क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेलों को लेकर लोगों का जुनून देखते ही बनता है!
सिर्फ आम जनता ही, नहीं बल्कि मीडिया के लिए भी ये मनपसंद सामग्री बने हुए हैं. इन खेलों की लोकप्रियता इतनी है कि शायद ही कोई ऐसा हो, जो इन खेलों के बारे में न जानता हो.
वहीं कुछ खेल ऐसे भी हैं, जिनके बारे में शायद ही कभी आपने सुना हो.अंडर वाटर हॉकी ऐसे ही एक खेल का नाम है.
तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों कहा जाता है इस खेल को अजब-गजब और क्या है इसका इतिहास-
एलन ब्लेक ने की थी इस खेल की शुरुआत
जमीन पर खेले जाने वाली हॉकी और आइस हॉकी तो काफी समय से ही लोगों के बीच प्रचलन में रहे हैं.
किन्तु अंडर वाटर हॉकी अभी तक यह पहचान नहीं बटोर पाया है. इसकी शुरुआत 1954 में पोर्ट्समाउथ के आसपास यूनाइटेड किंगडम से मानी जाती है. इसे शुरू करने का श्रेय एलन ब्लेक को बताया जाता है.
एलन, साउथ सी सब-एक्वा क्लब के सदस्य थे और वह खुद एक गोताखोर थे. अपने सालों के अनुभव के आधार पर उन्होंने यह महसूस किया कि गोताखोरों का काम गर्मियों तक ही सीमित है. सर्दियों में वो नियमित गोताखोरी नहीं कर पाते हैं.
सर्दियों के इस अंतराल के कारण उनके शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने सोचा कि क्यों न गोताखोरों को सर्दियों में भी किसी गतिविधि में लगाया जाए. इसी क्रम में उन्होंने अंडर वाटर हॉकी गेम का आविष्कार किया.
इससे उन्हें एक रोचक खेल के रूप में असरदार कसरत भी मिल गयी. मज़ेदार बात तो यह है कि शुरुआत में इसका नाम 'ओक्टोपुश' रखा गया था. अंग्रेजी में ओक्टो का अर्थ होता है 'आठ'.
असल में इसे उस समय आठ लोगों की टीम को ही ध्यान में रखकर बनाया गया था, इसलिए इसका नाम ‘ओक्टोपुश’ पड़ा.
कनाडा ने की पहली विश्व चैम्पियनशिप की मेजबानी
आगे जैसे-जैसे गोताखोर इसे नियमित रूप से खेलने लगे. वैसे-वैसे इसे मात्र एक व्यायाम की जगह नए स्वतंत्र खेल के रूप में पहचान मिलनी शुरु हो गई. 1954-55 में इसे अलग-अलग क्लब्स के बीच प्रतियोगिता के रूप में खेला जाने लगा. इसके बाद यह खेल जल्द ही दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया और फिर बाकी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया.
1970 के दशक में इन सभी देशों में नेशनल अंडर वाटर हॉकी चैंपियनशिप खेली गयी. इसके बाद 1980 में कनाडा ने पहली विश्व चैम्पियनशिप की मेजबानी की, जिसमें 5 देशों में भाग लिया था. यह खेल कितना पसंद किया गया, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके बाद अमेरिका ने भी वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता का आयोजन किया.
यह आयोजन 1984 और 1998 में किया गया था. वर्ल्ड चैंपियनशिप की शुरुआत के बाद तो इस खेल की लोकप्रियता हर साल बढ़ती ही चली गयी. सन 2013 में इसकी 19वीं वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता हंगरी में खेली गयी. आज इस खेल को 36 से ज्यादा देशों में खेला जाता है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में तो इसे बेशुमार प्यार और इज्ज़त दी जाती है.
हालाँकि, यह खेल अब तक ओलंपिक में अपनी जगह नहीं बना पाया है.
