अमेरिका विश्व में महाशक्ति के रूप में जाना जाता है. इसकी सैन्य-शक्ति का लोहा पूरी दुनिया ने माना है. यही वजह है कि अमेरिकन आर्मी को दुनिया की नंबर वन आर्मी भी कहा जाता है.
यूनाइटेड स्टेट्स की सेना मैन पॉवर के साथ-साथ आधुनिक हथियारों और टेक्नोलॉजी से भी लैस है. तभी तो कोई भी देश इसकी तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत तक नहीं करता.
किन्तु, क्या आप जानते हैं कि कई बार ऐसा हुआ है, जब दूसरें देशों ने उसको चुनौती देना का काम किया. जापान इसका एक बड़ा उदाहरण है. उसने 1945 में ना सिर्फ अमेरिका पर हमला किया, बल्कि उसके कई नागरिकों और सैनिकों को कैद तक करने की हिमाकत की.
हालांकि, अमेरिका ने भी उसे मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपने सभी युद्ध बंदियों को आजाद कर लिया था. उसने अपने रेस्क्यू मिशन द ग्रेट रेड 1945 की मदद से महज 30 मिनट में ही अपने सभी नागरिकों को जापान की कैद से आजाद करा लिया था.
यह मिशन क्या था और इसने कैसे दुश्मन को चित्त कर दिया आईये जानते हैं–
द ग्रेट रेड 1945 की जरुरत क्यों पड़ी?
वर्ल्ड वार-2 की शुरुआत में जापान अमेरिका पर भारी पड़ रहा था. यही नहीं तब जापान इतनी क्रूरता पर उतर आया था कि वह अमेरिकी सैनिकों को कैद कर उन्हें जिंदा आग के हवाले कर देता था. इसी कड़ी में 1944 के आसपास जापान सैनिक आगे बढ़ते हुए फिलीपींस के कैबनातान में कब्जा करने में कामयाब रहे.
यहां कैबनातान की जेल में उन्होंने करीब 511 अमेरिकी लोगों को कैद कर रखा था. इसमें सैनिक, पॉयलेट्स, नौसैनिक और कुछ मित्र देशों के सिविलियन्स भी शामिल थे. कैबनातान के इस युद्धबंदी कैम्प में कैदियों को भूखा रखने के साथ ही अनेक प्रकार की यातनाएं भी दी जा रही थीं.
यहीं वजह थी कि अमेरिका को जैसे ही इस बात की खबर मिली, उसने फौरन उन्हें वहां से निकालने की तैयारियां शुरू कर दी. जल्दी ही अमेरिकी सेना ने एक फुल प्रूफ प्लान बनाया, जिसकी बागडोर उन्होंने अपनी ‘सिक्स रेंजर्स आर्मी बटैलियन’ को सौंपी.
US Army (Pic: Wikiwand)
कर्नल मक्की ने किया नेतृत्व
प्लान के तहत 100 आर्मी रेंजर्स, अलामो स्काउट्स और फिलीपिनो गुरिल्लाओं का एक समूह बनाया गया. इसका नेतृत्व कर रहे थे कर्नल मक्की. उन्होंने अपनी योजना के अनुसार अपने समूह को युद्ध बंदियों के कैम्प तक पहुंचने के लिए जापानी सीमा के भीतर करीब 30 मील की दूरी पैदल और रेंगते हुए तय की.
साथ ही पूरा मिशन दिन की बजाय रात में पूरा करने के लिए कहा गया, ताकि जापानियों को इसकी की खबर ना लग सके. फिलीपिनो गुरिल्लाओं को दुश्मन की पूरी इंटेलिजेंस रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, साथ ही रास्ते और कैम्प में मौजूद पहरेदारों की संख्या और स्थिति का भी पूरा नक्शा तैयार करने के लिए कहा गया.
बाद में पूरी जानकारी इकठ्ठा करते हुए कर्नल मक्की ने अपनी टीम को पूरा प्लान समझाया और रात के अंधेरे में इस मिशन को पूरा करने के लिए निकल पड़े. रास्ते में उन्होंने फिलीपिनो गुरिल्ला सैनिकों से कुत्तों और मुर्गियों को मारने के लिए कहा, ताकि दुश्मन का ध्यान भटकाया जा सके.
