सऊदी अरब अपने कड़े कानून के लिए दुनियाभर में मशहूर है. दुनिया के सबसे कठोर कानून वाले देशों में सऊदी अरब का नाम है. शरिया कानून अपनाने वाला यह मुल्क मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े तीर्थ स्थल मक्का-मदीना के लिए जाना जाता है.
यहां के शहर मक्का में हर साल दुनिया भर से करोड़ों मुसलमान हज करने के लिए पहुंचते हैं.
अपने देश के नागरिकों के बीच कानून-व्यवस्था को सही रखने के लिए यह देश किसी भी बात से समझौता नहीं करता. इस देश के कानून इतने कठोर हैं कि जाने-अनजाने में गुनाह करने के बाद माफी की कोई गुंजाइश नहीं रहती.
गुनाह करने के बाद सिर्फ इंसान को पछतावा रहता है और बदले में उसे दर्दनाक सजा मिलती है. ऐसे में इस देश के मुखिया और उसके परिवार बारे में जानना काफी दिलचस्प होगा-
सऊद नाम से ‘नाम’ मिला सऊदी अरेबिया
सऊदी अरब को नाम सऊद परिवार के नाम से ही मिला है. पुराने समय से ही सऊद परिवार का सऊदी अरब पर काफी प्रभाव रहा है. इसलिए उस दौर में इसे सऊदी अरेबिया कहा जाता था. बाद में यह सउदी अरब कहलाया.
माना जाता है कि पंद्रहवीं शताब्दी में सऊद परिवार ने दिरिया शहर बसाया था, जोकि अब रियाद के नाम से मशहूर है. यह सऊदी अरब की राजधानी भी है और सऊदी अरब के सबसे विकसित शहरों में भी से एक है.
मनी और मुरादी खानदान ने संयुक्त रूप से इस शहर को बसाने में अहम भूमिका निभाई थी. यही कारण रहा कि इन दोनों का यहां पर काफी प्रभाव पड़ने लगा था. एक लंबे समय तक दोनों खानदानों ने इस शहर में हकूमत की.
इस क्रम में 17वीं शताब्दी में मुरादी खानदान के शेख मोहम्मद बिन सऊद ने मुहम्मद इब्न अब्द अल-वहाब नामक एक धार्मिक मुस्लिम सुन्नी के साथ गठबंधन कर लिया. आगे 1744 में सऊद परिवार ने औपचारिक रूप से अल-वाहाब की बेटी के साथ बिन सऊद के बेटे अब्दुल अजीज की शादी कर दी, जिसके बाद सऊद परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ता गया.
Saud Family Ruling Since Long Time (Representative Pic: ak3.com)
…जब सऊद परिवार ने संभाली कमान
सबसे पहले तो सऊद परिवार का प्रभाव रियाद शहर में था, किन्तु बाद में समय गुज़रने के साथ वह पूरे सऊदी अरब में हुकूमत करने लगे.
सऊद नाम का मतलब होता है खुश रहना और खुशहाल. शायद यही कारण रहा कि सऊद परिवार ने सऊदी अरब में लोगों की बेहतरी के लिए काम करने शुरु कर दिए. अब्दुल अजीज बिन मोहम्मद ने सऊदी अरब की बागडोर संभालते हुए वहां इस्लामी कानून को बनाए रखा और लोगों की बेहतरी के लिए कार्य करते रहे.
साल 1803 में उनकी मौत के बाद सऊदी अरब की बागडोर उनके बेटे अब्दुल्ला बिन सऊद के पास आ गई. अब्दुल्ला बिन सऊद ने सऊदी अरब की कमान संभालते हुए अपने पिता के नक्शे कदम पर चले.
अब्दुल्ला बिन सऊद जिस वक्त सत्ता में आए, उस वक्त तुर्की और सऊदी के रिश्ते काफी खराब चल रहे थे. ऐसे में उनके कांधों पर बड़ी जिम्मेदारी थी कि वह कैसे सऊदी अरेबिया को संगठित करें. बहरहाल, उन्होंने सक्रियता से इस पर काम किया और सऊदी अरेबिया को मजबूत करने में सफल रहे.
Saud Family Holds Pawer On Saudi Arab (Pic: wire.com)
सऊद परिवार की असल ताकत
सऊद परिवार का प्रमुख सऊदी अरब का राजा होता है. वह लगभग पूर्ण राजनीतिक शक्ति रखता है. उसे देश हित में कोई भी फैसला लेने का पूर्ण अधिकार होता है. उसके चुने हुए मंत्री ही संबंधित मंत्रालयों की निगरानी करते हैं.
अमूमन तौर पर देखा गया है कि सऊदी अरब का राजा रक्षा और विदेश जैसे प्रमुख मंत्रालयों को अपने परिवार यानी सऊदी परिवार के सदस्यों को ही सौंपता है. वहीं वित्त, श्रम, सूचना, योजना, पेट्रोलियम मंत्रालय अन्य कैबिनेट मंत्री को दिए जाते हैं.
कहते हैं कि सऊदी अरब के हित में लिए जाने वाले सभी अहम फैसले राजा पर टिके होते हैं. किंग सऊद, जो भी फैसला लेता है वह फैसला पूरे देश के लिए मान्य होता है.
गौरतलब हो कि सऊदी अरब में जितने भी तेल के कुंएं हैं, उनकी चाबी सऊद परिवार के हाथ में रहती है. सऊद परिवार का मुखिया और किंग ही यह तय करता है कि किस देश को कितना तेल देना है और किस देश के साथ कैसे संबंध रखने हैं.
