10 अगस्त का इतिहास बड़ा रोचक है. आज ही के दिन भारत में डचों ने युद्ध के दौरान राजा मार्थंड वर्मा के सामने घुटने टेक दिए थे. इसके अलावा, आज ही के दिन मशहूर लेखिका वर्जीनिया वूल्फ ने लियोनार्ड वूल्फ से शादी की थी.
इसके साथ ही, श्रीलंका में कई मौतों का खौफनाक मंजर दिखाई दिया.
वहीं दूसरी ओर अमेरिका का का ऐतिहासिक अधिनियम भी अस्तित्व में आया.
तो आइए जानते हैं, आज के रोचक इतिहास को यानी कि 10 अगस्त की तारीख में कैद घटनाओं को-
मार्थंड वर्मा ने डचों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया!
त्रावणकोर एशिया का पहला ऐसा राज्य रहा, जिसने यूरोप के उपनिवेशवाद को सबसे पहले हराकर अपना लोहा मनवाया था. राजा मार्थंड वर्मा वहां के राजा थे. उन्होनें जल्दी ही कोल्लम, कयमकुलम और कोट्टाराकारा रियासतों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया. साथ ही इन सब छोटी-छोटी रियासतों को मिलाकर, उन्होनें एक साम्राज्य बनाया, जो त्रावणकोर साम्राज्य कहलाया.
इसी क्रम में कयमकुलम के राजा, डच के पास गुहार ले कर पहुंचे. डचों ने त्रावणकोर के राजा यानि मार्थंड वर्मा को यह कहते हुए चेतावनी दी कि, या तो वह जीते हुए साम्राज्य को वापस कर दें या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाए.
डच सेना को लगा होगा कि वे आसानी से मार्थंड को हराकर अपना राज फिर कायम कर लेंगे. इस तरह कोट्टाराकारा और डच की सेना ने मिलकर मार्थंड वर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
मार्थंड और उनकी सेना ने ना सिर्फ उन्हें हराया, बल्कि कोट्टाराकारा रियासत को त्रावणकोर में मिला दिया. इसके अलावा डच सेना को कोचिन खदेड़ दिया और उन्होंने डच द्वारा कब्ज़े में किये गए सारे इलाकों को भी अपने अधीन कर लिया.
इस युद्ध 1740 में डच सेना ने कोलाचेल (आज का कन्याकुमारी) में तीन दिन तक नेवल बमबारी की.
सीलोन से 400 समुद्री जहाज़ मालाबार तट की और रवाना किये गए. वहीं डच सेना ने कोलाचेल को अपना ठिकाना बनाया. इस चाल का जवाब देते हुए, उन्होंने 10 हज़ार की सेना के साथ डच सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
10 अगस्त, 1741 को मर्थांड वर्मा ने डचों पर विजय हासिल की और उनके चंगुल से आज़ाद हो गए.
वर्जीनिया वूल्फ और लियोनार्ड वूल्फ की हुई शादी
1882 में पैदा हुए वर्जीनिया शुरू से बुद्धिमान लोगों के बीच रही थीं. उनके पिता एक लेखक और दार्शनिक थे. साल 1902 में, वर्जीनिया के पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने ब्रिटिश संग्रहालय के पास लंदन में एक घर ले लिया.
जहाँ वह अपने परिवार के साथ रहने लगीं. यहीं लाइब्रेरी में उनके कई अच्छे दोस्त बन गए और वह बुद्धिमान लोगों के साथ कई विषयों पर चर्चा भी किया करती थीं. कुछ समय बाद, वूल्फ टाइम्स लिटरेरी सप्लीमेंट में नियमित योगदानकर्ता बन गयीं.
वर्जीनिया ने 1912 में लेखक और सामाजिक सुधारक लियोनार्ड वूल्फ से विवाह किया. इस जोड़े ने कई वर्षों बाद अपने डाइनिंग रूम में होगर्थ प्रेस की स्थापना की. वर्जीनिया वूल्फ द्वारा लिखे गए कई अनुवादों को इस प्रेस ने प्रकाशित किये.
