अगर आप खबरों में रुचि रखते हैं तो 24 दिसंबर 1999 को अफ़ग़ानिस्तान के कंधार में इंडियन एयरलाइंस के जहाज के हाइजैक होने से वाकिफ होंगे. आपने देखा होगा कि किस तरह नापाक इरादा रखने वाले लोगों ने भारतीय लोगों को ज़हाज के साथ बंदी बना लिया था.
किन्तु क्या आपने किसी पानी के जहाज़ के हाइजैक होने के किस्से को सुना है?
अगर नहीं, तो जान लीजिये कि अफ्रीकी देश सोमालिया से पानी के बड़े- बड़े जहाजों को बीच समुद्र में हाइजैक किया जाता है. खास तौर पर अटलांटिक महासागर में जहाजों को हाइजैक किया जाता है. इस महासागर से अपने व्यवसायिक जहाजों को निकालना किसी भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती होती है.
जहाज़ हाइजैक के इस खतरनाक खेल में पाइरेट्स द्वारा हाइजैक जहाज को छोड़ने के बदले में मोटी रकम फिरौती के रुप मांगी जाती है.
तो आईये जहाज हाइजैकिंग के खेल की हर कड़ी को ज़रा नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं:
जहाज़ हाइजैक करने वाले कौन हैं?
सोमालिया में पानी के जहाजों की हाइजैकिंग का सबसे बड़ा कारण वहां की गरीबी मानी जाती है. वहां के लोगों को जीवन जीने की आधारभूत जरुरतों रोटी, कपड़ा और मकान के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. भुखमरी का वहां यह हाल है कि कम उम्र के बच्चे कुपोषण के चलते दम तोड़ देते हैं. यूएन तक कई बार अपनी रिपोर्ट में सोमालिया की गरीबी का ज़िक्र कर चुका है.
इसी से परेशान होकर कुछ लोग हाइजैकिंग के पेशे में उतर आते हैं. इसमें मुख्य रुप से यहां के मछुआरे होते हैं. उनके द्वारा ज्यादातर व्यावसायिक जहाजों को बंधक बनाया जाता है. इसके पीछे बड़ी वजह भी है. असल में ये जहाज जिन देशों के होते हैं, वे इनको छोड़ने के लिए एक बड़ी रकम देते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर पाइरेट्स युवा होते हैं.
तीन कैटगिरी के लोग इस मिशन में भाग लेते हैं. स्थानीय मछुआरे, सोमालिया की सेना से रिटायर सैनिक और टेक्निकल एक्सपर्ट. सभी अपनी-अपनी क्षमता के हिसाब से काम लेते हैं.
Somalian Pirates (Pic: cnbc)
कुछ इस तरह होती है हाइजैकिंग…
सोमालियन पाइरेट्स जहाज़ हाइजैक के खेल को दिन में ही अंजाम देते हैं. योजना के अनुसार वह सबसे पहले अपनी छोटी- छोटी नौकाओं को जहाज़ के इर्द-गिर्द ले जाते हैं. इन नौकाओं की रफ्तार 25 किमी प्रति घंटा तक होती है. नौकाओं को जहाज़ के करीब लगाने के बाद पाइरेट्स रस्सियों में बांधे गए एक धारधार नुकीले लोहे के हथियार को जहाज़ के साइड में लगे एंगल में फंसा देते हैं.
फिर रस्सियों के सहारे जहाज़ की रफ्तार को धीमा करने की कोशिश की जाती है. रफ्तार कम होने पर पाइरेट्स का एक दल जहाज़ पर चढ़ जाता है. देखते ही देखते कुछ घंटों की मशक्कत के बाद वह जहाज़ पर कब्ज़ा करने में सफल हो जाते हैं.
साल 2005 में सोमालियन पाइरेट्स ने हॉन्ग-कॉन्ग का ‘एमवी फिएस्टी’ नाम का जहाज़ कैप्चर करके सनसनी फैला दी थी. एलपीजी गैस ले जा रहे इस जहाज़ को पाइरेट्स ने छोड़ने के लिए 3,15,000 डॉलर की मांग की थी. बहुत कोशिश की गई अन्य तरीकों से इस मामले को सुलझाने की, लेकिन पाइरेट्स नहीं माने.
अंत में संबंधित कंपनी को फिरौती की रकम देनी पड़ी थी.
