अरबी भाषा का यह शब्द सेवा और संघर्ष को दर्शाता है, पर विडंबना यह है कि आज ‘जिहाद’ का नाम सुनते ही मन में एक खौफ सा पैदा हो जाता है!
वह प्रत्येक व्यक्ति, जो जिहाद करता है उसे मुजाहिद (अनेकों को मुजाहिदीन) कहते हैं…और जब इससे भारत का नाम जुड़ा तो बना ‘इंडियन मुजाहिदीन’.
इंडियन मुजाहिदीन भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के मकसद से तैयार किया गया एक मुस्लिम आतंकी संगठन है.
7 मार्च 2006 को संकटमोचन मंदिर, वाराणसी में जब बम धमाका हुआ तो इस नापाक काम की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ही ली थी. (ऐसे अनेक उदाहरण आपको मिल जाएंगे) हैरान करने वाली बात यह है कि यह आतंकी संगठन अक्सर दूध की केन, टिफिन और प्रेशर कुकर में बमों को छिपाकर मासूम लोगों की हत्या के लिए कुख्यात है.
तो आइए इंसानियत के नाम पर बने इस आदमखोर आतंकी संगठन के कुछ पहलुओं को टटोलने की कोशिश करते हैं-
नौजवानों को बनाया आतंकी!
इंडियन मुजाहिदीन या आईएम की शुरूआत कर्नाटक के भटकल कस्बे से अब्दुल सुभान कुरैशी इलिआस तौकीर ने साल 2000 में की. शुरूआती दिनों में इसका नाम ‘उसाबा’ हुआ करता था, जोकि एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब जनसमूह होता है.
शुरुआत में इस समूह में कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के लोग शामिल थे, जिनका मुख्य लक्ष्य इस्लाम के लड़ाके बनकर गैर इस्लामी धर्मों और भारत के खिलाफ ‘पवित्र जंग’ (जिसे ये आतंकी संगठन जिहाद कहते हैं) शुरू करना था.
वहीं सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) इसके लिए आतंकियों की भर्ती करता और उसने पाकिस्तान की मदद से इसके लिए फंडिंग भी शुरू कर दी.
उस दौरान यह आतंकी समूह खुद को इस्लामिक शैक्षणिक संस्थान के रूप में पेश करता था, जहां छात्रों को इस्लाम की शिक्षा के नाम पर जिहाद के बारे में भ्रामक जानकारियां दी जाती थीं.
Indian Mujahideen Terrorist Abdul Subhan Qureshi. (Pic: newindianexpress)
पूरे भारत में फैलाई आंतकी विचारधारा
उसाबा सिमी के जरिए दक्षिण भारत से निकलकर उत्तर प्रदेश पहुंचा तो यहां आजमगढ़ के एक इंजीनियर मोहम्मद सादिक शेख ने आरिफ बदरुद्दीन शेख और डॉक्टर शाहनवाज़ को इसमें शामिल किया और उन्हें आतंक की ट्रेनिंग लेने के लिए दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया.
दो साल के भीतर ही इस संगठन ने पूरे दक्षिण भारत समेत महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के साथ जम्मू-कश्मीर में अपने आतंकी सेंटर शुरू कर दिए.
इसी दौरान संगठन में रियाज़ भटकल और उसके भाई इकबाल भटकल की एंट्री हुई.
अब आईएम को पाकिस्तान और बांग्लादेश से फंडिंग दी जाती रही थी. इससे सीधे-सादे नौजवानों को जिहाद के बारे में भ्रमक जानकारी देकर भड़काया गया और उन्हें पैसों का लालच देकर आतंकी ट्रेनिंग के लिए भेजा जाना शुरू हुआ.
साल 2002 में सादिक शेख को पाकिस्तान भेजा गया. उसने वहां से आकर भारत में युवाओं को भर्ती किया और उन्हें जिहाद के नाम पर आतंकवाद की ट्रेनिंग दी.
