इवान चतुर्थ वैसिल्यूविच को 'द टैरिबल' या भयानक इवान के रूप में भी जाना जाता है. ये 1533 से 1547 तक मॉस्को का ग्रैंड प्रिंस रहा. इसके बाद अपनी मौत तक संपूर्ण रशियन साम्राज्य का पहला जार भी बना. रूस के सम्राट को 'जार' कहा जाता था.
इवान चतुर्थ के शासनकाल में रशियन साम्राज्य का विस्तार हुआ. उसने काज़ान, आस्त्राख़ान, और मध्य साइबेरिया में स्थित सिबिर को भी जीत कर रूस में मिला लिया.
इस तरह से रूस एक बड़ा साम्राज्य बन चुका था, जिसे ग्रेट रशियनल एंपायर कहा गया.
ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इवान बुद्धिमान, कुटिल राजनीतिज्ञ, कला और व्यापार को बढ़ावा देने वाला शासक था. बावजूद इसके वो बहुत ही गुस्सैल किस्म का व्यक्ति था.
इसी गुस्से के आवेश में आकर उसने अपने बेटे तक की हत्या कर दी और फिर कुछ साल बाद खुद भी मर गया.
नहीं मिला परिवार का प्यार
इवान अपने पिता वासिली तृतीय और उसकी दूसरी पत्नी एलीना ग्लींसकाया की पहली औलाद थी. इवान का जन्म 25 अगस्त 1530 को मॉस्को के ग्रैंड डची कोलोमेंसकोए में हुआ था.
जब इवान केवल 3 साल का था, तभी उसके पिता की मौत हो गई. माना जाता है कि उसके पिता को जहर दिया गया था. बहरहाल, इवान को पिता के अनुरोध पर मास्को का 'ग्रैंड प्रिंस' घोषित कर दिया गया.
चूंकि इवान छोटा था, राज्य के महत्वपूर्ण विषयों पर वह कोई फैसला नहीं ले सकता था, ऐसे में उसकी मां अपने बेटे की ओर से राज्य के फैसले लेने लगीं.
फिर एक दिन जब इवान केवल 8 साल का था, उनकी मां को भी किसी ने जहर दे दिया, जिस कारण उनकी मौत हो गई.
इवान शाही परिवार में पैदा हुआ एक ऐसा राजकुमार था, जिसे कभी अपने परिवार का प्यार नहीं मिला. जब उनके परिवार के ज्यादातर लोगों को जहर देकर मार दिया गया, तब बचे हुए लोग एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त थे.
13 साल की उम्र में इवान को मारने की भी कई कोशिशें हुईं, हालांकि वह बच निकला.
ऐसे में उसने अपने विरोधियों को मरवा दिया. अक्सर उसके साथ ऐसी घटनाएं होती थी, उसे मारने के लिए नई-नई साजिशें रची जा रही थीं. इवान का पूरा बचपन ऐसी ही साजिशों से बचते-बचाते निकल गया.
ऐसे में अकेला इवान दिन पर दिन क्रूर और खतरनाक बनता जा रहा था. उसके खिलाफ साजिशों और परिवार से दूरी ने इवान को कठोर और बेहद गुस्सैल बना दिया था.
अब वह अपना ज्यादातर समय बेकार और छोटे जानवरों को यातना देने में बिताता. इस दौरान वह बीयर पीता, ट्रंबोन खेलता.
वहीं, बलात्कार और लोगों की हत्या करना कब उसके शौक में शुमार हो गया, उसे पता ही नहीं चला. क्रेमलिन की ऊपरी खिड़कियों से पालतू जानवरों को बाहर फेंकना उसके लिए एक खेल था.
16 साल की उम्र में बना जार
16 जनवरी 1547 को 16 साल की उम्र में इवान को मोनोमाख कैप के साथ डॉर्मिशन के कैथेड्रल चर्च में ताज पहनाया गया. इसी के साथ इवान संपूर्ण रूस साम्राज्य का पहला 'जार' बन गया.
