समय-समय पर दुनिया में कई विद्वान आते रहते हैं. इनमें से कुछ गुमनाम हो जाते हैं, तो कुछ का नाम हर कोई जान जाता है.
ऐसे ही एक प्रसिद्ध विद्वान हैं किम उंग योंग. किम का नाम यूँ ही प्रसिद्ध नहीं है. किम ने महज 3 साल की उम्र में कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर दी थी.
इतना ही नहीं उन्होंने 15 साल की उम्र तक पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर ली थी. यही कारण है कि किम को दुनिया के सबसे ज्यादा बुद्धिमान लोगों में गिना गया.
हालांकि, अपने इस ज्ञान के कारण किम को काफी कुछ खोना भी पड़ा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसी जिंदगी थी दुनिया के सबसे होशियार व्यक्ति की–
किम के दिमाग ने माता-पिता को किया हैरान!
किम उंग योंग का जन्म साउथ कोरिया के एक आम परिवार में हुआ था. किम भी बाकी बच्चों की तरह ही छोटे और मासूम थे.
हालांकि, कोई नहीं जानता था कि थोड़े ही वक्त में किम कुछ ऐसा करने वाले हैं कि वह हर आम बच्चे से अलग हो जाएंगे.
किम की माता और पिता दोनों ही प्रोफेसर थे. पिता फिजिक्स के प्रोफेसर थे, तो वहीं माता मेडिकल की. इसलिए घर में हमेशा से पढ़ाई और किताबों का माहौल रहा.
इसी माहौल के बीच किम बड़े हो रहे थे. माना जाता है कि शुरूआती समय से ही किम का ध्यान किताबों की तरफ रहता था.
वह कोई भी किताब उठा लेते और उसे देखने लगते. शुरुआत में तो उनके माता-पिता को ये बचपन की नादानी लगी मगर फिर किम ने उन्हें हैरान कर दिया.
कहते हैं कि किम करीब एक साल के रहे होंगे जब उन्होंने कोरियाई अल्फाबेट और 1000 चीनी करैक्टर सीख लिए. कहा जाए, तो किम ने एक साल उम्र में ही कोरियन और चीनी भाषा को काफी अच्छे से समझ लिया था.
इस चीज को देखकर उनके माता-पिता पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गए. उन्हें समझ ही नहीं आया कि आखिर कैसे एक साल के छोटे बच्चे ने ये काम कर दिखाया.
सबसे हैरानी की बात तो ये थी कि किम ने बिना किसी की मदद के ये सब सीखा था. उन्होंने ये सब सीखने के लिए 6वीं सदी की एक चीनी कविता का सहारा लिया.
इसके बाद उनके माता-पिता समझ गए कि उनका बेटा कोई आम बच्चा नहीं है. इसलिए उन्होंने किम के ज्ञान को और बढ़ाने के लिए उनकी मदद करना शुरू कर दिया.
इतना ही नहीं इस मदद के बाद किम वाकई में और भी ज्यादा बुद्धिमान बनने लगे.
8 साल की उम्र में बने 'नासा' का हिस्सा...
थोड़ी सी मदद से ही किम बड़ी जल्दी आगे निकल गए. अपनी उम्र के मुकाबले वह कुछ ज्यादा ही समझदार थे. जहां उनके हमउम्र बच्चे बोलना भी नहीं सीख पाए थे.
वहीं दूसरी ओर किम कॉलेज की पढ़ाई करने का मन बना बैठे थे. जो भी किम के बारे में सुनता वह चौंक जाता.
किसी को विश्वास ही नहीं होता था कि किम जैसा कोई बच्चा ऐसा भी कर सकता है. जैसे ही किम 3 साल के हुए, तो उनकी समझदारी की जांच की गई.
उस जांच में पाया गया कि किम का दिमाग कॉलेज की पढ़ाई करने लायक है. इसके बाद तो तुरंत ही 3 साल की उम्र में किम की कॉलेज की पढ़ाई शुरू करवा दी गई.
धीरे-धीरे पूरा साउथ कोरिया किम को जानने लगा था. किम को असली प्रसिद्धी मिली 4 साल की उम्र में जब, उनका आईक्यू टेस्ट किया गया.
उस टेस्ट में किम ने इतने मुश्किल सवालों के जवाब दिए कि उनका आईक्यू 200 अंकों से भी ज्यादा का पाया गया. इसके बाद तो किम को सबसे अधिक आईक्यू वाला बच्चा घोषित कर दिया गया.
जैसे ही ये खबर बाहर आई पूरा साउथ कोरिया किम का फैन हो गया. वक्त बढ़ता रहा और किम का ज्ञान भी. धीरे-धीरे वह दुनिया के और हिस्सों में भी जाने गए.
