एक ऐसा युद्ध जो ज्यादा बड़ा तो नहीं था. लेकिन, विश्व इतिहास में इस युद्ध का बहुत बड़ा असर पड़ा.
ये तलास का युद्ध ही था, जिसकी वजह से विश्व ने पेपर-मेकिंग की कला सीखी. इसके अलावा, अगर यह युद्ध नहीं हुआ होता तो, शायद आज चीन का क्षेत्रफल और भी ज्यादा बड़ा होता.
उसके लगातार मध्य एशिया की ओर बढ़ते हुए कदमों पर लगाम नहीं लग पाती और आज की दुनिया का मानचित्र कुछ अलग ही दिखाई पड़ता. इस युद्ध में अरबों ने चीनियों को हरा दिया था. इस युद्ध में अरबों का साथ तिब्बतियों समेत तुर्कों ने भी दिया था.
तो आइये, जानते हैं तलास के युद्ध की रोचक कहानी जिसने इतिहास में किये कई बदलाव-
तांग साम्राज्य तेजी से कर रहा था विस्तार
चीन का तांग साम्राज्य और मुस्लिम ख़िलाफ़त लगातार अपना विस्तार कर रहे थे. यह दोनों तरफ से मध्य एशिया की तरफ बढ़ते हुए अपना वर्चस्व कायम कर रहे थे. इसी दौरान, एक ऐसा युद्ध हुआ जिसके विषय में बहुत कम ही लोग जानते हैं. इस युद्ध का नाम तलास का युद्ध था. भले ही यह युद्ध इतना भीषण नहीं हुआ लेकिन, इस युद्ध से जो लहरें पैदा हुई थीं, जिसने इतिहास को बहुत प्रभावित किया.
618 से चीन में तांग साम्राज्य ने अपना विस्तार मध्य एशिया और पश्चिम की ओर करना शुरू कर दिया था. लगातार जीत हासिल करते हुए उसने कई सारे महत्वपूर्ण इलाके अपने कब्जे में कर लिए.
630 आते-आते इसने पूर्वी तुर्की के प्रान्तों को भी तांग साम्राज्य में शामिल कर लिया. अब इसके बाद उसने पश्चिमी गोर्तुकों को भी हराकर अपना वर्चस्व कायम कर लिया. यह बड़ी तेजी से अपनी क्षेत्र सीमा को बढ़ा रहा था और 715 तक चीन एक सबसे बड़ा राज्य बन चुका था. चीन ने पश्चिम की ओर अपना अच्छा-ख़ासा प्रभुत्व कायम कर लिया था.
उसने कई सारे छोटे शहरों समेत राज्यों को जीत के बाद अपने राज्य में मिला लिया था. उसकी ताक़त लगातार बढती जा रही थी. तिब्बत साम्राज्य से दुश्मनी के बावजूद वह पश्चिमी इलाकों को हथियाने में सफल हो गया.
अब्बासिद साम्राज्य का उदय और...
ये तो बात हुई चीन के बढ़ते प्रभाव की, इसी दौरान मुस्लिम ख़िलाफ़त भी अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ था. उसने पूर्वी रोमन समेत सासानिद साम्राज्य को हराकर अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था.
इसी दौरान एक और मुस्लिम उम्मयद साम्राज्य उभरा, जिसने स्पेन से लेकर मध्य एशिया तक अपने पाँव पसारने शुरू कर दिए. इसने अरब क्षेत्र में भी जाकर अपनी जीत का झंडा लहराया. इस ख़िलाफ़त ने 715 तक transoxiana के ज्यादातर हिस्से अपने कब्जे में ले लिए. इसी के साथ अब इस क्षेत्र में मुख्य मुस्लिम ख़िलाफ़त के तौर पर उभरा था.
पहली बार 715 में फरगना घाटी में चीन और मुस्लिम आमने सामने आये. इस युद्ध में मुस्लिमों की हार हो गई. इसके दो साल बाद चीन ने कर्लुकों की सेना अरबियों और तिब्बतियों को हराने के लिए भेजी.
उम्मयद साम्राज्य को खुद को विस्तार करने में आंतरिक कलह का भी सामना करना पड़ रहा था. उसे आंतरिक विद्रोहों का सामना करना पड़ता था. वह उन्हें दबाने और हाराने में कामयाब हो जाया करता था.
लेकिन, इस बार 750 में उसे अपनी हार का सामना करना पड़ा. अस-सफाह के नेतृत्व में विद्रोहियों ने अपनी जीत के साथ एक नया साम्राज्य स्थापित किया. इस साम्राज्य का नाम था अब्बासिद साम्राज्य.
चच के राजा का सिर हुआ कलम
चीनियों को उनके इस आंतरिक कलह की भनक थी और उन्होंने इस बात का फायदा भी उठाया. एक लोकल चीनी कमांडर काओ (kao xianzhi) ने एक अभियान चलाते हुए शहरों और राज्यों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया.
