दुनिया भर में बहुत सी लड़ाईयां लड़ी गईं, फिर चाहे वह प्राचीन राजाओं के बीच हो या फिर आधुनिक युग में दो देशों के बीच.
इन लड़ाईयों में लाखों सैनिक मारे गए, लेकिन एक चीज जो इन सभी लड़ाईयों में समान थी कि सेनाओं में जितने भी सैनिक थे, वह सभी पुरुष थे.
लेकिन आज हम आपको इतिहास की एक ऐसी सेना से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसने अपने राजा और राज्य की सुरक्षा का दायित्व बखूबी निभाया. इस सेना में कोई पुरुष नहीं बल्कि सभी महिलाएं थीं.
करीब 300 साल पहले 17वीं शताब्दी में अफ्रिका में ‘दहोमे’ नाम का एक राज्य था.
यह राज्य अपनी महिलाओं की सेना के लिए काफी मशहूर था. इस सेना की औरतें नॉनमिटोन के नाम से प्रसिद्ध थीं. लड़ने में अव्वल इन बहादुर विरांगनाओं पर दहोमे राज्य के राजा ‘वेग बाजा’ की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. उन्होंने ही इस सेना का गठन किया था.
आइए, जानते हैं दुनिया की इस अनोखी सेना के बारे में –
राजा की रक्षा के लिए बनाई गई थी सेना
दहोमे सेना की शुरुआत राजा वेग बाजा ने 17वीं शताब्दी में की थी.
दरअसल उस समय लोगों के पास खाने का एक मात्र जरिया शिकार था. ऐसे में जब कबीले के पुरुष अन्य कबिलों के साथ जंग लड़ने के लिए जाते थे, तो परिवार का पेट भरने के लिए परिवार की औरतें शिकार के लिए जाया करती थीं.
इसी बीच, एक बार जंगल में सैर के दौरान राजा ने कुछ महिलाओं को हाथी का शिकार करते हुए देखा. शिकार के दौरान महिलाएं जिस तरह की तकनीक इस्तेमाल कर रही थीं, वह देख राजा बहुत प्रभावित हुए.
इसके बाद राजा ने महिलाओं की एक सेना का गठन किया, जो खासकर उनकी रक्षा के लिए रखी गई.
जिन महिलाओं को राजा का अंगरक्षक बनाया जाता था, उन्हें खास तरह का प्रशिक्षण दिया जाता. जिससे वह जीती जागती मौत की सौदागर बन जाती थीं. उनके दिल से मौत का डर निकाल दिया जाता था, ताकि जंग में वह दुश्मनों का खात्मा निडरता और साहस के साथ कर सकें.
करना पड़ता था सुखों का त्याग
हालांकि, राजा की सेवा करने वाली महिलाओं को कड़े अभ्यास के साथ-साथ कुछ सांसारिक सुख भी त्यागने पड़ते थे. जैसे नॉनमिटोन महिलाओं के लिए एक नियम था कि जब तक वह राजा की सेवा में कार्यरत हैं, न तो शादी कर सकती हैं और न ही बच्चा पैदा कर सकती हैं.
यहां तक कि जब तक ये अपनी सेवाएं दे रही हैं, तब तक एक तरह से वह राजा की ही पत्नियां होती थीं और राजा ही उन्हें छूने का हक रखता था. अगर राजा के अलावा कोई इन्हें छूता तो उसे मौत की सजा दी जाती थी.
फ्रांसीसी सेना को दी कड़ी टक्कर
इसी समय के दौरान जब यूरोपियन सैनानी दहोमे की यात्रा करने आए, तो उन्होंने देखा कि राजा की सेना में पुरुषों की अपेक्षा महिला सैनिक अधिक तैनात हैं. उन्होंने यह महसूस किया कि पुरुषों की तुलना में महिला सैनिक अधिक विश्वासपात्र व बहादुर हैं.
इससे वह काफी प्रभावित हुए.
प्रसिद्धी हासिल करने के बाद दहोमे की इस महिला सेना का अंत दहोमे शासन के अंत के साथ ही हो गया. जब 1890 में फ्रांस ने अफ्रीका के पोरटो नोवो तट पर अपनी कालोनी बसानी शुरू की. वह युद्ध का एक संकेत था कि बाहरी लोग अफ्रीका पर हक जमाने के लिए आ गए हैं.
उस समय दहोमे का शासन राजा बेहानज़िन के हाथ में था और वह ये सब देख चुप नहीं बैठ सकते थे. इसलिए उन्होंने फ्रांसीसियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया.
बहुत से इतिहासकार इस बारे में बताते हैं कि इस युद्ध में महिला सेना ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया था. युद्ध की शुरुआत में उन्होंने फ्रांस द्वारा हथियाए गए बहुत से गांव को भी उनके कब्जे से छुड़ा लिया था.
इस युद्ध का एक वाकया काफी चर्चा में रहा था, जब युद्ध के दौरान सेना के चीफ ने महिला सैनिकों से कहा कि उन्हें किसी भी कीमत पर इन विदेशियों के कब्जे से अपने क्षेत्र को छुड़ाना होगा. और अपने लोगों की मदद करनी होगी, हमारे पास जीतने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
ऐसे में अपने चीफ की आज्ञा का पालन करते हुए एक सैनिक अकेली ही दुश्मन की सैन्य टुकड़ी के खेमे में घुस गई और उनके कमांडर का सिर काटकर ले आई. उसने उसे झंडे में लपेट कर दहोमे के राजा को भेंट किया.
दहोमे सेना की इस बहादुरी को देखकर न चाहते हुए भी फ्रैंच सेना अपने दुश्मन की इज्जत करने पर मजबूर हो गई.
आधुनिक हथियारों के आगे हुए ढेर
इतनी बहादुरी से लड़ने के बावजूद दहोमे सेना फ्रैंच सेना के आधुनिक हथियारों के आगे टिक नहीं पाई और आखिरकार फ्रांस-दहोमे के दूसरे युद्ध में दहोम को फ्रांस के आगे घुटने टेकने पड़े.
सन 1894 में दहोमे पर फ्रांस का पूरी तरह से कब्जा हो गया और यहां यूरोपियन कालोनियों को बसाया गया.
दहोमे के राजा को बंदी बनाकर मारटिनको भेज दिया गया, जहां 1910 में उसकी मौत हो गई.
वहीं, 60 से अधिक साल तक दहोमे पर राज करने के बाद आखिरकार 1960 में यूरोपियन कालोनियों को यहां से हटा लिया गया और दहोमे को आजाद राज्य घोषित कर दिया गया.
अगर बात करें महिला सैनिकों की तो उनमें से बहुत सी युद्ध के दौरान मारी गईं, और कुछ को बंदी बना लिया गया. जबकि कुछ आम लोगों की तरह रहने लगी थीं.
माना जाता है कि दहोमे की आखिरी महिला सैनिक की मौत सन 1979 में 100 साल की उम्र में हुई थी.
बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं कि अफ्रिका के इतिहास में ऐसी महिला सैनिकों को एक बेहद खास दर्जा प्राप्त है. उन्होंने अद्भुत बहादुरी और शौर्य से कई दशकों तक अपने राजा व राज्य की सेवा की और उसी की खातिर बहुतों ने अपनी जान भी दे दी.
Web Title: Dahomey Amazons: Legendary Women’s Army in Black Panther, Hindi Article
Feature Image Credit: northendagents