वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
इन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से भी होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
उन्हीं दिनों में 21 अगस्त का भी अपना इतिहास रहा है. किसी देश को नया संविधान मिला तो किसी कहीं पर भयानक घटना. वैसे तो इतिहास का नाम ही ‘कभी खुशी कभी गम’ है.
खैर, ऐसी ही कुछ कड़वी-मीठी यादें 21 अगस्त को भी इतिहास से जुड़ीं हुई हैं, जिनको जानना हमारे लिए दिलचस्प होगा-
जब न्योस झील बनी 2000 इंसानों की मौत की वजह!
21 अगस्त के ही दिन कैमरून देश में न्योस झील से एक घातक गैस विस्फोट हुआ था. इस विस्फोट में लगभग 2000 इंसानों की जान चली गई थी.
दरअसल, कैमरून देश के उत्तर-पश्चिम में न्यासा और मोनून झील एक ज्वालामुखी क्रेटर पर मौजूद है. अगस्त 1986 में मोनून झील के पास अचानक 37 लोगों की जान जा चुकी थी. यह घटना सरकार तक पहुँचने में असफल रही,क्योंकि उस क्षेत्र में बिजली व टेलीफोन सेवा मौजूद नहीं था. वहीं न्योस झील के पास रहने वाले 5000 लोग भी आने वाले खतरे से अनजान थे.
21 अगस्त 1986 को झील से एक भयानक शोर हुआ. लगभग 15-20 सेकेण्ड तक हुए शोर ने एक घातक रूप ले लिया था. इस विस्फोट में झील से जहरीली गैस कार्बन डाई ऑक्साइड हवा में फ़ैल गई.
जल्द ही ये हवा उत्तर दिशा के लोअर न्योस गांव की तरफ की तरफ चली गई. इस गांव में सिर्फ 1 बच्चे समेत दो महिला की जान बच पाई थी. फिर इस जहरीली हवा ने दूसरे गांव को भी अपने चपेट में ले लिया था.
आकड़ों की माने तो इस विस्फोट से लगभग 2000 इंसानों और 3500 जानवरों की मृत्यु हो गई थी. जाँच से पता चला कि इस झील में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा काफी ज्यादा थी. गैस रिलीज न हो पाने झील गैस को अपने अंदर स्टोर कर रही थी. वहीं झील के पानी का स्तर भी लगातार घटता जा रहा था.
जब झील के अंदर अधिक प्रेशर जमा हो गया. तब झील के अंदर एक तरह से बम का गोला बन चुका था. ऐसे में झील से एक भयानक विस्फोट हुआ, जिसने कई लोगों को काल के गाल समा लिया था.
एक टेस्ट से पता चला था कि झील के एक गैलेन पानी में लगभग 5 गुना अपेक्षाकृत कार्बन डाई ऑक्साइड मौजूद थी.
अंग्रेजों ने डिंडीगुल पर किया कब्ज़ा
21 अगस्त 1990 को अंग्रेजों ने मैसूर के दूसरे युद्ध हमले में डिंडीगुल पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया था. आज डिंडीगुल तमिलनाडु के खूबसूरत शहरों में से एक है. एक दौर ऐसा भी था जब इस शहर पर कब्ज़ा करने के लिए कई युद्ध हुए थे.
इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए इसके इतिहास में चलते हैं.
1742 में डिंडीगुल पर मैसूर सेना ने विजय प्राप्त किया. 1755 में कुछ विवादों के चलते हालात ख़राब हो गए थे. स्थिति को सभांलने के लिए मैसूर के राजा ने हैदर अली को भेजा. बाद में हैदर अली को डिंडीगुल भेजा. बाद में हैदर अली मैसूर के शासक बने. इन्होंने 1777 में पुरुषाना मीरसाहेब को डिंडीगुल का गवर्नर नियुक्त किया.
इनके राज में किले को मजबूत किया गया था. 1783 में ब्रिटिश सेना ने डिंडीगुल पर हमला किया, लेकिन पूर्ण रूप से कब्ज़ा करने में असफल रहे. आगे 1784 में मैसूर प्रांत और ब्रिटिश सेना के बीच एक समझौते के बाद डिंडीगुल को मैसूर प्रांत द्वारा बहाल किया गया था.
फिर जब 1788 में हैदर अली के पुत्र टीपू सुल्तान ने शासन सभांला, तो 1790 में ब्रिटिश सेना ने दोबारा मैसूर पर हमला करते हुए डिंडीगुल पर कब्ज़ा कर लिया था. इस तरह उन्होंने इस क्षेत्र को मैसूर राज्य से छीन लिया था.
वहीं मदुरई जिले में अंग्रेजी शासन के तहत आने वाला यह पहला क्षेत्र था. 1792 को टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच एक संधि हुई. इस समझौते के तहत टीपू ने डिंडीगुल को ब्रिटिशों को सौंप दिया. बाद में ब्रिटिश सेना ने किले को और मजबूत किया था.
रोमानिया में हुआ संविधान लागू
21 अगस्त को रोमानिया के लिए एक बेहतर दिन था. इसी दिन रोमानिया का संविधान लागू किया गया था, जिससे यहां के लोकतंत्र को ताकत मिली थी.
रोमानिया का संविधान 1965 में ग्रेट नेशनल असेंबली की एक समिति ने तैयार किया था. फिर इसे 28 जून 1965 को रोमानियन कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति ने अनुमोदित किया.
इसके बाद जुलाई के सत्र में इस पर बहस हुई. इस बहस में इस संविधान पर आपसी सहमति हुई.
फिर 21 अगस्त 1965 को सभा में इस संविधान को लागू कर दिया गया था.
हालांकि, यह रोमानिया का छठा संविधान था. वहीं कम्युनिस्ट युग का तीसरा था. इस संविधान के तहत विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव किया गया था. बाद में इस संविधान में 10 बार संशोधन किया गया था.
1965 के इस संविधान में 9 अनुच्छेद के साथ 121 धाराएं शामिल की गई थी. आगे रोमानिया में हुई क्रांति के बाद 1989 में इसे आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया था. मगर 1991 के अंत में इसके कुछ खंड को दोबारा शामिल किया गया था.
नेपाल-भारत सीमा पर आए भूकंप से हजारों की मौत
21 अगस्त का दिन भारत के साथ नेपाल के लिए भी बड़ा भयावह रहा था. इसी दिन भूकंप ने दोनों देशों के न जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया था. वहीं न जाने कितने लोग अपने परिवार से बिछड़ चुके थे.
दरअसल, 21 अगस्त 1988 को नेपाल-भारत सीमा पर 6.5 की तीव्रता से भूकंप आया था. इस भूकंप का असर नेपाल के साथ भारत के बिहार राज्य में भी देखने को मिला था.
इस भूकंप ने जहां नेपाल में लगभग 721 लोगों की जान ली थी,.
वहीं बिहार में 277 लोगों की मौत हुई थी. दोनों देशों के हजारों नागरिक गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. इस भयानक घटना के बाद कई दिनों तक लोगों में खौफ बना रहा. वहीं राहत कार्यों में भी काफी समय लगा था.
तो ये थीं 21 अगस्त के दिन, इतिहास में घटीं कुछ घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day History of 21 August, Hindi Article
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