इससे पहले, मस्कोवी शासकों को ग्रैंड प्रिंसेस के रूप में ताज पहनाया जाता था. हालांकि इससे पहले इनके दादा इवान तृतीय अपने पत्राचार में खुद को 'जार' लिखते थे. बहरहाल, आधिकारिक रूप से इवान चतुर्थ ही रूस के पहले जार थे.
जार बनने के दो सप्ताह बाद इनकी शादी अनास्तासिया रोमनोवना से कर दी गई, जो कि रोमनोव शाही परिवार की एक सदस्य थी.
जब इवान को 'जार' का ताज पहनाया गया, तब रूस समेत पूरी दुनिया को एक संदेश दिया गया. जो कहता था कि रूस अब एक छोटा राज्य नहीं, बल्कि एक बड़ा साम्राज्य बन चुका है, जिसका शासक जार यानी इवान चतुर्थ है. वही अब देश का एकमात्र सर्वोच्च शासक है, जिसकी उसकी इच्छाओं पर कोई सवाल नहीं उठाया जाएगा.
क्वीन एलिजाबेथ को दिया था शादी का प्रस्ताव
जार का नया खिताब रूस के सम्राट की शक्तियों की धारणा का प्रतीक था. जैसा कि ईसाईयों के चर्च ग्रंथों ने ओल्ड टैस्टमैंट राजाओं को 'जार' और क्राइस्ट को 'स्वर्गीय जार' के रूप में वर्णित किया है, ऐसे में इवान ने खुद को रूस का दिव्य नेता मान लिया.
जार की पदवी ने रूस और उसके शासक को यूरोपीय राजाओं की नजर में महत्वपूर्ण बना दिया था.
इवान जार के साम्राज्य को क्वीन एलिजाबेथ प्रथम, हाउस ऑफ हब्सबर्ग के रोमन सम्राट मैक्सिमिलियन द्वितीय II और अन्य शासकों द्वारा मान्यता मिली थी.
माना जाता है कि जार और इंग्लैंड के साम्राज्य के बीच उस दौरान व्यापार की शुरूआत हो चुकी थी. दोनों में पत्राचार होता था.
वहीं, कहा तो यहां तक जाता है कि आशिक मिजाज इवान ने क्वीन एलिजाबेथ का हाथ तक मांगा था, लेकिन उन्होंने जार की इस दिल्लगी को ठुकरा दिया.
4500 लोगों की क्रूर हत्या
अपने युवा कार्यकाल में इवान चतुर्थ ने प्रगतिशील तरीके से शासन की शुरूआत की. सन 1549 से 1560 तक इवान ने देश का प्रशासन एक अनौपचारिक सरकार 'राडा' के साथ चलाया.
इसमें उनके विश्वास पात्र, एलीट और युवा प्रतिनिधि व पादरी हुआ करते थे. राडा ने रूस में कई महत्वपूर्ण सुधारों की एक श्रृंखला लागू की. देश की सारी शक्ति को जार के हाथों में सीमित कर दिया गया.
वहीं, जार ने बाद में असेंबली भंग कर दी और अकेले ही शासन करना शुरू कर दिया.
सन 1565 में राडा के क्रूर दमन का समय आया तो, जार ने रूसी क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर दिया. उसमें से पहला भाग था ज़ेमेचिना, जहां का शासन जार के बाद आने वाले बोयर को चलाना था.
वहीं, दूसरा था ओप्रिचिना, जिस पर जार का सीघे तौर पर अपने युवा लड़ाकों की मदद से शासन चलता था. 1572 तक जार के अंगरक्षकों ने बोयर्स समर्थकों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. उन्होंने उनके पूरे परिवार को खत्म कर दिया.
महिलाओं-बच्चों को बेहद क्रूर तरीके से उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. कई को सार्वजनिक रूप से यातना दी गई. इतिहासकारों का अनुमान है कि इन हमलों में कम से कम 4,500 लोग मारे गए थे.
मंगोलों के कब्जे में रहा रूस
एक समय था, जब वर्तमान रूस के एक बड़े हिस्से पर मंगोलों का अधिकार था. ये बात 13वीं सदी की है. चंगेज खान के पोते बाट्र खान ने रूस को अपने साम्राज्य में मिला लिया.
