Ompuri Passes Away, Known Bollywood Actor (Pic credit: Team Roar)
ना केवल एक्टिंग की दुनिया में बल्कि सामाजिक जीवन में भी बहुत कम ऐसी हस्तियां हुई हैं, जिन्हें उनके दुश्मन भी पसंद करते हों, उसका गुण गाते हों और जिसकी स्वीकृति अपने दायरे से बाहर दूसरी जगहों पर भी उतनी ही हो! ओम पुरी का अचानक चले जाना, उनके प्रशंसकों सहित अनगिनत सिनेमा प्रेमियों को भीतर तक चोट पहुंचा गया है. भारत के पीएम मोदी सहित पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है, जिससे इस महान अभिनेता का कद आप ही जाहिर होता है. यह समझना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का यह श्रद्धांजलि संदेश तब आया है, जब भारतीय सिनेमा से पाकिस्तानियों को दूर रखने की बात जोर शोर से मीडिया में कही जा रही है.
भारत-पाकिस्तान के उलझे हुए संबंध अपनी जगह हैं, किंतु इन्हें सुलझाने वाले लोगों में ओमपुरी का नाम भी उतना ही सम्मान से लिया जाना चाहिए, जितना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई या किसी दूसरे बड़े राजनेता का!
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर उनके दृष्टिकोण को विशेष लोग चाहे जैसे लें, किंतु यह हकीकत है कि सच्चे दिल से वह दोनों देशों के बीच शांति की वकालत करते रहे और शांति की वकालत करने वालों का अपना मानवीय दर्जा होता है, जो हर दर्जे से ऊपर होता है.
बॉलीवुड, हॉलीवुड और …
ओम पुरी की व्यापक स्वीकार्यता की बात करते हैं तो, अंग्रेजी फिल्मों में बॉलीवुड सितारों का जाना आजकल बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है. कभी प्रियंका चोपड़ा की हॉलीवुड फिल्म करने की चर्चा हो रही है, तो कभी दीपिका पादुकोण या इरफान खान की, किंतु यह समझना अपने आप में रोमांचक है कि ओम पुरी दशकों पहले से ही बड़े हॉलीवुड स्टार रहे हैं. सिटी ऑफ जॉय, वुल्फ, ईस्ट इज ईस्ट, चार्ली विलसन्स वार और द हंड्रेड फुट जर्नी जैसी कई फिल्मों से उन्होंने हॉलीवुड जैसी जगहों में व्यापक स्वीकार्यता हासिल की.
देश से विदेश तक उन्हें कई सम्मान भी मिले, जिसमें पद्मश्री, आर्डर ऑफ ब्रिटिश एंपायर, नेशनल फिल्म अवार्ड, कार्लो वेरी फिल्म फेस्टिवल के बेस्ट एक्टर अवार्ड, ब्रसेल्स फिल्म फेस्टिवल के बेस्ट एक्टर अवार्ड जैसे सम्मान शामिल हैं तो जिंदगी जीने का उनका सुलझा नजरिया हमें काफी कुछ सीख दे जाता है.
‘बूढा ही सही, गांव में एक मर्द अभी ज़िंदा है’, कितनी सटीक पंक्ति है और यह लाइन फिल्म अभिनेता ओम पूरी के जीवन पर भी उतनी ही सटीकता से बैठती है. यह डॉयलॉग उनकी ही बहुचर्चित फिल्म ‘मिर्च- मसाला’ का है, लेकिन उन्होंने इस लाइन को जिया है और इस कथन में किसी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं समझा जाना चाहिए. वस्तुतः भारतीय फिल्म जगत के गिरते उठते मापदंड में अगर अभिनय का कोई पैमाना रखा जायेगा तो निःसंदेह उसमें “ओम पूरी” साहब का नाम सम्मान के साथ दर्ज होगा.
जीवन दर्शन
बॉलीवुड तथा रंगमंच के बेहतरीन कलाकारों में स्थान रखने वाले ओम पुरी 66 साल की उम्र में अपने प्रशंसकों को छोड़कर चले गए. दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और यह खबर सुनकर मेरी पत्नी को साहस यकीन नहीं हुआ तो उसके मुंह से अचानक निकला कि ‘डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं पाए क्या’? उसने शायद पूरी खबर नहीं देखी थी, तो मैंने उसके कथन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुप होकर ओमपुरी का वह बयान याद करने लगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि “मृत्यु से डर नहीं लगता, मृत्यु का तो पता भी नहीं चलेगा. सोये-सोये चल देंगे. आपको पता चलेगा कि ओमपुरी का कल निधन हो गया.” यह खुद उनका बयान था, जिसे आप उनकी अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी भी कह सकते हैं. जीवन-मृत्यु के बारे में इतनी साफगोई का दर्शन आपको कम ही देखने को मिलेगा. देखा जाए तो, बहुत चंद लोग ऐसे होते हैं जो अपने जीवन काल में कामयाबी का स्वाद चखने के बाद उम्र के ढलते पड़ाव पर भी अपने कार्य को लेकर इतने संजीदा रहते हैं, जैसे ओम पुरी थे. ख़बरों के अनुसार, इस साल उनकी 6 फ़िल्में फ्लोर पर थीं, जिसमें सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’ समेत अन्य फिल्में थीं और अपने जीवन के अंतिम पलों तक व्यस्त रहते हुए यह महान अभिनेता शूटिंग अधूरी छोड़कर निकल गया!