हालांकि, इसके अलवा भी इस प्रेस ने कई सारे प्रकाशन छापे.
बाद के उपन्यासों के अलावा, वूल्फ ने 1925 में अपनी ग्राउंडब्रैकिंग उपन्यास मिसेज डलोवे को प्रकाशित किया. फिर ऑरलैंडो समेत कई और उपन्यासों के साथ ही सामाजिक और साहित्यिक आलोचना लिखी.
हालांकि, वह अपने पूरे जीवन में अवसाद और मानसिक बीमारी से पीड़ित थी. साल 1941 में, उन्होंने अपने जैकेट की जेब में पत्थर भरकर खुद को पानी में डूबा दिया. इस तरह उन्होंने अपने जीवन का अंत कर लिया.
ट्रूमैन ने नेशनल सिक्योरिटी बिल पर हस्ताक्षर किया
आज ही के दिन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने नेशनल सिक्योरिटी बिल पर हस्ताक्षर किया था. इस एक्ट के ज़रिये ही वहां रक्षा विभाग स्थापित हुआ था. जब शीत युद्ध गरमाता जा रहा था.
उस दौरान, यह रक्षा विभाग अमेरिका के सैन्य प्रयासों की आधारशिला बना.
साल 1947 में, इस बिल ने रक्षा सचिव के कैबिनेट स्तर की स्थिति की स्थापना की. इसके साथ ही, इसी के अंतर्गत नेशनल मिलिटरी इंस्टीट्यूशन नाम की सैन्य रक्षा एजेंसी का निरीक्षण किया.
शीत युद्ध की बढ़ती जटिलता और विश्व युद्ध के बढ़ते खतरे की वजह से 1947 अधिनियम को एक बार फिर से संशोधित करने की आवश्यकता पड़ी. 1949 में, इस विधेयक ने अमेरिकी सरकार की रक्षा एजेंसियों को सुव्यवस्थित किया.
साथ ही,1949 के बिल ने नेशनल मिलिट्री एस्टाब्लिश्मेंट को अब रक्षा विभाग के रूप में बदल दिया. इस विधेयक ने सेना, नौसेना और वायुसेना के सचिवों की कैबिनेट स्तर का प्राप्त दर्जा भी हटा दिया.
साल 1949 का राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक की जरुरत इसलिए महसूस हुई, क्योंकि अमेरिका की सैन्य रक्षा नौकरशाही में अधिक समन्वय और दक्षता की आवश्यकता थी.
दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और उसके बाद जबर्दस्त विकास की जरुरत का अनुभव किया था. शीत युद्ध अमेरिका के लिए एक नया और खतरनाक प्रकार का युद्ध था. ऐसे में वह इस क्षेत्र में सुधार लाना चाहते थे.
तमिल विद्रोहियों और सेना की झड़प में हुईं 50 मौत
श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों और सेना के बीच इसी दिन भीषण संघर्ष शुरु हुआ. दोनों पक्ष विवादित जलस्रोत पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते थे. दोनों पक्ष अभी माविलारू नहर पर अपना नियंत्रण होने का दावा कर रहे थे.
इस झड़प में तमिल विद्रोहियों का दावा रहा कि इस झड़प में लगभग 50 आम नागरिक मारे गए.
हालाँकि, सेना ने इस दावे का खंडन किया था. इससे सिंचाई के लिए पानी का बहाव रोक दिए जाने पर मुट्टूर में तमिल विद्रोहियों और सेना के बीच क़रीब एक पखवाड़े तक चली लड़ाई पिछले दिनों ही ख़त्म हुई थी.
विद्रोहियों का कहना था कि उन्होंने अपनी मर्ज़ी से पानी का बहाव बहाल कर दिया था, लेकिन सेना का दावा है कि उसने ये काम किया. बता दें, इससे पहले भी दोनों पक्षों के बीच हुए संघर्ष में 800 से ज़्यादा लोग मारे गए थे.
तो ये थीं 10 अगस्त के दिन इतिहास में घटीं कुछ घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 10 August King Of Travancore Defeated Dutch Army, Hindi Article
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