एक अपराध की अधिकतम सजा क्या हो सकती है?
शायद फांसी या फिर उम्रकैद. फांसी तो चंद मिनटों की तकलीफ के साथ खत्म हो जाती है, पर उम्रकैद हर रोज एहसास कराती है कि आखिर गुनाह क्या था?
एक जीवन में किसी को कितनी बार उम्रकैद हो सकती है?
जाहिर है आपका जवाब होगा एक बार, क्योंकि उम्रकैद में तो एक ही जीवन की पूरी उम्र खप जाएगी.
पर यह सच नहीं है… दुनिया में एक ऐसा खूंखार अपराधी भी है, जिसे एक ही जीवन में एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार उम्र कैद हुई!
इस शख्स को अपराध जगत में ‘कार्लोस द जैकाल’ के नाम से जाना जाता है.
कार्लोस खुद को क्रांतिकारी मानता है. उसे फ्रांस में 1970 और 1980 के दशक में हुए हमलों के मामलों में दोषी पाया जा चुका है. जिसके लिए उसे दो बार उम्रकैद हुई और साल 2017 में घटना के 43 साल बाद फिर से उम्रकैद दे दी गई.
यह इतिहास में एक अलग ही किस्म का किस्सा है.
तो चलिए आज मिलते हैं ‘कार्लोस द जैकाल’ से, जिसके खौफ ने 50 साल पहले ही लोगों की नीदें उड़ा दीं थीं.
शुरुआत से ही आतंकी घटनाओं में लिप्त रहा
‘कार्लोस द जैकाल’ का असली नाम इलिच रामिरेज़ सान्चेज़ है, पर वह अपराध की दुनिया में खुद को ‘कार्लोस द जैकाल’ कहलाना ही पसंद करता है.
इलिच का जन्म फ्रांस के वेनेजुएला में 12 अक्टूबर 1949 को हुआ था. कार्लोस के बचपन के बारे में किसी को भी सही जानकारी नहीं है.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 24 साल की उम्र में उसने ‘पॉपुलर फ्रंट फ़ॉर द लिबरेशन ऑफ़ पैलेस्टाइन’ में शामिल होने का फैसला किया और तभी से खुद को पूरी तरह आंतकी घटनाओं में लिप्त कर लिया.
Carlos The Jackal (PIc: time)
मासूम लोगों के खून से रंग दिए अपने हाथ!
30 दिसंबर, 1973 को लंदन में जोरदार ठंड थी. लोग अपने घरों में दुबके हुए थे और वहीं कार्लोस एक काला वूलन कोट पहने हुए, चेहरे को मफलर से ढांक कर सेंट जॉन्स वुड जैसे पॉश इलाके की सूनी सड़क पर टहल रहा था.
कुछ देर टहलने के बाद वह 48 नंबर के घर में दाखिल हुआ और दरवाजे की बेल बजाई.
यह घर मशहूर रिटेल कंपनी ‘मार्क्स एंड स्पेंसर’ के अध्यक्ष और ब्रिटिश ज़ायोनिस्ट फ़ेडेरेशन के उपाध्यक्ष जोज़ेफ़ एडवर्ड सीफ़ का था.
बेल बजने पर सीफ के शेफ मैनुएल परलोएरा ने दरवाज़ा खोला.
कार्लोस ने मैनुएल के माथे पर इटली में बनी 9 एमएम बेरेटा पिस्टल तान दी और कहा कि वह उसे सीफ के पास ले चले.
सीफ की पत्नी लुइस ने ऊपर से ये नजारा देख लिया. वह तत्काल भागकर अपने कमरे में पहुंची और पुलिस को फोन किया. तब तक कार्लोस सीफ के कमरे तक पहुंच गया था. उसने मैनुएल को धक्का दिया और बिना देर किए सीफ के चेहरे को निशाना बना दिया. कार्लोस ने सीफ को मारने के इरादे से सीधे उनके मुंह पर ही हमला किया.
सीफ़ नीचे गिरते ही बेहोश हो गए. वह दोबारा उन पर गोली चलाना चाहता था पर पिस्टल जाम हो गई…
तब तक पुलिस दरवाजे पर आ चुकी थी. आखिर कार्लोस को वहां से भागना पड़ा. सीफ की किस्मत अच्छी थी. उसकी जान बच गई. गोली ऊपरी होंठ पर छेद बनाती हुई उनके दांत से टकराई थी, जिसे आॅपरेशन कर बाहर निकाल लिया गया. कार्लोस का पहला हमला असफल था. यह उसके आपराधिक करियर की असफल शुरूआत थी.
हालांकि, कार्लोस इससे निराश नहीं हुआ.
उसने फिलिस्तीनी और कम्युनिस्ट क्रांति के नाम पर हत्या करने की शुरुआत की.
70 के दशक में वह म्यूनिख पहुंचा और वहां इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी. इसके अलावा पेरिस के दक्षिणपंथी समाचारपत्रों और रेडियो स्टेशन पर हमला कर और फ़्रेंच दूतावास पर कब्ज़ा कर वह घोषित तौर पर आंतकवादी बन गया.
