हर दिन एक नयी कहानी अपने साथ लेकर आता है. वो काहानी, जो इतिहास के पन्नों में कहीं दर्ज होती है. हमारे इतिहास की ये कहानियाँ हमें उस वक्त से मिलाती हैं, जिस वक्त में कुछ एतिहासिक हुआ होता है.
इस दिन कहीं कोई महान व्यक्ति जन्मा होता है, तो कहीं किसी को मिलती है नई उड़ान. कहीं कहीं लिखी जाती है नए कल की दास्तान, तो कहीं पर लिखी जाती है जंग की इबारत.
ऐसी ही कई बड़ी और एतिहासिक घटनाएँ हर दिन में कहानी बनकर समाई होती हैं. तो चलिए आज ऐसे ही दिन 10 जुलाई की कहानियों को जानते हैं और देखते हैं कि इस दिन इतिहास में क्या-क्या हुआ–
महान आविष्कारक निकोला टेस्ला का हुआ जन्म
दुनिया में बहुत से आविष्कारक हुए हैं मगर बहुत कम ही हैं जिनका नाम आजतक प्रसिद्ध है. निकोला टेस्ला उन आविष्कारकों में से ही एक हैं.
अपने जीवनकाल में उन्होंने इतने आविष्कार किए हैं कि आजतक दुनिया उन्हें इस्तेमाल करती है. उनका सबसे खास आविष्कार माना जाता है AC यानी Alternative Current का.
आज भी अधिकांश देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने दुनिया को 'Tesla Coil' का भी तौफा दिया था.
आज भी रेडियो टेक्नोलॉजी में इसे यूज किया जाता है. निकोला टेस्ला तो अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं मगर उनके ये आविष्कार आज भी हमारे बीच हैं.
10 जुलाई 1856 को जन्मे टेस्ला बचपन से ही विज्ञान को समझना चाहते थे. कहते हैं कि निकोला टेस्ला के दिमाग में हर समय कुछ न कुछ बनाने का ख्याल ही चलता रहेता था.
वो दिन भर अपनी लैब में बैठकर कुछ न कुछ करते ही रहते थे. वक्त के साथ उनके ये छोटे-छोटे आविष्कार पहले से ज्यादा अच्छे होते गए.
निकोला टेस्ला अपने पेटेंट बेचने के लिए भी जाने जाते थे. उनके AC इन्वेंशन ने बहुत से लोगों का ध्यान खींचा था. 1888 में उन्होंने अपने AC इन्वेंशन को एक कंपनी को करीब 60,000 डॉलर में बेच दिय था.
आज भी बिजली उत्पादन में उनके इस इन्वेंशन को इस्तेमाल किया जाता है. अपने इन्हीं इन्वेंशन की वजह से आज भी निकोला टेस्ला को याद किया जाता है.
सबसे लंबी उड़ान के लिए निकले हावर्ड ह्यूजेस
10 जुलाई 1938 के दिन अमेरिकी पायलट हावर्ड ह्यूजेस एविएशन के इतिहास में एक कीर्तिमान रचने निकले. उन्होंने ठानी हुई थी कि वो सबसे ज्यादा देर तक प्लेन उड़ाने का रिकॉर्ड अपने नाम करके रहेंगे.
ये काम बहुत मुश्किल था मगर नामुमकिन नहीं. बस यही सोचकर हावर्ड ह्यूजेस निकल पड़े अपने इस सफर पर. उनके इस मिशन पर उनके साथ तीन और लोग भी थे. इसमें एक को-पायलट, एक नेविगेटर और एक रेडियो ऑपरेटर था.
अपने तीनों साथियों को साथ लेकर हावर्ड ह्यूजेस Lockheed Super Electra Special प्लेन में ब्रुकलिन एयरपोर्ट से रवाना हुए. इसके बाद वह अमेरिका से पेरिस, रूस, साइबेरिया, अलास्का आदि जगह होते हुए वापस ब्रूकलिन तक आए.
