वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
26 सितंबर के दिन का भी अपना इतिहास रहा है, इस दिन एक तरफ जहां अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार जनता ने उम्मीदवारों की सीधी बहस टेलीविजन पर देखी, वहीं दूसरी तरफ वेरा नामक तूफ़ान ने लाखों जापानियों को बेघर कर दिया था. वैसे तो इतिहास में ‘कभी खुशी तो कभी गम’ देखने को मिलता ही है.
खैर, ऐसी ही कुछ और कड़वी-मीठी यादें 26 सितंबर के इतिहास से जुड़ीं हुई हैं, जिनको जानना हमारे लिए दिलचस्प होगा-
राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार हुई टेलीविजन पर बहस
26 सितंबर के दिन अमेरिका के इतिहास में कुछ ऐसा देखने को मिला जो अमरीकियों के लिए बिलकुल नया था. बात 26 सितंबर 1960 की है, जब अमेरिका के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति पद लिए दो उम्मीदवारों के बीच टेलीविजन पर लाइव बहस हुई.
इस डिबेट को लेकर अमरीकियों के बीच काफी दिलचस्पी देखने को मिली थी. काफी संख्या में लोग अपने देश के भावी राष्ट्रपति के उद्देश्य व सोच को सुनने जा रहे थे. आकड़ों की मानें तो इस बहस को लगभग 7 करोड़ दर्शकों ने लाइव देखा था.
यह बहस अमरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जॉन एफ कैनेडी (मैसाचुसेट्स के डेमोक्रेटिक सीनेटर) व संयुक्त राज्य अमेरिका के उपाध्यक्ष रिचर्ड एम निक्सन के बीच हुई थी. अमेरिका के विभिन्न मुद्दों पर होने वाला इस बहस के लिए शिकागो के एक स्टूडियों को चुना गया था.
कैनेडी इस सीधी बहस में विजेता के रूप में उभरे थे, वहीं निक्सन को कैमरे के सामने घबराहट के साथ देखा गया था. निक्सन ने मेकअप करने से भी मना कर दिया था.इसके बावजूद निक्सन ने दूसरे व तीसरे राउंड में बेहतर प्रदर्शन किया था.
मगर, युवा कैनेडी इस बहस में अनुभवी निक्सन पर भारी पड़े थे. उन्होंने टेलीविजन के जरिये राजनेताओं को संवाद करने का एक अच्छा माध्यम उपहार स्वरूप दिया था. इसका फायदा कैनेडी को चुनाव में देखने को मिला.
कैनेडी ने 8 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में 49.7 प्रतिशत मत हासिल करते हुए जीत हासिल की थी. जो उनके प्रतिद्वंद्वी द्वारा प्राप्त किये गए 49.6 प्रतिशत मत से अधिक था. उपराष्ट्रपति पद छोड़ने व राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार के बाद निक्सन ने राजनीति में अपना दबाव बनाये रखा.
1968 के राष्ट्रपति चुनाव में निक्सन ने अपने प्रतिद्वंद्वी से बहस करने से मना कर दिया था. इसके बाद 1976 में फिर से टेलीविजन पर राष्ट्रपति बहस के प्रोग्राम को अपनाया गया. तब से आज तक यह अमेरिका समेत कई अन्य देशों में राष्ट्रपति व अन्य चुनाव के अभियान का हिस्सा बना हुआ है.
पकंज आडवाणी ने जीता पेशेवर बिलियर्ड्स विश्व ख़िताब
26 सितंबर के दिन ही भारत के मशहूर स्नूकर और बिलियर्ड्स खिलाड़ी पंकज अडवाणी ने पेशेवर बिलियर्ड्स का विश्व ख़िताब अपने नाम किया था. इससे पहले यह ख़िताब भारत के गीत सेठी ने अपने नाम किया था.
