आज के इस दौर में फेसबुक के नाम से शायद ही कोई अपरिचित होगा!
मौजूदा समय में फेसबुक एक सोशल नेटवर्किंग साइट भर नहीं है. यह एक सोच बन चुकी है, जो साल दर साल अपनी लोकप्रियता के कारण प्रत्येक मोबाइल, पीसी से होते हुये लोगों के दिलों तक पहुंच रही है.
यह अब कारोबार से लेकर राजनीति की बागडोर संभालने तक का जरिया बन चुकी प्रतीत होती है!
खासकर, 21वीं सदी के युवाओं के लिए फेसबुक के बिना खुद को सोचना मुमकिन नहीं है.
किन्तु, क्या आप उस शख़्स को गहराई से जानते हैं, जिसने फेसबुक को हमारे और आपके मोबाइल और पीसी तक पहुंचाने का काम किया.
निश्चित रूप से उस जीनियस ‘मार्क जुकरबर्ग’ का नाम आपने कई बार सुना होगा, किन्तु बात नाम से आगे की करेंगे.
शायद आपको जानकर हैरानी हो कि जुकरबर्ग ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही फेसबुक जैसे मंच को तैयार कर लिया था, जोकि बाद में युवाओं के लिए संवाद का सबसे बड़ा माध्यम बन गया.
तो आईए जानें कि कैसे जुकरबर्ग एक साधारण स्टूडेंट से पहले फेसबुक के जनक और बाद में सबसे कम उम्र के बिलेनियर बन गए–
बचपन से ही था ‘कंप्यूटर’ का कीड़ा
मार्क ज़ुकरबर्ग का जन्म 14 मई 1984 को न्यूयॉर्क के व्हाइट प्लेन्स में हुआ. उनका पूरा नाम मार्क एलियट ज़ुकरबर्ग है. उनकी शुरुआती शिक्षा न्यूयॉर्क में हुई. अपने स्कूल के दिनों से ही वह काफी होशियार थे. उनकी गिनती होशियार बच्चों में होती थी.
पढ़ाई के साथ मार्क खेलकूद व कंप्यूटर में काफी दिलचस्पी रखते थे.
अमेरिका के एक मशहूर लेखक ‘जोस एंटोनियो वर्गास’ ने अपनी किताब में मार्क की बचपन की यादों का ज़िक्र करते हुये लिखा कि ‘छोटे बच्चे कंप्यूटर गेम खेलते थे और मार्क उन गेम्स को कंप्यूटर में डिज़ाइन करता था’.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अपनी गज़ब की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिये मशहूर मार्क ज़ुकरबर्ग ने स्कूल के दिनों में ही प्रोग्रामिंग करना शुरु कर दी थी. जिस उम्र में बच्चों का जीवन खेलकूद में बीतता था, उस उम्र में मार्क की उंगलियां कंप्यूटर की बोर्ड पर तेज़ी से घूमती थीं. अपने साथ के बच्चों के साथ खेलकूद न करते हुए मार्क कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर डिज़ाइनिंग और प्रोग्रामिंग में माथापच्ची किया करते थे.
Mark Zuckerberg Childhood (Pic: Hooked)
पिता ने जल्द पहचान लिया था ‘हुनर’
मार्क ज़ुकरबर्ग की सफ़लता के पीछे उनके पिता का अहम योगदान रहा.
उन्होंने जब अपने बेटे के अंदर छुपे हुनर को पहचाना तो, उसे तराशने के लिए मेहनत शुरु कर दी. आमतौर पर आज के समय में जब बच्चा कंप्यूटर पर ज़्यादा समय गुज़ारने लगता है, तो माता पिता फ्रिक़मंद हो जाते हैं और बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाते हैं.
किन्तु, मार्क ज़़ुकरबर्ग के पिता ने कंप्यूटर के प्रति उनकी दीवानगी को देखते हुये उनके लिए एक कंप्यूटर प्रोग्रामर ट्यूटर को उन्हें पढ़ाने के लिए रख लिया. वह सिर्फ 6 वर्ष के थे, तब उनके पिता ने उन्हें कंप्यूटर की बेसिक प्रोग्रामिंग सिखाना शुरु कर दिया. डेविड न्यूमैन नाम के प्रोग्रामर ने मार्क को घर में सॉफ्टवेयर के बारे में पढ़ाना शुरु कर दिया.
बस फिर क्या था, मार्क का शौक़ उसके रोज़मर्रा के काम में बदलने लगा. वह कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की हर चीज़ को बारीकी से सीख़ने लगे. जल्द ही वह इस तरह की प्रोग्रामिंग करने लगे, जिसे एक आम सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी नहीं कर पाता था. उन्होंने सबसे पहले अपने ही नाम से ज़कनेट नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया, जोकि उनके पिता के लिए मददगार बना.
इसके अलावा स्कूल के दिनों में ही उन्होंने अमेरिका की नामी म्यूज़िक कंपनी इंटेलीजेंट मीडिया ग्रुप के लिए मीडिया प्लेयर की प्रोग्रामिंग की थी. उनके इस कृति को अमेरिका की नामी पीसी मैगज़ीन ने पांच में से तीन रेटिंग दी थी.
माना जाता है कि इसके बाद लोगों ने पहली बार ज़ुकरबर्ग की क़ाबिलियत को पहचाना था.