…और कर दिया कैम्प पर हमला!
अमेरिकी फौज पूरी तैयारी के साथ जल्द ही अपने टारगेट तक पहुंची गई. कर्नल मक्की की टीम आटोमेटिक राइफल्स, सब गनमशीन और 45 कैलिबर की पिस्तौल जैसे घातक हथियारों से लैस थी. प्लान के मुताबिक सबसे पहले कर्नल मक्की ने अमेरिकन प्लेन पी-61 को कैम्प के ऊपर से उड़ाने का आदेश दिया.
असल में वह टारगेट पर मौजूद गार्ड्स का ध्यान भटकाना चाहते थे. इसमें वह सफल रहे और मौका पाते ही फायरिंग का आदेश दे दिया. दुश्मन समझ पाता इससे पहले अमेरिकी सैनिकों ने दुश्मन के सैनिकों की लाशों के ढेर लगा दिए.
हालांकि, जापानी सैनिक भी जवाबी फायरिंग कर रहे थे, किन्तु, ज्यादा देर तक वह उनके सामने नहीं टिक सके और महज 30 मिनट में ही उन्होंने अमेरिकी सैनिकों के सामने हथियार डाल दिए. देर न करते हुए अमेरिकी सैनिकों ने आगे बढ़ते हुए उस जेल के अंदर दस्तक दी जहां, उनके लोग कैद थे.
Us Army during War (Pic: Wikipedia)
मिशन सफल रहा लेकिन…
अमेरिकी सैनिकों ने अपने साथियों को आजाद तो करा लिया था, लेकिन समस्या यह थी कि इतने सारे लोगों को एक साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया कैसे जाए. असल में यातनाओं के चलते कई लोग तो चलने तक की स्थिति में नहीं थे.
खैर, सैनिकों ने अपना धैर्य नहीं खोया और मानवता का परिचय देते हुए कुछ लोगों को अपने कंधों पर, तो कुछ को फिलिपिनो गुरिल्ला बैल गाड़ियों में लादकर महफूज जगह पर ले गए. करीब 100 बैलगाड़ियां इस काम के लिए इस्तेमाल में लाई गई थी.
इस मिशन में जापानी सेना को भारी जान और माल का नुकसान हुआ, जबकि अमेरिकी के सिर्फ दो रेंजर्स ही मारे गए थे. उन्होंने दुश्मन के पूरे समूह को ही तबाह कर दिया था. बताया जाता है कि उस वक्त शीविर में करीब 500 जापानी सैनिक मारे गए थे.
योद्धाओं का किया गया सम्मान
विश्व युद्ध-2 के दौरान इस तरह के जटिल और मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाना वाकई काबिले तारीफ था. इस मिशन की सफलता के लिए सभी को सम्मानित भी किया गया. कर्नल मक्की को डिस्टिनग्युइश सर्विस क्रास, ऑफिसर्स को सिलवर स्टार, रेंजर्स को ब्रॉन्ज स्टार देकर सम्मानित किया गया. वहीं फिलिपिन्स के अधिकारियों और गुरिल्लाओं को ब्रॉन्ज स्टार से नवाजा गया.
साल 1945 में हुए इस ऐतिहासिक रेस्क्यू ऑपरेशन की रियल स्टोरी पर बेस्ड एक फिल्म भी बन चुकी है. इस हॉलीवुड फिल्म का नाम था द ग्रेट रेड.
साल 2005 में रिलीज हुई इस फिल्म को जॉन डाहल ने डायरेक्ट किया था, जिसमें बेंजामिन ब्रैट और जेम्स फ्रैंको जैसे स्टार्स ने मुख्य भूमिका निभाई थी.
Sick man in Cabanatuan Prison Camp (Pic: Hawaii )
फिल्म में द ग्रेट रेड 1945 के पूरे मिशन को बड़े ही नाटकीय ढंग से फिल्माया गया, जिसे लोगों ने खूब पसंद भी किया. खासकर यह अमेरिकी सैनिकों के लिए खास रही, क्योंकि इसके जरिए उन्हें अपनी सेना पर गर्व करने का मौका मिला.
आप क्या कहेंगे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किये गए इस सफलतम आपरेशन के बारे में?
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Web Title: The Great Raid of 1945, Hindi Article
Feature Image Credit: SOFREP