जब भी औरंगजेब की बात होती है, तो एक क्रूर शासक की तस्वीर सभी की आंखों के सामने होती है. उसकी क्रूरता के किस्से सिहरन पैदा करने वाले होते हैं. कहते हैं कि वह एक ऐसा जालिम था, जिसने अपने पिता को जेल में डाला, अपने सगे भाइयों और भतीजों की क्रूरता से हत्या की. यहां तक कि अपनी प्रजा पर बर्बरता करते हुए इसने हिन्दुओं के सैकड़ों मंदिरों को भी तुड़वा दिया था.
किन्तु, क्या आप जानते हैं कि इतना क्रूर होने के बावजूद औरंगजेब का दिल किसी के लिए धड़कता था. मजे की बात तो यह है कि वह उसके लिए सारी हदें पार करने के लिए तैयार था. यहां तक कि शराब तक पीने तक के लिए, जबकि उसका धर्म उसे इसकी बिल्कुल भी इजाजत नहीं देता था.
तो आईये जानने की कोशिश करते हैं कि वह कौन थी–
किसे दिल दे बैठा था औरंगजेब!
अपनी मृत्यु तक शासन करने वाले औरंगज़ेब का जन्म 4 नंवबर 1618 में हुआ था. वह मुगल सम्राट शाहजहाँ की संतान था. चूंकि, वह शुरु से ही तेज तर्रार था, इसलिए जल्द ही उसे शासन संबधी जिम्मेदारी सौंप दी गई. 1636 में उसे डेक्कन का गवर्नर बनाया गया. वह अपनी नई जिम्मेदारी के तहत बुरहानपुर पहुंचा.
वहां उसके स्वागत में उसके मौसा सैफ खान ने अपने महल में एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया. इस मौके पर उसकी मुलाकात हीराबाई से हुई. हीराबाई का परिचय यह था कि उनका पालन-पोषण एक कोठे में हुआ था. कहते हैं कि हीराबाई इतनी ज्यादा सुंदर थी कि पहली ही नज़र में औरंगजेब ने उन्हें अपना बनाने का मन बना लिया था.
हीराबाई सिर्फ सुंदर ही नहीं थी, बल्कि संगीत की हुनरबाज थी. बादशाह से लेकर दरबान तक सब उनके दीवाने हुआ करते थे. यह सब जानकर औरंगजेब उनसे नजदीकियां बढ़ाने के लिए और ज्यादा उतावला हो गया. उसने अपने दिल की बात अपनी मौसी मलिकाबानू से कही.
चूंकि, हीराबाई एक कोठेवाली थी, इसलिए उसके मौसा-मौसी इस रिश्ते के खिलाफ थे.
हालांकि, उसके खौफ के चलते वह अपना विरोध जाहिर नहीं कर पाए और उन्हें उसकी मदद करनी ही पड़ी.
Aurangzeb (Pic: historydiscussion)
जब हीराबाई से हुई मुलाकात तो…
हीराबाई को सूचना दी गई कि औरंगजेब उनसे मिलना चाहते हैं. चूंकि, वह एक मुगल सम्राट के राजकुमार थे, इसलिए हीराबाई के लिए यह मुलाकात खास थी. उसने इस मौके के लिए खास तरह का श्रृंगार किया और खुद को औरंगजेब के सामने पेश किया.
अपनी पहली ही मुलाकात में हीराबाई ने औरंगजेब को पूरी तरह से अपना बना लिया. उसके ऊपर उसके हुस्न का जादू कुछ इस तरह चला कि वह फिर किसी और का न हो सका. कहते हैं हीराबाई से मुलाकात के बाद वह अपने महल में लौट तो जरूर आया था, लेकिन उसका दिल हीराबाई के पास ही छूट गया था. सोते-जागते वह सिर्फ हीराबाई के बारे में ही सोचता रहता.
वह हीराबाई को पहले ही जैनाबादी नाम का एक नया नाम भी दे चुका था. बाद में उस पर हीराबाई के प्यार का बुखार कुछ इस तरह चढ़ गया था उसने उसे अपनी बेगम तक बनाने का मन बना डाला था.
