वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ ज़रूर घटित होता है. वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है, जिससे हम सीखते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं.
उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
22 सितंबर के दिन का भी अपना इतिहास रहा है, इस दिन जहां एक तरफ भारत और पकिस्तान के बीच होने वाले युद्ध विराम की घोषणा की गई वहीं दूसरी तरफ इराक व ईरान के बीच युद्ध की शुरुआत हुई. वैसे तो इतिहास ‘कभी ख़ुशी कभी गम’ नाम ही है.
खैर, ऐसी ही कुछ कड़वी-मीठी यादें 22 सितंबर के इतिहास से जुड़ीं हुई हैं, जिनको जानना हमारे लिए दिलचस्प होगा-
बेन जॉनसन से वापस लिया गया स्वर्ण पदक
27 सितंबर 1988 के दिन ही कनाडाई धावक बेन जॉनसन से उनका स्वर्ण पदक छीन लिया गया. उन्होंने सियोल ओलंपिक के दौरान 100 मीटर की दौड़ में जीत हासिल करते हुए यह गोल्ड मेडल हासिल किया था.
दरअसल, बेन ने 9.97 सेकेण्ड में 100 मीटर दौड़ पूरा किया था. ऐसा करते हुए उन्होंने विश्व रिकार्ड भी अपने नाम किया. बाद में शक की बुनियाद पर जॉनसन के मूत्र के नमूने जाँच के लिए भेजे गए.
जाँच के दौरान ही यह बात सामने आई कि उन्होंने कोई प्रतिबंधित दवा का सेवन करने के बाद ही दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. ड्रग्स के सेवन के बाद ही उनका मेडल उनसे वापस ले लिया गया. इसकी वजह से जॉनसन को निराश होकर कनाडा लौटना पड़ा था.
उन्होंने कहा था कि उन्होंने जान बुझकर कोई ऐसी दवा का इस्तेमाल नहीं किया था, जो प्रतिबंधित हो. वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.
मगर, अन्तराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के द्वारा उनके इस बात को सिरे से ख़ारिज के दिया गया कि, उन्होंने प्रतियोगिता शुरू होने से पहले एक आयुर्वेदिक पेय पदार्थ पिया था. दोषी पाए जाने के बाद बेन जॉनसन के ऊपर दो साल तक किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
उन्होंने इसके बाद वापसी तो कि मगर उनमें दोबारा वह बात नज़र नहीं आई. आगे एक बार फिर जॉनसन ड्रग्स के सेवन को लेकर दोषी पाए गए. इस बार उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया.
जब चिली में आये भूकंप ने ली लाखों जान
27 सितंबर का दिन चीन के इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसी दिन चीन के चिली क्षेत्र में तेज तीव्रता वाले भूकंप से काफी जान-माल का नुकसान हुआ था.
रिपोर्ट के अनुसार 27 सितंबर 1290 को आये इस भूकंप की तीव्रता लगभग 6.8 की थी. यह भूकंप प्राचीन इतिहास में युआन सम्राज्य के पास आया था. इस क्षेत्र को आज चीन के हिस्से के रूप में दर्शाया जाता है. तेज गति वाले इस भूकंप से लगभग 1 लाख इंसानों की मृत्यू हो गई थी.
भूकंप ने अनगिनत तदाद में घरों व इमारतों को ध्वस्त कर दिया था. चीन के कई शहर पूरी तरह तबाह हो गए थे.
आकड़ों की मानें तो इस भयानक आपदा से लगभग 500 भंडार गृह भी पूरी तरह से बर्बाद हो गए थे. इसके परिणाम स्वरुप लोगों को भूखमरी का भी शिकार होना पड़ा था. इसी के साथ कई भव्य मंदिरों को भी क्षति पहुंची थी.
चीन के इतिहास में यह अब तक का सबसे तबाही वाला भूकंप माना जाता है. वहीं विश्व में भयानक तबाही वाले इस भूकंप को 12 वां स्थान मिला है, जिसमें इतनी ज्यादा तादाद में लोगों की मृत्यू हुई थी.
मीर कासिम बने बंगाल के नवाब
27 सितंबर 1760 को ही मीर कासिम बंगाल के नवाब बने थे. उन्होंने यह स्थान अपने ससुर मीर जाफर के स्थान पर प्राप्त किया था. मीर कासिम ने 1760 से लेकर 64 तक बंगाल के नवाब के रूप में शासन किया था. मीर कासिम को बंगाल की सत्ता अंग्रेजों के समर्थन से ही प्राप्त हुई थी.
इसके बावजूद मीर कासिम ने अपना ज़मीर अंग्रेजों के हाथों नहीं बेचा. उन्होंने ब्रिटिशों के खिलाफ में विद्रोह कर दिया था.
दरअसल, जब मीर कासिम सत्ता में आए तो उन्होंने राज्य के सभी कर्ज को चुकता कर दिया. इसके बाद शासन में बने रहने के लिए अनुशासित सैन्य बलों को तैयार किया. इसके बाद बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद के स्थान पर मुंगेर को चुना.
इस दौरान उन्होंने जनता में व्याप्त कई तरह की परेशानियों को ख़त्म करने का बखूबी प्रयास किया. कासिम ने किसानों के हितों के लिए भूमि राजस्व संबंधी नियमों में भी काफी सुधार किया. जनता की सहूलियत के लिए उन्होंने कई ठोस कदम उठाये.
आगे, उन्होंने व्यापार के लिए अंग्रेजों द्वारा दिए जाने वाले कम कर का भी विरोध किया. इस दौरान स्थानीय व्यापारियों को व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी से अधिक कर का भुगतान करना पड़ता था.
इसको लेकर उन्होंने दोनों के बीच समानता का अधिकार लाने की कोशिशे की. तभी इनके और ब्रिटिश हुकूमत के बीच तकरार की स्थिति पैदा हो गई. अंग्रेजों ने इनको चेतावनी भी दी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया.
हालांकि, इस युद्ध में मीर कासिम को अंग्रेजों के सामने हार का मुंह देखना पड़ा. उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए बादशाह शाहआलम के दरबार में पनाह ले ली थी. इसके बाद उन्होंने बक्सर के युद्ध में भी संयुक्त सेना के रूप में साथ दिया था.
मीर कासिम अपने जिंदगी में एक महत्वकांक्षी और निडर सिपाही होने के साथ ही एक दयालु इंसान भी थे. 8 मई 1777 को दिल्ली में उन्होंने अंतिम साँस ली.
आंइस्टीन ने दिया E=mc² का सिद्धांत
27 सितंबर 1905 दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने द्रव्यमान व उर्जा का समीकरण E=mc² का सिद्दांत दिया था. भौतिकी विज्ञान में E का मतलब उर्जा, m का मतलब द्रव्यमान तथा c का मतलब प्रकाश की गति से है.
इनके द्वारा दिए गए इस समीकरण के अनुसार अगर किसी पदार्थ की उर्जा का पता लगाना है. तो उस पदार्थ के वजन (द्रव्यमान) को प्रकाश की गति के वर्ग से गुणा करने पर जो प्राप्ति होती है. वो उस पदार्थ की उर्जा कहलाती है.
आइंस्टीन के अनुसार पदार्थ उर्जा में व उर्जा को पदार्थ में बदला जा सकता है. इस सिद्धांत के अलावा उन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत, ब्राउनियन गति, प्रकाश का विधुत प्रभाव आदि जैसे सिद्धांत को दिया था.
इनके इस योगदान के लिए इनको 1921 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
तो ये थीं 27 सितंबर के दिन, इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day History of 27 September, Hindi Article
Feature Image Credit: irishtimes