बॉलीवुड के दिग्गज निर्देशक संजय लीला भंसाली की बहुप्रतिक्षित फिल्म पद्मावती के ट्रेलर ने सोशल साइट्स पर हंगामा मचा रखा है. यूं तो फिल्म के सभी किरदारों की बढ़-चढ़कर चर्चा हो रही है, फिर चाहे वह रानी पद्मावती का रोल कर रहीं दीपिका पादुकोण हो या फिर महारावल रतन सिंह के किरदार में शाहिद कपूर.
किन्तु, इन सबके बीच एक नाम जो सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है, वह है रणवीर सिंह.
अब आप कहेंगे कि रणवीर का नाम ही सुर्खियों में ज्यादा क्यों हैं?
तो भाई इसके दो बड़े कारण हैं. पहला तो यह कि वह विलेन की भूमिका में हैं और दूसरा यह कि वह विलेन कोई और नहीं बल्कि, अलाउद्दीन खिलजी है.
अब यह मत पूछना कि ये अलाउद्दीन खिलजी कौन है?
वैसे आपने अलाउद्दीन का नाम सुना तो होगा, लेकिन वह कौन था, कहां रहता था और सबसे अहम कि उसे विलेन क्यों कहा जाता है… यह नहीं जानते!
तो आईये ले चलते हैं इतिहास के उन पन्नों की तरफ, जहां आपके सवालों के सारे जवाब कैद हैं:
कौन था अलाउद्दीन खिलजी?
अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का दूसरा और सबसे शक्तिशाली शासक हुआ. 1296 ई. के आसपास वह अपने चाचा और ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर दिल्ली सल्तनत की सत्ता पर काबिज हुआ.
गद्दी पर बैठते ही उसने विस्तारवादी नीति अपनाई और दूसरे राज्यों पर हमला करना शुरू कर दिया. कहते हैं कि अलाउद्दीन के बाद कोई भी मुस्लिम शासक उसके बराबर साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाया. वह पहला मुस्लिम शासक था, जिसने दक्षिण भारत के राजाओं तक को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. जंग में जीतना जैसे उसका जुनून बन गया था. इसके लिए लोगों की हत्या करने तक से उसके हाथ कभी नहीं कांपे.
दक्षिण के राजाओं पर विजय पाने में उसके दो वफादार जनरल मलिक काफूर और खुश्रव खान का बहुत बड़ा हाथ था. दोनों की सहायता से पहले उसने उत्तर भारत के क्षेत्र में विजय पाई और बाद में दक्षिणी क्षेत्र में अपना आतंक फैलाया.
उसने दक्षिणी राज्यों को लूटने के साथ-साथ सालाना कर वसूलना शुरु कर दिया. वह दुनिया के बेशकीमती हीरे कोहिनूर को भी हथियाने में कामयाब रहा था. कहते हैं कि अलाउद्दीन को बचपन में अच्छी तालीम नहीं मिली थी, बावजूद इसके वह अपने समय का एक शक्तिशाली शासक बनकर उभरा.
उसे खुद पर इतना गुमान था कि वह खुद को दूसरा सिकंदर कहता था. बाद में वह सिकंदर-ए-सानी के नाम से मशहूर भी हुआ.
Alauddin Khilji (Representative Pic: mumbaimirror)
मंगोल को हराकर रचा इतिहास
एक समय था, जब खानाबदोश कबीलों वाले मंगोल सेना का खौफ पूरे विश्व में था. उनका नाम सुनने भर से ही बड़े से बड़े शासक सहम जाता था. कहते हैं कि वह जहां से गुजरते थे, लाशें बिछा देते थे.
कई सारे शासकों ने उनका सामने करने की कोशिश की, लेकिन टिक नहीं पाये. इसी कड़ी में अलाउद्दीन खिलजी ने भी मंगोल से दो-दो हाथ करने का मन बनाया और उन पर चढ़ाई कर दी. इसका परिणाम यह रहा कि वह मंगोलों को जालंधर (1296), किली (1299), अमरोहा (1305) और रावी (1306) की लड़ाइयों में पराजित करने में सफल रहा.
उसने मंगोलों पर कुछ इस तरह अपना कहर बरपाया कि कई मंगोलों ने डरकर इस्लाम तक कबूल कर लिया था. यहां तक कि वह खिलजी साम्राज्य के आसपास ही बस गये. मंगोलों का यह रवैया खिलजी को रास नहीं आया. उसे उन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था. वह जानता था कि मंगोल उसे धोखा दे सकते हैं. असल में मंगोल इस तरह की रणनीति में बहुत माहिर थे.
