देश और दुनिया के इतिहास को आज की तारीख अपने अंदर समेटे हुए है. कैलेंडर की हर एक तारीख ऐतिहासिक महत्व रखती है.
इसी कड़ी में अगर हम आज यानी 10 सितंबर की घटनाओं पर नजर डालें, तो पता चलता है कि सन 1976 में कुछ आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस बोइंग 737 का अपहरण कर लिया था. वहीं, आज ही के दिन भारत के महान परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद वीर गति को प्राप्त हुए थे.
इसके अलावा इतिहास में और भी बातें दर्ज हुईं. जैसे सितंबर 1974 को लंबे युद्ध के बाद गिनी, पुर्तग़ाल से आज़ाद हुआ. वहीं, 1914 में फ्रांस व जर्मनी के बीच मार्ने का युद्ध समाप्त हुआ.
तो आइए, आज हम देश-विदेश की ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर नजर डालते हैं –
इंडियन एयरलाइंस बोइंग 737 का अपहरण
भारत में आपातकाल के समय 1976 में इंडियन एयरलाइंस के जहाज़ को सनसनीखेज़ ढंग से अगवाह कर लिया गया था.
10 सितंबर, 1976 को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे से चढ़े 6 आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के बोइंग 737 को हाईजैक कर लिया. सुबह के 7:30 मिनट पर बोइंग 737 विमान 66 यात्रिओं को लेकर मुंबई के लिए रवाना हुआ था. उस समय जहाज़ का कमांड बीएन रेड्डी और सह पायलट आरएस यादव के हाथों में था.
बोइंग 737 विमान मुंबई पहुंचने से पहले जयपुर और औरंगाबाद रुकना था.
विमान दिल्ली से रवाना होने को तैयार था. इसी बीच आतंकवादियों ने अपनी गतिविधि तेज़ कर दीं. जब विमान दिल्ली से 35 मील की दूर 8000 फीट की ऊंचाई पर था, तभी 2 लोग फायरिंग करते हुए विमान के कॉकपिट में घुस गए. उन्होंने विमान संचालक रेड्डी की कनपटी पर 12 बोर की पिस्तौल रख दी और विमान हाईजैक होने की जानकारी दी.
आतंकियों ने पायलट बीएन रेड्डी को विमान का रुख लीबिया की ओर करने को कहा, लेकिन विमान के सह संचालक यादव ने बड़ी सूझबूझ के साथ विमान को ऑटो पायलट मोड पर डाल दिया. उन्होंने दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को संपर्क किया और विमान हाईजैक होने की सूचना दी.
आतंकी विमान को लीबिया ले जाना चाहते थे, लेकिन पायलटों ने बोला कि लीबिया तक पहुंचने के लिए हमारे पास पर्याप्त ईंधन की व्यवस्था नहीं है.
अपहरणकर्ता ने विमान में ईंधन देखते हुए पाकिस्तान के कराची से ईंधन भरवाने के लिए कहा. विमान कराची उतर गया.
इधर, भारत सरकार ने पाकिस्तानी सरकार से मामले में संपर्क किया. पाकिस्तान सरकार ने भारत का साथ देते हुए उन्हें यात्रियों की सलामती का वायदा किया.
जब विमान एयरपोर्ट पर रात भर के लिए खड़ा था, पाकिस्तान की ओर से पायलट और अपहरणकर्ताओं के लिए भोजन दिया गया.
अपहरणकर्ताओं के खाने में नशीला पदार्थ मिलाया गया था. अपहरणकर्ता खाने के बाद बेहोश हो गए और इस तरह बोइंग 737 के सारे यात्रियों को सकुशल भारत वापस लाया गया.
शहीद हुए वीर अब्दुल हमीद
आज ही के दिन 10 सितंबर 1956 को भारत के वीर सपूत अब्दुल हमीद ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. अब्दुल हमीद पाकिस्तान के दांत खट्टे करते हुए दुश्मन टुकड़ियों को नेस्तनाबूत करने में कामयाब रहे.
1933 को पैदा हुए अब्दुल हमीद के पिता भी सेना में नायक के पद पर तैनात थे. हमीद अपने पिता के नक़्शे कदम पर चलना चाहते थे.
अब्दुल पहले कुश्ती के प्रति बेहद लगाव रखते थे. बताया जाता है कि अब्दुल हमीद की शारीरिक क्षमता इतनी थी कि वह अकेले 50 लोगों पर भारी पड़ते थे. एक बार उन्होंने अपने गांव के 50 दबंगों को अकेले ही खदेड़ दिया था.
अब्दुल हमीद अपने पिता से प्रेरित होकर सन 1945 में सेना में भर्ती हो गए. सेना में आने के बाद उन्हें कश्मीर में नियुक्त कर दिया गया.
