वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ ज़रूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
22 सितंबर के दिन का भी अपना इतिहास रहा है, इस दिन जहां एक तरफ भारत और पकिस्तान के बीच होने वाले युद्ध विराम की घोषणा की गई. वहीं दूसरी तरफ इराक व ईरान के बीच युद्ध की शुरुआत हुई. वैसे तो इतिहास ‘कभी ख़ुशी कभी गम’ नाम ही है.
खैर, ऐसी ही कुछ कड़वी-मीठी यादें 22 सितंबर के इतिहास से जुड़ीं हुई हैं, जिनको जानना हमारे लिए दिलचस्प होगा-
जर्मनी ने की मद्रास पर बमबारी
प्रथम विश्व युद्ध के दौर में जर्मनी के पास कई घातक युद्धपोत थे. उन युद्धपोतों की वजह से उसने पूर्वी एशिया पर कई दिनों तक अपना अधिकार जमाये रखा. इस दौरान उसने शत्रु के कई युद्धपोतों को या तो कब्ज़ा कर लिया था या उनको नष्ट कर दिया.
उन्हीं हमले में 22 सितंबर 1914 को जर्मनी ने मद्रास के बंदरगाह पर भी हमला किया था.
यह हमला जर्मनी ने अपने शक्तिशाली युद्धपोत एसएमएस एमदेन से किया था. उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत की सेना बंगाल की खाड़ी पर बड़ी मजबूती के साथ मौजूद थी. किसी को जरा भी अंदाजा नहीं था, कि जर्मनी अपने युद्धपोत को लेकर मद्रास के बंदरगाह पर पहुँच जायेगा.
जर्मनी ने यह हमला रात में किया था. उसने भारी बमबारी करते हुए अंग्रेजों के कई जहाजों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था.
इस हमले उसके तेल के भंडार भी बर्बाद हो गए थे. सूत्रों की मानें तो जर्मनी के द्वारा भारत के मद्रास पर किया गया इस हमले से अंग्रेजों की स्थिति को भारत में कमज़ोर करना था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन भारतीय सैनिकों को भी लड़ने पर मजबूर कर रही थी.
शुरू हुआ ईरान व इराक के बीच युद्ध
22 सितंबर के दिन ही काफी दिनों से इराक व ईरान के बीच चले आ रहे छिटपुट विवादों ने युद्ध का रूप ले लिया था.
दरअसल, 22 सितंबर 1980 को इराक ने ईरान पर हमला कर दिया था . यह हमला उस वक़्त हुआ, जब इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन थे. सूत्रों की मानें तो सद्दाम ने ईरान में होने वाली क्रान्ति के कारण यह हमला किया था.
उनको उस वक़्त के ईरानी शिया नेता आयतुल्ला खुमैनी से खतरा महसूस हो रहा था. वहीँ खुमैनी ने भी सद्दाम हुसैन द्वारा शिया समुदाय को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. इन कारणों के अलावा कुछ लोगों का मानना था कि यह युद्ध क्षेत्रीय अधिपत्य की वजह से शुरू हुआ था.
खैर, इस हमले में सद्दाम की इराकी सेना ने ईरान में हो रही क्रांति का बखूबी फायदा उठाया. उसके कुछ हिस्सों पर अपना अधिकार जमा लिया.
हालांकि, इसके 2 साल बाद ईरानी सेना ने दोबारा उन क्षेत्रों पर अपना कब्ज़ा कर लिया. यहाँ तक कि इराक के भी कुछ हिस्सों पर वे काबिज हो गए थे.
ऐसे में सद्दाम ने युद्ध विराम की अपील की, मगर ईरान ने उनके अपील को ठुकरा दिया. इस तरह दोनों देशों के बीच यह युद्ध काफी लंबा खींचता चला गया. इस दौरान दोनों देशों की शाख की वजह से मानवीयता को नज़रंदाज़ किया जा रहा था.
इस युद्ध में आम लोगों का जीवन बहुत प्रभावित हुआ. दोनों मुल्कों की सेनाएं देश के प्रमुख शहरों को नष्ट करने पर तुले हुए थे. आखिरकार कई इंसानों की जान जाने के बाद यह युद्ध 1988 के अंत में समाप्त हो गया.
8 सालों तक चले इस युद्ध में दोनों नेताओं का कोई फायदा नहीं हुआ. न ही खुमैनी सद्दाम को कुर्सी से हटा सके और न ही सद्दाम ईरान में खुमैनी का वर्चस्व समाप्त कर सके थे. आकड़ों की मानें तो बिना कोई नतीजा वाले इस युद्ध में लगभग 5 लाख लोगों को अपनी मौत गवांनी पड़ी थी.
नेशनल जिओग्रैफ़िक मैगज़ीन की हुई शुरुआत
22 सितंबर 1988 को नेशनल जिओग्रैफ़िक मैगज़ीन का पहला अंक छपा था. यह पत्रिका संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल जिओग्रैफ़िक सोसायटी के अंतर्गत प्रकाशित किया जाता है. इस माहवारी पत्रिका में दुनिया की भौगोलिक, वैज्ञानिक, इतिहास व संस्कृति के विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय लेख छापे जाते हैं.
इसी के साथ ही यव पत्रिका अपने विशिष्ट फोटोग्राफी व मानचित्रों के लिए जाना जाता है, हालांकि इसके पहले अंक में कोई भी तस्वीर नहीं छपी थी. बाद में इस पत्रिका में फोटोग्राफी का भी बखूबी इस्तेमाल होने लगा. इसके बाद इसके पाठकों की संख्या में इजाफा होता रहा.
आज यह मैगजीन दुनिया भर में 30 से अधिक भाषाओँ में प्रकाशित किया जाता है. जिसमें जापानी सबसे पहला स्थानीय भाषा में शामिल हुआ था.
नेशनल जिओग्रैफ़िक मैगज़ीन के सभी लेखों के लिए इसके खुद के विशेषज्ञ दुनिया भर में अध्ययन करने के लिए दौरा करते रहते हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध विराम
22 सितंबर के दिन ही भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले दूसरे युद्ध को संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद समाप्त किया गया था. भारत और पाकिस्तान के बीच बिना किसी औपचारिक एलान के 5 अगस्त 1965 को इस युद्ध की शुरूआत हुई थी.
दोनों देशों के बीच इस युद्ध की वजह कश्मीर थी, जो आज भी इन दोनों के बीच विवादों में घिरा हुआ है. 1962 के भारत और चीन युद्ध के परिणाम के बाद पाकिस्तान भारत की सैन्य शक्ति को कमज़ोर समझने लगा था.
उसने मौके का फायदा उठाते हुए सालों से चले आ रहे कश्मीर विवाद को तूल देने की कोशिश की थी.
इस युद्ध में पहली बार दोनों देशों के मध्य पैदल व टैंक डिविजन सेना के साथ ही वायु सेना ने भी अपना शक्तिशाली बल दिखाया था.भारत व पाकिस्तान के हजारों सैनिक मारे गए थे. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की मध्य दोनों देश युद्ध को समाप्त करने पर सहमत हुए थे.
तो ये थीं 22 सितंबर के दिन, इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day History of 22 September, Hindi Article
Feature Image Credit: Periodpaper