दुनिया में हर शख्स किसी न किसी मकसद के साथ जन्म लेता है. उसकी जिंदगी को संवारने के लिए प्यार, ममता, रिश्ते-नाते सब होते हैं और फिर वह यहीं उलझकर रह जाता है. जब तक जीवन के मकसद के बारे में जानकारी होती है, तब तक या तो देर हो चुकी होती है या मौके निकल चुके होते हैं.
पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जिम्मेदारियों के बीच भी दिल-ओ-जान से अपने मकसद को पूरा करने में जुटे हुए हैं. कर्म का सिद्धांत भी हमें यही सीख देता है कि प्रकृति को जो दिया जाता है, वह उसे ही कई गुना करके हमें लौटाती है. यदि हम दुख बांट रहे हैं, तो दुखी होने के लिए तैयार रहें. और जो खुशियां बांट रहे हैं, उनका आने वाला कल खुशियों से गुलजार होगा!
आज हम आपको जिस शख्स से मिलवाने जा रहे हैं उसने कर्म के दूसरे सिद्धांत को अपनाया है. यानि वह केवल खुशियां बांटता है. उसके इस मकसद ने अब तक करीब 10 हजार बच्चों को जिंदगी की मुस्कुराहट गिफ्ट की है. खुशियां का यह सौदागर बच्चों की लाइफ में 'स्पाइडर मैन' बनकर आता है.
जी हां, यहां बात हो रही है 'रिकी मीना' की.
तो चलिए मिलते हैं इस रियल सुपर हीरो की कहानी—
खुशियां बांटने वाला रियल 'स्पाइडर मैन'
अमेरिका के किसी अस्पताल में यही आपको टहलते हुए स्पाइडर मैन दिख जाए तो चौंकिएगा नहीं! दरअसल यह कोई और नहीं बल्कि रिकी मीना है. रिकी स्पाइडर मैन की कॉस्ट्यूम में रोजाना किसी ना किसी अस्पताल में जाते हैं. किसी को उनके जाने या आने की खबर तक नहीं होती. यदि कोई उन्हें देख भी ले तो वह टोकता नहीं है.
क्योंकि यह स्पाइडर मैन केवल बच्चों के बीमार बच्चों के रूम में दाखिल होता है. यहां पहुंचकर वो खुद को बच्चों को सौंप देता है. इसके बाद बच्चे जैसा चाहते हैं स्पाइडर मैन वैसा ही करता है. यदि वे उसे नाचने के लिए कहे तो स्पाइडर मैन डांस करना शुरू कर देता है. यदि कोई स्टंट के लिए कहे, तो वह बिना देर किए अस्पताल में कूद फांद मचा देते हैं.
बच्चे तो बच्चे बड़े भी उनकी हरकतें देखकर अपनी हंसी नहीं रोक पाते. वो कभी कभी तो बच्चों के साथ वीडियो गेम खेलता है, पंजे लड़ाता है. गेम में कभी उनसे हारता तो कभी जीतता है... और कभी बस उनका हाथ पकड़े घंटों तक बैठे रहता है. उसमें कुछ ऐसा जादू है कि बच्चे सारे दर्द, अपनी सारी परेशानियां भूल जाते हैं.
वो कह दे, तो बच्चे बिना रोए इंजेक्शन लगवा लेते हैं. वो एक बार प्यार से छू ले, तो बच्चे अपना घाव भूल जाते हैं. उसकी एक झलक पाने के लिए बच्चे बड़े से बड़े आॅपरेशन को करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. यूं तो यह स्पाइडर मैन रोजाना कई बच्चों से मिलता है, पर उसे अब तक ऐसे 10 हजार बच्चे याद हैं, जो उसकी एक पहल के कारण मौत के दरवाजे से वापस आए हैं.
दादी मां के साथ शुरू हुआ सफर
रिकी अपने इस अनोखे मिशन का सारा क्रेडिट अपनी दादी मां को देते हैं. वह बताते हैं कि एक रात जब वे सोए हुए थे, तब उनकी दादी मां सपने में आईं. सपने में उन्होंने पुराने से प्रोजेक्टर पर एक वीडियो दिखाया. इस वीडियो में एक स्पाइडर मैन था, जो अस्पताल में जाकर बीमार बच्चों को खुश करता था. उन्हें तोहफे देता था और प्यार करता था.