1974 में फ्रांस की राजधानी स्थित एक शॉपिंग सेंटर पर कार्लोस ने ग्रेनेड हमला किया. जहां दो लोगों की मौत हुई और 34 लोग गंभीर रूप सेे घायल हो गए. इसके बाद कार्लोस पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया.
जबकि, अपराध जगत में उसके नाम का सिक्का कायम हो रहा था.
Carlos The Jackal Man Who Get Life Sentence Three Times ( Representative Pic: nytimes)
हमला कर पूरी दुनिया को हैरान किया!
कार्लोस का खौफ अब तक लंदन, फ्रांस और इटली की गलियों तक ही सीमित था. जबकि, कार्लोस अपने खौफ को पूरी दुनिया में कायम करना चाहता था.
आखिर उसे यह मौका मिला. उसने वियना में तेल का उत्पादन करने वाले देशों के मंत्रियों के अपहरण की योजना तैयार की. घटना को अंजाम दिया गया 21 दिसंबर, 1975 की सुबह!
टीम में शामिल किया गया जर्मन साथी हांस जोआखिम क्लाइन, महिला छापामार क्रोशेर टाइडमान और तीन अरब गोरिल्ला सैनिकों को. उनके पास हथियार, फ़्यूज़, डेटोनेटर्स और हैंड ग्रेने डथे.
कार्लोस की जीवनी लिखने वाले जॉन फ़ोलेन ने अपनी किताब ‘जैकाल- द कंप्लीट स्टोरी ऑफ़ द लीजेंडरी टेरेरिस्ट’ में इस घटना के बारे में लिखा है. इसके अनुसार कार्लोस ने अपहरणकांड को अंजाम देने के पहले अपने गेटअप को पूरी तरह बदल लिया था. उसने अपनी दाढ़ी, मूंछें छोटी कर ली. खाकी रंग की पतलून के साथ स्लेटी रंग का पुलओवर पहना.
घटना वाले दिन वह अपनी टीम के सदस्यों के साथ पैदल चलते हुए ओपेक के मुख्यालय की नीचे पहुंचा. यह सात मंजिला इमारत थी, जिसमें कनाडा का दूतावास और टेक्समो कंपनी का ब्रांच ऑफ़िस भी था.
वे जिस समय पहुंचे थे. उस दौरान इमारत में काफी भीड़ थी. इसलिए सुरक्षाकर्मियों ने उनकी जांच करना जरूरी नहीं समझा. कार्लोस पहले से ही इस बात के लिए पुख्ता था इसलिए उसने आॅफिस शुरू होने के समय को चुना था.
कार्लोस इमारत में दाखिल हो गया. उनके कपड़े बेहद साधारण थे इसलिए कई लोगों ने उन्हें मुड़मुड़ कर देखा. हालांकि, कार्लोस को इस बात से कोई फक्र नहीं पड़ा. वह अपनी टीम के साथ सीढ़ियों से होता हुआ कॉन्फ्रेंस रूम पहुंचा. जहां तेल का उत्पादन करने वाले देशों के मंत्रियों की बैठक चल रही थी. कांफ्रेंस रूम के सामने ही कार्लोस और उसके साथियों ने अपने बैग खोले और हथियार बाहर निकालेे.
इसके बाद वे गोलियां चलाते हुए कमरे में दाखिल हुए और हवाई फायर शुरू कर दिया. एक साथी ने सभी को जमीन पर लेटने की चेतावनी दी. सऊदी अरब के तत्कालीन तेल मंत्री 45 वर्षीय यमनी भी बैठक का हिस्सा थे. वे इस हमले से इतना घबरा गए कि उन्होंने आयतें पढ़ना शुरू कर दिया.
कार्लोस दरअसल यमनी की तलाश में ही आया था. उसने यमनी को आवाज लगाई, उन्होंने जवाब दिया और कहा कि मैं यहां हूं. तब तक ऑस्ट्रियाई सुरक्षा बल का एक दल बदूक लिए और बुलेटप्रूफ़ जैकेट पहने इमारत के अंदर आ चुका था.
वे सीधे कांफ्रेंस रूम पहुंचे और कार्लोस ने बिना देर किए उन पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. उसके साथी भी लगातार फायरिंग कर रहे थे. जबकि सभी मंत्री अब भी जमीन पर लेटे थे.
कमांडोज़ की एक गोली दीवार से टकराकर कार्लोस के साथी क्लाइन के पेट में लगी. वह भागकर रसोईघर में छिप गया. तब तक कार्लोस ने एक कमांडो को मार गिराया था. क्रोशेर टाइडमान ने भी दो कमांडो को मार दिया था. बाकी साथियों ने भी कमांडो पर अपना हमला जारी रखा.
इसके बाद कांफ्रेेंस रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और कार्लोस ने कहा कि ‘हम फिलिस्तीनी कमांडो हैं और हमारा निशाना सऊदी अरब और ईरान हैं.’ इसके बाद उसने ब्रिटिश सेक्रेटरी ग्रिसेल्डा केरी से एक पत्र सरकार के नाम लिखवाया. जिसमें कहा गया कि हमें ऐसी बस उपलब्ध करवाएं जिसकी खिड़कियों से अंदर या बाहर न देखा जा सके.