…और कॉलेज छोड़ चले ‘नई राह’ पर
ज़ुकरबर्ग के सिर पर पूरी तरह से प्रोग्रामिंग का भूत सवार था. वह हर समय प्रोग्रामिंग में ही अपना समय बिताया करते थे. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने अमेरिका के ‘हावर्ड यूनिवर्सिटी’ में दाखिला ले लिया.
वैसे तो यह जानी मानी यूवीवर्सिटी थी, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा. वह क्लास में जाना कम पसंद करते थे. इसकी जगह वह अपना वक्त हॉस्टल के रुम ज्यादा बिताते थे, क्योंकि उन्हें वहां प्रोग्रामिंग करने में सहूलियत होती थी.
उनकी इस आदत के चलते उनके दोस्त उन्हें सनकी तक कहने लगे थे.
वह बात और थी कि मार्क पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने हॉस्टल की चारदीवारी में बैठकर प्रोग्रामिंग करना जारी रखा. इस दौरान मार्क ने सबसे पहले फेसमैश नाम का सॉफ्टवेयर बनाया. इस सॉफ्टवेयर की मदद से कॉलेज में स्टूडेंट्स एक दूसरे से चैटिंग कर सकते थे.
हालांकि, यह सॉफ्टवेयर मार्क ने मज़ाक में ही बनाया था.
Mark Zuckerberg (Pic: Thrive)
फेसबुक का अविष्कार और…
फेसमैश की प्रोग्रामिंग करने के बाद उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि कॉलेज के दबाव में आकर मार्क ज़ुकरबर्ग को इसे बंद करना पड़ा. आगे के कुछ दिन ऐसे ही बीत गये, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक प्रोग्रामिंग से दूर नहीं रह सके.
इसी क्रम में 4 फरवरी 2004 को मार्क ने ‘दि फेसबुक’ नाम से अपनी सोशल मीडिया साइट बना डाली. यह बात कॉलेज में आग की तरह फैल गई. फेसबुक के अविष्कार को अभी महज़ चौबीस घंटे ही बीते थे कि, हावर्ड कॉलेज के करीब 1200 स्टूडेंट्स ने इसमें अपने एकाउंट बना लिए. कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इसे इस्तेमाल करना शुरु कर दिया. देखते ही देखते फेसबुक की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी.
यह मार्क के लिए बढ़ी सफलता थी, किन्तु सफर आसान नहीं था. ज़ुकरबर्ग की परेशानी बढ़ने वाली थीं. फेसबुक साइट बनाए हुये कुछ ही दिन गुज़रे थे कि ज़ुकरबर्ग के तीन सीनियर साथियों ने बड़े आरोप लगाए. इन आरोपों में उन्होंने कहा कि ज़ुकरबर्ग ने उन्हे धोखे में रखकर उनसे अपनी निजी साइट के लिए कोडिंग करवाई.
मामला बढ़ा तो इसकी जांच शुरु हुई. अंतत: मार्क को कॉलेज छोड़ना पड़ा. इस तरह वह कॉलेज ड्राप ऑउट कहलाए.
इस सबके बीच उन्होंने फेसबुक साइट को सफल बनाने का प्रयास जारी रखा. आगे देखते ही देखते उन्होंने अपने अन्य बैचमेट के साथ मिलकर कंपनी खड़ी कर दी. इस तरह वह कुछ सालों में ही कामयाबी की राह पर निकल पड़े. वह कितना मशहूर हो चुके थे, इसको इसी से समझा जा सकता है कि हावर्ड यूनिवर्सिटी ने 2017 में उन्हें ख़ुद कॉलेज बुलाया. साथ ही उन्होंने डिग्री देकर अपनी भूल सुधारने की कोशिश की.
चंद सालों में ही बने ‘बिलेनियर’
अपने कुछ दोस्तों के साथ फेसबुक साइट बनाने के बाद मार्क चंद सालों में ही दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार हो गए. उनकी गिनती दुनिया के सबसे नौजवान बिलेनियर में की जाती है. एक आंकलन के अनुसार मार्क ज़ुकरबर्ग 74 बिलियन डॉलर के मालिक हैं. सनद हो कि इन आंकड़ों में हर दिन इज़ाफा होता रहता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने अकाउंट में बिलियन रुपए आने के बाद मार्क ने यह ऐलान किया था कि वह अब सालाना मात्र 1 अमेरिकी डॉलर ही सैलरी के रुप में लेंगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने इसकी वजह बताते हुये कहा था कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में भरपूर दौलत कमा ली है, इसलिए अपनी कमाई दान स्वरुप गरीबों में इसे बांटना भी चाहते हैं.
Mark Zuckerberg and His Wife (Pic: Daily Mail)
कामयाबी के इस सफर में मार्क ने 2012 में हावर्ड में ही पढ़ने वाली चाइना की प्रीसिला चेन से लंबे अफेयर के बाद शादी कर ली थी. फिलहाल वह उनके साथ अनपी शादीशुदा जिंदगी का आनंद ले रहे हैं.
मार्क ज़ुकरबर्ग की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जो बताती है कि हुनर पर भरोसा रखा जाए तो दुनिया में काफी कुछ हासिल किया जा सकता है. साथ ही मार्क दुनिया को यह बताने में सफल रहे कि क़ाबिलियत डिग्री की नहीं बल्कि हुनर की होती है. उसके दम पर दुनिया जीती जा सकती है.
Web Title: Mark Zuckerberg Success Story, Hindi Article
Featured Image Credit: CNBC