जब भी द्वितीय विश्व युद्ध का जिक्र किया जाता है, हिटलर का नाम सबसे पहले आता है. उसे इस युद्ध के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जाता है. ऊपर से उसके क्रूर रवैये ने इसको विनाशकारी बना दिया था. शायद यही कारण था कि उसने ढ़ेर सारे लोगों को अपनी जान का दुश्मन बना लिया था. चूंकि, वह एक ताकतवर तानाशाह था, इसलिए उसे आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि उसको मारने के लिए उसके अपने लोगों ने ही कई प्रयास किए. तो आईये जानते हैं कि वह लोग कौन थे और हिटलर की हत्या के लिए उन्होंंने कौन से तरीके अपनाए:
1921 में तड़ातड़ चली गोलियां, लेकिन…
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत से लगभग 20 साल पहले हिटलर की हत्या का पहला प्रयास हुआ था. 1921 में वह म्यूनिख के मशहूर ‘बीयर हॉल पुश्च‘ में एक सभा को संबोधित कर रहा था. इस सभा में नवगठित नाजी पार्टी के सदस्यों के साथ अन्य राजनीतिक दलों के लोग यहां मौजूद थे. हिटलर ने बोलना शुरु किया तो सभी तालियां बजाने पर मजबूर हो गये. इसी बीच उनका भाषण ज्वलंत हो गया.
वहां मौजूद कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया तो उन्होंने विवाद खड़ा कर दिया. मामला इतना बढ़ गया कि लोग एक दूसरे के ऊपर कुर्सियां फेंकने लगे. इसी बीच अज्ञात हमलावरों ने पुलिस की पिस्तौल खींचकर हिटलर पर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी. वह तय कर चुके थे कि हिटलर को जान से मार देंगे. वह तो हिटलर किस्मत के धनी थे, जो बच निकले.
The Beer Hall Putsch (Pic: riseofadolfhitler)
मौरिस की योजना हुई बेकार
1938 के आसपास हिटलर की दुश्मनी रखने वाले मौरिस बहवाद अपनी पिस्तौल के साथ जर्मनी में हिटलर के पीछे लग गया. वह हिटलर को खत्म करने का सही मौका ढूंंढ रहा था. इसी दौरान हिटलर और अन्य नाजी नेता ने म्यूनिख के ‘बीयर हॉल पुश्च’ की वर्षगांठ मनाने के लिए इकट्ठे हुए. यह बहवाद के लिए एक अच्छा मौका था. वह परेड मार्ग में मौजूद दर्शकदीर्घा में बैठ गया. वह हिटलर को अपना निशाना बनाने वाला ही था कि भीड़ की नाजी सलामी के बीच उसके हाथ से मौका निकल गया. कुछ वक्त बाद उसने फिर कोशिश की, लेकिन इस बार पकड़ा गया. उसके पास से एक नक्शा भी बरामद किया गया. उसने पूछताछ में बताया कि उसने हिटलर को मारने की साजिश की थी.
एल्सर का ‘टाइमर बम’ रहा विफल
जॉर्ज एल्सर नाज़िज़्म का कट्टर विरोधी था. उसने हिटलर को बम से उड़ाने की योजना बनाई. उसे पता था कि हिटलर हर साल ‘बीयर हॉल पुश्च’ में पार्टी की वर्षगांठ पर सभी को संबोधित करेगा. उसके हिसाब से यह एक शानदार मौका था. एल्सर ने कई महीनों में 144 घंटे के टाइमर के साथ एक बम का निर्माण किया. इसको लेकर वह हिटलर के मंच तक पहुंचने में सफल भी रहा. उसने बम में 9:20 बजे का टाइमर लगा दिया.
एल्सर का प्लान जबरदस्त था, लेकिन भाग्य उसके पक्ष में नहीं था. हिटलर ने भाषण शुरु जरुर किया पर 9:07 में उसने इसे खत्म कर दिया. अगले 5 मिनट में वह हाल से बाहर निकल गया. बाद में एल्सर का बम फटा तो आठ लोगों के चिथड़े उड़ गये. जांच हुई तो एल्सर पकड़ा और बाद में उसने अपना गुनाह कबूला.
