मुकेश अंबानी का बिजनेस करने का ढंग ही निराला है. जिस तरीके से ढाई लाख करोड़ रुपए इन्वेस्ट करके उन्होंने रिलायंस जियो को मार्केट में लांच किया, उससे खलबली मचना तय ही था. पर मामला यहीं तक रहता तो एक बात थी, किन्तु रिलायंस जियो ने खेल के नियम बदल डाले हैं और सबसे नया खिलाड़ी होने के बावजूद दूसरी कंपनियों को रिलायंस जियो की बनाई राह पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कई सेलुलर कंपनियां इस गलतफहमी में बैठी रहीं कि मुकेश अम्बानी की रिलायंस, जियो के रूप में एक तरह से जुआ खेल रही है और जल्द ही उसका दम निकल जाएगा. हालाँकि, इस तरह के आंकलनों पर मुकेश अंबानी ने तब बयान दिया कि ‘रिलायंस जियो वेंचर’ कोई जुआ नहीं है, बल्कि सोचा समझा प्लान है. अब यह बात धीरे-धीरे सामने आ रही है. एक-एक करके सधे कदम बढ़ाते हुए मुकेश अंबानी ने मोबाइल नेटवर्क इंडस्ट्री को अपने नियम बदलने पर मजबूर कर दिया है. आइये देखते हैं, मुकेश अम्बानी की स्ट्रेटेजी क्या रही है और उसका व्यापक असर क्या पड़ने वाला है:
टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन
विदेशों में डाटा की खपत पर यह इंडस्ट्री बहुत पहले से चल रही थी. VOIP यानी वॉइस ओवर प्रोटोकॉल के तहत वॉइस, फैक्स, एसएमएस, मल्टीमीडिया मेसेजेस बेहद आसानी से पब्लिक इन्टरनेट पर सुलभ हो गयी थीं. हालाँकि, भारत में एयरटेल समेत दूसरे नेटवर्क ऑपरेटर्स 2G और 3G मार्केट के चक्कर में ही लम्बे समय तक फंसे रहे. संभवतः इसमें लगे पैसे के पीछे इस इंडस्ट्री के सभी खिलाड़ी लगे थे. समय की चाल को भांपते हुए मुकेश अंबानी ने मौके पर चौका मारा और 4G पर भारी भरकम दांव खेला. अभी गांव शहरों तक 2जी और 3जी की बातें चल ही रही थी कि मुकेश अंबानी ने 4जी को सर्व सुलभ बना दिया. वह भी दूसरों की तुलना में फ्री की हद तक! अब आप कल्पना कीजिए कि स्मार्टफोन क्रांति के बाद फेसबुक को अपना लाइट वर्जन इसलिए लांच करना पड़ा, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनेट स्पीड बेहद कमजोर थी. दूसरी तमाम कंपनियां भी अपना ऐप लांच करते समय भारत में स्लो इन्टरनेट स्पीड का ध्यान अवश्य रखती थीं. पर अब स्थिति बदल गयी है. तब कहां तो फेसबुक लाइट वर्जन भी ठीक से नहीं चलता था, किन्तु आज यूट्यूब के विडियो वह भी वगैर बफरिंग के लोग देखने लगे हैं. 10 करोड़ यूजर का टारगेट पूरा करने में जहाँ दूसरी कंपनियों को सालों साल लग गए, तो उस टारगेट को मुकेश अंबानी ने मात्र 5 महीने में ही पूरा कर लिया. मामला सिर्फ नए यूजर माइग्रेट होने से जुड़ा रहता तो एक बात थी पर असल बात दूसरी कंपनियों के बिजनेस मॉडल को तोड़ देने की है. जिन कंपनियों के पास इस स्तर का इन्टरनेट देने और इतना सस्ता देने का दम नहीं है, उन कंपनियों के मार्केट में टिके रहने का औचित्य समाप्त होने लगा है. कीमत के अलावा वॉइस ओवर एलटीई टेक्नॉलजी को लेकर कस्टमर्स के अच्छे अनुभव की वजह से रिलायंस जियो के मार्केट शेयर में लगातार इजाफा हो रहा है.
