कहते हैं कि जीवन में सफल व अमीर बनने के लिए कठिन परिश्रम करना बेहद जरुरी होता है. दुनिया भर में जितने भी लोग अमीर हुए हैं वह इसी प्रकार कड़ी मेहनत और परिश्रम करने के बाद ही सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच पाए हैं!
मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने गलत तरीकों का इस्तेमाल कर अपने गैर कानूनी कामों के जरिए बेशुमार दौलत कमाई.
यह सभी लोग अपने-अपने समय में जुर्म की दुनिया पर राज कर चुके हैं. हालांकि इनके गलत कामों की बदौलत इन्होंने कोई इज्जत तो नहीं कमाई, लेकिन अपनी ताकत और लोगों के दिलों में फैलाए अपने डर के चलते इनकी पूँजी की उंचाई ने आसमान जरुर छुआ.
चलिए जानते हैं अंडरवर्ल्ड के इन 4 दिग्गज धुरंधरों के बारे में, जिनकी एक समय पर जुर्म की दुनिया पर बादशाहत थी और जो पैसों की बारिश में नहाते थे–
मेयर लांसकयी
इस सूची में सबसे पहला नाम है मेयर लांसकयी का!
लांसकयी की कहानी की शुरुआत रूस से होती है जहां साल 1902 में उनका जन्म हुआ था. हालांकि 9 साल की उम्र में ही मेयर अपने माता-पिता के साथ अमेरिका आ गया था. मेयर का अधिकतर समय मैनहट्टन के पिछड़े इलाकों में बीता, जहां उसने सिर्फ मार पीट, खून खराबा और अपराध ही देखा. यह वह इलाका था, जहां जुर्म खुलेआम हुआ करता था. उस माहौल से वहां रहने वाला कोई भी अंजान नहीं था.
लांसकयी ने भी हालातों से समझौता किया और वह पढ़ाई छोड़ कर जुए के कारोबार में शामिल हो गया. कम समय में ही वह इस कारोबार के आका अर्नाल्ड रोथस्टीन का खास आदमी बन गया. कारोबार में अपनी एक पहचान बनाने के बाद लांसकयी ने उस समय के मशहूर गैंगस्टर बेनजमीन बग्सी सिगेल के साथ साझेदारी में काम करना शुरु कर दिया. लांसकयी ने अवैध शराब के कारोबार की बदौलत जुर्म की दुनिया में अपना कद और भी बढ़ा लिया.
ऐसा कोई भी गैर-कानूनी काम नहीं था, जिस पर लांसकयी ने अपना हाथ न डाला हो. पैसों की तो मानो उस पर बारिश हुआ करती थी. वह जिस रफ़्तार से जुर्म की दुनिया में नाम कम रहा था उसी रफ़्तार से पुलिस के रिकॉर्ड में भी उसका नाम आ रहा था. इसके बावजूद भी उसने एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर ही लिया.
हालांकि लांसकयी यह सम्राज्य ज्यादा समय तक कायम नहीं रख पाया क्योंकि अमरीकी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लांसकयी की पूंजी को जब खंगालना शुरु कर किया तो इससे बचने के लिए 1970 में लांसकयी को इजराइल भागना पड़ा. उसे लगा था कि अब वह बच गया मगर पुलिस रिकॉर्ड में लांसकयी का नाम होने के कारण इजराइल सरकार ने उसे वापस अमेरिका भेज दिया. देश में वापस आते ही उसपर कई मुक़दमे चले जिसके जाल में वह फंसता ही गया.
Meyer Lansky (Pic: wikimedia)
अल कापोन
इस लिस्ट का दूसरा धुरंधर है अमेरिका का एल कापोन!
उसका जन्म 17 जनवरी 1989 में अमेरिका के न्यूयार्क के पिछड़े इलाके में हुआ था. एल कापोन का परिवार साधारण ही था, वह गरीब नहीं था, पर अमीरी भी उससे कोसों दूर थी. हर दिन कापोन का परिवार जीने के लिए संघर्ष करता था जिसके चलते शुरु से उसके मन में अमीर और बड़ा बनने की चाह पैदा हो गई थी. स्कूल में अपनी अध्यापिका को मारने के चलते कापोन ने स्कूल को अलविदा कह दिया. स्कूल छोड़ने के बाद कापोन उस समय के कुख्यात गैंगस्टर जॉनी टोरियो के संपर्क में आया जिससे प्रभावित होकर कापोन ने जॉनी का गैंग ज्वाइन कर लिया.
शायद उस समय जॉनी भी यह बात नहीं जानता होगा कि आगे चलकर यह लड़का अमेरिका का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बनेगा. धीरे-धीरे कापोन का नाम जॉनी के खास लोगों में शुमार हो गया और वह जॉनी के वैश्यावृत्ति के कारोबार को संभालने के लिए उसके साथ शिकागो चला गया. आखिरकार साल 1925 में जॉनी अपने काम से रिटायर हुआ और उसकी जगह कापोन ने ले ली. उसके बाद कापोन जॉनी के अवैध शराब, जुए और वैश्यावृत्ति के कारोबार को और भी बड़े स्तर पर ले गया, जिससे उसने बेशुमार दौलत कमाई.
