कहते हैं कि, जो लोग अपना इतिहास नहीं जानते हैं, वे उस पेड़ की तरह होते हैं जिसकी जड़ें नहीं होती हैं.
ऐसे में जरूरी है कि हम देश-विदेश में घटी हुई उन घटनाओं को जानें, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.
तो आईये इसी क्रम में 19 जून में दर्ज कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को जानते हैं–
हुमायूँ को हराकर चौसा में जीते शेर शाह सूरी
26 जून 1539 के दिन चौसा की लड़ाई हुई. यह लड़ाई मुगल शासक हुमायूँ और शेर शाह सूरी के बीच लड़ी गई. इसे शेर शाह सूरी ने जीता. आगे मई 1540 में शेर शाह ने कन्नौज में एक और बार हुमायूँ को हराया. शेर शाह ने बंगाल, बिहार और पंजाब से हुमायूँ को पूरी तरह से बेदखल कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने उत्तर पश्चिम प्रांत के बलूचों को भी हरा दिया.
आगे अपनी सल्तनत का विस्तार करने के लिए शेर शाह ने ग्वालियर और मालवा को भी जीत लिया. इसी क्रम में उन्होंने कालिंजर पर भी हमला किया, लेकिन वहां वह मारे गए.
शेर शाह सूरी का असली नाम फरीद खान था. उनका जन्म सासाराम में हुआ था. ये सूर वंश से ताल्लुक रखते थे. शेर शाह एक सैन्य कमांडर से बढ़ते हुए एक शासक बने. हुमायूँ को हराने के बाद जब उन्होंने गद्दी संभाली, तो वे भारत के एक बहुत ही बेमिसाल मुस्लिम शासक साबित हुए. उन्होंने प्रशासन और कर के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी सुधार किए.
यह उनका ही शासनकाल था, जब पहली बार राजा और प्रजा के बीच मधुर संबंध स्थापित हुए. उनके शासनकाल में भ्रष्टाचार में उल्लेखनीय कमी आई. सैन्य क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सुधार भी उल्लेखनीय हैं. उन्होंने दाग और चेहरा नाम की प्रणाली की शुरुआत की. इस प्रणाली के तहत प्रत्येक मनसबदार को अपने घोड़ों को एक विशेष चिन्ह से दागना होता था.
ऐसा इसलिए, ताकि कोई दूसरा मनसबदार उन्हीं घोड़ों का प्रयोग बादशाह को दिखाने के लिए ना कर सके.
इसके साथ ही शेर शाह ने अपने साम्राज्य के भीतर जगह-जगह लगने वाले चुंगी कर को संपत कर दिया. आगे शेर शाह ने व्यापारियों के ठहरने के लिए जगह-जगह सराय बनवाईं और प्रजा के लिए कुँए भी खुदवाए.
संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर
26 जून 1965 के दिन संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए. यह घोषणापत्र उस उद्देश्य से समर्पित था, जिसके अनुसार आने वाली पीढ़ियों को युद्धों की विभीषिका से बचाया जाना था.
सैन फ्रांसिस्को के हर्बर्ट थिएटर में पचास देशों के प्रतिनिधियों ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया. इसके बाद 10 जनवरी 1946 को लंदन में संयुक्त राष्ट्र की पहली आम सभा हुई.
इससे पहले प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर लीग ऑफ नेशंस का निर्माण भी हुआ था.
इसका भी उद्देश्य भविष्य में होने वाले युद्धों को रोकना था. हालांकि, यह संस्था अपने उद्देश्य में कभी कामयाब नहीं हो पायी और विश्व ने द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में तबाही का मंजर देखा.
संयुक्त राष्ट्र संघ बनाने का विचार तब आया, जब अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किये. इस चार्टर में विश्व में शांति-व्यवस्था बनाए रखने संबंधी नियम और कानून थे. इसके अगले वर्ष रूजवेल्ट ने संयुक्त राष्ट्र शब्द की खोज की.
24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ पूरी तरह से अस्तित्व में आया.
इसकी सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य थे. इन्हें वीटो का अधिकार दिया गया. अपनी स्थापना के बाद से इसने विश्व में शान्ति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसको अपनी स्थापना से लेकर अब तक दस से अधिक शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं.
मशहूर लेखिका पर्ल बक का जन्मदिन
26 जून 1892 के दिन मशहूर लेखिका पर्ल बक का जन्म हुआ. इन्हें अपने लेखन के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. 1930 में प्रकाशित हुआ इनका उपन्यास ‘द गुड अर्थ’ अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर बना.
पर्ल बक ने अपने जीवन के शुरूआती चालीस वर्ष चीन में गुजारे. यहाँ उन्होंने चीनी मजदूरों के जीवन को बहुत करीब से देखा. उनके जीवन की कठिनाइयों को देखकर ही उन्हें लिखने की प्रेरणा मिली.
‘द गुड अर्थ’ को उनकी सबसे बेहतरीन कृति माना जाता है. इस कृति को पुलित्जर और नोबेल दोनों पुरस्कारों से नवाजा गया. आगे इस कृति का 30 भाषाओं में अनुवाद भी हुआ. उस समय बक यूरोप में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली अमेरिकी लेखिका थीं.
आगे उन्होंने समाज सेवा में भी अपना ध्यान लगाया. द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका द्वारा जापान के ऊपर की गई बर्बरता के खिलाफ भी उन्होंने खुलकर बोला. मानवतावादी कार्यों के लिए उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी मिले.
सन 1973 में उनकी मृत्यु हो गई.
अमेरिका की पहली सैन्य टुकड़ी फ्रांस पहुंची
26 जून 1917 के दिन फ़्रांस में अमेरिका की पहली सैन्य टुकड़ी आई. इस टुकड़ी में 14,000 सैनिक थे. टुकड़ी आने की इस सूचना को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया, क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता था कि जर्मनी को इस बात की जरा भी भनक लगे.
इस सैन्य टुकड़ी का फ़्रांस की जनता ने पूरी गर्मजोशी से स्वागत किया. हालाँकि, यह सैन्य टुकड़ी अच्छे ढंग से ट्रेंड नहीं थी, इसके पास अच्छे हथियार भी नहीं थे. लेकिन फिर भी अमेरिका ने इसे पश्चिमी फ्रंट पर लड़ाई करने के लिए भेज दिया था.
फ्रांस में आने के चार महीनों तक इन सैनिकों को कड़ी ट्रेनिंग दी गई. उन्हें हथियार मुहैया कराये गए और फ़्रांस की सेना के साथ उनका संचार स्थापित किया गया. आगे इस बड़ी टुकड़ी को अनेक छोटी-छोटी टुकड़ियों में बांटा गया. साथ ही प्रत्येक छोटी टुकड़ी को फ़्रांस की एक टुकड़ी के संरक्षण में रखा गया.
फ्रांस में आने के 6 महीनों के बाद इस टुकड़ी ने पहली बार युद्ध में हिस्सा लिया. 2 नवम्बर को जेम्स ग्रेशम और थोमस एनराईट प्रथम विश्व युद्ध में मरने वाले पहले अमेरिकी सैनिक बने. आगे अमेरिका ने इस युद्ध में अपनी भागीदारी जारी रखी.
उसकी यह भागीदारी निर्णायक भी साबित हुई, जब प्रथम विश्व युद्ध का खात्मा हुआ.
अमेरिका को अपने पचास हजार सैनिक इस युद्ध में खोने पड़े थे.
तो ये थीं 26 जून के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 26 June, Hindi Article
Feature Image Credit: Alchronicl