कमांडर को जीत दिलवाने की वजह से उसे किर्गिस्तान का गवर्नर भी बना दिया गया. इस दौरान उसने कई सारे छोटे इलाकें अपने अधिपत्य में ले लिए और उनका विलय कर दिया.
750 में, फरगना के राजा और पड़ोसी राज्य चच के बीच एक सीमा विवाद खड़ा हो गया. फरगना के राजा ने चीनी जनरल काओ से मदद की मांग करते हुए फरगना सैनिकों की सहायता के लिए बोला.
काओ ने उनकी मदद करते हुए चच पर अपना कब्जा जमा लिया और फिर उसके बाद चच के राजा का सिर कलम करवा दिया. लेकिन राजा का बेटा वहां से भागने में सफल हो गया और मदद के लिए खोरासन में अब्बासिद अरब के गवर्नर अबू मुस्लिम के पास पहुंचा. अबू उसकी मदद के लिए तैयार हो गया.
और, अबू मुस्लिम ने ज़ियाद इब्न सलीह की पूर्व की ओर बढ़ती सेना के साथ स्वयं को मिला लिया. इस तरह उसने उनके साथ मिलकर चीनी को सबक सीखाने के साथ-साथ उस क्षेत्र पर अपना अधिपत्य ज़माने की नीयत से भी हमला किया.
पांच दिनों तक चला तलास का युद्ध
जुलाई, 751 में दो बड़े साम्राज्य एक दूसरे के आमने-सामने आकर खड़े हो गए. यह जगह थी तलास, जो आज का आधुनिक कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान का बॉर्डर है. चीनी दस्तावेजों से पता चलता है कि तांग आर्मी में 30 हजार की संख्या में भारी सेना थी जबकि, अरबों के दस्तावेजों में से सेना की एक लाख की संख्या में होने का जिक्र है.
दोनों ओर से भारी मात्रा में सैन्यबल मौजूद था और यह युद्ध पांच दिनों तक चला था. चीनी मानते हैं कि पहले कार्लुक तुर्कों उनके साथ थे लेकिन, बाद में वो धोखा देकर अरबों के साथ जाकर मिल गए.
जबकि अरब रिकार्ड्स में कार्लुक तुर्कों का हमेशा से उनके साथ ही रहने की बात का जिक्र है. इस युद्ध में अरबों का साथ उईघर और तिब्बत साम्राज्य ने भी दिया. इस तरह इस युद्ध में चीनियों की हार हो गई. इस युद्ध में उनके बहुत कम सैनिक ही जिंदा बचे जिसमें से काओ भी शामिल था. हज़ारों सैनिक मारे गए और बंदी बनाए गए कैदियों को समरकंद ले जाया गया.
अब्बासिद आगे बढ़कर चीन पर भी आक्रमण कर सकते था. लेकिन, इतनी बड़ी संख्या के लिए उनके पास साधन और भंडार की कमी थी. इसीलिए वह इसके बाद आगे नहीं बढ़े.
कागज़ बनाने की कला से हुई दुनिया रूबरू
काओ की हार के बाद एक बहुत महत्वपूर्ण बात देखने को मिली. यह तलास का युद्ध ही था जिसकी वजह से लगातार मध्य एशिया की ओर बढ़ रहे चीन के कदमों को लगाम लग गई. इसके बाद चीन वहां से हटकर अपने उत्तरी और दक्षिणी बॉर्डर पर विद्रोहियों से निपटने में लग गया.
इस युद्ध का सबसे बड़ा परिणाम रहा जब यूरोप और अरब के लोगों ने कागज बनाने की कला सीखी. दरअसल, युद्धबंदी बनाए गए सैनिकों को समरकंद ले जाया गया था. यह सैनिक कागज़ बनाने की कला में भी माहिर थे.
इन्हीं लोगों की बदौलत विश्व में पहली बार चीन के बाहर लोगों ने कागज़ बनाने की कला सीखी. अरब दुनिया और यूरोप ने इनसे कागज़ बनाना सीख लिया. जल्द ही, समरकंद में पेपर-मेकिंग फैक्ट्री स्थापित कर दी गई. जो बाद में बग़दाद, दमस्कस, दिल्ली आदि में स्थापित की गयीं.
इसके अलावा, 1120 में पहली यूरोपियन मिल स्पेन में स्थापित हुई. इसके बाद अरबों के आधीन वाले राज्य शहर जैसे इटली, जर्मनी में भी यह तकनीक पहुँच गई.
तो यह था तलास का युद्ध जिसकी अवधि भले ही कम रही लेकिन इसका असर उतना ही बड़ा और महत्वपूर्ण रहा. अगर आप भी इस युद्ध से सम्बंधित कोई जानकारी रखते हैं तो, हमारे साथ कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें.
Web Title: Battle of Talas, Hindi Article
This article is on the battle of talas which has played an important role in history. Due to this battle the world get to know about the art of paper making and also it has bridled the rapid expansion of china towards the central Asia.
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