‘ब्रांडी बम’ से बच निकले हिटलर
यह किस्सा है 1943 के आसपास का. हिटलर स्मोलेंस्क पोस्ट का निरीक्षण करने पहुंचा था. वहां तैनात ट्रेसकोव ने उसका स्वागत किया. उसने अपने निजी स्वार्थों के चलते हिटलर की हत्या की योजना बना डाली. इसके लिए उसने हिटकर के साथ चलने वाले एक सैनिक को भरोसे में लिया. उसने उसे दो ब्रांड़ी की बोतल दी, जिसके अंदर विस्फोटक पदार्थ था. उसने सैनिक से कहा कि यह बोतल मुझे बर्लिन के किसी साथी को भेजनी है. सैनिक ने भरोसा करते हुए वह बोतल अपने साथ जहाज में रख ली.
ट्रेसकोव मन ही मन मुस्काया. उसे यकीन था कि वह सफल हो चुका था. वह अपने प्लान की सफलता के लिए आश्वस्त था. उसे नहीं पता था कि कुछ ही घंटों में उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जायेगी. उसका प्लान फ्लॉप हो चुका था. किसी कमी के कारण उसके भेजे गये ज्वलनशीन पदार्थ ने अपना काम नहीं किया था. पकड़े जाने के डर से उसने फौरन बर्लिन फोन लगाकर कहा कि गलती से उसने गलत बोतलें भेज दी हैं. किसी तरह से इन बोतलों को अफसर बदल सका. चूंकि, उसके इस साजिश का किसी को पता नहीं चल सका था इसलिए वह हिटलर के कहर से बच निकला.
Henning von Tresckow’s Brandy Bomb (Pic: dirkdeklein.net)
‘रूडोल्फ’ का मानव बम नहीं चला
ब्रांडी बम के फ्लॉप होने के हफ्तेभर बाद ही ट्रेसकोव ने अपने साथी रुडोल्फ के साथ मिलकर एक बार फिर से हिटलर को मारने की योजना बना डाली. जैसे ही पता चला कि हिटलर एक प्रदर्शनी में शामिल होने जा रहा है. ट्रेसकोव के साथी रुडोल्फ ने एक मानव बम हिटलर तक पहुंचाने की कोशिश की. यह काम आसान नहीं था. हिटलर का सुरक्षा घेरा बहुत टाइट था. इसलिए उसने इसे हिटलर के कमरे में सेट कर दिया.
इस बम के बिस्फोट के लिए 10 मिनट का समय सेट किया गया था. इस बार हिटलर का मरना तय था, लेकिन ऐन मौके पर उसने कुछ ही मिनट में अपनी बात खत्म कर दी और वहां से निकल गया. अंतिम मौके पर रुडोल्फ ने अपने कदमों को पीछे खींच लिया और बम को निष्क्रिय कर दिया.
जर्मन अधिकारियों की सामूहिक कोशिश
1944 की गर्मियों में डी-डे के हमलों के तुरंत बाद, असंतुष्ट जर्मन अधिकारियों के एक समूह ने हिटलर की हत्या के लिए अभियान चलाया. उन्होंने इस बार जर्मन रिजर्व आर्मी का इस्तेमाल कर हिटलर को मारने की योजना बनाई. हिटलर को ‘बुल्फ लेयर’ पोस्ट पर एक सम्मेलन के लिए बुलाया गया. साथ ही योजना के तहत बमों से भरे हुए एक ब्रीफकेस को हिटलर के पास रखवा दिया गया. बमों ने कुछ मिनट बाद ही विस्फोट किया.
सम्मेलन कक्ष धूं-धूं करके जलने लगा. इसमें चार लोगों की मौत हो गई, लेकिन हिटलर की किस्मत एक बार फिर साथ थी. वह मौके पर भाग निकला. उसे एक खरोच भी नहीं आई थी. बाद में इन सभी योजनकर्ताओं को पकड़ा गया और मौत दे दी गई.
Assassination Attempts on Adolf Hitler (Pic: pinterest.com)
यह कुछ ऐसे मौके थे, जिनमें हिटलर अपने ही लोगों की साजिश के कारण मरते-मरते बच निकला. अंतत: 1945 में उसने अपने सिर पर एक बंदूक की गोली मारकर मृत्यु को गले लगा लिया.
Web Title: Assassination Attempts on Adolf Hitler, Hindi Article
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