इसी साल पाइरेट्स ने अपनी नौकाओं की मदद से बहामास और यूएस के क्रूज़ शिप को हाइजैक करने की कोशिश की थी. वह तो शिप में तैनात दो सुरक्षा गार्डों की बहादुारी के चलते पाइरेट्स अपने मिशन में कामयाब नहीं हो सके थे.
बाद में इंग्लैंड के बर्मिंघम में इन दो सुरक्षा गार्डस को क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय ने बहादुरी अवार्ड देकर सम्मानित किया था.
पाइरेट्स ने यूएई, यूएसए, केन्या के साथ ही भारतीय व्यवसायिक जहाज़ ‘एमवी सफ़िना अल-बरसरात‘ को भी निशाना बनाया था. उस दौरान जहाज़ में 16 क्रू मेंबर सवार थे. हालांंकि, इस मिशन में पाइरेट्स की किस्मत थोड़ी खराब थी. उन्हें यह दांव महंगा पड़ा था. जहाज को बचाने के लिए गये दस्ते के सामने पाइरेट्स को सरेंडर करना पड़ा था. बाद में इन लोगों को कोर्ट ने सात साल की सज़ा सुनाई थी.
Ship Capturing (Representative Pic: punchaos)
कहां जाती है फिरौती की रकम?
पाइरेट्स जहाज़ हाइजैकिंग के दौरान, जो धनराशि मांगते हैं, वह बहुत ही ज़्यादा होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि वह इसे खर्च कहां करते हैं. सोमालिया से निकलने वाले एक अंग्रेजी अखबार के रिपोर्टर ने इस सवाल के जवाब के लिए कुछ पाइरेट्स से बात की थी. उसे उन्होंने बताया कि वह फिरौती को रकम को अपने परिवार, बच्चों, कारोबार, शादी- ब्याह के साथ रोज़गार के साधनों में लगाते हैं.
नवंबर 2009 में बीबीसी ने जारी अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सोमालियन पाइरेट्स एक अनुमान के मुताबिक 150 मिलियन फिरौती की रकम वसूल चुके हैं. बीबीसी ने केन्या के विदेश मंत्री के हवाले से लिखा कि, अलग-अलग हाइजैकिंग में सोमालियन पाइरेट्स डेढ़ सौ मिलियन की रकम हासिल कर चुके हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाइरेट्स इस रकम के बड़े हिस्से का इस्तेमाल भविष्य में की जाने वाली जहाजों की हाइजैकिंग के लिए करते हैं. वह इस रकम से अपने लिए हथियार और नई नौकाओं को बंदोबस्त करते हैं.
कमर तोड़ने वाली होती है ‘हाइजैकिंग’
सोमालियन पाइरेट्स द्वारा जहाजों की हाइजैकिंग से अन्य देशों पर इसका आर्थिक असर पड़ता है. पाइरेट्स द्वारा जहाज़ हाइजैक करने के बाद जहाज कंपनियों को अपने जहाज़ छुड़ाने के लिए करोड़ों रुपये की रकम खर्च करनी पड़ती है. वहीं यात्रा से पहले कंपनी को अपने जहाज़ को सकुशल मंजिल तक पहुंचाने के लिए कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
इसमें महंगा इंश्योरेंस, जहाज़ पर तैनात कंपनी के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड तक रखने पड़ते हैं. कई बार कंपनियों को सोमालियन पाइरेट्स से बचाने के लिए पानी के अन्य लंबे रुटों को अपनाना पड़ता है. ऐसा करने पर कंपनी को ज़्यादा फ्यूल खर्च करना पड़ता है. इन सारे तरीकों को अपनाने तक कंपनी अपने एक जहाज़ पर काफी रुपया खर्च कर बैठती है.
Somalian Pirates (Pic: Washington Post)
कुल मिलाकर सोमालियन पाइरेट्स अटलांटिक महासागर से होकर जाने वाले जहाजों के लिए एक बड़ी चुनौती होते हैं. इनसे बचकर निकलना आसान नहीं होता है.
इस पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं. वैसे आपने इस पर कौन सी लेटेस्ट फिल्म देखी है?
कमेन्ट सेक्शन में जरूर बताएं.
Web Title: Somalian Pirates Are The Biggest Enemies of Water Vessels, Hindi Article
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