वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी वक्त बीतता है, उसमें दुनिया के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ जरूर घटित होता है.
वह बीता हुआ कल हमारे लिए कई यादगार पलों को छोड़कर जाता है. उन्हीं में से कुछ ऐसे भी ऐतिहासिक किस्से होते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास या दिलचस्प होते हैं.
ऐसी ही कुछ खास ऐतिहासिक बातें 6 जुलाई को भी घटित हुई हैं, जिनको जानना दिलचस्प होगा-
नाइजीरिया में शुरू हुआ गृह युद्ध!
6 जुलाई के दिन सांप्रदायिक हिंसा के चलते नाइजीरिया में गृह युद्ध शुरू हो गया, जिसमें लाखों लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी.
दरअसल 1960 में नाइजीरिया ने ब्रिटेन से आज़ादी हासिल की. इसके 6 साल बाद उत्तरी नाइजीरिया के क्षेत्र में होसा समुदाय ने इसाई इग्बोस का नरसंहार करना शुरू कर दिया. इसके बाद हजारों इग्बोस पूर्व में भागने पर मजबूर हो गए, जहां पर इग्बोस जातीय समुदाय के लोगों की तादाद ज्यादा थी.
इस नरसंहार ने इग्बोस को अलगाववादी बना दिया और फिर इन्होंने बियाफ्रा को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया, इस समस्या को सुलझाने के लिए नाइजीरिया सरकार ने कई कोशिशें की, लेकिन अलगाववादियों का विद्रोह दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था.
ऐसे में 6 जुलाई 1967 को नाइजीरिया सरकार ने बियाफ्रा पर हमला करना शुरू कर दिया. इसमें भारी तादाद में हवाई बमबारी और भी सैन्य शक्ति शामिल थी, सरकार के इस फैसले से बियाफ्रान नागरिकों को काफी जान-माल का नुकसान हुआ. हालांकि यह गृह युद्ध काफी लंबा चला.
आगे हुकूमत ने नौसेना के जरिये समुद्री नाकाबंदी कर दी, जिसके कारण बियाफ्रा में लोग भूखे मरने लगे. इसी के साथ सरकार ने अलगाववादियों के लिए चिकित्सा आपूर्ति से भी इंकार कर दिया.
इस तरह संसाधनों और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन न मिलने के कारण विद्रोही 15 जनवरी 1970 को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर हो गए.
जबकि नौसेना की नाकाबंदी के दौरान बियाफ्रा में लगभग 4 से 5 हज़ार लोगों को भूख के कारण अपनी जान गवांनी पड़ी. तीन साल तक चले इस गृह युद्ध के दौरान लाखों लोगों की मौत हुई.
जब सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा !
6 जुलाई 1944 को ही नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो के जरिये एक संदेश देते हुए महात्मा गाँधी को बापू (राष्ट्र पिता) कहकर संबोधित किया था.
नेता जी भले ही गांधी के विचारों से इत्तेफाक न रखते हों, लेकिन उनके सिद्धांतों को इन्होंने हमेशा ही सम्मान दिया. शायद यही कारण था कि इन्हें कांग्रेस में जगह नहीं दी गई थी क्योंकि ये गर्म दल के नेता थे.
हालांकि बापू के विचारों ने ही बोस को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के लिए प्रेरित किया था. जिसके बाद सुभाषचंद्र बोस ने भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन दोनों के विचारों में भले ही मतभेद रहा हो, लेकिन कभी भी मनभेद नहीं रहा.
इसी कड़ी में जब कस्तूरबा गाँधी की मौत हुई तो उस वक़्त सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर के रंगून में थे, जब इनको ये दुःख भरा संदेश सुनाया गया, तो ये गाँधी जी के लिए चिंतित हो उठे. फिर नेताजी ने कस्तूरबा के निधन पर शोक संदेश देते हुए महात्मा गाँधी को पहली बार 'राष्ट्रपिता' कहकर पुकारा था.
भारतीय संविधान लिखे जाने से पहले बोस के द्वारा दिया गया यह सम्मान हमेशा के लिए महात्मा गाँधी के साथ जुड़ गया और भारतीयों के बीच बापू के नाम से मशहूर हो गए.
लुई पास्चर ने रेबीज टीके का किया सफल परीक्षण
6 जुलाई 1985 के दिन ही लुई पास्चर रेबीज टीके को पूर्ण रूप से खोजने और इसको इंसानों पर परीक्षण करने में सफल हुए थे.
लुई पास्चर रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान के एक महान वैज्ञानिक थे. फ़्रांस में जन्मे इस वैज्ञानिक ने अपनी इस खोज के द्वारा विषैले जंतुओं के काटे जाने पर एक प्रकार का एंटी-डोज़ को खोजा था.
इस रेबीज टीके का अधिकतर प्रयोग कुत्ते के काटने पर लोगों को दिया जाता है, जिससे कुत्ते के विष से इंसान को बचाया जा सके और इंसान को गहरे जख्म न हों.
हालांकि, इस टीके का प्रयोग किसी भी विषैले जंतुओं से उत्पन्न होने वाले घाव को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं. लुई की यह खोज इंसानों के लिए फायदेमंद साबित हुई
दिलचस्प बात यह है कि लुई बचपन से दयालु किस्म के आदमी थे. इन्होंने अपने गांव के 7 से 8 लोगों को भेड़िये से काटे जाने पर घाव से तड़पते और बाद में इनको मरते अपनी आखों से देखा था.
बचपन में देखी इस दर्दनाक मौत को कभी भुला नहीं सके. शायद यही वजह थी कि इन्होंने रेबीज टीके के लिए तरह तरह के प्रयोग लगातार करते रहे.
एक बार इन्होंने इस काम के लिए विषैले वायरस वाले कुत्तों को चुना था, फिर इन्होंने इन कुत्तों के वायरस को निकाल कर इससे एक टीका बनाया और इस टीके को एक स्वस्थ कुत्ते पर परीक्षण किया, जो सफल रहा.
हालांकि इस टीके का प्रयोग इंसानों पर नहीं किया गया था, लेकिन एक दिन ये अपने लैब में थे कि अचानक एक महिला अपने बच्चे को लेकर इनके लैब में पहुंची और उस बच्चे को एक पागल कुत्ते ने कांट लिया था. ऐसे में इन्होंने अपने टीके का इस्तेमाल इस बच्चे पर किया, जो कि सफल रहा.
मिस्र ने 5000 साल पुराने कब्रिस्तान को खोजा
6 जुलाई 2008 के दिन ही मिस्र के इतिहास में एक और अध्याय जुड़ गया, क्योंकि मिस्र के पुरातत्व विभाग ने दक्षिण मिस्र में एक शाही कब्रिस्तान की खोज की, जो लगभग 5000 वर्ष पुराना था.
वैसे तो मिस्र का इतिहास ही पिरामिड और ममी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी के साथ ही पुरातत्व विभाग हमेशा से ही अपनी पुरानी सभ्यता को जानने के लिए लगातार अपनी खोज में लगा रहता है. ठीक इसी तरह इस बार भी पुरातत्व विभाग के हाथों एक और सफल खोज हुई.
दरअसल, काहिरा से लगभग 400 किमी दूर दक्षिण इलाके में स्थित एक पुराने शहर अब्योडेस में पुरातत्व विभाग काम कर रहा था. इसी दौरान इन्हें एक ऐसे शाही कब्रिस्तान का पता चला जो लगभग 5000 वर्ष पुराना था.
तो ये थीं 6 जुलाई के दिन, इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 6 July, Hindi Article
Feature Image Credit: magicaljourneys