26 सितंबर 2009 को भारत का सिर गर्व से ऊँचा करने के बाद पकंज ने कई अन्य बड़े ख़िताब जीतने में सफल रहे. इससे पहले 2003 में ही उन्होंने विश्व स्नूकर ख़िताब जीता था. इसके बाद 2005 में एशियन विश्व बिलियर्ड्स ख़िताब व आईबीएसएफ़ विश्व बिलियर्ड्स ख़िताब भी अपने नाम किया.
आगे, 2006 में उन्होंने दोहा में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया. इसके बाद लगातार कई अन्य ख़िताब को जीतते हुए भारतीय खिलाड़ी के रूप में विश्व भर में मशहूर हुए.
इनके बेहतरीन खेल व भारतीय खेलों में महत्त्वपूर्ण योगदान की वजह से भारत सरकार ने इन्हें पद्म श्री व पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया था.
इसी के साथ ही राजीव गाँधी खेल रत्न व अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया. भारत का यह होनहार खिलाड़ी आज तक 17 के आसपास विश्व ख़िताब व अन्य कई ख़िताब अपने नाम कर चूका है. ऐसा कारनामा करने वाले भारत के वो पहले खिलाड़ी भी बन गए हैं.
‘वेरा’ नामक तूफ़ान से जापान में हुई भारी तबाही
26 सितंबर का दिन जापान के इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाता है. इसी दिन जापान में वेरा नामक भयानक तूफ़ान से अधिक जान-माल का नुकसान हुआ था. यह तूफ़ान होंशू के दक्षिण-पूर्वी तट पर उठने के बाद जापान में सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा के रूप में कुख्यात हो गया.
यह 20 सितंबर 1959 को गुआम व दक्षिण-पश्चिम प्रशांत द्वीप समूह से धीमी रफ़्तार के साथ शुरू हुआ. 21 सितंबर को इसकी रफ़्तार 138 किमी प्रति घंटा की थी. इसके बाद 23 सितंबर को इस वेरा तूफ़ान की रफ़्तार 306 किमी प्रति घंटे तक पहुँच गई. इसने अपना विकराल रूप ग्रहण किया.
इसके बाद 25 सितंबर को इसकी रफ़्तार (34 किमी) धीमी तो हो गई, मगर उत्तर की तरफ मुड़ते हुए 26 सितंबर को यह तूफ़ान जापान के दक्षिणपूर्व तट के काकाई क्षेत्र पहुँचती है. इस दिन फिर से इस तूफान ने भयानक रूप ले लिया.
इसकी रफ़्तार 250 किमी से अधिक पहुँच जाती है. इसके बाद 27 से 28 सितंबर तक इस तूफ़ान की रफ़्तार कम हो जाती है. वहीं इस तूफ़ान से जापान में आश्चर्यजनक तबाही देखने को मिली. इसके बाद जापान में मुसलाधार बारिश की वजह से बाढ़ सी आ गई थी.
इस तूफान ने जापान की अधिकतर फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था. अनगिनत इमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थीं. आकड़ों की माने तो लगभग 55 लाख घरों को नुकसान पहुंचा था. इसी के साथ ही 1.5 लाख लोगों ने अपना घर खो दिया था.
इस भयानक तूफ़ान से 5 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, वहीं रिपोर्ट के अनुसार लगभग 39 हजार लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे. इसे 'इसवान तूफ़ान' के नाम से भी जाना जाना है.
विश्व मूक बधिर दिवस
प्रत्येक साल 26 सितंबर को विश्व मूक बधिर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस परंपरा की शुरुआत विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) ने साल 1958 में शुरू किया था. इसके माध्यम से बधिरों की समाजिक व आर्थिक उन्नति के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है. विश्व भर में मौजूद बधिर लोगों को सबल व शक्तिशाली बनाए जाने का प्रयास किया जाता है.
मगर, आज यह विश्व मूक दिवस सितंबर के आखिरी सप्ताह में मनाया जाता है. इसके जरिये भारत सरकार ने भी समय-समय पर बधिरों के उच्च शिक्षा व रोजगार के लिए विशेष व्यवस्था प्रदान करती रही है.
तो ये थीं 26 सितंबर के दिन, इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day History of 26 September, Hindi Article
Feature Image Credit: 24hu