प्रथम विश्व युद्ध के समय ज्यादा खतरनाक हथियार नहीं थे. उस समय गोलियों और सेना के बल पर ही ज्यादातर देश लड़ाई कर रहे थे.
जब प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो सभी देशों के बीच अच्छे और तेज हथियारों को बनाने की होड़ शुरू हुई थी.
द्वितीय विश्व युद्ध आते-आते कई देशों ने खास तरह के हथियारों को जन्म दिया.
हथियारों के साथ-साथ दूसरे विश्व युद्ध में कई प्रकार के अलग-अलग वाहनों का भी इस्तेमाल किया गया.
इनमें से कुछ अजीब थे तो कुछ वाकई ‘खास’. वाहन चाहे जैसे भी हों, मगर दूसरे विश्व युद्ध के इन वाहनों ने अपना एक अलग ही नाम बनाया था.
तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर कौन से थे यह वाहन–
राइनो हैवी आर्मर्ड कार
राइनो हैवी आर्मर्ड कार को द्वितीय विश्व युद्ध के शुरूआत के समय में बनाया गया था. राइनो बहुत ही मजबूत कार थी. इससे पहले इस तरह की कोई और कार मौजूद ही नहीं थी. यह देखने में तो बहुत अजीब लगती थी मगर इसकी मजबूती बहुत ज्यादा थी.
इस कार का निर्माण ऑस्ट्रेलिया के द्वारा किया गया था. यह कार देखने में एक दम किसी टैंक की तरह लगती थी.
किसी भी हमले से बचने के लिए इसमें 30 एम एम मोटी धातु की परत लगाई गई थी ताकि कोई भी इसे भेद न पाए.
इतना ही नहीं सामने वाले दुश्मन को भेदने के लिए इसमें दमदार मशीनगन भी लगाई गई थी.
Rhino Heavy Armoured Car (Pic: zonwar)
फॉक्स आर्मर्ड कार
फॉक्स आर्मर्ड कार का निर्माण कनाडा में किया गया था. माना जाता है कि इस कार का डिजाइन ‘ब्रिटिश हमर आर्मर्ड कार’ की तरह ही बनाया गया है.
इसके अंदर चार आदमियों के फिट होने की जगह बनाई गई है.
वाहन चालक, गनर और वायरलेस अॉपरेटर मिलकर इस कार के अंदर काम किया करते थे. माना जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय ऐसी केवल 1,506 कारों को ही बनाया गया था.
1943 और 1944 के बीच जब इटली में युद्ध लड़ा जा रहा था, तब इस कार का वहां पर खूब प्रयोग किया गया.
युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटेन ने इन कारों को ज्यादा अहमियत नहीं दी. हालांकि पुर्तगाल ने इन्हें अपनाया. इसके बाद कई सालों तक उन्होंने अपनी लड़ाईयों में इनका इस्तेमाल किया.
Fox Armoured Car (Pic: wikiwand)
हम्बर लाइट कार
हम्बर लाइट कार को लोग आयरनसाइड नाम से भी जानते हैं. इस हम्बर लाइट कार को ब्रिटिश द्वारा बनाया गया था.
इस कार को बनाने का काम रुटस ग्रुप नाम की एक कंपनी ने किया है.
इस कार में 19 रेडियो सेट लगाए गए थे, जिस का प्रयोग युद्ध के दौरान जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता था. इतने सारे रेडियो सेट्स के होने का मतलब था कि दुश्मन की छोटी से छोटी बात भी अपने तक आ जाए.
1940 से 1943 तक इस तरह की 3600 गाड़ियों का निर्माण किया गया.
इसके कारण सेना की ताकत काफी बढ़ गई थी क्योंकि कई मौकों पर वह हमला होने से पहले ही उसके बारे में जान लेते थे.
Humber Light Reconnaissance Car (Pic: wartime)
बीए – 64
बीए – 64 कार को बी.ए ग्राशेव नाम के एक व्यक्ति ने डिजाइन किया था. इसको बनाने का काम 17 जुलाई 1941 में शुरू किया गया था. जिसके बाद 10 अप्रैल 1942 को यह कार बना ली गई थी. बीए – 64 कार को बनाने के लिए ग्राशेव को पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था.
इसकी एक दिलचस्प बात यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान निर्मित जीएजेड-64 हवाई जहाज़ के पहिये का प्रयोग बीए – 64 में किया गया था.
इसका पहला परीक्षण 9 जनवरी 1942 में किया गया था. इसकी एक छत खुली हुई थी जिस पर 7.62 एम.एम डीटी मशीनगन लगाई गई थी.
इस वाहन को चलाने के लिए दो व्यक्तियों की जरूरत होती थी. इस बीए – 64 का वजन 2360 किलोग्राम के अासपास हुआ करता था.