हालांकि ऐसा ज्यादा सालों तक नहीं रहा और रूस मंगोलों की गुलामी से मुक्त होने लगा. तभी सन 1373 ई में मंगोलों की सेना ने मॉस्को पर हमला कर दिया. वहां के शासक दिमित्रि दोंसकोई ने उनसे कड़ा मुकाबला कर उन्हें हरा दिया.
इस हार के बदले मंगोलों ने मॉस्को के आसपास कई शहरों को उजाड़ दिया.
इसके बाद संघ दो हिस्सों में बंट गया, क्रीमिया और कजान. कजान पर बाट्र खान का अधिकार था. जल्द ही कजान ने क्रीमिया को भी जीत लिया.
इसके बाद उसने कजान पर कब्जा करने के लिए नवंबर 1549 में उसकी घेराबंदी कर ली. लगभग 3 महीने तक वहां घेराबंदी रही. फिर एक दिन कजान का शासन खान पकड़ा गया और उसका सिर घड़ से अलग कर दिया गया.
इस तरह से इवान ने मंगोलों के अधीन रहे कजान समेत एक बड़े हिस्से को आजाद करा लिया. तब क्रीमिया ऑटोमन साम्राज्य का अंग बन गया था. ऐसे में वो बचा रह गया.
...और बर्बाद हो गया रूस
इवान ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए लगभग पूरे शासनकाल के दौरान लड़ाईयां लड़ीं.
एक ओर उन्होंने कज़ान और आस्ट्रखान के मंगोलों को हराया, और उन्हें रूस में मिलाया. उन्होंने वोल्गा और यूरल्स को जीतकर साइबेरिया की विशाल भूमि तक अपने साम्राज्य को फैला लिया.
दूसरी तरफ, सन 1558 से 1583 तक रूस को स्वीडन और पोलिश-लिथुआनियन राष्ट्रमंडल के खिलाफ लिवोनीयन युद्ध में हार का सामना करना पड़ा.
वहीं, दशकों तक क्रीमिया के ततार मध्य रूस पर हमला करते रहे. सन 1571 में उन्होंने मॉस्को पर सबसे बड़ा हमला कर वहां सब-कुछ तहस-नहस कर दिया और आग लगा दी.
इस हमले में केवल क्रेमलिन ही शेष बचा और बाकी उजड़ गया.
हालांकि इवान ने अपने संपूर्ण सेना के साथ ततारों का मुकाबला किया और उन्हें हरा दिया. जार को इस जीत की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. इसके बाद रूस आर्थिक रूप से बर्बाद हो गया.
मार दिया अपना ही बेटा
माना जाता है कि इवान की कम से कम 6 पत्नियां थीं. वहीं, उनके 8 बच्चे थे, जिनमें से अधिकतर बचपन में ही मर गए. वहीं, उसके एक लड़के की छोटी उम्र में ही हत्या कर दी गई थी.
सन 1581 में इवान ने अशालीन पोशाक पहनने पर अपनी पुत्रवधू की इतनी पिटाई की कि उसके पेट में पल रहा उसका बच्चा मर गया.
इस बात से नाराज होकर इवान का बेटा उससे लड़ने गया और पिता के साथ इस झगड़े में उसकी मौत हो गई.
इवान ने अपने बेटे पर 14 किलो वजनी लोहे की ईंट से वार कर उसकी हत्या कर दी थी.
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि जार ने अचानक अपने बेटे जारविच को एक झगड़े के बाद मार डाला. वहीं, कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि यह एक मिथक है. उनका मानना है कि वह एक बीमारी के कारण मरा था.
इसके लगभग 3 साल बाद ही 18 मार्च 1584 को जार इवान की भी मौत हो गई. उसके भोजन में उसी के सहायकों में से एक ने जहर मिला दिया था. माना जाता है कि जार ने उसकी बहन के साथ बलात्कार किया था.
WebTitle: Grand Prince of Moscow Ivan The Terrible: The First Russian Tsar, Hindi Article
In 1547 Ivan IV Vasilyevich was crowned Tsar of All Russia. Before him, all rulers of Muscovy were Grand Princes.
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