अंतत: उसने फैसला किया कि वह किसी भी मंगोल को जिंदा नहीं छोड़ेगा. इसी कड़ी में उसने लगभग 30,000 मंगोलों को मौत के घाट उतार दिया और उनके परिवारों को अपना गुलाम बना लिया.
इसी तरह दक्षिण भारत के वारंगल के काकतीय साम्राज्य की तरफ भी कोई आंख उठा कर नहीं देखता था. अलाउद्दीन को जब यह पता चली तो उसने 1303 ईं में काकतीय सेना पर हमला कर उसे हराते हुए इतिहास रच दिया.
Alauddin Khilji In War (Representative Pic: artandindia)
अलाउद्दीन का ‘पद्मावती’ कनेक्शन
भारतीय उपमाहद्वीप के दक्षिण में अपने आतंक के लिए जाने, जाने वाले अलाउद्दीन खिलजी का नाम राजस्थान के इतिहास में भी दर्ज है. राजस्थान का एक राज्य था चित्तौड. उसके राजा हुआ करते थे रतन सिंह. उनकी पत्नी का नाम पद्मावती था, जो बेहद सुंदर थीं.
इतनी सुंदर कि दूर-दूर तक उनकी ख्याति फैली थी. अलाउद्दीन को इसकी जब जानकारी हुई तो वह पद्मिनी को पाने के लिए लालायित हो उठा था. माना जाता है कि उन्हें पाने के लिए उसने चित्तौड़ दुर्ग पर चढ़ाई कर दी थी. वह बात और है कि वह रानी के किले में घुस नहीं पाया. मजबूरन उसने कूटनीति का सहारा लिया और राजा रतन सिंह को बंदी बना लिया. इसके बाद उसने रतन सिंह को छोड़ने की बदले रानी पद्मावती की मांग की.
हालांकि, अंत में रानी पद्मावती ने उसको उसकी चाल में मात दे दी थी.
वैसे इस घटना का जिक्र किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज में नहीं मिला है, किन्तु किवदंतियां इसे सही ठहराती आई हैं.
‘बाईसेक्सुअल‘ था अलाउद्दीन खिलजी!
खबरों की माने तो अलाउद्दीन खिलजी और उनके गुलाम मलिक काफूर के बीच के बीच शारीरिक संबंध थे. कहा जाता है कि एक युद्ध के बाद अलाउद्दीन खिलजी मानसिक रुप से बीमार हो गया था. इसी दौरान काफूर ने उनकी खूब देख-रेख की. चूंकि, काफूर के साथ उसका काफी वक्त गुजरने लगा था, इसलिए वह उससे प्यार कर बैठा. इसमें कब उसने अपनी हदें पार कर उस खुद पता नहीं चला.
बाद में वह काफूर का लती हो गया!
उसके संबंध काफूर के साथ कुछ इस तरह हो गये थे कि उसने अपनी सत्ता की बागडोर तक उसके हाथों में दे दी.
हालांकि, इसको लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं, लेकिन ‘इवोल्यूशन ऑफ एजुकेशनल थॉट्स इन इंडिया’ में दोनों की प्रेम कहानी का साफ तौर पर जिक्र मिलता है. इसके अलावा मशहूर किताब ‘तारीख-ए-फिरोजशाही‘ में भी इसका खुलासा किया गया है.
कहते हैं कि जो दिल के सबसे करीब होता है, वही सीने में खंजर भोंकता है. अलाउद्दीन खिलजी के साथ भी ऐसा ही हुआ. खिलजी का पुरुष प्रेम ही उसके अंत का कारण बना. मलिक काफूर, जिनके साथ कथित तौर पर अलाउद्दीन के नाजायज संबंध थे, उसी ने ही खिलजी को जहर देकर मार दिया.
असल में मलिक काफूर की नियत बिगड़ गई थी. वह अलाउद्दीन की सत्ता हथियाने के सपने देखने लगा था.
Alauddin Khilji Homosexual (Representative Pic: terrorscoop)
खिलजी को भले ही दिल्ली के मजबूत शासकों में गिना जाता हो, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि वह खूनी, लुटेरा, क्रूर और समलिंगी व्यक्ति था. शायद इसीलिए ही उसे लोग इतिहास के पन्नों के दर्ज एक ‘कुख्यात विलेन’ कहने से नहीं कतराते.
Web Title: Untold story of Alauddin Khilji, Hindi Article
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