कहते हैं कि उस समय कापोन की सालाना कमाई 100 मिलियन डॉलर तक पहुँच गई थी. अपने प्रभुत्व को कायम करने के लिए कापोन ने अपने सभी प्रतिद्वंदियों को अपने रास्ते से हटा दिया जिसके चलते वह जुर्म की दुनिया का बादशाह बन गया. हालाँकि, उसकी यह बादशाहत ज्यादा देर कायम नहीं रही. पुलिस द्वारा कापोन के भाई फ्रैंक के एनकाउंटर के बाद हालात बदल गए. भाई की मौत के चलते कापोन के दुश्मनों को उस पर वार करने का मौका मिल गया और उन्होंने मौका पाकर कापोन के बिजनेस पार्टनर व दोस्त जैक गुज़िक की भी हत्या कर दी.
इस हादसे के बाद गुस्साए कापोन ने जैक के कातिलों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया.
हत्या का यह मामला लोगों में चर्चा का विषय बन गया, जिसके चलते कापोन की छवि पूरी तरह से धूल में मिल गई. कापोन की जिंदगी का सबसे बड़ा बदलाव 14 फरवरी 1929 को ‘वैलेंटाइन कत्लेआम’ के बाद आया. कापोन के लोगों ने उसके दुश्मन के सात लोगों को सरेआम गोलियों से भून दिया था. इस घटना के बाद राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर ने इस सब पर लगाम लगाने के लिए कापोन को गिरफ्तार करने का फैसला कर लिया.
इसके लिए आयकर विभाग ने कापोन को टैक्स चोर घोषित कर उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे 11 साल की सजा सुनाई गई मगर मानसिक स्थिति खराब होने के चलते कापोन को 1939 में पागल खाने भेज दिया गया और आखिर में मियामी में 19 जनवरी 1947 को उसकी मौत हो गई.
Al Capone (Pic: wikipedia)
दाऊद इब्राहिम
दाऊद इब्राहिम का नाम अधिकतर लोगों के लिए नया नहीं है. मुंबई बम धमाकों के बाद से वैसे भी यह नाम हर भारतीय के ज़हन में है. अगर दाऊद इब्राहिम के जीवन की बात करें तो 1955 में जन्मा दाऊद इब्राहिम एक साधारण परिवार से था. उसके पिता मुंबई पुलिस में एक हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे.
दाऊद की स्कूली शिक्षा कुछ ज्यादा नहीं थी, क्योंकि दाऊद का झुकाव हमेशा से झटपट दौलत कमाने की ओर था. इसके चलते ही उसने अपने इलाके के लड़कों को इकठ्ठा कर गुंडागर्दी व छोटी-मोटी वसूली का काम शुरु कर दिया था. उसने डी-कंपनी के नाम से अपने इस जुर्म के बिजनेस की शुरुआत की.
दाऊद का नाम चर्चा में तब आया जब उसने उस समय के अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान की तरफ से एक गैंग वॉर में हिस्सा लिया. इसके बाद धीरे-धीरे दाऊद हाजी मस्तान का खास आदमी बन गया और मस्तान ने दाऊद को अपने कई अपराधिक कारोबारों की जिम्मेवारी सौंप दी.
कुछ समय बाद जब हाजी मस्तान ने राजनीति की ओर रुख किया तो यह दाऊद के लिए एक मौके की तरह था कि अब इस कारोबार पर वह पूरी तरह अपना हक जमा ले और हुआ भी कुछ ऐसा ही. मुंबई पर राज करने के लिए अभी भी दाऊद के रास्ते के दो कांटे बाकी थे और वो थे पठान गैंग और मन्या सुर्वे गैंग.
हालांकि ये दोनो भी दाऊद को रोक नहीं सके और वह मुंबई का राजा बन गया. हालाँकि, इसके लिए दाऊद को अपने भाई सबीर इब्राहिम कास्कर की कुर्बानी देनी पड़ी, जिसे मन्या सुर्वे और उसके गैंग ने मारा था. कुछ समय बाद दाऊद ने दुबई की ओर रुख किया जहां से उसने धीरे-धीरे अपना कारोबार बढ़ाना शुरु कर दिया. दाऊद ने ड्रग्स, स्मगलिंग, अवैध हथियारों का कारोबार, क्रिकेट बेटिंग आदि से बेशुमार दौलत कमाई.
इसके अलावा 90 के दौर में दाऊद ने नाम बदल कर कई बॉलीवुड फिल्मों में भी पैसे लगाए. उस समय दाऊद कई बार बॉलीवुड की पार्टियों में भी दिखाई पड़ता था. बॉलीवुड के कई बड़े लोगों से दाऊद की दोस्ती भी थी.