खास बात यह थी कि इसको 80 किलोमीटर की तेज रफ्तार से चलाया जा सकता था. इसका इस्तेमाल 1941 से लेकर 1950 तक ही किया गया था.
जंग के दौरान इसने अपनी सेवाएं दी, मगर उसके बाद इसे बंद कर दिया गया.
Ba-64 (Pic: military-vehicle-photos)
एस 1 स्काउट कार
एस 1 स्काउट कार का निर्माण वैसे तो ऑस्ट्रेलिया में हुआ था पर इसको डिजाइन करने का काम संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था.
इस कार में दो तरह की मशीनगन का प्रयोग किया गया था. एक एम 2 ब्राउनिंग एस 50 कैल मशीनगन और दूसरी 30 कैल एम 1917 ब्राउनिंग मशीनगन को इसमें जोड़ा गया था.
इन बंदूकों के कारण यह कार बेहद ही ताकतवर बन जाती थी. इसकी मदद से यह दुश्मनों का कुछ ही देर में नामो-निशान मिटा देती थी.
इस शक्तिशाली वाहन के अंदर फोर्ड वी 8 (95 एचपी) इंजन का इस्तेमाल किया गया था. वह इंजन इसे तेज रफ़्तार बनाने में मदद करता था. इसमें बहुत सारे लोहे का प्रयोग किया गया था इसलिए इसका वजन बहुत ज्यादा हो गया था. हालांकि इसके बावजूद भी यह काफी अच्छी रफ़्तार पकड़ ही लेती थी.
S1 Scout Car (Pic: gazetadita)
सी 15 टी ए ट्रक
सी 15 टी ए ट्रक को द्वितीय विश्व युद्ध के समय जनरल मोटर्स कनाडा के द्वारा बनाया गया था.
सी 15 टी ए ट्रक में हवाई जहाज़ के पहिये का इस्तेमाल किया गया था. कहा जाता है कि 1943 से 1945 के बीच इस तरह के 3,961 ट्रक बनाए गए थे.
ब्रिटिश सेना ने सी 15 टी ए ट्रक का इस्तेमाल कनाडा और चेकोस्लोवाकिया में किया था. यह कोई हथियार नहीं था बल्कि इसका इस्तेमाल तो कर्मचारियों को लाने ले जाने के लिए किया जाता था.
मुश्किल हालतों में इसे एम्बुलेंस की तरह भी इस्तेमाल किया जाता था.
C15TA Armoured Truck (Pic: mapleleafup)
39 एम कसबा आर्मर्ड स्काउट कार
39 एम कसबा आर्मर्ड स्काउट कार को द्वितीय विश्व युद्ध के समय में हंगरी की सेना के लिए खास बनाया गया था. 39 एम का निर्माण 1939 में किया गया जब इस तरह की 100 ही कारों को बनाया गया.
निर्माण के बाद यह इतनी कारगर साबित हुई कि इसका इस्तेमाल 40 वर्ष तक किया गया था.
इसकी सफलता का कारण था इसमें लगाए गए हथियार. इसमें एल-39 राइफल और 8 एम एम की मशीनगन लगाई गई थी. यह देखने में भले ही छोटा था मगर जंग के मैदान में यह बहुत ही कारगर साबित हुआ.
39M Csaba (Pic: imodeler)
टी 27 आर्मर्ड कार
टी 27 आर्मर्ड कार स्टडबेकर कॉर्पोशन नाम की कंपनी ने बनाया था जिसको अमेरिकी सेना ने इस्तेमाल किया था.
देखने में यह एक बड़े टैंक की तरह लगती थी. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें आठ पहियों का इस्तेमाल किया गया था.
टी 27 आर्मर्ड कार को चलने के लिए 4 चालक दल के सहयोग की जरूरत होती थी.
टी 27 आर्मर्ड कार को 30 कैलिबर मशीनगन और 37 एम एम की तोप के साथ लैस किया गया था. इसमें इतनी ताकत थी कि किसी बड़ी दुश्मन को भी बड़े आराम से ख़त्म कर दें. इसके अलाव इसके अंदर 8 सिलेंडर वाले ताकतवर इंजन का इस्तेमाल किया गया था.
जंग के मैदान में यह किसी तोप की तरह काम किया करता था. इसके आने की आवाज सुनकर ही दुश्मन थरथरा जाता था.
T27 Armored Car (Pic: pinterest)
तो देखा आपने यह थे दूसरे विश्व युद्ध में इस्तेमाल किए गए कुछ वाहन. इन्हीं के कारण कितने ही देशों ने अपनी ताकत बढ़ाई थी. यूँ तो यह छोटे और अजीब से हैं मगर फिर भी इनकी अहमियत उस समय बहुत थी.
अपने समय के हिसाब से यह सभी वाहन बहुत ही आधुनिक थे. जंग जीतने में इनका भी बहुत अहम योगदान था.
Web Title: Strange Military Vehicles Of World War II, Hindi Article