इतिहास अपने आप को बार-बार दोहराता है. कभी घटनाओं के द्वारा, तो कभी किसी याद के द्वारा. दिन कोई भी हो वह हमें हमेशा इतिहास ही याद दिलाता रहता है.
वही बताता है कि उस दिन आखिर क्या-क्या हुआ था, कैसे हुआ था. यही कारण है कि कई सालों बाद भी वह दिन लोगों के ज़हन में रहता है.
हर दिन में कई अलग-अलग कहानियाँ समाई होती हैं. ऐसी ही कई कहानियाँ 1 अगस्त में भी बसी हुई हैं. तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर 1 अगस्त को कितनी महत्वपूर्ण घटनाएं घटी–
हिटलर ने बनाया 1936 के ओलंपिक को विवादित
ओलंपिक का इतिहास बहुत पुराना है और कई यादगार चीज़ों के साथ कई अनोखे कारनामें भी इससे जुड़े हुए हैं.
इन्हीं में से एक है, 1936 के बर्लिन (जर्मनी) में आयोजित ओलंपिक खेल, जो अपने विवादों की वजह से विश्व प्रसिद्ध है.
इस ओलंपिक खेल की शुरुआत 1 अगस्त को हुई थी. इस ओलंपिक में कई ऐसी चीजें हुई थीं जिन्होंने इसे विवादित बना दिया.
इसमें से एक था ये आदेश की अश्वेतों को इस ओलंपिक से बाहर रखा जाना चाहिए! इस बात से विश्व के कई देशों में जर्मनी के प्रति आक्रोश भी पैदा हुआ था.
सिर्फ इतना ही नहीं इसके बाद यहूदियों के प्रति हमेशा नफरत रखने वाले हिटलर ने ही 'केवल आर्य' का नारा दिया.
इसके बाद तमाम जर्मन खेल संघों में से और खिलाडियों में से यहूदियों को बाहर निकाल दिया गया. यह एक बहुत बड़ा फैसला था, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान इस ओलंपिक की ओर खींच दिया था.
इस आदेश का पालन करते हुए जर्मन बॉक्सिंग एसोसिएशन ने पेशेवर बॉक्सर और हैवीवेट चैम्पियन एरिच सेलिग को निष्कासित कर दिया.
इस तरह कई और खेलों से कई बड़े खिलाड़ियों को सिर्फ यहूदी होने की वजह से निष्कासित कर दिया गया. उस दिन के बाद से आज तक 1936 के ओलंपिक को याद किया जाता है.
एमटीवी के पहले 'म्यूजिक वीडियो' का प्रसारण
1 अगस्त 1981 को रात 12 : 01 पर संगीत की दुनिया को विश्व ख्याति मिली और एक नया अनुभव लोगों को टीवी के ज़रिये देखने को मिला.
टेलीविजन चैनल की दुनिया में एक नया आयाम शुरू हुआ, जिसमें 'एमटीवी' चैनल लांच हुआ. इस पर प्रासारित होने वाला पहला वीडियो "वीडियो किल्ड द रेडियो स्टार" द बगल्स बैंड ने प्रासारित किया था.
इस वीडियो ने एक ही दिन में बीबीसी की फेहरिस्त में टॉप 40 में जगह बना ली थी. इसके बाद दिन ब दिन एमटीवी आगे बढ़ता गया.
संगीत सुनने वालों के लिए ये एक ही ऐसा चैनल था, जहां वह गाने सुन भी सकते थे और उनकी वीडियो भी देख सकते थे.
एमटीवी ने संगीत जगत में एक क्रांति ला दी थी. युवाओं में तो यह कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध हुआ. धीरे-धीरे एमटीवी ने अपने चैनल को कई देशों में लांच किया.
जिस भी देश में ये गया वहां पर ये छा गया. आज कई सालों के बाद भी म्यूजिक चैनल के नाम पर सबसे पहले एमटीवी का नाम ही जुबां पर आता है.
ऐनी फ्रैंक ने लिखे अपनी डायरी में आखिरी शब्द!
