आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने आजादी के साथ ही महिलाओं को समान राजनीतिक अधिकार दिया. अमेरिका जैसे विकसित देश ने भी 1920 में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था.
इसी कड़ी में, मध्य-पूर्व के ज्यादातर देशों में तो महिलाओं का हाल इससे भी ज्यादा दयनीय रहा.
हालांकि, सऊदी अरब ने हाल ही में महिलाओं को ड्राइविंग करने की अनुमति दे दी है, जिसे एक सकारात्मक पहल बताया गया.
किन्तु, आज भी वहां कई ऐसी चीजें हैं, जिनके लिए उन्हें आजादी नहीं है.
वह चीजें कौन सी हैं, आईए जानते हैं-
हर काम में घर के मुखिया की आज्ञा अनिवार्य
अगर आपको घूमने-फिरने से लेकर अपनी शादी और तलाक के लिए अपने मुखिया की आज्ञा की भीख मांगनी पड़े, तो कैसा मंजर होगा. उदाहरण के लिए, अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो आप कहां न्याय की गुहार लेकर जाएंगी. क्योंकि, यदि आप पुलिस से भी शिकायत करने जाती हैं, तो भी आपको पुरुष की आज्ञा लेनी पड़ेगी. वरना न्याय की आशा तो छोड़ ही दें.
हालांकि, आपको बता दे कि यह सऊदी के संविधान में लिखित तौर पर नहींं है. फिर भी यह वहां के लोगों द्वारा बड़ी कठोरता से पालन किया जाता है. दरअसल, सऊदी में पुरुष अभिभावक जोकि, पिता, बड़ा भाई, पति या अंकल हो सकता है.
वही वहां की महिलाओं को संरक्षण देता है. उसे आमतौर पर ‘वली’ कहकर बुलाया जाता है. महिलाओं को किसी भी जरुरी काम को करने से पहले इनकी अनुमति लेनी पड़ती है.
ये जरुरी काम पासपोर्ट से लेकर शादी, तलाक और किसी भी कानूनी कॉन्ट्रैक्ट को साइन से जुड़ा हो सकता है.
हालांकि, आपको बताते चले कि इस क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है.
क्योंकि, किंग सलमान ने सत्ता संभालने के साथ काफी सामाजिक सुधार किए हैं. ऐसे में, उन्होंने कुछ चीजों में ये अनिवार्य अनुमति लेना खत्म कर दिया है. जैसे की नौकरी और यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए, अब इस अनुमति की जरुरत नहींं.
बिना 'अबया' के बाहर निकलना है सख्त मना!
अगर सऊदी अरब की महिलाओं को घूमने या बाहर जाने की अनुमति मिल जाए, तो फिर बात आती हैं उनके परिधान की.
दरअसल, अगर वहां की महिलाएं कहीं बाहर घूमने जाती हैं, तो उन्हें लंबा बुर्का और सिर पर स्कार्फ़ बांधना बेहद जरूरी है. यह परिधान आमतौर पर ‘अबया' कहलाता है. इसमे उन्हें अपने तन को पूरी तरह से ढ़ककर रखना होता है.
वहां के रुढ़िवादियों का मानना है कि शरीर दिखाना और ज्यादा मेकअप करना इस्लाम के खिलाफ है.
सऊदी अरब में ड्रेसकोड को इस्लामिक कानून के हिसाब से लागू किया गया है. यह नियम पूरे सऊदी में अलग-अलग तरीके से लागू है. जहाँ महिलाओं को बाहर निकलने से पहले इसे पहनना ही पड़ता है.
ये बात तो फिर भी जैसे-तैसे पचती है, लेकिन हद तो तब हो जाती है, जब वहां ऐसे फरमान सुनाए जाते हैं कि इन ‘अबया' पर किसी प्रकार की सजावट नहींं होनी चाहिए. इनमें बिल्कुल भी किसी जड़ी-बूटी का इस्तेमाल नहींं होना चाहिए.
ये बिल्कुल ढीले और कहीं से भी कोई कट न हो.
इस हद तक महिलाओं को नियंत्रण करना, उनकी घटिया सोच को दिखाता है.
आज जहां 21वीं शताब्दी में, लोग समान अधिकार की बातें बढ़-चढ़कर करते हैं. वहीं उस दुनिया में सऊदी अरब जैसा भी देश है, जहाँ महिलाएं को हर छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ता है.
पराए पुरुष से बात करने पर कोई माफ़ी नहींं!