वैसे तो औरंगजेब अपने घर्म को कट्टरता से मानता था. फिर चाहे वह पांच वक्त की नमाज पढ़ना हो, या फिर शराब से दूरी. किन्तु, कहते हैं न कि प्यार के नशे में इंसान को कुछ याद नहीं रहता. उसके लिए वह किसी भी दायरे को तोड़ने के लिए तैयार रहते है.
औरंगजेब ने भी ऐसा ही किया!
सारी हदें तोड़ने के लिए तैयार
एक दिन वह हीराबाई के साथ कक्ष में था. इसी बीच हीराबाई ने उनकी तरफ शराब का प्याला बढ़ाते हुए उसे पीने के लिए कहा. शुरुआत में उसने अपने धर्म का हवाला देते हुए इंकार किया, पर जब हीराबाई ने अपने प्यार की दुहाई दी तो उसने एक झटके में गिलास अपने होठों से लगा लिया, हालांकि वह उसे पीता उससे पहले हीराबाई ने उसे तोड़ दिया.
असल में वह औरंगजेब का अपने प्रति प्रेम देखना चाहती थीं.
यह तो औरंगजेब के जीवन में होने वाले बदलावों की शुरुआत थी, जो उसके प्यार के चलते हो रहे थे. आगे बहुत कुछ बाकी था.
हीराबाई के प्रति उसके प्यार का सिलसिला आगे बढ़ा तो उसने अपने काम-काज में भी दिलचस्पी लेना कम कर दिया. वह ज्यादा से ज्यादा हीराबाई के साथ वक्त बिताने लगा. दोनों को प्यार अपने चरम पर था. इसी दौरान हीराबाई बीमारी का शिकार हो गई. इस कारण उनका नूर धीरे-धीरे कम होने लगा.
औरंगजेब से यह देखा न गया. उसने हकीमों की एक बड़ी संख्या हीराबाई के स्वास्थ्य सुधार में लगा दी. इसके बाद भी उन्हें आराम न मिला लो औरंगजेब ने उनके लिए सजदे तक किए. बावजूद इसके वह हीराबाई को बचा नहीं सका. कहते हैं उनकी मौत के बाद औरंगजेब टूट-सा गया.
हालांकि, वह इस सदमे से निकलने में सफल रहा, लेकिन उसे इसमें खासा वक्त लगा.
Hirabai (Pic: ekbaarphirkahozara)
जिन्हें औरंगजेब ने पत्नी बनाया…
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस हीराबाई के प्रेम में औरंगजेब एक लंबे समय तक डूबा रहा उसे अपनी पत्नी नहीं बना सका. ऐसा भी नहीं है कि उसने शादी नहीं की. उसने एक नहीं बल्कि कई विवाह किए.
दिलराज बानो बेगम उनकी पहली पत्नी बनी. 1637 में औरंगजेब ने उनके साथ निकाह किया था. उनकी याद में 1651 से 61 के बीच औरंगाबाद में एक मकबरा भी बनावाया गया. यह देखने में बिल्कुल ताजमहल के समान दिखता है. इस कारण उसको दक्षिण (दक्कन) का ताज भी कहा जाता है.
इसी कड़ी में 1638 में मुगल सम्राट शाहजहाँ ने राजा ताजुद्दीन जारुल की बेटी नवाबबाई की शादी अपने बेटे औरंगजेब से करने का अनुरोध किया, जिसके बाद दोनों शादी के बंधन में बंधे. नवाबबाई से उनको तीन संतानें प्राप्त हुईं.
औरंगाबादी महल मुगल सम्राट औरंगज़ेब का तीसरी पत्नी थी. उनके बार में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती, फिर भी माना जाता है कि 28 सिंतबर 1661 में औरंगाबादी महल की शादी औरगज़ेब से हुई थी. उनसे औरगज़ेब को एक बेटी प्राप्त हुई. 1688 में औरंगाबादी प्लेग बीमारी का शिकार हुईं और मृत्यु को प्राप्त हुई.
कहते हैं कि इसके बाद औरंगज़ेब की जिंदगी में कोई महिला नहीं आई.
Aurangzeb Love Story (Pic: theholidayindia)
यह थे भारत पर सबसे ज्यादा दिन तक राज करने वाले मुगल सम्राट के प्रेम से जुड़े कुछ पहलू. अगर आप भी औरंगज़ेब से जुड़े ऐसे किसी पहलू के बारे में जानते हैं, तो नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.
Web Title: Aurangzeb Love Story, Hindi Article
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