ऐसे में जब वह 8 साल के हुए तो खुद नासा ने उन्हें अपने साथ काम करने का मौका दिया. नासा भी चाहता था कि किम के ज्ञान को एक सही जगह और सही राह दी जाए.
प्रस्ताव बड़ा था इसलिए किम ने भी कुछ नहीं सोचा और सीधा 8 साल की उम्र में अमेरिका निकल गए. इसके बाद वह नासा में दुनिया के सबसे बुद्धिमान वैज्ञानिकों के साथ काम करने लगे.
नासा में नौकरी करते हुए भी किम की ज्ञान की भूख ख़त्म नहीं हो रही थी. इसलिए उन्होंने साथ में पीएचडी की पढ़ाई भी शुरू कर दी.
इतना ही नहीं महज 15 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री पा भी ली. सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी किम की जिंदगी में एक मोड़ आ गया.
जब ज्ञान ही बन गया दुश्मन!
किम की जिंदगी किसी सुपरस्टार की जिंदगी से कम नहीं थी. इतनी छोटी सी उम्र में उन्होंने वो शोहरत पा ली थी, जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता था.
हालांकि, जब किम का सामना सच्चाई से हुआ, तो उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई. जब किम थोड़े बड़े हुए, तो उन्होंने किताबी दुनिया से बाहर निकलकर असली जिंदगी को समझा.
तब उन्हें एहसास हुआ कि बचपन से किताबों में डूबे रहने के कारण उन्होंने कितना कुछ खो दिया है. उनका बचपन ऐसा नहीं था, जैसा किसी और बच्चे का होता है.
उनके कोई दोस्त नहीं थे. वह कभी किसी के साथ कोई ख़ास रिलेशन रख ही नहीं पाए. इसके अलावा नासा में जो काम वह कर रहे थे उन्हें वह भी गलत लगने लगा.
किम को लगाने लगा कि अगर वह बुद्धिमान नहीं होते, तो वह भी अपनी जिंदगी आम लोगों की तरह बिता सकते थे. उन्हें अपने ज्ञान से ही चिढ़ होने लगी.
इन ख्यालों में खोए हुए किम को और कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने नासा की नौकरी त्याग दी. इसके बाद वह सीधा साउथ कोरिया अपने घर आ गए. वह नहीं चाहते थे कि वो जरा भी और बुद्धिमान बच्चे की जिंदगी जियें.
अपने ही लोगों ने उड़ाया मजाक मगर...
साउथ कोरिया आने के बाद किम एक आम जिंदगी जीना चाहते थे मगर उनकी किस्मत में ये नहीं था. यहाँ आते ही उनकी जिंदगी पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो गई.
हर किसी के मन में ये सवाल थे कि आखिर इतना बुद्धिमान लड़का नासा छोड़कर वापस क्यों आ गया. मीडिया पूरी तरह से किम के पीछे पड़ गई.
घर आने के बाद किम की जिंदगी ज्यादा कठिन हो गई और वह आम जिंदगी नहीं जी पा रहे थे. इतना ही नहीं जो लो पहले उनकी तारीफ करते थे अब वही उनकी बेइज्जती करने लगे थे.
साउथ कोरिया में किम को 'जीनियस लूजर' कहा जाने लगा. हर कोई उन्हें एक फेल हुआ व्यक्ति कहने लगा. लोगों के इन तानों ने किम को और भी ज्यादा परेशान कर दिया.
वह जहां भी जाते लोग उनसे सवाल करते और मीडिया उनके पीछे पड़ी रहती. हालांकि, किम ने आम जिंदगी जीने की कोशिश नहीं छोड़ी.
वह नौकरी चाहते थे मगर उनकी डिग्री को मान्यता नहीं दी गई. इसलिए किम को फिर से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई करनी पड़ी.
कुछ सालों के बाद किम ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक आम जिंदगी जीने के लिए निकल पड़े. अपने शुरूआती समय में उन्होंने एक क्लर्क की नौकरी की.
इसके साथ-साथ वह अपनी कई रिसर्च भे करते रहे जिन्हें बाद में उन्होंने प्रकाशित भी किया. इसके बाद किम एक लोकल कॉलेज में प्रोफेसर बन गया और आज एक आम जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं.
किम उंग जोंग की कहानी जानने के बाद पता चलता है कि कई बार अपनी सबसे अजीज चीज भी आपके लिए बुरी बन जाती है. किम को ज्ञान का वरदान तो मिला अगर वही आगे चलकर उनके लिए अभिशाप बन गया. हालांकि, अब किम एक आम जिंदगी जी रहे हैं और खुश हैं.
WebTitle: Kim Ung Jong: Inside The Life Of A Genius, Hindi Article
Feature Image: miratico