‘तकनीक’, इस एक शब्द के इर्द-गिर्द ही इंसानी जीवन घूमता रहता है!.
बिना इसके हम लोगों के लिए जीवन बसर कर पाना मुमकिन नहीं होता. यह हमारे दैनिक जीवन का आधार है, जिसे हम चाहकर भी झुठला नहीं सकते. तकनीक और इंसान का रिश्ता आज से ही नहीं है, बल्कि यह रिश्ता तो ‘स्टोन ऐज’ से चला आ रहा है.
हाजारों साल पहले हुए एक आविष्कार ने आज की 21वीं सदी को आधुनिक युग बनने का अवसर दिया है. वहीं एक आविष्कार हमारे जीवन को ढेरों तरीकों से प्रभावित करता है.
क्या आप उस एक आविष्कार के बारे में जानते हैं? जी हां, यहां बात हो रही है पहिए के आविष्कार की. इसे 3500 बी.सी में पहली बार बनाया गया था.
मगर क्या कभी आपने सोचा है कि एक पहिया कितने तरीकों से हमारे जीवन को प्रभावित करता है? यहां तक कि हमारी जिंदगी में रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें भी इससे जुड़ी हैं.
एक बोतल के ढक्कन से लेकर जहाज के चक्कों तक सब का सीधा संबंध पहिए से ही है. यहां तक की हमारी बड़ी-बड़ी इमारतें, मशीने हर चीज का संबंध पहिये से है.
कैसे आईए जानते हैं-
पिरामिड के निर्माण में सहायक!
वर्तमान समय में इंसानी जीवन की मशीनों पर निर्भरता इस कदर बढ़ गई है कि उनके बिना जीवन यापन का सोचा भी नहीं जा सकता.
कारण है कि हमारे सभी काम इन छोटी-छोटी मशीनों पर ही निर्भर हैं. मगर यह सभी चीजों का संबंध मनुष्य के उस पहले आविष्कार से जुड़ा है, जिसे पहिए के नाम से हम जानते हैं.
प्राचीन समय के आर्किटेक्चर की अद्भुत मिसाल माने जाने वाले इजिप्ट के पिरामिड किस प्रकार निर्मित हुए, क्या कभी आपने सोचा है.
कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि आज से कई सौ साल पहले तक इंसान के पास न तो आज की जैसी बड़ी बड़ी मशीनें थी और न ही औजार.
तो आखिर कैसे टन वजनी पत्थरों को एक सही आकार में काट कर उन्हें एक उचित स्थान पर एक के ऊपर एक रख कर इन पिरामिड्स का निर्माण किया गया!
यकीनन यह इंसानी इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल है और यह सिर्फ पहिए को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करके ही संभंव हो पाया.
प्राचीन इजिप्ट में भी पहिये से कई तरह की मशीने बनाई गईं, जिनसे भारी पत्थरों को भी आसानी से उठाया जा सका. पहियों के इस्तेमाल ने ही दुनिया के नायाब पिरामिड को बनाने में मदद की.
दरअसल, पहिया अपने गोल आकार के कारण काफी प्रभावशाली हो जाता है. अगर इसका सही से इस्तेमाल किया जाए तो यह बड़ी से बड़ी चीज को आधे बल की मदद से खींच देता है.
इसी तकनीक को इजिप्ट के लोगों ने अपनाया. आज भी पहिये को अलग-अलग तरीकों से विभिन्न मशीनों में इस्तेमाल कर उन्हें गतिशीलता प्रदान की जाती है.
Egyptian Pyramid (Representative Pic: Business Insider India)
रबड़ के पहियों ने यातायात सुगम बनाया
जैसा कि हम जानते ही हैं कि पहिए का इस्तेमाल मुख्य रुप से यातायात के संसाधनों हेतु किया जाता था. शुरुआती दौर में यातायात के प्रमुख साधन घोड़ा गाड़ी या बैल गाड़ी ही हुआ करते थे.
इसमें लकड़ी के पहिए लगाए जाते थे. मगर बाद में 1885 के समय कॉरल बेनज़ ने पहली बार पहिये के चारों ओर रबड़ चढ़ाने की बात सोची, जिसके चलते पहली बार रबड़ के टायर अस्तित्व में आए. आगे चलकर इस सोच ने पहियों के चलने की उम्र को बढ़ा दिया.