Terrorist Riyaz Bhatkal And Yasin Bhatkal. (Pic: sundayguardianlive/timesofindia)
खाली बर्तन और एलईडी बने सिग्नेचर मार्क
दूध की खाली केन, प्रेशर कुकर, ब्रीफकेस और टिफिन इस संगठन के सिग्नेचर मार्क बन गए.
साल 2002 से 2005 के बीच आईएम सबसे ज्यादा एक्टिव रहा और उसने इस बीच इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के इस्तेमाल से कई जगह हमले किए.
रांची और पटना में धमाकों के लिए जिलेटिन की छड़ों का भी इन्होंने इस्तेमाल किया.
आईएम का पहला निशाना बना कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर. वहां सन 2002 में आतंकी हमला किया गया. इस हमले के मास्टरमाइंड आमिर रजा खान और आफताब अंसारी थे. उसने अपने भाई आसिफ रज़ा खान की मौत का बदला लेने के लिए ये हमला किया था. उसके भाई को हमले से एक साल पहले गुजरात पुलिस ने मौत के घात उतार दिया था. इसी बात का बदला वह लेना चाहता था.
इस हमले के बाद भारत में आतंक फैलाने वाली शक्तियों के लिए आईएम माई बाप बन गया और इसके लिए युवाओं की भर्ती जोर पकड़ने लगी. इसके साथ ही इस संगठन ने अपने आगे के प्लान पर काम शुरू कर दिया. अब आईएम की जिम्मेदारी पूरी तरह से आमिर रज़ा खान, इकबाल भटकल और रियाज़ भटकल को मिल गई.
जांच एजेंसियों के मुताबिक आतंकी आंध्र प्रदेश और राजस्थान एक्सप्लोसिव लिमिटेड से डेटोनेटर और कैमिकल्स खरीदते थे. इसके बाद दूध की खाली केन, सूटकेस, प्रेशर कुकर और टिफिन बॉक्स में इन बमों को बनाया जाता था. ये बम देखने में बेहद सामान्य लगते थे, लेकिन भीड़ भरी जगहों के लिए यह बेहद घातक साबित होते थे.
आईईडी के जरिये एक से ज्यादा धमाके करना आसान था, जिससे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता था. आईएम के ही संदिग्ध शाहनवाज़ और आरिफ ने 23 फरवरी 2005 को वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर प्रेशर कुकर बम के जरिए दो धमाके किए. वहीं आरिफ ने जुलाई 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में सूटकेस बम रखा, जिससे जौनपुर के पास हुए धमाके में 13 लोग मारे गए थे.
इन जरूरत की चीजों में बमों को छिपाकर हमला करने से आईएम देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया. इससे पहले किसी भी आतंकी संगठन ने इस प्रकार के बम से आतंकी घटनाओं को अंजाम नहीं दिया था.
Inspection of a Suspicious Bag for Explosives. (Pic: fraunhofer)
…और गुजरात दंगों ने दी हवा
साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों ने आईएम को हवा दे दी. गुजरात दंगों से प्रभावित हुए बहुत से मुस्लिम युवाओं ने आईएम ज्वाइन कर लिया.
नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी द्वारा साल 2014 में दायर की गई एक चार्जशीट के मुताबिक पहली बार नवंबर 2007 में लखनऊ कोर्ट में हुए बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन नाम के आतंकी सगठन ने ली.
एक ई-मेल सभी मीडिया हाउस को भेजा गया था जिसमें लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद में हुए धमाकों की ज़िम्मेदारी ली गई थी. इन सभी ई-मेल में बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगों और मुस्लिमों पर हो रहे आत्याचारों का लगातार ज़िक्र होता था.
2008 में हुए जयपुर और अहमदाबाद ब्लास्ट के बाद आए मेल में आईएम को पहला भारतीय आतंकी संगठन कहा गया.