1993 के धमाकों के बाद सब बदल गया!
भारत सरकार ने दाऊद के खिलाफ आतंकवाद का मामला दर्ज कर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया. तब से दाऊद देश के बाहर से अंडरवर्ल्ड को कंट्रोल कर रहा है.
आज उसका कारोबार 3 महाद्वीपों के 25 देशों में चल रहा है. भारत समेत कई देशों में उसे मोस्ट वांटेड करार कर दिया गया है. आज भी कई देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियां दाऊद की तलाश में जुटी हैं.
कहा जाता है कि पाकिस्तान की सरकार ने अवैध तरीके से उसे अपने यहाँ छुपा रखा है. कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे उन्होंने ओसामा बिन लादेन को छिपा रखा था.
Dawood Ibrahim (Pic: thelogicalindian)
फर्डिनांड मार्कोस
11 सितंबर 1917 में फ़िलीपीन्स में पैदा हुआ फर्डिनांड मार्कोस इस सूची का चौथा खिलाड़ी है. मनीला में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मार्कोस ने फ़िलीपीन्स यूनिवर्सिटी से 1930 में अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की. जब दूसरा विश्व युद्ध शुरु हुआ तो मार्कोस ने फिलिपिनो गोरिल्ला फोर्स मूवमेंट का हिस्सा बन भरपूर सहयोग दिया. कुछ साल बाद 1946 में मार्कोस को स्वतंत्र फ़िलीपीन्स के पहले राष्ट्रपति मैनुअल रॉक्सस का टेक्निकल असिस्टेंट बनने का मौका मिला.
वह रॉक्सस की बनाई लिबरल पार्टी का कार्यकर्ता था, लेकिन चुनावों के दौरान लोगों का विश्वास न जीत पाने की सुरत में मार्कोस ने दल बदल लिया और वह विपक्ष में चला गया. वहां उसे प्रेसिडेंट कैंडीडेट के तौर पर चयनित किया गया.
इस दौरान मार्कोस ने विपक्ष की नेशनलिस्ट पार्टी की ओर से बड़ी जीत हासिल की और 1965 में राष्ट्रपति पद की शपथ ली. अपने कार्यकाल के दौरान मार्कोस ने फ़िलीपीन्स में चल रही गोरिल्ला मूवमेंट पर नकेल कसने के लिए मार्शल लॉ की शुरुआत की.
साल 1954 में मार्कोस ने पूर्व ब्यूटी क्वीन इमेल्डा रोमियो लदेज से शादी कर ली. शादी के तुरंत बाद मार्कोस ने अपनी पत्नी को मानव बस्तियों और पारिस्थितिकी मंत्री की सीट दे दी, जिसकी आड़ में इमेल्डा ने करोड़ों का गमन किया. वहीं जब 1986 में राष्ट्रपति चुनाव हुए तो जीतने के लिए मार्कोस ने अपने सामने खड़े हुए प्रतिद्वंदी की हत्या करवा दी और जाली वोटों के जरिए फिर से राष्ट्रपति का पद जीत लिया.
मगर मार्कोस द्वारा की गई इस धोखेबाजी के चलते फ़िलीपीन्स सेना व जनता उसके विरुद्ध हो गई. हालात बिगड़ते देख वह हवाई भाग गया जहां उसने और उसकी पत्नी ने अपनी बेशूमार संपत्ति बना रखी थी. मार्कोस के इस तरह भागने के बाद उसकी प्रॉपर्टी की जांच की गई जिसमें साबित हुआ कि उसने गैर कानूनी तरीके से देश की संपत्ति को अपने ऐशो आराम में इस्तेमाल किया है और बिलियन डालर का गमन किया है.
हालांकि इसके बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई. उसने अपना अधिकतर समय हवाई में बिताया और आखिरकार 28 सितंबर 1989 को हृदय व किडनी की बीमारी के चलते उसकी मौत हो गई. उसकी मौत के बाद फ़िलीपीन्स कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप में इमेल्डा को आरोपी पाया.
Ferdinand Marcos (Pic: thefamouspeople)
तो यह थे दुनिया के वह लोग जिन्होंने गलत कामों के जरिए असीमित दौलत कमाई. इन सभी ने पैसा तो बहुत कमाया मगर गलत तरीके से कमाए उस पैसे की इन सभी ने भारी कीमत भी चुकाई है. इससे यही सीखने को मिलता है कि कभी भी पैसा गलत ढंग से नहीं कमाना चाहिए, क्योंकि इससे चाहे जो मिले, इज्जत तो नहीं ही मिलती है.
और इससे भी बड़ी बात यह कि यह पैसा जैसे आता है, वैसे चला भी जाता है.
आप क्या कहते हैं?
Web Title: Notorious Criminals Who Earned Immense Wealth Through Illegal Activities, Hindi Article
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