इसके बाद साल 1926-27 में पहली बार पहिए में स्टील वायर लगाकर पेश किया गया, जिनका प्रयोग साइकिलों व रिक्शा इत्यादि बनाने में किया जाता था.
धीरे-धीरे शुरु हुआ यह कारवां आगे बढ़ता गया और साइकिल- मोटरसाइकिल और गाड़ियों में स्टील और रबड़ से बने इन पहियों का इस्तेमाल होने लगा.
इसने यातायात को पहले से ज्यादा आसान और सस्ता बना दिया. इसके आने के बाद तो गाड़ियों को चलन शुरू हुआ और दूर-दूर की यात्राएं भी संभव हो पाई.
Rubber Tyre (Representative Pic: IEEE Computer Society Publications)
पानी के जहाजों में भी काम आया
पहिए का इस्तेमाल केवल यातायात में ही नहीं किया गया, बल्कि इसके आकार को लेकर अन्य कई चीजें भी तैयार की गई. उन सभी नए आविष्कारों ने इंसानी जीवन के स्तर को ऊंचा उठाया.
इसका एक उदाहरण है, आर्किमिडीज स्क्रू.
इसे एक प्राचीन ग्रीक वैज्ञानिक आर्किमेडेस ने समुद्री जहाज से पानी निकालने के लिए बनाया था. कहा जाता है कि इसे बनाने की प्रेरणा पहिए के गोल आकार से ही आई थी.
यह एक गोल आकार की लंबी पाइप थी, जिसके एक हिस्से पर हाथ से चलने वाला पेडल लगा था. इस पाइप को 45 डिग्री के एंगल पर झुका दिया जाता था और उसके एक सिरे को पानी में डूबा दिया जात था. पेडल को घुमाने पर पाइप से घर्षण पैदा होता था और वह जहाज के पानी को खींच कर दूसरे हिस्से से वापिस पानी में छोड़ देता था.
आज के आधुनिक युग में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. अब इस तकनीक के जरिए सीवरेज प्रणाली को नियंत्रित किया जाता है.
Archimedes Screw (Pic: Leftfieldwander)
टरबाइन को चलाते हैं पहिए
हमारी बुनियादी जरुरतों में से एक बिजली भी है. इसका प्रयोग हमारे घरों, कार्यालयों व हर एक सार्वजनिक व गैर सार्वजनिक स्थानों को रोशन करने और हमारे उपयोग की हर एक मशीन को चलाने में होता है.
यह बिजली बड़े-बड़े टरबाइनस द्वारा पैदा की जाती है और पहिये ने ही टरबाइन को काम करने की उसकी ताकत दी है. यानी इनके बिना टरबाइन काम नहीं कर सकता.
जिस प्रकार मध्यकाल के समय लकड़ी के बड़े पहिये बनाकर उन्हें घुमाकर बिजली पैदा की जाती थी. उसी प्रकार अब टरबाइन में छोटे-छोटे पहियों को एक्सल की सहायता से लगाया जाता है, जो टरबाइन को गतिशीलता प्रदान करते हैं. इससे बिजली उत्पन्न होती है.
Turbines Wheels (Representative Pic: triveniturbines)
बहरहाल, आज हजारों साल बाद पहिया अपने असल इस्तेमाल यानी यातायात इत्यादि से आगे निकल कर बिजली उत्पन्न करने, मशीन बनाने व अन्य बहुत सी चीजों के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. यह दिखाता है कि इंसान की समझ ने इतने वर्षों में कितने परिवर्तन किए और कैसे इस दुनिया को एक नया रुप दिया.
आने वाले कुछ दशकों बाद हम न जाने पहिए के और कौन-कौन से नए रुप देखेंगे और कैसे यह हमारे जीवन को और ज्यादा खुशहाल व सरल बना देगा.
यकीनन ऐसा होगा, क्योंकि इंसान की हमेशा आगे बढ़ते रहने की लालसा कभी खत्म नहीं होगी. नतीजतन तकनीक की उन्नति कभी नहीं रुकेगी, यह समय के कांटे के साथ-साथ निरंतर वृद्धि करती जाएगी.
Web Title: Wheel a Great Invention, Hindi Article
Featured Image Credit: history.co