वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
25 अगस्त के दिन का भी अपना इतिहास रहा है, इस दिन जहाँ मुंबई एक बार फिर बम धमाकों से दहलती है वहीँ भारतीय पोलो टीम विश्व विजेता बनकर भारत का नाम रोशन करती हैं. वैसे तो इतिहास में ‘कभी खुशी कभी गम’ देखने को मिलता ही है.
खैर, ऐसी ही कुछ और कड़वी-मीठी यादें 25 अगस्त के इतिहास से जुड़ीं हुई हैं, जिनको जानना हमारे लिए दिलचस्प होगा-
मुंबई में हुए दो बम विस्फोट!
जी हाँ, 25 अगस्त का दिन मुंबई के इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाता है. एक बार फिर मुंबई में बम धमाके की गूंज ने मुंबई वासियों को दहला कर रख दिया था.
दरअसल, 25 अगस्त 2003 को मुंबई में दो कार बम धमाके हुए थे.
जो गेटवे ऑफ़ इंडिया और झवेरी बाज़ार के पास हुआ था. इस हादसे में करीब 50 की मौत और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. यह बम विस्फोट बहुत ही भयानक था. गेटवे ऑफ़ इंडिया वाले धमाके से तो ताज होटल की कांच तक टूट गई थी.
वहीँ घटनास्थल से करीब 1 किमी दूर समुद्र के पास मौजूद लोग भी घायल हो गए थे. झवेरी बाज़ार में आभूषणों की बहुत बड़ी मार्केट थी, जबकि गेटवे ऑफ़ इंडिया पर भी अक्सर भीड़ भाड़ रहती है.
इसीलिए, आतंकियों ने यह जगह चुनी थी जहाँ ज्यादा तादाद में जान माल का नुक्सान हो. यह घटना गुजरात दंगे का बदला था. इससे जुड़े आतंकियों के तार कट्टरपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था. इस विस्फोट की भी योजना 1993 बम धमाके की तरह दुबई में की गई थी.
सूत्रों की माने तो पकड़े गए आतंकियों ने इससे पहले 2 दिसंबर 2002 में एक बम विस्फोट किया था, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी.
मगर, इनके लिए यह छोटी घटना थी. वो इससे खुश नहीं थे. फिर उन्होंने एक बड़े हमले की योजना बनाई थी.
30 साल बाद श्रीलंका सरकार ने हटाया आपातकाल
जी हां 25 अगस्त के दिन ही श्रीलंका की सरकार ने देश में तीन दशकों से चले आ रहे आपातकाल को ख़त्म करने की घोषणा की थी. यह आपातकाल उस दौरान देश में लगा जब देश की सेना और तमिल विद्रोहियों के बीच टकराव शुरू हो गया था.
हालांकि, मई 2009 में लगभग तीन दशकों से तमिल विद्रोहियों से चला आ रहा यह संघर्ष एलटीटीई के नेता वी प्रभाकरण की मौत के बाद ख़त्म हो गया था. इसके बाद तमिल विद्रोहियों का सफाया हो गया.
अब इस सख्त कानून को देश में चालाने की आवश्कता नहीं थी, इसीलिए, 25 अगस्त 2011 को श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने संसद में आपातकाल हटाने की घोषणा कर दिया था.
उन्होंने अपने बयान में कहा था, कि “देश को लोकतांत्रिक ढंग से चलाने के लिए अब हमें आपातकालीन कानूनों की आवश्कता नहीं है.” इस तरह लगभग 30 सालों से चले आ रहे आपातकाल को ख़त्म कर दिया गया था.
बहरहाल, इससे पहले भी सरकार समय समय पर इस आपातकाल को बढ़ाती आई थी.
जब फिरोज शाह तुगलक बना दिल्ली का सुल्तान!
22 अगस्त के दिन तुगलक वंश का तीसरा शासक फिरोजशाह तुगलक दिल्ली के सिंहासन पर बैठा.
मोहम्मद बिन तुगलक की मौत के बाद फिरोज शाह तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना. फिरोज मोहम्मद का चचेरा भाई और सिपहसलार ‘रजब का पुत्र था. मोहम्मद की मौत के बाद 20 मार्च 1351 को फिरोज का राज्याभिषेक थट्टा के पास हुआ था,
मगर, दोबारा 25 अगस्त 1351 को दोबारा दिल्ली में राज्याभिषेक हुआ. सुलतान बनने के बाद इसने किसानों समेत कई तरह के कर्जों को माफ़ कर दिया था. फिरोज ने मुख्य रूप से जजिया, जकात, खराज और खम्स करों को ही जारी रखा था.
फिर, उसने सल्तनत से अलग होने वाले प्रदेशों जैसे बंगाल और सिंध पर चढ़ाई कर दिया. फिरोजशाह ने किसानों के हित के लिए कई कार्य किये, जिनमें 5 बड़ी नहरों का भी निर्माण शामिल है. उसने फिरोजाबाद, हिसार और जौनपुर आदि कई शहरों को बसाया था.
इनके शासनकाल में दीवान-ए-खैरात के नाम से एक दान विभाग कायम किया गया था. अपराधियों को सख्त से सख्त सजाये मुकर्रर होती थीं. बाद में इसने ‘फतुहाते फिरोजशाही’ के नाम से एक आत्मकथा लिखी थी. ज्वालामुखी मंदिर की कुछ संस्कृत पुस्तकों का फ़ारसी में अनुवाद भी कराया था.
इसके शासनकाल में तांबे और चांदी के मिश्रण से बनी धातु के सिक्के जारी करवाए गए थे. सुलतान फिरोज शाह ने अपने शासनकाल के दौरान 1388 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.
फिर, दिल्ली के हौजखास परिसर में इसे सुपुर्दे खाक कर दिया गया. इनकी मौत के बाद तुगलक वंश का पतन होने लगा था.
भारत बना पोलो विश्व विजेता
जी हां! 25 अगस्त भारतीय खेल के इतिहास में बहुत सुनहरा दिनों में से एक है. इसी दिन भारत पोलो विश्व चैपियनशिप में विश्व विजेता बनी थी, जो भारत के लिए बड़ी गर्व की बात थी. आज़ादी से पहले पोलो भारतीय राजाओं के पसंदीदा खेलों में से एक था.
मगर आज़ादी के बाद भारत में यह खेल एक प्रोफेशनल तरीके से खेला जाने लगा.
आगे, 1957 में भारतीय पोलो टीम फ्रांस में होने वाले विश्व कप प्रतियोगिता के लिए रवाना हुई. इस टीम का नेतृत्व जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय कर रहे थे. इनकी कप्तानी में भारत ने अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा और वर्ल्ड कप को जीत लिया था.
इस जीत से भारत में पोलो को फिर से बढ़ावा मिला था. इसके बाद 1975 में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन के पीछे देश का सबसे बड़ा पोलो ग्राउंड का निर्माण कराया गया था. इस ग्राउंड को राष्ट्रपति पोलो ग्राउंड के नाम से जाना जाता है.
तो ये थीं 25 अगस्त के दिन, इतिहास में घटीं कुछ ग़मगीन तो कुछ मीठे यादगार पल.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day History of 25 August, Hindi Article
Feature Image Credit: Indianlink