अमेरिका आज भले ही विश्व की एक बड़ी महाशक्ति के रुप में देखा जाता हो, पर सच तो यह है कि वह यहां तक गृहयुद्ध का दंश झेलकर पहुंचा है. 1776 – 1783 की क्रांति के बाद जब अमेरिका संयुक्त राज्य बना तो उसके सामने बड़ा प्रश्न था कि वह किस तरह आगे बढ़ेगा.
धीरे-धीरे इसी प्रश्न के जवाब को ढूंढते-ढूंढते 1861 के आसपास स्थितियां कुछ ऐसी बनती चली गईं कि अमेरिका को गृहयुद्ध का सामना करना पड़ा.
इस खूनी संघर्ष में लाखों लोग मारे गए थे और हजारों बेघर हो गये थे. कहते हैं कि इसके बाद से ही अमेरिका एक नई राह पर चला था. तो आईये इस युद्ध से जुड़ी परतों को एक-एक करके समझने की कोशिश करते हैं:
तब ‘आर्थिक अंतर’ से जूझ रहा था अमेरिका!
अमरीकी क्रांति के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका विकास की पटरी पर तेजी से बढ़ रहा था. बस समस्या थी तो, उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक बड़े आर्थिक अंतर की. एक ओर जहां इसके उत्तरी राज्यों में उद्योग एक अच्छी संख्या में फल-फूल रहे थे. वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी राज्य इस मामले में काफी पीछे थे. यहां के लोगों का गुजारा खेती से ही चलता था, लेकिन वह इसके लिए काले दासों पर निर्भर थे. यही वजह थी कि वह इन दासों को मुक्त करने के खिलाफ रहते थे.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की व्यापारिक नीति उत्तरी राज्यों के लिए लाभदायक थी, पर दक्षिण के लोग उससे लाभ नहीं उठा सकते थे. यह एक ऐसी खाई थी, जिसको बिना पाटे अमेरिका महाशक्ति नहीं बन सकता था. किन्तु, अफसोस शुरुआत में उसने इस पर अपना खास ध्यान नहीं दिया. धीरे-धीरे दक्षिण के लोगों ने मुख्य रुप से दास प्रथा की रोक व व्यापारिक नीति को लेकर विरोध जताना शुरु कर दिया था.
उनका मानना था कि उन्हें संयुक्त राज्य की किसी भी नीति को मानने या न मानने का पूर्ण अधिकार था. इस विचारधारा के साथ वह विरोध प्रदर्शन करते रहे और दास प्रथा को बनाये रखने की आवाज उठाते रहे.
Civil War in Color Lincoln Sana Dullaway (Pic: Time)
‘दासप्रथा’ को लेकर संघर्ष तेज हुआ
धीरे-धीरे संघर्ष और भी गहरा होता गया. जहां एक ओर उत्तरी राज्य दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे, वहीं दूसरी तरफ दक्षिण वाले इसे रखना चाहते थे. उन्होंने दास प्रथा के समर्थन में सार्वजनिक सभायें तक करनी शुरु कर दी थी. इसी बीच यूएस कांग्रेस ने कान्सास-नेब्रास्का अधिनियम पारित किया. इसके अनुसार दास प्रथा को हटाने का फरमान दे दिया गया.
यह अधिनियम दक्षिण राज्यों को रास नहीं आया. उन्होंने इसका जमकर विरोध किया. यहां तक कि उन्होंने कई जगहों पर हिंसक रूप से संघर्ष किया. उन्होंने उग्रता के साथ अपनी आवाज को तेज करते हुए कहा कि यदि दासप्रथा बंद की गई तो वे संयुक्त राज्य से अलग हो जायेंगे. यह एक चिंता का विषय बनता जा रहा था. इससे परिस्थिति गंभीर हो गई, जो दिन-ब-दिन बेकाबू होती जा रही थी. बाद में इस मामले में एक आम राय बनाई गई. इसके तहत कहा गया कि सेनेट किसी भी राज्य से दासप्रथा को नहीं हटा सकती.
इसी सबके बीच रिपब्लिकन नाम के एक नये राजनैतिक दल ने उभार लिया. यह दास प्रथा बंद करने के सिद्धांत पर आधारित एक नई राजनीतिक इकाई थी. लिंकन इस दल के मुख्य चेहरा थे. उनका मानना था कि कोई भी राज्य अपनी सीमा के अंदर दास प्रथा को हटा सकता है. इसमें कुछ गलत नहीं. उनके इस बयान के कारण दक्षिण के राज्य उनसे नाराज हो गये.
American Civil History (Pic: wikipedia)
‘लिंकन की जीत’ ने बदला समीकरण
1860 में लिंकन अपनी पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति का चुनाव लड़े और जीते भी. चुनाव जीतते ही लिंकन ने एक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि किसी घर में फूट है तो वह घर अधिक दिन नहीं चल सकता.
