरीफ ने उन्हें शक के आधार पर सेनाध्यक्ष के पद से हटा दिया और जनरल अजीज को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बना दिया गया.
नवाज शायद ये नहीं जानते थे कि जनरल अजीज परवेज मुशर्रफ के ही आदमी हैं और फिर वही हुआ जिसका डर नवाज को था.
जनरल परवेज मुशर्रफ ने श्रीलंका से लौटते ही नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट कर दिया. मुशर्रफ ने नवाज शरीफ और उनके मंत्रियों को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया और सत्ता हथिया ली. फिर मुशर्रफ ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया.
इसके बाद सन 2000 में सैन्य शासक परवेज मुशर्ऱफ ने नवाज शरीफ को देश से बाहर भी करवा दिया.
वहीं, पाकिस्तान की अदालत ने नवाज को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया था. बहरहाल, परवेज मुशर्रफ ने तो उनकी मौत की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन सऊदी अरब और अमेरिका ने दखल दे कर उन्हें देश से बाहर निकलवा लिया.
अब जब पाकिस्तान में 11वें आम चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि पाकिस्तान में फिर से सैन्य शासन लागू होगा या कोई चुनी हुई सरकार वहां पर काम करेगी.
Web Title: History of Military Coup In Pakistan, Hindi Article
Feature Image Credit: bbcexclusive