बात भारत की करें तो अप्रैल 2018 में देश में पहला अंडर वाटर हॉकी प्रैक्टिस मैच खेला गया. इसी के साथ ही देश के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया. अंडर वाटर स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से आगरा में इस मैच का आयोजन किया गया था. हालांकि, भारत में इस खेल को लोग अभी भी ज्यादा नहीं जानते हैं.
सांस रोक कर खेला जाता है यह खेल!
खेल की शुरुआत में दोनों टीम पूल के एक-एक किनारे पर खड़ी रहती हैं और 'पक' पोल के बीचोंबीच रखा होता है. रेफरी के सीटी बजाते ही दोनों टीम पक को कब्ज़े में करने के लिए टूट पड़ती हैं.
हॉकी की ही तरह इसमें भी पक को गोल के अंदर डालने से टीम को पॉइंट मिलता है. शुरुआत में भले ही इस खेल में हर टीम में 8 प्लेयर हुआ करते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ कर 10 हो गयी है. दूसरे सभी खेलों की तरह इसमें भी एक्स्ट्रा प्लेयर रखे जाते हैं. खेल के दौरान, 6 खिलाड़ी पूल में मौजूद होते हैं और 4 खिलाड़ी एक्स्ट्रा में रखे जाते हैं.
मज़े की बात तो यह है कि इस खेल को सांस रोक कर खेला जाता है, इसलिए जितनी लंबी सांस कोई रोक पाता है, वह उतनी ही देर तक खेल सकता है. यह बात इस खेल को बाकी खेलों से अलग बनाती है.
एक्स्ट्रा के 4 खिलाड़ी, इसी कारण खेल के दौरान भी पूल में ही मौजूद रहते हैं. खेलते समय अगर खिलाड़ी की सांड ख़त्म हो जाए, तो ऐसे में वह एक्स्ट्रा में खड़े खिलाड़ी को छू लेता है. इसके बाद वो उस खिलाड़ी की जगह लेकर खेलना शुरू कर देता है. समय सीमा की बात करें, तो यह 15 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है.
इनके बीच खिलाड़ियों को 5 मिनट का विश्राम समय दिया जाता है. जिस तरह हॉकी में गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. उसी तरह यह खेल 'पक' से खेला जाता है, जिसका वज़न तकरीबन 1.5 किलोग्राम होता है.
जितना मजेदार खेल, उतने आसान इसके नियम!
जितना अनूठा यह खेल है, उतना ही रोचक इस खेल को खेलने का तरीका है!
हालांकि, इस खेल के नियम काफी कम है और आसान भी. असल में यह एक गैर संपर्क खेल है. एक खिलाड़ी अपने हाथ से दूसरे खिलाड़ी की गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
इसके अलावा इस खेल में कोई ऑफ-साइड नियम नहीं है. पक को दस्ताने से उठाने या बल्ले पर ले जाने की अनुमति नहीं है. पक को जानबूझकर बल्ले की जगह शरीर के किसी अंग से रोकने पर फाउल दे दिया जाता है.
यदि किसी खिलाड़ी के नाम पर फाउल दर्ज होता है, तो ऐसे में या तो दूसरी टीम को पेनल्टी गोल दिया जा सकता है, या फिर उस खिलाड़ी को कुछ समय के लिए खेल से निकाला जाता है.
खेल के सभी नियमों का पालन हो रहा है. यह सुनिश्चित करने के लिए पूल में दो रेफरी मौजूद रहते हैं. यह खेल पानी में खेला जाता है. इसमें महिलाएं और पुरुष सामान रूप से खेल सकते हैं. एक दूसरे के साथ भी और एक दूसरे के खिलाफ भी.
खैर, यह बात तो स्पष्ट है कि जिस तरह से यह खेल पिछले कुछ सालों से लोकप्रियता बटोर रहा है, उससे वह दिन दूर नहीं कि यह जल्द ही ओलंपिक खेलों में भी अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेगा.
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Web Title: Underwater Hockey, A Unique Sport, Hindi Article
Feature Image Credit: straitstimes