इस संयुक्त राज्य को आधे स्वतंत्र और आधे दासों में नहीं बांटा जा सकता. इसे एकसूत्र में बांधना जरुरी है. लिंकन के इस कथन का परिणाम यह रहा कि आगे के दिनों में दक्षिण कैरोलाइना ने एक सम्मेलन बुलाकर संयुक्त राज्य से अलग होने का प्रस्ताव पारित कर दिया.
1861 ई. के फरवरी तक जार्जिया, फ्लोरिडा, अलाबामा, मिसीसिपी, लूइसियाना और टेक्सास ने इस नीति का पालन किया और संयुक्त राज्य अमेरिका से अलग हो गए थे. इस तरह लिंकन का विरोध शुरु हो गया था. धीरे-धीरे वाशिंगटन में केंद्रीय शासन कमजोर पड़ने लगा था. माना जाता है कि बस यहीं से गृहयद्ध को हवा मिल गई थी.
लगातार हो रहे विरोध को खत्म करने के लिए 1861 ई. के फरवरी मास में वाशिंटन में एक शांति सम्मेलन का भी आयोजन किया गया, लेकिन वह बेअसर रहा. इससे कोई भी स्थाई हल नहीं निकाला जा सका.
Abraham Lincoln (Pic: civilwar)
…और संघीय राज्यों ने छेड़ दिया ‘गृहयुद्ध’
इसी बीच 12 अप्रैल 1861 ई. को गैरसंघीय राज्यों की तोपों ने चार्ल्स्टन बंदरगाह की शांति भंग कर दी. यहां प्रदर्शित फोर्ट सुमटर पर गोलाबारी करके ‘संघीय राज्यों ने गृहयुद्ध छेड़ दिया. इससे चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया. लोग खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे.
समुद्र, मिसीसिपी घाटी और पूर्व समुद्र तट के राज्य इस गृहयुद्ध के मुख्य केंद्र थे. सेना की असल ताकत संघीय राज्यों के पास ही थी, पर वह इकट्ठी नहीं थी. वह इधर-उधर बिखरी हुई थी.
दूसरी तरफ बागी राज्योंं ने दक्षिणी तट को घेर रखा था. यह एक ऐसी जगह थी, जहां से कपड़े, बारूद और औषधि आदि का आयात किया जाता था. युद्ध छिड़ने के बाद यह रुक गया था. हालांकि, संघीय राज्यों ने जल्द ही दक्षिण के सबसे बड़े नगर न्यूआलींस को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. यह दक्षिण के लिए एक बड़ा झटका था. इसके बाद तो जैसे मानों वह बैकफुट पर हटते गये. आगे वह मिसीसिपी की घाटी में भी संघीय सेना का सामना नहीं कर सके. वर्जिनिया भी उनके हाथ से निकल गया.
हालांकि, 1863ई. में जब गैरसंघीय युद्ध के लिए गये, तो उनकी शुरुआत शानदार रही. किन्तु वह इसे आगे कायम नहीं रख सके. जल्दी ही संघीय सेना ने बाजी अपने नाम कर ली.
1864ई. के आते-आते तो युद्ध का परिणाम दिखने लगा था. गैरसंघीय, संघीय सेना के सामने कहीं भी खड़े नहीं हो पा रहे थे. आगे दक्षिण कैरोलाइना की राजधानी कोलंबिया को खाली कराकर संघीय सेना चार्ल्स्टन अपने नाम कर चुकी थी.
The Firing and Fires of Fort Sumter (Pic: civilwardailygazette)
आखिरकार दक्षिण के निर्विवाद नेता राबर्ट ई ली को आत्मसमर्पण करना पड़ा था. इस जीत के साथ वाशिंगटन में जीत का उत्सव मनाया गया. बताया जाता है कि इस युद्ध में अमेरिका के लाखों लोग मारे गये थे. वहीं हजारों लोगों के घरों का नामोनिशां खत्म हो गया था. खासकर दक्षिण राज्यों के लोगों का. एक लंबे समय वहां के लोग इस युद्ध की कटु यादों को सोचकर रोते-बिलखते देखे गये थे.
गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद माना जा रहा था गैरसंघीय यानी दक्षिणी राज्यों के प्रति कठोरता की नीति अपनाई जायेगी. किन्तु उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया था. कुछ दिनों बाद संविधान में संशोधन किया गया और दासों की स्वतंत्रता पर मुंहर लगा दी गई थी.
Web Title: American Civil History, Hindi Article
Keywords: American Civil War, Election, 19th Century, Industry, Growing, Economy Was in Danger, Virginia, Arkansas, North Carolina, Washington
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