कल्लू फिर से नई लुगाई ले आया. मोहल्ले में खुसुर फुसुर थी… ये कल्लू की चौथी बीबी थी.
जे मरा लुगाइयों की नैक भी इज्जत ना करे एक दिन कोई लुगाई ही जाकी अकल ठिकाने लगाबेगी अम्मा बडबडाई .” अरी अम्मा अबकी तौ कही से नाबालिग बच्ची उठा लायो है… घोर अनर्थ है जे तो जाकी शिकायत पुलिस में होनी चाहिए” पप्पू बोला.
‘रे छोरा शिकायत से का फायदा खानापूर्ति करके पुलिसवाले तौ चले जायेंगे, कलेश हम सबकी जान कूं आ जाएगो, चिंता ना करो मोकू तो ऐसो लगे कि जे छोरी ही जाको इलाज करेगी देखियो” अम्मा ने समझाया… इसी तरह की बातें पूरे महल्ले में हो रही थी.
पर हमारे कल्लूराम उर्फ़ कल्लू जी की सेहत पर पहले भी कोई फर्क नहीं पड़ा था, सो आज भी नहीं पड़ रहा था. … वैसे तो कुल टोटल ढाई सो ग्राम की बोडी पर अजीबोगरीब सी बिना किसी नैन-नक्स के चेहरे का भार उठाती, उजड़े से खिचड़ी बालों वाली खोपड़ी टिकी है, लम्बाई पांच फुटिया से भी कुछ कम है पर जुबान इतनी लम्बी है कि पूरे विश्व को लपेटो तो भी दो चक्कर मार लिया जाए. रंग ऐसा कि लोगों ने ही कल्लू नाम रख दिया… माँ बाप को तो सोचने तक की मेहनत नहीं करनी पड़ी! हां बड़े होने पर कल्लू ने नाम के साथ राम और जोड़ लिया अब करम भले ही रावण वाले हैं पर नाम के साथ अच्छा नहीं लगता ना “कालूरावण”. उम्र भी पैन्तालीस पार कर चुकी है पर कल्लू जी अपनी मर्दानगी पर इतना दम भरते हैं कि एक मुलाकात में किसी भी महिला को अपना दीवाना बनाने का दावा ठोकते हैं. और आत्मविश्वास तो इतना गजब का कहो तो हाथी से भी भिड जाएँ.. भले ही कुचले जाएँ! ऐसे में भी जाने कौन सा जादू जानते हैं महाराज कि चौथी शादी करके आये हैं और कई चक्कर चल रहे हैं, सो अलग!
पहली तीन बीबियाँ या तो इनकी पिटाई से तंग आकर भाग गयी या मर गयी, क्योंकि कल्लू जी पत्नी और जानवर में कोई खास फर्क नहीं समझते. जानवर भी वो जो दिनभर खट कर भी चूं ना करे और गलती से विरोध की कोशिश भी करे तो लात घूंसों से तुरंत इलाज कर दिया जाता. जिन बीबियों ने लड़की पैदा करी उन्हें लड़की सहित निकाल दिया गया. जो मर गई उसकी बच्ची उसके मायके पहुंचा दी गयी. सिर्फ पहली बीबी के दो लड़के पास रखे हैं, क्योंकि लड़की मतलब बोझ होता है जी, औरत सिर्फ पत्नी रूप में ही अच्छी लगती है कल्लू जी को… इसलिए माँ भी ऐसे महान इन्सान को पैदा करने के कुछ महीनो बाद ही मर गयी. ये प्रथम और अंतिम संतान थे, सो जमीन जायदाद के इकलौते वारिस हैं. अकड़ने का एक कारण ये भी था…
कल्लू खुद तो उत्तर प्रदेश के हैं पर इस बार बिहार के किसी गांव की गरीब कम उम्र लड़की खरीद लाये और शुरू हो गया जानवरों जैसा व्यवहार! घर के काम और दो बच्चो का बोझ उसके कंधो पर डाल दिया गया था और रात को पत्नी धर्म भी जोर जबरदस्ती से बसूल ही लिया जाता था, क्योंकि कल्लू जी ना सुनने के आदी नहीं थे. बेचारी बच्ची टाइप पत्नी हर वक्त डरी डरी रहती. बोली भाषा समझने की दिक्कत के साथ साथ वो इतना तो समझ चुकी थी कि जरा भी चूकी तो रुई की तरह धुन दी जाएगी… पूरा महल्ला च च च तो करता पर बोलता कोई नहीं क्योंकि जमाना तमाशबीनो का ही होता है. वैसे भी बोलने का कोई फायदा तो था नहीं क्योंकि कल्लूराम के लड़ाके स्वभाव और कडवी जुबान की वजह से सब उनसे दूर ही रहते.
वक्त बीतने के साथ साथ नई पत्नी ने दो बेटियों को जन्म दिया. बेटियां पैदा करने का सीधा मतलब कल्लूराम के पौरुष पर चोट सो पत्नी के हालात अब लातों पर ही टिके थे.
विरोध वो बेचारी कर नहीं सकती थी क्योंकि विरोध की हिम्मत वो लड़कियां करती हैं जो या तो पढ़ी लिखी हों या जिनके पीछे कोई हो, ये बेचारी तो अनपढ़ होने के साथ अकेली भी थी. माँ बाप बेच कर निश्चिंत हो चुके थे. धीरे धीरे बच्चे बड़े होने लगे और वह लड़की यानी कल्लू की पत्नी भी घरों में बर्तन झाड़ू पोछा का काम करने के बहाने बाहर निकलने लगी. कल्लू जी पैसे के लालची थे, सो पत्नी को काम करने की इजाजत आसानी से मिल गयी, और बदलाब भी यही से शुरू हुआ. क्योंकि वह जिस घर में जाती अपना दुखड़ा सुना सहानुभूति बटोरने लगी… और धीरे धीरे विरोध करना भी सीखने लगी. क्योंकि जितने लोगो से कहानी कहती उतने नए आयडिया उसे मिलते. असल में वह मदद की तलाश में थी. वो एक ऐसा हाथ तलाश रही थी जिसे थाम कर वो इस नरक से बाहर निकल सके.