जहां एक और दुनिया चांद तक पहुंच चुकी है. वहीं, ऐसे भी कुछ देश हैं, जिन्हें अपने देश की महिलाओं के पराए पुरुष से बात करने पर घोर आपत्ति है. सऊदी अरब यहाँ भला कैसे पीछे रहे.
दरअसल, वहां महिलाओं को अनजान पुरुष से संपर्क पर सख्त मनाही है.
हालांकि, यह बात पुरुषों पर भी लागू है. इस तरह से संपर्क में रहना वहां गैर-कानूनी माना जाता है. ये भी जान लें आप, अगर इसमें कोई दोषी पाया जाता है तो इसके लिए सजा का भी प्रावधान है.
हालांकि, सजा का प्रावधान दोनों के लिए है. लेकिन, महिलाओं पर यह ज्यादा सख्ती से लागू किया जाता है. सऊदी में ताकि अनजान पुरुषों और महिलाओं का सामना कम हो. इसके लिए बाकायदा इंतज़ाम किये गए हैं.
दरअसल, वहां पब्लिक जगह और ट्रांसपोर्ट में अलग-अलग एंट्रेंस है. बात चाहे, पार्क की हो या फिर बीच की. इस मामले में भी, दोनों के लिए अलग-अलग निर्माण हैं. यहां तक स्विमिंग पूल में नहाने का इंतज़ाम भी बिल्कुल अलग है.
इस तरह का इंतज़ाम पूरे सऊदी अरब में है.
वहां, पूरी कोशिश रहती है कि हर जगह कम से कम ही सामना हो. यहाँ भी उनकी अजब माया है, लेकिन एक न एक दिन उन्हें इन रुढ़िवादी सोच से उठना ही पड़ेगा. बस, जरुरत है वहां की समूची महिलाओं के मिलकर विद्रोह करने की.
ऐसे में उनके पांव उखड़ने में देर नहीं लगेगी.
अगर धोखे से फैशन मैगज़ीन का नाम लिया तो...
अगर पूछा जाए कि दुनिया में ऐसा कौन-सा देश है, जिसे महिलाओं और पुरुषों के लिए सबसे ज्यादा अलग-थलग व्यवस्था है! तो इस लिस्ट में सऊदी अरब का नाम सबसे ऊपर आएगा. जहां एक ओर वहां महिलाओं को कब्रिस्तान में जाने की सख्त मनाही है, तो वहीं फैशन मैगज़ीन पढ़ना भी उनके लिए असंभव है. वहां महिलाओं को हर तरीके से काबू करने की सोच है.
आपको एक दिलचस्प बात बता दें, जब साल 2012 में पहली बार सऊदी की दो महिलाओं ने लंदन ओलंपिक्स में हिस्सा लिया था. तब वहां के लोगों ने उन्हें ‘वैश्या’ कहकर बुलाया था. इसी से उनकी घटिया सोच का नमूना मिल जाता है.
इसी कड़ी में, कुछ बातें और भी बताते चलें...
वहां महिलाओं को किसी गैर मुस्लिम के साथ शादी करने की अनुमति नहींं है. साथ ही, एक सुन्नी मुस्लिम औरत शिया पुरुष और नास्तिक से भी शादी नहीं कर सकती. इसके अलावा, उन्हें बराबर संपत्ति का भी अधिकार नहीं है.
इसमें एक बहन को उसके भाई को मिले हिस्से का आधा भाग ही दिया जाता है.
सबसे दयनीय स्थिति, वहां की महिलाओं की तब लगती है, जब वह तलाक के बाद अपने सात साल से ऊपर के बच्चे की कस्टडी की गुहार भी नहींं लगा सकती. वहां का ये कानून एक माँ के भावों से खेलने में भी नहीं चूकता.
बहरहाल, ऐसा नहीं है कि वहां अभी भी स्तिथि एकदम पहले जैसी ही है. महिलाओं के अधिकार के संदर्भ में वहां अब आवाजें उठनी शुरू हो गयी हैं. ड्राइविंग की परमिशन मिलना उनकी एक बहुत बड़ी जीत है.
वहां धीरे ही सही, लेकिन बदलाव आने शुरू हो गए हैं. उम्मीद है की जल्द ही वहां महिलाओं की एक खूबसूरत तस्वीर देखने को मिलेगी, और यह तभी संभव है, जब वहां के हर घर की महिला अपने अधिकार को जाने और उसकी मांग करें.
क्या कहते हो आप?
Web Title: Saudi Arab's Women Are Prohibited For These Things, Hindi Article
Feature Image Credit: saatchiart