‘गुजरात का बदला और जिहाद का छिड़ना’ इसे अपना मोटो या ध्येय बताया गया. 2005 दिल्ली ब्लास्ट, 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, 2007 वाराणसी और हैदराबाद ब्लास्ट के वक्त भी यही मोटो चलाया गया.
IM claims credit for bomb blast in Varanasi. (Pic: barenakedislam)
हाथ लगी पहली कामयाबी
19 सितंबर 2008 को बाटला हाउस में कथित आईएम संदिग्ध आतिफ अमीन और मोहम्मद सज्जाद को एनकाउंटर में मार गिराया गया.
जांच एंजेंसियों ने दावा किया कि ये दोनों ही 2005 से लगातार शहरों में हुए धमाकों में शामिल रहे.
इसके बाद मोहम्मद अहमद सिद्दिबापा की गिरफ्तारी हुई, जिसने बताया कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद से ही रियाज़ और इकबाल भटकल पाकिस्तान चले गए हैं और भारत में यासीन भटकल आईएम को संचालित कर रहा है.
यासीन ही जर्मन बेकरी ब्लास्ट, दिल्ली जामा मस्जिद शूटिंग, 2010 वाराणसी ब्लास्ट, 2011 मुंबई ब्लास्ट और 2013 हैदराबाद ब्लास्ट का मास्टरमाइंड माना जाता है. यासीन को असदुल्लाह अख्तर के साथ 2013 को नेपाल से गिरफ्तार किया गया था.
Pune German Bakery Bomb Blast. (Pic: ibtimes)
आईएसआई का साथ है इनके पास!
एनआईए की चार्जशीट के अनुसार पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई आईएम को सपोर्ट कर रही है. वहीं अब खुलकर आंतकियों को ट्रेनिंग देने की बजाए ‘स्लीपर सेल’ तैयार किए जा रहे हैं.
पाकिस्तान में रहने वाले मौलाना अब्दुल खालिद सुलतान अरमार और उसका छोटा भाई शफी अरमार फिलहाल आईएम के चीफ माने जाते हैं. इन दोनों ने ही अफगानिस्तान में अंसार-उल-तावाहिद नाम के आतंकी संगठन की शुरुआत की थी. ये दोनों इस्लामिक स्टेट के करीबी हैं और उसकी भर्तियों से जुड़ा काम भी देखते हैं.
आईएसआई के साथ ने इस संगठन को और भी खतरनाक बना दिया है.
पाकिस्तान दे रहा आतंकियों को पनाह!
इंटरपोल के अनुसार अधिकांश आंतकी पाकिस्तान में रह रहे हैं, लेकिन भारत में उनके स्लीपर सेल अब भी मौजूद हैं. हालांकि, भारत में आंतकियों को ट्रेनिंग देने की सारी यूनिट अब बंद हो चुकी हैं.
इंटेलीजेंस ब्यूरो के अनुसार रियाज भारत से निकलकर पाकिस्तान पहुंचा और वहां अल कायदा और तालिबान की मदद ली.
अल कायदा ने रियाज़ को म्यांमार में नेटवर्क बनाने की और यासीन को रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी संगठन में शामिल करने की जिम्मेदारी दी.
इंडियन मुजाहिदीन का सह-संस्थापक रियाज़ भटकल पाकिस्तान और सऊदी अरब में छुपकर रह रहा है. वहीं आमिर रज़ा खान पिछले 10 सालों से फरार है और पाकिस्तान में आईएसआई की सुरक्षा में रह रहा है.
मोहसिन भी बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान भाग गया और वहीं से अब आईएम को संचालित करता है.
Hafeez Saeed with ISI Security. (Pic: independent)
आतंकवाद और इसी का परिवर्तित स्वरूप ‘जिहाद’ किसी भी सूरत में अमन और चैन की गारंटी नहीं देता.
इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली आतंकी वारदातों को दिखाने की कड़ी में पेश किया गया ये लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं.
Web Title: Indian Mujahideen: Most Lethal Urban Terrorist Group, Hindi Article
Featured Image Credit: Living India News