इसके अलावा एक डीसी 9 विमान भी एयरपोर्ट पर तैयार मिले. साथ ही क्लाइन को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जाए. सरकार ने उनकी मांगों को तत्काल स्वीकार कर लिया. आखिर क्लाइन कोे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. जहां उसका आॅपरेशन शुरू हुआ. वहीं सरकार ने उन्हें खाने की चीजें मुहैया करवाई.
सारा खेल कार्लोस के हाथों में था और प्रशासन महज तमाशा देखे जा रहा था.
फेल हो गया प्लान मगर…
अगलेे दिन 22 दिसंबर को कार्लोस को बस मुहैया करवाई गई. जिसमें उसने सभी मंत्रियों को बैठाया और सुबह सात बजे एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया. एयरपोर्ट पर विमान तैयार था.
यहां पहुंच कर कार्लोस ने अपने साथी क्लाइन को वापिस बुलवा लिया. उसके साथ एक रेडियो, 25 मीटर लंबी रस्सी और पांच कैंचियां भी मंगवा लीं.
सुबह 9 बजे विमान ने उड़ना शुरू किया और इसके बाद कार्लोस का तनाव थोड़ा कम हुआ.
ढाई घंटे की उड़ान के बाद विमान अल्जीयर्स के बाहर दर अल बेदा हवाई अड्डे पर लैंड हुआ. जहां अल्जीरिया के विदेश मंत्री अब्दुल अज़ीज़ बोतेफ़िल्का कार्लोस का पहले से इंतजार कर रहे थे.
एयरपोर्ट पर कार्लोस ने तीस ग़ैर अरब मंत्रियों और उनके सहयोगियों को रिहा कर दिया और यमनी के साथ ईरान के गृह मंत्री अमूज़ेगर सहित पंद्रह लोगों को रोक लिया.
विमान में तेल भरवाकर कार्लोस ने ट्रिपोली के लिए उड़ान भरी. ट्यूनिस के ऊपर उड़ते हुए विमान को एयर ट्रेफिक कंट्रोल ने उतरने की अनुमति नहीं दी. आखिर उसे वापिस अल्जीयर्स जाना पड़ा. शायद वह समझ चुका था कि उसका यह प्लान फेल हो रहा है. इसलिए उसने घोषणा की कि मैं विमान से पहले उतरुंगा इसके बाद आप सभी बाहर आ जाएं.
हालांकि, सभी बंधक डरे हुए थे और उन्हें लग रहा था कि कार्लोस उन्हें बाहर निकलते ही गोली मार देगा, लेेकिन ऐसा नहीं हुआ. आखिर में सभी मंत्री रिहा हो गए और सब देखते रह गए कि कार्लोस एयरपोर्ट से अपने साथियों के साथ सुरक्षित बाहर आ गया.
सालों बाद हुआ बड़ा खुलासा!
कार्लोस ने आखिरी बंधकों को बिना नुकसान पहुंचाए क्यों रिहा किया और वह कैसे सुरक्षित बाहर आ गया?
इस सवाल का जवाब सालों बाद कोर्ट की एक सुनवाई में खुद कार्लोस ने दिया. उसने बताया कि सऊदी मंत्री शेख़ यमनी को उसने इसलिए नहींं मारा क्योंकि उनकी सलामती के लिए अल्जीरियाई सरकार ने उसे 5 करोड़ डॉलर दिए थे. यह पैसा भी सऊदी अरब और ईरान से आया था.
हालांकि इसके बाद भी कार्लोस का कहर जारी रहा. पेरिस और मार्से में 1982 और 1983 में चार बम हमलों में उसे दोषी पाया गया था. इन हमलों में 11 लोग मारे गए थे और 150 लोग ज़ख़्मी हो गए थे.
जिसके लिए उसे 2011 और 2013 में दो बार उम्र कैद हुई और फिर 2017 में तीसरी बार उम्रकैद हुई.
उसने 80 लोगों की हत्याएं करना भी स्वीकार किया.
इस तरह इस असफल अपहरणकांड ने कार्लोस को पूरी दुनिया का सबसे खूंखार अपराधी बना दिया था. कुछ लोगों ने तो उसे लादेन से भी ज्यादा खतरनाक बताया.
Carlos The Jackal Man Who Get Life Sentence Three Times (Pic: mirror)
यह थी कहानी कार्लोस के तीन बार उम्रकैद मिलने की. कार्लोस ने जिस तरह के नापाक काम किए थे उनके लिए तो उसे जितनी भी बड़ी सजा दी जाए वह कम है.
गुनाहों के रास्तों पर कार्लोस इतना आगे निकल गया था कि वह चाह कर भी कभी पीछे नहीं आ सकता था.
उसने इतने बुरे काम किए कि अदालत भी उसे तीन उम्रकैद देने से नहीं रुक सकी.
Web Title: Carlos The Jackal Man Who Get Life Sentence Three Times, Hindi Article
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