अब्दुल हमीद ने 1962 में चीन-भारत युद्ध में भी हिस्सा लिया था. फिर जब उनकी शादी हुई, उसी समय भारत और पाकिस्तान के बीच में जंग का ऐलान हो गया.
हमीद जंग का ऐलान सुनते ही अपना सामान समेटकर जंग के मैदान में चले गए. हमीद ने दुश्मनों का दांत खट्टे करते हुए पाकिस्तान के 4 टैंकों को नष्ट कर दिया. ठीक उसके अगले ही दिन उन्होंने पाकिस्तान के 3 और टैंक बर्बाद कर दिए.
उनकी वीरता इस बात को प्रमाणित करती है कि उन्होंने जंग के मैदान में दुश्मनों को एक इंच भी आगे बढ़ने नहीं दिया. ऐसे में अचानक दुश्मनों ने उनकी टीम को टारगेट करना शुरू कर दिया. अब्दुल हमीद को कई गोलियां लगीं, जिस कारण वह शहीद हो गए.
गिनी को मिली स्वतंत्रता
10 सितंबर 1974 के दिन गिनी को पुर्तगाल से आज़ादी मिली थी. पुर्तगाल गिनी को उपनिवेश बनाकर उसकी संपत्ति को अपने अधिकार क्षेत्र में लाना चाहता था. वैसे यह भी बताया जाता है कि गिनी को पुर्तगालियों ने ही 1446 में खोजा था. तब से पुर्तगाल अपना आधिपत्य गिनी पर जमाए बैठा था.
लगभग 5 सदियों तक गिनी उपनिवेशवाद का शिकार रहा. इस कारण से वह आत्मनिर्भर नहीं हो पाया.
वर्षों की गुलामी के बाद सन 1964 से गिनी में अधिकारों की लड़ाई शुरू हो गई. इसके बाद लगभग 10 सालों तक वहां युद्ध के हालात रहे.
गिनी अफ्रीकी महाद्वीप का हिस्सा था. वह अफ्रीका के तीन ऐसे स्वायत्त प्रदेशों में सबसे गरीब था. यही नहीं, वहां की अर्थव्यवस्था इतनी ख़राब हो चुकी थी कि लोगों को खाने के लाने पड़े हुए थे.
वहां की प्रशासनिक व्यवस्था पुर्तगालियों के हाथों में होने के कारण, तानाशाही का राज था. पुर्तगाल के तानाशाही रवैये ने गिनी को बेहद आक्रामक स्थितियों में पहुंचा दिया.
अब माहौल खूनी संघर्ष का रूप लेने लगा था. इसी बीच पुर्तगाल के सत्ताधारी नेताओं ने मिलकर फैसला किया कि अब गिनी से पुर्तगाल अपना अधिकार वापस ले लेगा.
परिणामस्वरूप 26 अगस्त 1974 को संधि पत्र पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए. इस प्रकार 10 सितंबर 1974 को गिनी को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई.
फ्रांस-जर्मनी के बीच खत्म हुआ मार्ने का युद्ध
10 सितंबर 1914 को फ्रांस और जर्मनी के बीच होने वाले संघर्ष का समापन मार्ने वैली में किया गया. इस युद्ध की शुरुआत जर्मनी और रूस के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर हुई थी. जर्मनी और फ्रांस के बीच यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा. जर्मनी ने फ्रांस के कुछ अधिकार क्षेत्र को अपनी कब्ज़े में कर लिया था. यही नहीं, 1914 में जर्मनी की सेना फ्रांस के सबसे खुबसूरत शहर पेरिस तक पहुंच गई थी.
पेरिस के आसपास के 72 किमी (45 मील) तक जगहों को जर्मनी ने अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था. वहीं, जर्मनी फ्रांस के उत्तर-पूर्व औद्योगिक हिस्से पर कब्जा करने में सफल रहा. हालांकि बाद में फ्रांस अपने सैन्य बलों की मदद से पेरिस को जर्मनी से बचाने में कामयाब रहा. यह क़ामयाबी फ्रांस की युद्ध नीति को सक्षम बनाती थी.
इस युद्ध का परिणाम बेहद ही घातक सिद्ध हुआ. इस युद्ध में हजारों की संख्या में जानें गईं. अंत में यह अधिकार क्षेत्र की लड़ाई 10 सितंबर 1914 को समाप्त हो गई.
जर्मनी-फ्रांस के बीच में हुए इस युद्ध को प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत से भी जोड़ कर देखा जाता है.
तो ये थीं 10 सितंबर के दिन की इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी है, तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं.
Web Title: Day In History 10 September, Hindi Article
Feature Image Credit: indiatoday