वह यह वीडियो देखे जा रहा थे और बहुत खुश थे. जब फिल्म खत्म हुई तो उन्होंने दादी से पूछा कि यह कौन है?
दादी ने कहा कि बेटा यह तुम हो. यह तुम्हारा आने वाला कल है. कल जब तुम उठोगे तो बस खुशियां बांटने के लिए. इतना सुनने के बाद अचानक रिकी ने आंखें खोलीं. उसे महसूस हुआ कि जैसे यह सब असल में उसके साथ हुआ है. वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था. इसलिए उसने इस सपने को अपनी जिंदगी बना लिया. अगली सुबह से रिकी की जिंदगी बदल गई. वह उठा और घर से सीधे बाजार पहुंचा. जहां उसने अपनी पॉकेटमनी से बचाए गए सारे पैसों से स्पाइडर मैन का कॉस्ट्यूम खरीदा.
बच्चों के लिए तोहफे लेने थे, तो अपनी पुरानी कार बेच दी. इसके बाद अगला कदम अस्पताल की ओर बढ़ाया. लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था. जब रिकी ने यह सपना देखा था तब वे बेरोजगार थे. आलम यह था कि वे अपने दोस्त के दिए गए काउच पर सोते थे. उसी के दिखे खाने से पेट भरता था. चूंकि इस सपने को सच कर दिखाना था, तो उन्होंने छोटी मोटी नौकरियां करनी शुरू की. रिकी बताते हैं कि जब वह पहली बार अस्पताल गया तो उन्हें लोगों ने भगा दिया था.
उन्हें लगा कि मैं को ऐसा चोर या लुटेरा हूं जो भेष बदलकर यहां आया है. पर फिर उन्होंने, उन्हें अपने मकसद के बारे में बताया. पहले तो किसी को विश्वास नहीं हुआ पर फिर धीरे-धीरे लोगों का रिस्पांस मिलने लगा. वह भी यह काम पहली बार कर रहे थे, इसलिए उन्हें भी बच्चों से मिलने में झिझक हुई. पर जल्द सब ठीक होने लगा.
इसके बाद अस्पताल वालों ने महसूस किया कि बच्चों की सेहत में सुधार हो रहा है, तो उन्हें स्पाइडर मैन का काम अच्छा लगने लगा. इसके बाद अमेरिका के हर दूसरे चाइल्ड हॉस्पिटल से रिकी के पास कॉल आने लगे.
रंग लाई पहल, बने लोगों की प्रेरणा!
कुछ ही दिनों में अमेरिका के अलग-अलग शहरों में रिकी के अभियान की चर्चा होने लगी थी. उससे प्रेरणा लेकर कई लोगों ने सुपरमैन का रूप धरकर अस्पतालों में जाना शुरू कर दिया. कोई बच्चों के पास जाता था, तो कोई बुजुर्गो की सेवा कर रहा था. लोग अपने काम और अनुभव रिकी से शेयर करते थे, जिससे उसे और प्रेरणा मिलती गई.
इसी बीच अमेरिका के एक नामी एनजीओ ''हार्ट ऑफ हीरो' ने रिकी से संपर्क किया. रिकी ने एनजीओ के साथ मिलकर कई सुपर हीरोज तैयार किए. अब ये हीरोज केवल अस्पताल के बच्चों को ही नहीं, बल्कि गरीब बच्चों की मदद के लिए भी आगे आए. वे गरीब बच्चों को तोहफे देते, उन्हें चॉकलेट खिलाते और कई बच्चों को तो स्कूल में एडमिशन तक दिलवाए.
अनाथ बच्चों और वृद्धाश्रमों में भी इन सुपर हीरोज ने काम करना शुरू किया. जब भी किसी सुपर हीरो का मन होता वह अपना बर्थ डे मनाता है. उसमें सड़क पर रहने वाले हर बच्चे को बुलाता है. सभी साथ में मिलकर पार्टी करते हैं और पूरे दिन एंजॉय करते हैं. रिकी को यह काम करते हुए करीब 4 साल हो गए हैं और उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है. वे पार्ट टाइम जॉब करते हैं और फिर सारा दिन बच्चों के साथ बिताते हैं.