दूसरी कंपनियों में गठजोड़
Reliance Jio Business Model and Telecom Industry, Vodafone, Airtel (Pic: 91mobiles.com)
रिलायंस जियो की लांचिंग के समय एयरटेल सहित दूसरी कंपनियों पर आरोप लगा था कि यह रिलायंस जियो नेटवर्क से आने वालीं कॉल्स को बाधित कर रही हैं. मुकेश अम्बानी ने इसकी खुलकर शिकायत भी की थी, पर इन कंपनियों को क्या पता था कि इनकी ही शामत आने वाली है. शायद इसी वजह से कई छोटी बड़ी कंपनियां ‘मर्ज’ की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं. ख़बरों के अनुसार, वोडाफोन और आईडिया सेलुलर ऑपरेटर एक दूसरे के साथ जुड़कर मार्केट में टिके रहने की कोशिशों में जुड़े हैं तो अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक भारती एयरटेल भी दूसरे छोटे खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में लग गई है. बीते साल सितंबर में अनिल अम्बानी की रिलायंस कम्युनिकेशन और एयरसेल मर्जर की बात जोर शोर से उछली थी, जो इस साल परवान चढ़ सकती है. हालाँकि, इस बारे में विस्तृत सूचना आना बाकी है.
नौकरियों पर खतरा?
आइडिया और वोडाफोन मर्जर से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो सकते हैं. लगभग तीन लाख से ज्यादा लोग टेलिकॉम इंडस्ट्री में नौकरी करते हैं, किन्तु मर्जर प्रक्रिया के दौरान टेलिकॉम इंडस्ट्री से 10,000 से 25,000 लोगों की नौकरी पर खतरा हो सकता है. सीधा सा गणित है कि एक ही कस्बे में आइडिया और वोडाफोन के दो स्टोर हैं, जहाँ अलग अलग लोग काम करते हैं, किन्तु मर्जर के बाद एक स्टोर होगा, जहाँ से सभी आपरेशन मैनेज किये जायेंगे. सिर्फ आइडिया और वोडाफोन ही नहीं, अगर एयरटेल भी दूसरी छोटी कंपनियों को अपने साथ लाता है तो लोग बेरोजगार होंगे ही. गौरतलब है कि देश की टेलिकॉम इंडस्ट्री का वार्षिक रेवेन्यू 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपये है. उसके खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 35,000 करोड़ रुपये मैनेजर्स और कर्मचारी पर खर्च होता है. यदि आंकड़ों के लिहाज से देखें तो भारती एयरटेल में कर्मचारियों की संख्या 19,000 है, जबकि आइडिया में 17,000 और वोडाफोन में 13,000 कर्मचारी हैं. वहीं इंडस्ट्री की बाकी कंपनियों जैसे एयरसेल में 8,000, आरकॉम में 7,500 और टाटा टेली में 5500 लोग नौकरी करते हैं. हालाँकि, इसका विपरीत पक्ष यह भी है कि रिलायंस जियो द्वारा नौकरियाँ पैदा भी हुई हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो उथल पुथल का दौर जारी रहेगा.
रिलायंस जियो का ‘प्राइम’ विस्तार’
Reliance Jio Business Model and Telecom Industry (Pic: marketingland.com)
ज़ोर का झटका धीरे से लगना’ किसे कहते हैं, यह पुराने टेलीकॉम खिलाड़ियों को बेहतर समझ आ रहा होगा. ब्रोकरेज फर्म कोटक के अनुमान के मुताबिक ‘जियो प्राइम’ से एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सहित दूसरे ऑपरेटर्स को रेवेन्यू में 16 से 17 प्रतिशत गिरावट झेलनी पड़ सकती है. साफ़ है कि 303 रुपए में 28 जीबी 4जी डेटा, फ्री वॉइस कॉलिंग किसी भी दूसरे नेटवर्क को धूल चटाने में सक्षम दिख रहा है. हालाँकि, ब्रोकरेज क्रेडिट सुइस का मानना है कि भारतीय टेलिकॉम सेक्टर का लीडर भारती एयरटेल जल्द ही रिलायंस जियो के पेड ऑफर्स की बराबरी कर लेगा. साफ़ है कि अब भारती एयरटेल अपनी मार्किट लीडरशिप बचाने के लिए सब कुछ करने को तैयार दिख रही है. इसी क्रम में एयरटेल 145 रुपए और 349 रुपए के प्लान ला चुका है, जिसमें एक महीने के लिए 14 जीबी डेटा, फ्री वॉइस कॉल्स जैसे लुभावने ऑफर्स दिए गए हैं. यूं तो आइडिया भी रेस में बने रहने के लिए 348 रुपए का प्लान लाया है जिसमें एक महीने के लिए 14 जीबी डेटा के साथ फ्री वॉइस कॉलिंग है. हालाँकि, रिलायंस ने मौजूदा कस्टमर्स और 31 मार्च तक जियो से जुड़ने वाले लोगों के लिए ही प्राइम मेंबरशिप का ऐलान किया है, जिसके लिए 1 मार्च से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. तेजी से कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए मुकेश अम्बानी बेहद तेजी से कार्य कर रहे हैं और इसका असर रिलायंस जियो के 10 करोड़ कस्टमर बेस के रूप में दिख भी रहा है.