अगर उनके 40 साल के फ़िल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. आर्ट और परंपरागत फिल्मों के साथ ही कमर्शियल फिल्मों पर भी उनकी पकड़ उतनी ही मजबूत थी और इसीलिए वह अभिनय के हर फन के माहिर माना जाते हैं. ओम पुरी की फिल्मों का ज़िक्र हो और ‘अर्धसत्य’ का ज़िक्र न हो ऐसा नहीं हो सकता. फिल्म ‘अर्धसत्य’ में अभिनय की नई ऊंचाइयों को छूते हुए उन्होंने चहुंओर प्रशंसा बटोरी थी. उन्हें इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय अवॉर्ड दिया गया था.
विवादों से चोली दामन का नाता
हरदिल अजीज इस कलाकार को विवादों से भी दो-चार होना पड़ा था, क्योंकि ओम पुरी हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते थे. मजाकिया लहजे में ही वो काफी गम्भीर बातें कह जाते थे. एक बार किसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि “बॉलीवुड में चालीस सालों तक काम करने के बावजूद भी मैं ‘खान’ नहीं बन पाया.” हालाँकि, इसको उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा था, पर इसका सन्देश साफ़ था कि बॉलीवुड में प्रतिभा की बजाय मार्केटिंग और जोड़ तोड़ की राजनीति कहीं ज्यादा चलती है. ऐसे ही, असहिष्णुता के मुद्दे पर आमिर खान के बयान का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया था और उसे ‘धार्मिक भावनाएं’ भड़काने वाला करार दिया था. उनके विवादित बयानों की काफी लंबी श्रृंखला है, जिसमें रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के मंच से नेताओं पर तीखा हमला शामिल था. उन्होंने हज़ारों लोगों की भीड़ के सामने कहा था, ”जब आईएस और आईपीएस ऑफिसर गंवार नेताओं को सलाम करते हैं तो मुझे शर्म आती है. ये अनपढ़ हैं, इनका क्या बैकग्राउंड है? आधे से ज़्यादा सांसद गंवार हैं.” इस बयान के बाद जब विवाद बढ़ा तो ओमपुरी ने माफी मांग ली और कहा, ”मैं संसद और संविधान की इज्जत करता हूं.” समझा जा सकता है कि इतना बोल्ड बयान देने का साहस जुटाना हर एक के वश की बात नहीं! ऐसे ही, भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने को लेकर उठे विवाद के बीच ओमपुरी ने साफगोई से कहा था, ”जिस देश में बीफ़ का निर्यात कर डॉलर कमाया जा रहा है वहां गोहत्या प्रतिबंधित करने की बात पाखंड है.
“ओमपुरी की वह राजनीतिक टिपण्णी भी काफी चर्चित रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था, ”अभी देखिए हमारे पास कोई च्वाइस नहीं है, सिवाय मोदीजी की गोदी में बैठने के! बाकी गोदियां हमने देख ली हैं.”
Ompuri Funerals (Pic from: nbcnews.com)
दर्द जो बाकी रह गया (प्रायश्चित)
इन सब विवादों के बीच उनका जो सबसे विवादित बयान था, वह एक शहीद भारतीय सैनिक को लेकर उनके मुंह से टीवी डिबेट में निकला था. ओमपुरी ने तब होश खोकर कह डाला था कि ”जवानों को आर्मी में भर्ती होने के लिए किसने कहा था? उन्हें किसने कहा था कि हथियार उठाओ?” यह कहना उचित रहेगा कि पछताने के बाद भी अपने इस बयान का बोझ लेकर ही ओमपुरी दूसरी दुनिया में गए! इस बयान की जो खिंचाई हुयी सो हुई, किन्तु आलोचना और निंदा से अधिक इस बयान पर ओमपुरी खुद ही ‘हीन भाव’ का शिकार हो गए थे. हालाँकि, इसे उनका बड़प्पन ही समझा जाना चाहिए कि इस भयानक भूल का एहसास होते ही उन्होंने न केवल माफ़ी मांग ली, बल्कि शहीद सैनिक के घर पहुँच गए और अपने वक्तव्य पर ‘पश्चाताप’ हेतु यज्ञ-कर्म भी किया.
हालाँकि, इस तरह के बयान को उनके मुंह से निकलवाया गया था, जैसा कि टीवी चैनल के एंकर हर रोज किसी न किसी के मुंह से निकलवाते हैं, पर भूल और अपराध को किसी कीमत पर क्षमा नहीं किया जाना चाहिए और इसलिए ओमपुरी ने खुद बाद में कहा कि ‘मैं इसके लिए सजा का भागीदार हूं. मुझे माफ नहीं किया जाना चाहिए.’
हमारे देश में हर रोज कोई न कोई नेता या सेलिब्रिटी कुछ न कुछ विवादित बयान देता है और हो-हल्ला होने पर सॉरी बोल कर निकल जाता है, लेकिन ओम पुरी ने शहीद सैनिक के घर जाकर उसके परिवार के पैरों पर गिर कर माफ़ी मांगी, जिससे समाज के प्रति उनकी भावनाओं का पता चलता है. दिलचस्प यह भी है कि जो पीड़ा लेकर ओम पुरी इस दुनिया से रवाना हो गए, वह खुद फ़ौज में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन किस्मत उन्हें अभिनय की दुनिया में खींच लाई. उनकी फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ सामजिक सन्देश देने के लिए हमेशा ही याद की जाएँगी, तो मानवता के लिए, शांति के लिए उनके व्यक्तिगत प्रयासों को हमेशा ही उचित सम्मान मिलता रहेगा, इस बात में दो राय नहीं!
Web Title: Ompuri Passes Away Hindi Article
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