एनजीओ की मदद मिलने के बाद वे बच्चों को उनकी पसंद के तोहफे दे पा रहे हैं.
...इस घटना ने बुरी तरह तोड़ दिया
रिकी ने अपने अनुभव सोशल मीडिया पर भी शेयर किए हैं.
उन्होंने एक इंटरव्यू में अपने साथ हुए सबसे दुखद वाक्ये का जिक्र किया था. रिकी ने बताया कि वह चार साल से एक कैंसर पीड़ित बच्चे से मिल रहा था. जब भी उसकी तबियत खराब होती थी, उसे अस्पताल में दाखिल करवाया जाता था. उसके माता-पिता मुझे कॉल करते थे. मैं जहां जिस हालत में रहता था, वहां से वैसे ही उसके पास पहुंच जाता था.
इतने हजार बच्चों से मिलने के बाद भी मुझे उस एक बच्चे से गहरा लगाव था. वह मेरी आंखों में देखता रहता था और डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा देते थे. उसे दर्द होता था, पर मेरी मुस्कुराहट देखकर वह खुद मुस्कुरा देता था. मैं हमेशा प्रार्थना करता था कि वह ठीक हो जाए, पर शायद कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.
रिकी बताते हैं कि जब, वो आखिरी बार अस्पताल में भर्ती हुआ, तो डॉक्टर्स ने बताया कि अब उसका बचना नामुमकिन है. वह यह बात स्वीकार नहीं कर पा रहा थे. उन्हें लगा कि उनकी प्रर्थनाओं का असर जरूर होगा. वह एक रात उसे अपनी गोद में लिए बैठा थे. वह जोर-जोर से सांसे ले रहा था. जब दर्द होता तो वह अचानक कराहने लगता.
वहां उसके मां-बाप भी थे, पर वह सिर्फ मुझे देखे जा रहा था. वह उसकी आंखों में उस तकलीफ को महसूस कर सकते थे, जो उसके बदन में हो रही थी. कुछ देर में उसकी सांसों की आवाज धीमी होने लगी और फिर धीरे से उसने आंखें बंद कर लीं. उसके शरीर पर कई तरह के तार मशीनों से जुडे थे. जब उसने आंखें बंद की तो मशीनों से आवाज आई.
पर मेरा ध्यान तब भी उसकी आंखों पर ही था. वह उम्मीद कर रहे थे कि वह अपनी आंखें खोलेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. उसने उनकी गोद में अपना दम तोड़ दिया. यह वो अकेला ऐसा वाक्या है, जिसने रिकी से उसकी कई रातों की नींद छीन ली. वह ठीक से सो नहीं पाए. वो यह स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि इतनी मेहनत के बाद भी एक बच्चा उससे हमेशा के लिए दूर हो गया.
हालांकि, कुछ ही दिनों में उन्होंने एक बार फिर खुद को सम्हाला और खडा किया. इस बार वे दोगुनी ताकत के साथ खड़े हुए और खुशियों की पोटरी लेकर बच्चों के दरवाजे पर पहुंच गए. इस एक घटना को छोड़ दिया जाए तो फिर कभी उन्होंने ऐसा कोई दिन नहीं देखा. रिकी कहते हैं कि वे जिंदगी भर स्पाइडर मैन बने रहना चाहता हूं, बशर्ते बच्चे हमेशा मुस्कुराते रहें.
रिकी बीमार बच्चों की जिंदगी में किसी फरिश्ते से कम नहीं है. जहां एक ओर दुनिया बच्चों पर हो रही हिंसा और अत्याचार के समाधान खोजने में जुटी है. वहीं दूसरी ओर 'स्पाइडर मैन' मासूमों की मुस्कान वापस लाने की कोशिश कर रहा है.
Web Title: Ricky Mena the Real Spider Man, Hindi Article
Feature Image Credit: rickymena