अपने इस पूरे सफर में वह जिन भी स्टॉप पर रुके, वह सभी केवल ईंधन भरने के लिए थे. इसके बाद करीब 15,000 मील की दूरी तय करने के बाद वह सफलतापूर्वक वापस अमेरिका में लैंड हुए.
सी यात्रा को पूरा करने में उन्हें कुल 91 घंटे, 14 मिनट और 10 सेकंड का समय लगा. इससे पहले कोई भी इंसान इतनी लंबी हवाई यात्रा करके नहीं आया था.
जैसे ही हावर्ड ह्यूजेस और उनके साथी प्लेन से बाहर निकले मीडियाकर्मियों ने उन्हें घेर लिया. उन्होंने एक बहुत ही बड़ा कीर्तिमान रच दिया था.
बैटल ऑफ ब्रिटेन की हुई शुरुआत!
दूसरे विश्व युद्ध में आसमान में लड़ी गयी जो लड़ाई सबसे प्रसिद्ध है वह है बैटल ऑफ ब्रिटेन. जर्मनी और ब्रिटेन के बीचे हुए इस युद्ध को आज तक का सबसे खतरनाक हवाई युद्ध माना जाता है.
10 जुलाई 1940 को शुरू हुए इस युद्ध में इन दोनों ही देशों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी जीतने के लिए. दरअसल, हिटलर ब्रिटेन की एयरफोर्स को खत्म करके उन्हें कमजोर बनाना चाहता था.
वह कुछ भी करके ब्रिटेन को कब्जाने की फिराक में था. हालांकि, यह काम इतना आसान नहीं था. ब्रिटेन की ताकत थी उसकी एयरफोर्स. उसे हराना मतलब ब्रिटेन को हराना था.
इसलिए हिटलर ने अपनी एयरफोर्स को सीधा ब्रिटेन पर हमला करने के लिए भेज दिया. हिटलर ने जंग पूरी ताकत से शुरू की थी. हालांकि, ब्रिटेन भी इसके लिए तैयार था.
कई महीनों तक आसमान में दोनों देशों के जहाज एक दूसरे पर हमल करते रहे. यह जंग तो जर्मनी ने शुरू की थी मगर इसका अंत ब्रिटेन के हाथों हुआ.
उन्होंने जब पलटवार शुरू किया, तो जर्मन पायलट उनके आगे टिक नहीं पाए. देखते ही देखते जर्मन एयरफोर्स पस्त पड़ने लगी. आखिर में 31 अक्टूबर 1940 को ब्रिटेन ने इस खतरनाक जंग को जीत लिया. माना जाता है कि यहीं से हिटलर का पतन शुरू हुआ था.
रूस को मिला अपना पहला राष्ट्रपति
10 जुलाई 1991 के दिन रूस में सब कुछ बदल गया. सालों से बिना किसी डेमोक्रेटिक सरकार के रहने वाला रूस आज के दिन ही डेमोक्रेसी से जुड़ा था.
आज ही के दिन रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद की शप्त ली थी. इस पद के लिए हुए इलेक्शन में बोरिस येल्तसिन ने 58 प्रतिशत अधिक वोटों से अपने प्रतिद्वंद्वी निकोलाई को हराया था.
इससे साफ जाहिर हो गया था कि रूस के लोग अब अपने लिए एक प्रबल लीडर की दरकार में हैं. उन्होंने इतनी भारी मात्रा में वोट किए कि बोरिस की जीत पक्की हो गयी.
हालांकि, इस जीत के बाद बोरिस पर कई सवाल भी उठे. विपक्षी नेताओं ने कहा कि वह अपने किए गए किसी भी वादे को नहीं निभा रहे हैं.
इन सब के बाद भी बोरिस अपना काम निरंतर रूप से करते रहे. 1991 से 1999 तक उन्होंने राष्ट्रपति कार्यकाल संभाला.
तो ये थीं 10 जुलाई को घटी दुनिया की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं. अगर इस दिन से जुड़ी कोई और बात आपको याद है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Feature Image: telegraph