यूजर्स पर क्या होगा असर?
रिलायंस जियो की लांचिंग के समय यह सवाल उठाया गया कि कुछ समय तक ‘फ्री’ सुविधाएं लेने के बाद इसके यूजर्स भागने लगेंगे. यूजर्स तो भागे नहीं, हाँ दूसरे ऑपरेटर्स से भी उन्हें सस्ते प्लान जरूर मिलने लगे. ऐसे में इन्टरनेट की पहुँच का तेजी से विस्तार होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. निश्चित रुप से डिजिटल रेवोल्यूशन के दौर में इन सभी अपडेट्स का खासा महत्व है. अब भारत के बढ़ते बाजार में कंपनियां डोर टू डोर कैंपेन करने या फिर ट्रेडिशनल एडवर्टिजमेंट करने की बजाए इंटरनेट की दुनिया पर ज्यादा फोकस कर रही हैं. अब यूट्यूब पर चलने वाले वीडियो के बीच विज्ञापन चलाये जाते हैं तो फेसबुक पर भी वीडियो, टेक्स्ट या फोटोग्राफ्स पोस्ट्स के बीच तमाम विज्ञापन जोड़े जाते हैं. जाहिर है मल्टीनेशनल कंपनीज को यहीं से अपना रेवेन्यू हासिल करने की ताकत मिलती है और इसी आधार पर अपना बिजनेस एक्स्प्लोर भी करती हैं. आपको फेसबुक का ‘बेसिक फ्री इन्टरनेट’ कैंपेन तो याद ही होगा, जिसे ट्राई ने बाजार प्रतिस्पर्धा के विपरीत पाया था और उस पर रोक लगा दी थी. ऐसे में रिलायंस जियो की वजह से तमाम कंपनियों की बल्ले-बल्ले होने वाली है. इंटरनेट की स्पीड में सुधार के साथ ही लोगों के बीच कम्युनिकेशन बेहद तेज हो जाएगी. अभी यह लेख लिखते लिखते ही बिहार के किसी मित्र की मेरे व्हाट्सएप्प पर वीडियो कॉल आई और बड़ी आसानी से हम लोगों ने बिना एक पैसे अतिरिक्त खर्च किए एक दूसरे से इस तरह बातें की, मानो हम आमने सामने बैठे हुए हों. जाहिर तौर पर ऐसे में वॉइस कॉलिंग का भविष्य उसी तरह से समाप्ति की ओर है जैसे तमाम मेसेजिंग ऐप आ जाने के बाद सामान्य मैसेजेस का भविष्य समाप्त हो चला है. हाँ, कुछ बैंकिंग ट्रांजैक्शनल और प्रमोशनल एसएमएस जरूर चल रहे हैं, पर बहुत संभव है कि कोई मेसेजिंग ऐप इसका हल भी आने वाले समय में निकाल ले.
कुल मिलाकर देखा जाए तो हाल-फिलहाल यूजर्स को बेहतर फायदे मिल रहे हैं तो आने वाले समय में भी तस्वीर बढ़िया दिखाई दे रही है. हालाँकि, मार्किट में किसी एक कंपनी की ‘मोनोपॉली’ न हो, इस ओर से सरकारी नियामक को ध्यान रखना होगा. कई दूसरे टेलीकॉम खिलाड़ियों ने रिलायंस जियो पर नियम तोड़ने के आरोप लगाए हैं, जिनकी बारीकियों की ओर “ट्राई” को ध्यान देना चाहिए और इस मार्किट पर कड़ी नज़र बनाये रखनी चाहिए. वैसे मार्किट में ‘नयी टेक्नोलॉजी और आईडिया’ का स्वागत करने में किसी को हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए और रिलायंस जियो को लेकर भी भारतीय जनमानस ने इसीलिए सकारात्मक दृष्टिकोण दिखलाया है. वैसे खेल अभी 4जी से आगे 5जी और उसके आगे भी है, इसलिए मार्किट खुली है और जो भी इसकी नब्ज़ पकड़ सकेगा, उसकी बल्ले-बल्ले होगी है, इस बात में दो राय नहीं.
Reliance Jio Business Model and Telecom Industry, Mukesh Ambani (Pic: indianexpress.com)
Web Title: Reliance Jio Business Model and Telecom Industry, Hindi Article
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