जुल्म एक ऐसी याद देता है, कि हम उसे चाहते हुए भी भूल नहीं पाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि, वो इंसान को बुरी यादें दे जाता है और ऐसी यादों को भूल पाना आसान नहीं होता.
जर्मनी के इतिहास में यहूदियों पर हुए जुल्म की यादें आज भी लोगों के दिलों में ताज़ा है. कितने ही यहूदियों ने हिटलर के शासन में दर्द देखा. उनमें से ही एक थी 15 साल की लड़की ऐनी फ्रैंक.
इस छोटी सी बच्ची ने अपनी डायरी में उस समय का वह दर्द लिखा, जिसे पढ़कर आज भी लोगों की आँख भर आती हैं.
आज यानी, 1 अगस्त के दिन ही ऐनी फ्रैंक ने अपनी डायरी में अपने आखिरी शब्द लिखे थे. 1 अगस्त को ये चीजें लिखने के कुछ वक्त बाद ही ऐनी को नाजी सेना के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया.
ऐनी को गिरफ्तार करने के बाद उसके माँ-बाप और भाई और बहनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. कहते हैं कि ऐनी चाहती थी कि उसकी डायरी एक किताब का रूप लें.
ऐसा इसलिए ताकि, पूरी दुनिया जान सके कि आखिर कैसे हालातों से यहूदियों को गुजरना पड़ा था. गिरफ्तार होने के बाद ऐनी को जर्मन यातना शिविर ले जाया गया.
वहीं पर कुछ महीनों बाद बीमारी के कारण उसकी मौत हो गयी. एक बार जैसे ही दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ, तो ऐनी की डायरी को एक किताब का रूप दिया गया.
'The Dairy Of A Young Girl' नाम से ऐनी की डायरी को प्रकाशित किया गया. यह किताब ऐनी के को एक श्रद्धांजलि थी.
शुरू हुआ असहयोग आंदोलन
1 अगस्त 1920 के दिन गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ. इससे पहले अंग्रेजों ने देश में प्रेस की आजादी को बिलकुल दबा दिया था.
बिना किसी जांच के जेल में लोगों को डालने की खुली छूट दे दी गई थी. महात्मा गांधी ये सब देख रहे थे.
लिहाजा उन्होंने इसके यानी रॉलेक्ट एक्ट के खिलाफ अभियान चलाने के आरोप में गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था.
इसी बीच 13 अप्रैल 1919 को पंजाब में जलियांवाला बाग हत्याकांड की गूंज सुनाई दी. इसी वक्त गांधी जी के मन में असहयोग आंदोलन का विचार आने लगा था.
गांधी जी का मानना था कि अंग्रेज सरकार क्रूर है, इसलिए उसका किसी भी कीमत पर सहयोग नहीं किया जा सकता है.
आगे गांधी जी ने देश की जनता से अपील की. उन्होंने कहा कि कोई भी अंग्रेजों के नियम-कानून नहीं मानेगा. कोई अंग्रेजी कपड़े नहीं पहनेगा.
सभी चीजें जो अंग्रेजों से जुड़ी हुई हैं, उनका बहिष्कार होगा. स्वेदशी को अपनाने की बात पर गांधी जी ने बहुत जोर दिया.
सबसे खास बात यह रही कि इस आंदोलन में देश के युवाओं ने बहुत सहयोग किया. इसका नतीजा यह रहा कि जगह-जगह अच्छे शिक्षण संस्थान खुल गए.
आज हम जिस काशी विद्यापीठ को देखते हैं, वह असहयोग आंदोलन का ही नतीजा है. बहरहाल असहयोग आंदोलन 12 फरवरी 1922 को समाप्त हो गया.
चौरी चौरा कांड होने के बाद गांधी जी की तरफ से ये निर्णय लिया गया कि इस आंदोलन को खत्म किया जाए.
बहरहाल, ये थी 1 अगस्त के दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं, जो इस दिन को अलग ही महत्व देती हैं. अब शायद आप भी जान गए होंगे की कोई भी दिन आम नहीं होता. हर दिन के साथ कोई न कोई ऐतिहासिक घटना जुड़ी होती है.
Web Title: Day In History 1 August, Hindi Article
Feature Image: skeptism