भ्रष्टाचार को लेकर भी सऊद परिवार सख्त रहा है. अगर आपको याद हो तो किंग सलमान ने देश को भ्रष्ट्राचार से मुक्त कराने के लिए एंटी करप्शन सेल का गठन किया, जिसमें कई बड़े मंत्री और सऊदी शाही परिवार के लोग पकड़े गए थे.
Saud Family Members Served in Cabinet (Pic: saud.com)
‘सऊदी किंग फैसल’ की हुकूमत
सऊदी अरब के किंग अब्दुल अजीज के तीसरे पुत्र किंग फैसल ने भी सऊदी की बागडोर संभाली थी. 14 अप्रैल साल 1906 में रियाद में पैदा हुए किंग फैसल अब्दुल अजीज ने भी अपने पिता की राह पर चलते हुए सऊदी अरब में काफी समय तक हुकूमत की थी. शाह फैसल को सऊदी की आम जनता का किंग कहा जाता था.
किंग फैसल अब्दुल अज़ीज को सऊदी अरब के महान किंग में गिना जाता था. उन्होंने सऊदी अरब में शरीया हुकूमत लागू करने के लिए अहम कार्य किये थे. माना जाता है कि उनके कार्यकाल में सऊदी के रिश्ते अमेरिका से काफी खराब हो गये थे.
यही कारण रहा कि उन्होंने अमेरिका को तेल देने से इंकार कर दिया था. इसके बाद अमेरिका ने सऊदी अरब पर कई तरह से दबाव बनाना शुरु कर दिया था.
इसके जवाब में किंग फैसल अब्दुल अजीज ने कहा था कि उनका परिवार और कौम सऊदी की गर्म रेत पर पली बढ़ी है. अमेरिका उन्हें नुकसान पहुंचाता है, तो सऊदी के लोग गर्म रेत पर रहकर खजूर और पानी पीकर भी जीवन व्यतीत कर लेंगे, लेकिन अमेरिका को खुद अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.
साल 1975 में उनके अपने भतीजे ने सत्ता के लालच में उनका कत्ल कर दिया था.
Saudi King Shah Faisal (Pic: img.com)
कानून के मामले में कोई समझौता नहीं
वर्तमान समय में सऊदी अरब के ‘हाउस ऑफ सऊद’ सलमान बिन अब्दुल अजीज हैं. इससे पहले उनके भाई अब्दुल्ला सऊदी अरब के राजा थे. 23 जनवरी साल 2015 से वह सऊदी अरब की बागडोर संभाल रहे हैं. 1954 में महज 19 साल की उम्र में उन्हें रियाद शहर का डिप्टी गर्वनर भी बनाया गया था.
एक गवर्नर के रूप में उन्होंने काम करते हुए रियाद में कई सराहनीय कार्य कराए थे. किंग सलमान ने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूंजी परियोजनाओं और अपने देश में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए.
सऊद परिवार सऊदी के कानून के मामले में कोई समझौता नहीं करता. सऊदी में आज भी चोरी जैसे छोटे मामले में इस्लामी हुकूमत के तहत हाथ काट दिए जाते हैं.
रेप जैसे मामले में सऊद परिवार बिल्कुल रियायत नहीं बरतता. रेप के आरोपियों को सऊदी में सार्वजनिक स्थान पर मौत के घाट उतार दिया जाता है. यही कारण है कि इस देश में महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार के मामले बहुत कम दर्ज होते हैं.
वर्तमान में सऊदी की बागडोर संभालने वाले किंग सलमान कड़े कानून अपनाने के लिये जाने जाते हैं. साल 2016 में किंग सलमान ने अपने रिश्ते के भाई तुर्की बिन सऊद को मौत की सजा सुनाते हुए गला कटवा दिया था.
तुर्की बिन सऊद पर हत्या का आरोप सिद्ध हुआ था. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सऊद परिवार के लिए सऊदी की हुकूमत करने के क्या मायने हैं.
किंग सलमान ने पश्चिम देशों के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का समर्थन किया. इससे पहले सऊदी अरब के पश्चिमी देशों के साथ संबंध इतने बेहतरीन नहीं रहते थे. गवर्नर के पद पर बने रहने के दौरान सलमान ने राजा सऊद यूनिवर्सिटी में सलाहकारों की नियुक्ति की थी.
वहीं किंग रहते हुए उन्होंने सऊदी अरब में कई अहम फैसले लिए. उनसे पहले सऊदी अरब में महिलाओं के लिए गाड़ी चलाना प्रतिबंधित था, जिसके बाद उन्होंने एक कानून बनाते हुए महिलाओं को गाड़ियां चलाने की इजाज़त दी.
किंग सलमान अमेरिका, रूस और अन्य पश्चिम देशों के साथ सऊदी अरब के संबंध बनाये रखने के लिए जाने जाते हैं.
Saudi Arab King Salman bin Abdulaziz (pic: albawa.com)
सऊदी अरब को दुनिया के सबसे कठोर कानून वाले देश में गिना जाता है.
हैरत की बात यह है कि सऊदी अरब देश को कमान काफी वर्षों से एक परिवार ही संभालते हुए आ रहा है. अगर आपको भी सऊद परिवार के बारे में कोई विशेष जानकारी है तो कमेंट बॉक्स में हमें ज़रुर बताए.
Web Title: Story of Powerfull Saudi Family, Hindi Article
Feature Image Credit: Vox