लोग कल्लू को भी समझाते कि औरत को प्यार और इज्जत दो वर्ना कही के नहीं रहोगे… पर कल्लू उनको ही सिखाने लगता कि औरत को पैर की जूती से ज्यादा मान देने की जरुरत नहीं होती. अपनी अकड़ में उसने ध्यान भी नहीं दिया कि उस लड़की को ट्रेनिंग देने वाले और सहयोग करने वाले लोग धीरे धीरे तैयार हो रहे थे.
Hindi Satire on Bad Husband, Wife (Pic: saidonline)
वह डरपोक सी सहमी सी लड़की बहादुर होने लगी थी और शरीर से भी चुस्त हो रही थी. बहादुरी का ही नतीजा था कि सबसे पहले तो उसने अपने घर से ससुर को खदेड़ा जो उसके पिटने का तमाशा देखता था. उसके बाद सौतेले बच्चों को नौकर बना डाला और खुद आराम फरमाने लगी. एक दिन कल्लू ने अपनी बीबी को जम कर पीटा उस दिन तो वो हर बार की चुपचाप पिट ली. अगली रात कल्लू शराब पीकर गहरी नींद सो रहा था तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसे पीट रहा है… हाथ पैर तक हिलाने में असमर्थ था. अँधेरे में आँखे फाड़ फाड़ कर देखने की कोशिश करने लगा और जब स्थिति समझ आई तो 440 का झटका लग गया था बेचारे को, उसकी डरपोक सी पत्नी ने उसके नशे में होने का फायदा उठा चारपाई से बाँध दिया था और डंडे से जमकर सुताई कर डाली. कई दिन तक तो बेचारा घर पर पड़ा टूटे बदन की सिकाई करता रहा….
पूरे महल्ले में ये बात आग की तरह फ़ैल चुकी थी कि नई पत्नी ने कल्लू की मर्दानगी को चुनौती दे डाली है, अब तो हर वक्त लोगों की निगाहें कल्लू के घर पर ही रहती ….उन्हें आगे क्या होगा? जैसा सवाल जो सताने लगा था.
अब कल्लू शांत सा गुमसुम सा रहने लगा था क्योंकि पत्नी अब जवान और हट्टी कट्टी हो गयी थी, तो उसकी उम्र ढलने लगी थी. इसी वजह से वो सहम गया था. अभी कल्लू राम इस झटके से उबर पाता तभी एक बड़ा विस्फोट हुआ.
एक रात कल्लू रोज की तरह शराब पीकर छत पर सोया था. अचानक किसी आहट से उसकी आँख खुली तो देखा आवाज नीचे से आ रही थी …वह दबे पांव नीचे उतर कर आया तो कमरे में खटर पटर सुन कमरा आगे से बंद कर दिया और सुबह होने इन्तजार करने लगा.सुबह उसने भीड़ इकट्ठी कर डाली कि घर में चोर है सब डंडा लेकर खड़े हो गए. जब कमरा खुला तो उसकी पत्नी उसके जवान किरायेदार के साथ किसी हिंदी फिल्म की हिरोइन की तरह मुस्कुराती हुई अंगड़ाई लेती हुई निकली… बेचारे कल्लूराम तो शर्म से पानी पानी थे पर आज पूरा महल्ला खुश था .. कल्लू राम की रोनी सूरत देखकर. मानो मन ही मन कह रहे थे सेर को सवा सेर मिल ही गई.
सबके जाने के बाद जैसे ही कल्लूराम पत्नी को मारने दौड़ा पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर अच्छी तरह ठुकाई कर डाली. उस दिन के बाद से समझो कल्लूराम के बुरे दिन शुरू हो गए थे. पत्नी खुलेआम प्रेमी संग रास रचाती और विरोध करते ही कल्लूराम की आरती जूतों चप्पल से उतार देती.
किसी की सलाह पर कल्लूराम ने उस किरायेदार को घर खाली करने के लिए बोल दिया… पर ये क्या यहाँ भी कल्लू राम की ही दुर्गति हो गयी. पत्नी पांच बच्चे छोड़ अपने प्रेमी संग चली गयी. अब कल्लूराम की मानो शामत आ गयी थी. घर का काम और बाहर का काम संभलते सँभालते कल्लूराम खाना- पीना तक भूल गए थे… किसी को अपना दुखड़ा भी नहीं सुना सकते थे, क्योंकि जिसको बोलते वो उस पर ही हँसता! बेचारे कल्लू राम हारकर बीबी के पैरों पर गिर गए वापिस लाने के लिए. पत्नी वापिस तो आ गयी पर अपनी शर्तों पर.
अब वही अकडू कल्लूराम गर्दन झुकाकर हर शर्त मानकर तैयार हो गए. उनकी मर्दानगी को मात दे पत्नी उनकी छाती पर ही मजे ले रही है. अब ये ना पूछो कैसे मजे!
और बेचारे कल्लूराम… अन्दर ही अन्दर रो रहे हैं… और खुद को कोस रहे हैं… इसके अलावा कुछ और करने की हिम्मत जो नहीं बची… च च च!
Web Title: Hindi Satire on Bad Husband, Wife, Adultery, Archana Chaturvedi
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